Tuesday 23 March 2021

Cbse Previous Year questions Solutions in Hindi : History

Cbse Previous  Year questions Solutions : History


इन्हें भी पढ़ें 

* महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* ईंट , मनके और अस्थियाँ : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* राजा , किसान और नगर : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* शासक और इतिवृत :वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

1. 600
ई.पू. से 600 ई. के दौरान वर्ण व्यवस्था के नियमों का पालन करवाने के लिए ब्राह्मणों द्वारा अपनाई गई किन्ही दो नीतियों की पहचान कीजिये |

उत्तर: 

1. वर्ण व्यवस्था के नियमों का पालन करवाने के लिए ब्राह्मणों ने ऋग्वेद के पुरुष सूक्त का चित्रण किया  जिसमें यह बताया कि ब्रह्मा के मुख से ब्राह्मण , भुजा से क्षत्रिय , जंघा से वैश्य तथा पैर से शूद्र की उत्पति हुई  है |

2. वर्ण व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के लिए वैवाहिक नियमों को व्यवस्थित किया जिसमें  व्यक्ति अपने ही वर्ण में विवाह सम्बन्ध स्थापित कर सकता है |

3. ब्राह्मणों नी यह व्यवस्था भी जोड़ा कि व्यक्ति जिस वर्ण में जन्म लिया उसी वर्ण से हमेशा जाना जाएगा |    


2.
अमर नायक प्रणाली किस प्रकार विजयनगर साम्राज्य  की एक राजनीतिक खोज थी ? परख कीजिये |

उतर: 

1. अमर नायक एक प्रकार के सैनिक कमांडर होते थे , प्रशासन के द्वारा इन्हें राज्य का क्षेत्र विशेष दे दिया जाता था, जहां ये उस क्षेत्र की प्रजा से , भूमि की उपज पर और व्यवसाय पर कर वसूलते थे |

2. राजस्व का कुछ भाग प्रशासनिक व्यवस्था को चलाने के लिए रखते और शेष केन्द्रीय सत्ता तक पहुंचाया जाता था 

3. ये विजयनगर शासकों को एक प्रभावी सैनिक शक्ति प्रदान करते थे |

4. कुछ अमरर नायक केन्द्रीय सत्ता के प्रति समर्पित होते थे तो कुछ अक्सर विद्रोह कर देते , जिन्हें सैनिक कार्यवाही द्वारा दबाया जाता था |

5. अमर नायक आर्थिक रूप से स्वतंत्र थे , अपने क्षेत्र की आय का कुछ हिस्सा प्रजा की भलाई और मंदिरों के निर्माण पर खर्च करते थे |

6. महानवमी के समय अमर-नायक "राय " के समक्ष उपस्थित होकर उपहार भेंट करते थे |

 

3. मोहनजोदड़ो के गृह स्थापत्य की विशिष्ट विशेषताओं का वर्णन कीजिये |

उत्तर: 

1. मोहनजोदड़ो हड़प्पा सभ्यता का सबसे बेहतर और नियोजित शहरी  केंद्र था | इस सभ्यता की खोज 1922 में हुई थी |

2. मोहनजोदड़ो शहर को दो भागों में विभाजित किया था |  - दुर्ग और निचला शहर 

3. दुर्ग की संरचनाएं कच्ची ईंटों के ऊँचे चबूतरे पर बनाई गयी थी | सम्भवत: यह भाग प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयोग होता होगा |

4. निचला शहर जनसामान्य के लिए था |

5. नगर में प्रवेश हेतु बाहरी चारदीवारी में कई बड़े-बड़े प्रवेश द्वार थे |

6. प्राय: सभी  मकानों में रसोईघर , स्नानाघर , शौचालयऔर कुँए होते थे |

7. घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ प्राय: सडक की ओर नही खुलते थे

8. सभी मकान से निकलनेवाली नालियां गली के नली से मिलती थी | यह नली शहर के बड़ी नाली से मिलती | नालियों में जगह -जगह हौज बने होते थे जहां कचड़े जमा होता था |

9. मोहनजोदड़ो की सड़कें अपने समकोण पर काटती थी | मोहनजोदड़ो से प्राप्त विशाल  स्नानागार  विशेष उल्लेखनीय है |

 

4.
महाभारत की भाषा और विषयवस्तु की व्याख्या कीजिये |

उत्तर: 

1. महाभारत की पांडुलिपियाँ अनके लिपियों में प्राप्त हुई है | ये लिपियाँ मुख्यत:  नेपाली , मैथली, बंगाली , देवनागरी , तेलगु तथा मलयालम में है |

2. पांडुलिपियाँ मुख्य रूप से दो भागों में उत्तरी तथा दक्षिणी संशोधित मूल पाठों में विभाजित है |

3. उत्तर-पश्चमी पांडुलिपियाँ देवनागरी लिपि में है , कुछ मैथली , नेपाली तथा बंगाली में है जबकि दक्षिण पांडुलिपियाँ तेलगु तथा मलयालम लिपि में है |

4. महाभारत की विषयवस्तु तत्कालीन समाज  की जानकारी उपलब्ध कराती है | मसलन जाति,वर्ग , समाजिक समुदाय , रक्त सम्बन्ध , परिवार , वैवाहिक नियम इत्यादि

5.
आप किस प्रकार सोचते है कि मुग़ल बादशाहों द्वारा तैयार करवाए गए इतिवृत मुग़ल इतिहास के अध्यययन के महत्वपूर्ण स्रोत है ?

उत्तर: विद्वान इतिहासकारों के मतानुसार मुग़ल बादशाहों द्वारा तैयार  इतिवृतों की रचना कुछ विशेष उद्वेश्यों से कारवाई गई थी जो मुगल इतिहास  का महत्वपूर्ण स्रोत है |

1. इतिवृतों का एक महत्वपूर्ण उद्वेश्य साम्राज्य के अंतर्गत आने वाले सभी लोगों के सामने एक प्रबुद्व राज्य की छवि को प्रस्तुत करना था |

2. इतिवृतों का एक अन्य उद्वेश्य मुगल शासन का विरोध करने वाले लोगों को यह स्पष्ट रूप से बता देना था कि साम्राज्य की शक्ति के सामने उनके सभी विरोधों का असफल हो जाना सुनिश्चित था |

3. इतिवृतों की रचना करवाने में शासकों का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्वेश्य भावी पीढ़ियों को शासन का विवरण उपलब्ध करवाना था |

4. अकबरनामा , शाहजहाँनामा, आलमगीरनामा मुगल इतिहास के महत्वपूर्ण अध्ययन स्रोत है |


6.
संविधान सभा में दलित वर्गों के संरक्षण के पक्ष में दिए गए विभिन्न तर्कों का वर्णन कीजिये |
उत्तर: 

1. डा. भीम राव आंबेडकर ने दलित जातियों के लिए पृथक निर्वाचन की मांग करते हुए कहा कि इतने वर्षों अत्याचार सहन करने  के बाद अब उन्हें अधिकारों की प्राप्ति होनी चाहिए |

2. दलित जातियों के प्रतिनिधि नागप्पा का कहना था की हम लोगों ने सदा से ही कष्ट उठाया है लेकिन अब हम अपनी बात मनवाना सीख चुके है | उनका कहना था कि संख्या की दृष्टी से तो हरिजन अल्पसंख्यक नहीं है लकिन समाज के द्वारा उन्हें सदैव अनदेखा किया गया है |

के.जे. खांडेलकर ने कहा कि इन जातियों को हजारों वर्षों से इतना अधिक दबाया गया है कि अब इनका श्री और दिमाग काम ही नहीं करता  है और इनकी दशा और भी दयनीय हो  गई है |

  
7. “
गांधी जी राजनीतिक जितने थे उतने ही वे समाज सुधारक थे | उनका विश्वास था कि स्वतंत्रता के योग्य बनने  के लिए भारतीयों को बाल विवाह और छूआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्त होना पड़ेगा | एक मत के भारतीयों को दुसरे मत के भारतीयों के लिए सच्चा संयम  लाना होगा और इस प्रकार उन्होंने हिन्दू-मुसलमानों के बीच सौहार्द्र पर बल दिया उपर्युक्त कथन के प्रसंग में , महात्मा गांधी द्वारा परिपुष्ठित मूल्यों को उजागर कीजिये |

उत्तर: 

1. देश की स्वतन्त्रता के लिए जनसामान्य को राष्ट्रीय आन्दोलन की मुख्य धारा में शामिल कराना चाहते थे

2. वह महिलाओं को पुरूषों के समान अधिकार प्रदान करना चाहते थे और राष्ट्रीय आन्दोलन में उनकी सहभागिता बढाना चाहते थे |

3. हिन्दू - मुस्लिम एकता के पक्षधर थे तथा दोनों को समान भावना से देखते थे |

4. दलितों को समान अधिकार दिलाने के लिए छुआछूत और भेदभाव तथा जातिभेद का विरोध किया |


8.  600
ई.पू. से 600 ई. तक किसानों द्वारा कृषि उत्पादकता को बढाने के लिए अपनाए गए तरीकों को स्पष्ट कीजिये |

उत्तर: 1. जंगलों का साफ़ करके हल के माध्यम से खेती का विस्तार करना |

2. गंगा -यमुना और कावेरी घाटियों के उर्वर कचारी क्षेत्र में लोहे के हल से जुताई आरम्भ हुई  तथा धन की पैदावार में वृदि की  गई |
3.
जो किसान उपमहाद्वीप के पूर्वोतर और  पर्वतीय क्षेत्रों में रहते थे उन्होंने खेती के लिए कुदाल का प्रयोग किया |

4. उपज बढ़ाने के लिए कुओं , तालाबों और कहीं-कहीं नहरों के माध्यम से सिंचाई की व्यवस्था की गई |

5. यद्यपि खेती में पैदावार में वृद्वि  दर्ज की गई परन्तु लाभ समान नहीं थे | जिससे खेती से जुड़े लोगों में उतरोतर भेद बढता गया


9.
मौर्य प्रशासन की मुख्य विशेषताओं की व्याख्या कीजिये |

उत्तर: 

1. राजा शासन का प्रमुख होता था | राजा पर मंत्रिपरिषद का नियंत्रण होता था |

2. मंत्रिपरिषद में 12-20 मंत्री होते थे \ प्रत्येक मंत्री को 12,000 पण वार्षिक वेतन मिलता था |

3. केन्द्रीय शासन कई विभागों में विभक्त था जिन्हें तीर्थ कहा जाता था | अर्थशास्त्र में 18 तीर्थ का उल्लेख मिलता है |

4. अशोक के अभिलेखों में मौर्य साम्राज्य 5 प्रान्तों में विभक्त था | ये प्रांत थे-उत्तरापथ , अवन्ती, कलिंग, दक्षिणापथ, प्राच्य 

5. प्रान्तों के राज्यपाल प्राय: कुमार कहलाते थे |

6.मेगास्थनीज के अनुसार नगर का शासन प्रबंध 30 सदस्यों का एक मंडल करता था जो 6 समितियों में विभक्त था |प्रत्येक समिति में 5 सदस्य होते थे |

7. ग्राम का मुखिया ग्रामिक खलता था | ग्राम का एक प्रशासनिक अधिकारी भोजक होता था |

8. सेना के 6 विभाग थे | पैदल सेना , अश्व सेना , हाथी सेना , नौसेना , सैन्य यातायात विभाग | सेना का मुख्य सेनापति राजा स्वयं होता था |

9. न्याय का सर्वोच्य अधिकारी सम्राट होता था |

10. मौर्य शासन काल में गुप्थर व्यवस्था दृढ़ थी | गुप्तचर छद्म भेष में घूमते थे |

 

10. सूफी संतों और राज्य के बीच 8वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी के दौरान सम्बन्धों की पहचान कीजिये |

ऊतर: 

1. सूफी संत जनसामान्य में अत्यधिक लोकप्रिय थे | अत: शासक जनसामान्य का सहयोग प्राप्त करने के लिए उनसे सम्बन्ध बनाना चाहते थे |

2. कुछ शासक अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए सूफी संतों का सहारा का लेते थे | उनके विचार से सूफी संतों के शरण में जाने से जन्म्सामान्य के बीच उनका सम्मान बढ़ जाएगा और उनके विरूद्व विद्रोह करने का साहस नही करेगा |

3. अनेक शासक  विजय अभियानों की सफलता के लिए सूफी संतों के दरबार में जाते थे | उनका विश्वास था कि उनके आशीर्वाद से विजय अभियानों में सफल होते थे|

4. मुहम्मद बिन तुगलक ख्वाजा मुइनुद्वीन चिश्ती के दरबार जाने वाला पहला शासक था | अकबर 14 बार अजमेर शरीफ दरगाह गया था |

5. शासक सूफी संतों के खानकाह सभी करों से मुक्त रखते थे

6. कभी -कभी  शासक और सोफी संतों के बीच टकराव भी देखने को मिलता है | कुछ सूफी संत शासक के दरबार में प्रत्यक्ष रूप से शामिल थे |



11.
तमिलनाडु के अलवार और नयनार संतों का राज्य के साथ 8वीं शताब्दी से 18वीं शताब्दी के दौरान समबन्धों की पहचान कीजिये |
उत्तर : 

1. अलवार और नयनार  संत जनसामान्य में अत्यधिक लोकप्रिय थे | अत: शासक जनसामान्य का सहयोग प्राप्त करने के लिए उनसे सम्बन्ध बनाना चाहते थे |

2. कुछ शासक अपनी स्थिति मजबूत बनाने के लिए अलवार और नयनार  संतों का सहारा का लेते थे | उनके विचार से अलवार और नयनार संतों के शरण में जाने से जन्म्सामान्य के बीच उनका सम्मान बढ़ जाएगा और उनके विरूद्व विद्रोह करने का साहस नही करेगा |

3. अनेक शासक  विजय अभियानों की सफलता के लिए अलवार और नयनार संतों के पास  जाते थे | उनका विश्वास था कि उनके आशीर्वाद से विजय अभियानों में सफल होते थे|

4. चोल सम्राटों ने नयनार संतों के समर्थन पाने के लिए चिदम्बरम , तंजावुर और गंगई कोंड चोलपुरम में विशाल मंदिरों का निर्माण कराया

5. चोल सम्राट दैवीय  समर्थन पाने के लिए शिव के सुन्दर एवं मंदिरों का निर्माण करवाया था

6. शासकों द्वारा मंदिरों में तमिल भाषा के शैव भजनों के गायन का प्रचलन किया गया 

7. चोल शासक प्रांतक  प्रथम ने शिव मंदिर में संतकवि अप्पार, सम्बन्दर, तथा सुन्दरार की धातु की प्रतिमाओं को  स्थापित करावया गया था

 

12. प्रश्न : बंगाल में इस्तमरारी बंदोबस्त लागू करने के बाद , जमींदार भू-राजस्व को अदा करने में लगातार असफल रहे |” इसके कारणों और परिणामों की परख कीजिये | cbse 2018

उत्तर:

जमीदारों की इस असफलता के कई कारण थे :

1.
राजस्व में निर्धारित की गई राशि बहुत अधिक थी क्योंकि खेती का विस्तार होने से आय में वृद्वि हो जाने पर भी कम्पनी उस वृद्वि में अपने हिस्से का दावा कभी नहीं कर सकती थी|

2.
यह ऊँची मांग 1790 के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की कीमतें नीची थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी डे राशियाँ चुकाना मुश्किल था|

3.
राजस्व असमान था, फसल अच्छी हो या खराब राजस्व का ठीक समय पर भुगतान करना जरुरी था |वस्तुत: सूर्यास्त विधि के अनुसार, यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं होता था तो जमींदारी नीलाम किया जा सकता था|

4.
इस्तमरारी बंदोबस्त ने प्रारंभ में जमींदार की शक्ति को रैयत से राजस्व इक्कठा करने और अपनी जमींदारी का प्रबंध करने तक ही सीमित कर दिया था|

परिणाम

1.
भूमि कर की राशि बहुत अधिक निश्चित की गई थी जिसे ना चुका सकने पर जमींदारों की भूमि बेचकर यह राशि वसूल की गई |

2.
स्थाई बंदोबस्त किसानों के हित को ध्यान में रखकर नहीं किया गया था|

3.
सरकार ने कृषि सुधार हेतु कोई ध्यान नहीं दिया|

4.
स्थाई बंदोबस्त ने जमींदारों को आलसी और विलासी बना दिया|

5.
बंगाल में जमींदारों और किसानों में आपसी विरोध बढ़ने लगा था|

6.
जमींदार खुद शहर में जाकर बस गए और उसके प्रतिनिधियों ने किसानों पर अत्याचार किया|



13. “
अवध में विभिन्न प्रकार की पीड़ाओं ने राजकुमारों, ताल्लुक्दारों , किसानों और सिपाहियों के अंग्रेजों के विरूद्व 1857 के विद्रोह में हाथ मिला दिया |” इस कथन की परख कीजिये |          cbse      2018

उत्तर: 

1. 1856 में अवध के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साम्राज्य में विलय से  नबाब को  अपनी गद्दी से वंचित  होना पड़ा  था |

2.  अवध के नबाब के साथ-साथ इस क्षेत्र के ताल्लुकदारों  को भी उनकी शक्ति , सम्पदा एवं प्रभाव से वंचित होना पडा था |

3. अवध के सम्पूर्ण देहाती क्षेत्रों में ताल्लुक्दारों  की जागीरें एवं कीलें थे जिसपर ब्रिटिश शासन का अधिकार हो गया था |

4. अवध के नबाब तथा ताल्लुक्दारों के शासन खत्म होने से उनलोगों के पास स्थित सेना भी भंग हो गयी | ये सेना बेरोजगार हो गये |

5. ताल्लुक्दारो के जमीन पर से मालिकाना हक़ को भी समाप्त कर दिया गया | ताल्ल्कुदारों के पास पहले 67% गाँवों पर  अधिकार था जो अब घटाकर 38% हो गया था जिससे उनलोगों में असंतोष  था |

6. उल्लेखनीय है कि जब 1857 में अवध में  जहां भी विद्रोह हुआ वहां नबाब और ताल्लुक्दारों का समर्थन रहा |

14. “
भारतीय इतिहास की अवधि निर्धारित करने में सिक्के एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है |” दो बिन्दुओं के साथ कथन को न्यायसंगत ठहराइए |
उत्तर: 


1.
प्राचीनकाल में तांबे, चांदी, सोने और सीसे की धातु मुद्रा का प्रचलन था। भारत के अनेक भागों से भारतीय सिक्कों के साथ रोमन साम्राज्य जैसी विदेशी टकसालों में ढाले गए सिक्के भी मिले हैं। ये सिक्के प्राचीन भारतीय इतिहास के बारे में महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ प्रदान करते हैं


2.
ईसा पूर्व छठी शताब्दी से ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी के आरंभिक पंचमार्क सिक्कों पर प्रतीक मिलते हैं, किंतु बाद के सिक्कों पर राजाओं और देवताओं के नाम तथा तिथियाँ अंकित है। इस आधार पर प्राप्त सिक्कों के आधार पर कई राजवंशों के इतिहास का पुनर्निर्माण संभव हुआ है, विशेषकर दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी अफगानिस्तान से आए हिंद-पवन शासकों का।


3.
चूँकि सिक्कों का प्रयोग दान-दक्षिणा, खरीद-बिक्री और वेतन-मजदूरी के भुगतान के रूप में होता था। इस कारण सिक्कों के अध्ययन से प्राचीन भारत के आर्थिक इतिहास के बारे में जानकारी मिलती है।

4.मौर्योत्तर काल में विशेषत: सीसेताँबे, काँसे, सोने और चाँदी के सिक्के अधिक मात्रा में मिले हैं। 

 

5. गुप्त शासकों ने सोने के सिक्के सबसे अधिक जारी किये। इन कालों में व्यापारियों और स्वर्णकारों द्वारा भी सिक्के चलाए गए। इससे पता चलता है कि गुप्त मौर्योत्तरकाल में व्यापार-वाणिज्य तथा शिल्पकारी उन्नतावस्था में थे। 

 

6. गुप्तोत्तरकाल में बहुत सिक्के मिले हैं, जिससे व्यापार-वाणिज्य में शिथिलता का पता चलता है।


7.
सिक्कों पर अंकित राजवंशों और देवताओं के चित्रों, धार्मिक प्रतीकों तथा लेखों से तत्कालीन धर्म और कला पर भी प्रकाश पड़ता है।

 

8. सिक्कों का जिस स्थान से प्राप्त हुए है उससे उन राजाओं के साम्राज्य सीमाओं का पता लगता है |

 

15. उदाहरणों की मदद से सिद्व कीजिये कि हड़प्पाई लोगों ने पुरावस्तुओं को खरीदने / आदान प्रदान के लिए, उन्होंने पश्चिम एशिया के साथ सम्पर्क स्थापित किये |

उत्तर: 

1. हडप्पाई लोगों ने संभवत: अरब प्रायद्वीप  के दक्षिण-पश्चमी छोर पर स्थित ओमान से ताबां मंगवाते थे |

2. हडप्पाई पुरावस्तुओं और ओमानी ताम्बे दोनों में निकल के अंशों का मिलना दोनों के साझा उद्भव का परिचायक है |

3. संभवत: व्यापार वस्तु विनिमय के आधार पर किया जाता था

16. “
विजयनगर का महानवमी डिब्बा विस्तृत अनुष्ठान का केंद्र था |”उपयुक्त उदाहरणों के साथ कथन को स्पष्ट कीजिये |


उत्तर:

 * महानवमी डिब्बा में महानवमी के अवसर पर कई उत्सव मनाए जाते थे इस समय मूर्तियों की पूजा की जाती थी तथा राज्य के घोड़ों , बैलों तथा अन्य पशुओं की बलि दी जाती थी |

*
इस अवसर पर नाच-गाने तथा कुश्तियां होती थी |

*
इसके अतिरिक्त सजे हुए घोड़ों , हाथियों रथों तथा सेना के जुलूस निकाले जाते थे |

*
विजयनगर साम्राज्य के अधीनस्थ राजा , सम्राट को प्रश्नं करने के लिए उपहार भेंट करते थे |

*
विजयनगर सम्राट महानवमी उत्सव के अंतिम दिन सेना और सेनानायकों द्वारा सजाई गई सेनाओं का एक खुले मैदान में निरीक्षण करता था |

17.
एन.जी. रंग ने संविधान सभा में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर किये जाने का आह्वान क्यों किया ? स्पष्ट कीजिये |

18.
प्रश्न : 1857 के विद्रोह के दौरान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक भेद के लक्ष्ण क्यों दिखाई नहीं दिए ? परख कीजिये |

उत्तर: * विद्रोहियों में ज्यादातर कम पढ़े लिखे सैनिक थे जिन्होंने अपने विचारों का प्रसार करने और लोगों में संघर्ष में भाग लेने के लिए घोषणाएं जारी किये जिसमें जाति धर्म भेद का स्थान नहीं दिया गया |

*
मुस्लिम के तरफ से जारी घोषणाओं में हिन्दुओं के भावनाओं का ख्याल रखा जाता था | वहीं हिन्दू वर्ग के लोग अपने पुराने गौरवगाथा का गुणगान करके लोगों को संघर्ष में भाग लेने की सन्देश देते थे

19.
अकबर ने सोच-समझकर फ़ारसी को दरबार की मुख्य भाषा बनाया |” इस कथन की परख उसके द्वारा किये गए प्रयासों के साथ कीजिये |

उत्तर: 

1. मुगलों का ईरान के साथ सांस्कृतिक और बौद्धिक संपर्क था।
2.
ईरान के दरबार में फारसी का प्रयोग किया जाता था ।
3.
इरानी और मध्य एशियाई प्रवासियों की मुगल दरबार में उपस्थिति ।
4.
फारसी को मुगल दरबार की भाषा का ऊंचा स्थान दिया गया था।
5.
फारसी भाषा पर पकड़ शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक बन गई।
6.
यह अभिजात वर्ग की भाषा थी।
7.
यह राजा और शाही घराने द्वारा बोली जाती थी।
8.
यह प्रशासन के सभी स्तरों की भाषा थी।
9.
मुगल इतिहास फारसी में लिखे गए थे उदाहरण के लिए अकबरनामा आदि।..
10.
स्थानीय भाषाओं के सम्मिश्रण से फारसी का भारतीयकरण हो गया ।
11.
फारसी से उर्दू निकली।
12.
कई ग्रंथों का फारसी में अनुवाद किया गया जैसे बाबरनामा, महाभारत आदि।


20. “
मुग़ल शक्ति  का सुस्पष्ट केंद्र बादशाह का दरबार था |’ उपयुक्त तर्कों के साथ इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए |

उत्तर:  

1. दरबार की भौतिक व्यवस्था शासक पर केंद्रित था।
2.
राज सिंहासन इसका केंद्र बिंदु था।
3.
राजगद्दी के ऊपर छत्री राजसत्ता का प्रतीक था।
4.
स्थिति और पदानुक्रम को अच्छी तरह से परिभाषित किया गया था।
5.
दरबारियों को मुगल दरबार में बैठने का विशिष्ट स्थान शासक की निगाहों में उनके महत्व के अनुसार सौंपा गया था।
6.
किसी को भी बिना अनुमति के अपने आवंटित स्थान से जाने की अनुमति नहीं थी।
7.
संबोधन, शिष्टाचार और बोलने के ध्यानपूर्वक निर्धारित रूप निर्दिष्ट किए गए थे । इसके उल्लंघन पर दंड दिया जाता था।
8.
अभिवादन के तरीके से पदानुक्रम में एक व्यक्ति की हैसियत का संकेत दिया जाता था।
9.
राजनयिक दूतों संबंधी नवाचारों का कड़ाई से पालन किया जाता था।
10.
झरोखा दर्शन।
11.
दीवान-ऐ खास में राज्य मंत्रियों के साथ बैठकें।
12 .
राज दरबार में विशेष अवसरों और त्योहारों को मनाया जाता था।
13.
योग्य व्यक्तियों को पदवियां दी जाती थी।
14.
राजा द्वारा अभिजात वर्ग और अन्य लोगों को दरबार में पुरस्कार और उपहार दिए जाते थे।
15.
दरबारी बादशाह के पास कभी खाली हाथ नहीं जाता था।
16.
राजा दरबार में विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ मिलता था।
17.
मनसबदार मुगल दरबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।
18.
मुगल दरबार में राजनीतिक गठबंधन और संबंध बनाए जाते थे।

19. स्थिति और पदानुक्रम को अच्छी तरह से परिभाषित किया गया था ।

20. राजनीतिक प्रणाली मुगल दरबार द्वारा तैयार की गई थी ।

21. सैन्य शक्ति की शाही संरचना को मुगलों द्वारा तैयार की गई थी।


इन्हें भी पढ़ें 

* महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* ईंट , मनके और अस्थियाँ : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* राजा , किसान और नगर : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* शासक और इतिवृत :वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

21. 16वीं और 17 वीं सदियों के कृषि इतिहास को समझाने में एतिहासिक ग्रन्थ आइन-ए-अकबरी किस प्रकार एक प्रमुख स्रोत है , व्याख्या कीजिये | इसके साथ इस काल में प्रयुक्त सिंचाई और तकनीक के तरीकों को भी स्पष्ट कीजिये |

उतर: 

1. अबुल फजल द्वारा रचित एतिहासिक ग्रन्थ " आइन-ए-अकबरी ' में मुग़ल कालीन भूराजस्व और कृषि संबंधी जानकारी मिलती है |

2. आइन-ए-अकबरी  से यह जानकारी मिलती है कि मुग़ल काल में खरीफ और रबी दोनों प्रकार की फसल उपजाई जाती थी |

3. इस काल में जहां पानी की वर्ष भर उपलब्धता थी वहां पर वर्ष में तीन फसलें उगाई जाती थी |

4. आइन-ए-अकबरी से पता चलता है कि आगरा में 39 किस्म की फसलें , दिल्ली में 43 फसलें उगाई जाती थी |

5. बंगाल में चावल की पैदावार अधिक होती थी |यहाँ 50 किस्म की धान की फसलें पैदा होती थी |

6. फसलों की सिचाईं के लिए कुँए , तालाब, रहट तथा नहर का प्रयोग होता था |

7. मुग़ल काल में कई नहरे भी बनवाई गई कुछ नहरों की मरम्मत  का कार्य भी सम्पन्न किया गया

22. 600
ई.पू. से 600 ई. के दौरान प्रचलित पितृवंशिक व्यवस्था के आदर्श तथा सम्पति पर स्त्री और पुरुष के भिन्न अधिकार का वर्णन कीजिये |

उत्तर: पितृवंशिक व्यवस्था के आदर्श :

1. पितृवंशिक व्यवस्था के अंतर्गत पुत्र पिता की मृत्यु के बाद उनके संसाधनों पर, राजाओं के संदर्भ में सिंहासन पर भी, अधिकार कर सकते थे | महाभारत का युद्व्व इसी विषय पर लड़ा गया था | यह युद्व कुरु परिवार के दो बांधव दलों के बीच भूमि और सत्ता पर अधिकार को लेकर झगड़ा था |

2. यह आदर्श इस युद्व से पहले भी था और अधिकांश राजवंशों ने इस नियम का पालन किया था |

3. कभी पुत्र के न होने पर एक भाई दूसरे का उत्तराधिकारी हो जाता था | यदि कोई भाई भी  नहीं होता था तो परिजन सिंहासन या उत्तराधिकार का दावा करते थे |

4. कुछ विशिष्ट परिस्थितियों में महिलाएं भी सत्ता का उपयोग करती थी - जैसे प्रभावती गुप्त |

 

सम्पति पर स्त्री और पुरुष के भिन्न अधिकार 

5. पिता की मृत्यु के बाद पैतृक सम्पति पुत्रों में समान रूप से विभाजित होती थी | महिलाएं किसी भी हिस्से का दावा नहीं कर सकती थी |

6. महिलाओं का स्वामित्व केवल स्त्रीधन पर था | हालांकि प्रभावती गुप्त एक अपवाद थी जिसका एक स्त्री होने बाबजूद भी उसके पिता के संसाधनों पर अधिकार था |

7. मनुस्मृति में स्त्रियों को पति की अनुमति के बिना कीमती सामान, धन और पारिवारिक सम्पति के गुप्त संग्रह के विरूद्व सताकर किया गया |

8. विवाह के समय भाई , माता और पिटा , अनुरागी पति से मिले उपहारों पर स्त्रियों का स्वामित्व माना जाता था |  

23.
महाभारत का विश्लेष्ण करने के लिए इतिहासकारों द्वारा विचार किये गए पहलुओं का वर्णन कीजिये | महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने में वी.एस. सुथानकर और अनेक विद्वानों के प्रयासों का वर्णन कीजिये |

उतर:

1. महाभारत में प्रयुक्त भाषा संस्कृत वेदों की तुलना में सरल है |

2. उपदेश में सामाजिक आचार-विचार के मानदंडों का चित्रं है | उपदेशात्मक अंशों को बाद में जोड़ा गया |

3. आख्यान में कहानियाँ शामिल है, जिनमें एक सामाजिक सन्देश हो सकता है |

4. उपदेश और आख्यान में विभाजन एकांकी नहीं है |

5. वे पाठ की संभावित तिथि का पता लगाते है | वे इस स्थान का भी पता लगाते है जहां पाठ की रचना की गई थी |

6. वे पाठ की सामाग्री का अध्ययन करते है और उसके ऐतहासिक महत्व को समझाने की कोशिश करते करते है |

महाभारत का समालोचनात्मक संस्करण तैयार करने में भी वी.एस . सुथानकर और उनके विद्वानों के प्रयास निम्नलिखित है |

1. उन्होंने देश की विभिन्न भागों से विभिन्न लिपियों में लिखी गई संस्कृत पांडुलिपियों को इकठा किया |

2. उन्होंने प्रत्येक पांडुलिपि से छंदों की तुलना करने का एक तरीका निकाला | इन श्लोकों का चयन करके उनका प्रकाशन अनके ग्रन्थ खंडों में किया |

3. काश्मीर और नेपाल से लेकर केरल और तमिलनाडु में पाई गई पांडुलिपियों का अध्ययन किया 


24.
प्रश्न: भारत छोड़ों आन्दोलन सही मायनों में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों हिन्दुस्तानी शामिल थे |’ कथन का विश्लेषण कीजिये |                                     cbse 2019

उत्तर: 1.क्रिप्स मिशन वार्ता की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया | 8 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक के मैदान में भारत छोड़ों आन्दोलन की शुरुआत होती है |

2.
आन्दोलन आरम्भ होते ही महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया |

3.
इस आन्दोलन की बागडोर नेतृत्व विहीन हो गयी | देश की युवा वर्ग इस आन्दोलन को हडतालों और तोड़फोड़ की कारवाइयो के जरिये आन्दोलन चलाते रहे |

4.
जयप्रकाश नारायण भूमिगत होकर सक्रीय थे |

5.
पशिचम में सतारा और मेदनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतंत्र सरकार की स्थापना कर दी गई थी |

6.
भारत छोड़ों आन्दोलन सही मायने में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे |

7.
जून 1944 में जब विश्व युद्व समाप्ति की और था तो गांधी जी को रिहा कर दिया गया | जेल से निकलने के बाद उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच कई दौर की वार्ता हुई |

8. 1945
में ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनी | यह सरकार भारत को स्वतन्त्रता देने के पक्ष में थी |

9. 1946
में कैबिनेट मिशन आया और कांग्रेस और मुस्लिम लीग के साथ संघीय व्यवस्था पर वार्ता की परन्तु वार्ता विफल हो गया|

10. 16
अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाना और देश के कई इलाकों में दंगा फैलने लगा |

11.
फरवरी 1947 में माउंट बेटन वायसराय बनकर भारत आया और 15 अगस्त 1947को भारत को स्वतंत्रता देने की घोषणा किया गया |

12.
भारत छोड़ों आन्दोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया |


इन्हें भी पढ़ें 

* महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* ईंट , मनके और अस्थियाँ : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* राजा , किसान और नगर : वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

* शासक और इतिवृत :वस्तुनिष्ठ प्रश्न 





 


No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share

Also Read

Navoday Vidyalaya Class VI result 2024 out

NAVODAYA VIDYALAYA SELECTION TEST CLASS VI -2024 RESULT OUT Navodaya Vidyalaya Samiti Delhi published result of Jawahar Navodaya Vidyal...