भारतीय इतिहास के कुछ विषय : वर्ग 12
विषय तीन – बन्धुत्व , जाति तथा वर्ग
(आरम्भिक समाज – 600ई० पू. से 600 ईस्वी )
परिचय :
* पिछले अध्याय में 600 ई, पू. से 600ई, तक के मध्य आर्थिक और राजनीतिक जीवन में अनेक परिवर्तन हुए | जैसे –
1. वन क्षेत्रों में कृषि का विस्तार
2. लोगों के जीवन शैली में परिवर्तन
3. शिल्प विशेषज्ञों के एक विशिष्ट सामाजिक समूह का उदय
4. सम्पति के असमान वितरण से सामाजिक विषमताओं का अधिक प्रखर होना
इतिहासकार तत्कालीन समाज में सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं को समझाने के लिए प्राय: अभिलेख , सिक्के एवं साहित्यिक परम्पराओं का उपयोग करते है |
इतिहासकार तत्कालीन समाज में सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक प्रक्रियाओं को समझाने के लिए प्राय: अभिलेख , सिक्के एवं साहित्यिक परम्पराओं का उपयोग करते है |
अभिलेखों, सिक्के एवं साहित्यिक रचनाओं से प्रचलित आचार-व्यवहार और रिवाजों का इतिहास पता चलता है | इस पाठ में महाभारत महाकाव्य का अध्ययन करेंगे जो वर्तमान रूप में एक लाख श्लोको से अधिक है और विभिन्न सामाजिक श्रेणियों व परिस्थितियों का लेखा जोखा है |
महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण
* 1919 में संस्कृत के विद्वान वी,एस.सुकथानकर के नेतृत्व में में महाभारत का
समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने का जिम्मा उठाया |
* विद्वानों ने महाभारत से जुडी सभी भाषाओं के उन श्लोकों को चयन किया जो लगभग
लगभग सभी पांडुलिपियों में पाए गए थे और उनका प्रकाशन 13000 पृष्ठों में फैले अनेक ग्रन्थ खंडों में किया |
* इस परियोजना को पूरा करने के लिए 47 वर्ष लगे |
* इस प्रक्रिया से दो बाते निकल के आयी –
1. संस्कृत के कई पाठों के अनेक अंशों में समानता थी और देश के अलग-अलग हिस्सों से प्राप्त पांडुलिपियों में यह समानता थी |
2. कुछ शताब्दियों के दौरान हुए महाभारत के प्रेषण में अनेक क्षेत्रीय प्रभेद सामने आये | इन प्रभेदों का संकलन मुख्य पाठ की पादटिप्पणियों और परिशिष्टों के रूप में किया गया | 13000 पृष्ठों में से आधे से भी अधिक इन प्रभेदों का ब्योरा देते है |
* आरम्भ में यह विश्वास किया जाता था की संस्कृत ग्रन्थों में लिखी बाते व्यवहार में भी प्रयुक्त होता होगा परन्तु पाली , प्राकृत और तमिल ग्रन्थों के अध्ययन इन आदर्शों को प्रश्नवाचक दृष्टी से भी देखा जाता था और यदा-कदा इनकी अवहेलना भी की जाती थी |
नोट:
प्रभेद : उन गूढ़ प्रक्रियाओं के द्योतक है जिन्होंने प्रभावशाली परम्पराओं और लचीले स्थानीय विचार और आचरण के बीच संवाद कायम करके सामाजिक इतिहासों को रूप दिया था | यह संवाद द्वन्द्व और मतैक्य दोनों का ही चित्रित करते है |
महाकाव्य महाभारत
* महाभारत की रचना वेद व्यास ने की थी |
*महाभारत महाकाव्य की
रचना काल 500 ई. पू. से 500 ई. के बीच माना जाता है |
* आरम्भ में इस ग्रन्थ
में 8800 श्लोक थे और इसका नाम “जय संहिता“ था| कालान्तर में श्लोकों की संख्या 24000 हो गयी और नाम
“ भारत “ पड़ा |
* अंत में श्लोकों की
संख्या बढ़कर 100000 हो गयी और नाम “ शत सहस्रीसंहिता/महाभारत “ पड़ा |
* इस प्राचीनतम महाकाव्य
में कुरू वंश ( कौरवों और पांडवों ) की कथा है |
* महाभारत महाकाव्य से
हमें तत्कालीन भारत की सामाजिक
, धार्मिक तथा राजनीतिक स्थिति का परिचय मिलता है;
इनमें
शक, यवन, पारसीक, हूण आदि जातियों का उल्लेख है |
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