उपनिवेशवाद और देहात : सरकारी अभिलेखों का अध्ययन
Class -12, History , Chapter -10
उपनिवेशवाद और देहात : हल प्रश्न-उत्तर
NCERT Solutions Class 12th History - Chapter-10 उपनिवेशवाद और देहात (सरकारी अभिलेखों का अध्ययन ) से सम्बन्धित वस्तुनिष्ठ प्रश्न , अति लघु उत्तरीय प्रश्न और दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों का हल मिलेंगें जो टर्म -2 के लिए उपयोगी साबित होंगे |
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
1.
इस्तमरारी
बंदोबस्त व्यवस्था किस वर्ष लागू किया गया ?
उत्तर: 1793
2.
इस्तमरारी
बंदोबस्त की मुख्य विशेषता क्या थी ?
उत्तर: ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजस्व की राशि निश्चितकर दी थी जो
प्रत्येक जमींदार को अदा करनी होती थी | जो जमींदार अपनी निश्चित राशि नहीं चुका पाते थे उनसे
राजस्व वसूल करने के लिए उनकी संपदाएं नीलाम क्र दी जाती थी |
3.
ताल्लुकदार
का शब्दिक अर्थ क्या है ?
उत्तर: 'ताल्लुकदार ' का शाब्दिक अर्थ है वह व्यक्ति जिसके साथ ताल्लुक यानी सम्बन्ध हो | आगे चलकर ताल्लुक का अर्थ
क्षेत्रीय इकाई हो गया |
4.
सूर्यास्त
विधि (क़ानून ) क्या था ?
उत्तर: यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक राजस्व
भुगतान नहीं आता था तो जमींदारी को नीलाम किया जा सकता था |
5.
'अमला' कौन होता था ?
उत्तर: जमींदार का एक अधिकारी जिसे गाँव वालों राजस्व इकठा करने की
जिम्मेदारी दी गई थी |
6.
' जोतदार ' कौन था ?
उत्तर: धनी किसानों का वर्ग जिसे जोतदार कहा जाता था | इसे कुछ जगहों पर 'हवलदार' या गाँतीदार या मंडल भी
कहा जाता था |
7.
पांचवी
रिपोर्ट क्या थी ?
उत्तर: सन 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई रिपोर्ट जो भारत में
ईस्ट इंडिया कम्पनी के प्रशासन तथा क्रियाकलापों के विषय में तैयार की गई थी | 5वीं रिपोर्ट में 1002 पृष्ठ थी | इसके 800 से अधिक पृष्ठ परिशिष्टों
के थे जिनमें जमींदारों और रैयतों की अर्जियां , भिन्न-भिन्न जिलों के कलेक्टरों की
रिपोर्ट , राजस्व विविर्नियों से
सम्बन्धित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व
तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल की गई थी |
8.
लठियाल
कहा है ?
उत्तर: 'लठियाल' का शाब्दिक अर्थ है वह व्यक्ति जिसके पास लाठी या डंडा हो | ये जमींदार के लठैत या
डंडेबाज पक्षधर होते थे |
9.
फ्रांसीसी
बुकानन कौन था ?
उत्तर: फ्रांसीसी बुकानन एक चिकित्सक था जो इंग्लैण्ड से भारत आया
उअर बंगाल चिकित्सा सेवा में (1794-1815) कार्य किया | वह कुछ वर्षों तक भारत के गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली का
शल्य-चिकित्सक रहा | उसने कलकता अलीपुर चिड़ियाघर की स्थापना की |
10.
एक्वाटिंट
क्या होता है ?
उत्तर: एक्काटिंट एक ऐसी तस्वीर होती है जो ताम्र्पट्टी में अम्ल की
सहायता से चित्र के रूप में कटाई करके छापी जाती है |
11.
कुदाल
और हल का प्रतीक किसके लिए किया गया था ?
उत्तर: कुदाल - राजमहल के पहाड़ियां जनजाति के लिए , हल - संथालों के लिए
12.
दामिन-ए-कोह
क्या था ?
उत्तर:भागलपुर से राजमहल तक का वन क्षेत्र , जो संथालों को बसाने के
लिए सीमांकित किया गया था
13.
दिकू
का क्या अर्थ होता है ?
उत्तर: बाहरी
14.
संथाल
विद्रोह कब और किसके नेतृत्व में हुआ था ?
उत्तर: 1855-56 में , सिद्वू -कान्हू के नेतृत्व में
15.
ढक्कन
का विद्रोह कब औरर कहां हुआ था ?
उत्तर: 1875 में पूना , अहमदनगर
16.
साहूकार
कौन होता था ?
उत्तर: साहूकार ऐसा व्यक्ति होता था जो पैसा उधार देता था और साथ ही
व्यापार भी करता था |
17.
किरायाजीवी
का तात्पर्य क्या था ?
उत्तर: किरायाजीवी शब्द ऐसे लोगों का द्योतक है जो अपनी सम्पति के
किराए की आय पर जीवनयापन करते है
|
18.
बंबई-ढक्कन
के इलाकों में कौन सी बंदोबस्ती लागू की गई थी ?
उत्तर: रैयतवाडी बंदोबस्त
19.
अमेरिका
में गृहयुद्व कब छिड़ गया था ?
उत्तर: 1861 में
20.
'ऋण डाटा और रैयत के बीच हस्ताक्षरित ऋण पत्र केवल तीन वर्षों के
लिए ही मान्य होंगे|' यह किस क़ानून में कहा गया ?
उत्तर : परिसीमन क़ानून 1859 में
लघु उत्तरीय प्रश्न :
प्रश्न 1. भारत में उपनिवेशों की
स्थापना के कारण बताएं |
उत्तर: भारत में उपनिवेशों की स्थापना
के कारण :Causes of
Establishment of Colony in India)
1. कच्चे माल की प्राप्ति : यूरोपीय देशों मे औद्योगिकीकरण कारण कच्चे
माल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भारत में
उपनिवेश की स्थापना की |
2. निर्मित माल की खपत : यूरोपीय देशों में उत्पादित माल की खपत के
लिए एक बड़े बाजार की जरुरत थे जिसकी लिए उपनिवेशों की स्थापना की गयी |
3. ईसाई धर्म का प्रचार : उपनिवेशों की स्थापना के साथ-साथ ईसाई धर्म
की प्रचार करना तथा गैर-ईसाई लोगों को ईसाई बनाना अपना लक्ष्य समझते थे |
4. अमीर देश बनने की लालसा : विभिन्न देशों से आये यात्रियों ने भारत
की समृद्वता और वैभव का गुणगान किया , जिससे प्रेरित होकर
यूरोपीय भारत में धन और वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए आये |
प्रश्न 2. भारत के ग्रामीण समाज पर उपनिवेशवाद का क्या प्रभाव हुए ? विस्तार से बताएं |
उत्तर: भारतीय
ग्रामीण समाज पर उपनिवेशवाद का प्रभाव : (Impact of Colonialism of Indian Rural Society)
1. कुटीर उद्योगों का विनाश :
यूरोपीय देशों ने भारतीयों की समृद्वता का आधार कुटीर उद्योग को समाप्त क्र दिया | जिन
समानों का भारत निर्यात करता था ,
उन समानों का भारत आयात करने करने लगा |
2. अंग्रेजों द्वारा स्थापित भूमि प्रबंध की त्रुटियाँ : अंग्रेजों ने पूरे भारत के भिन्न भिन्न
क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार के भूमि प्रबंधन किया | परन्तु
ये व्यवस्था कारगर सिद्व नहीं हुआ और किसान ऋणग्रस्त होते गए |
3. राजस्व संग्रह करने के कठोर तरीके : अंग्रेजों ने किसानों से लगान वसूली में कीसी भी प्रकार का ढील
नहीं देती थी | फसल की बर्बादी या अकाल पड़ने पर लगान वसूला जाता था | परिणामस्वरूप
किसान अपने खेत साहूकारों के पास गिरवी रखता था | बाद
में साहूकारों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण भूमि से हाथ धोना पड़ता|
प्रश्न 3. इस्तमरारी बंदोबस्त लागू करने के उद्वेश्य
क्या थे ?
उत्तर: इस्तमरारी
बंदोबस्त लागू करने के उद्वेश्य : (Aim to Introduce the Permanent Settlement)
क) इस बंदोबस्त लागू होने से कम्पनी को निश्चित राजस्व प्राप्त हो
सकेगा|
ख) ऐसा माना गया कि इस बंदोबस्त से कृषि में
निवेश होगा तथा कम्पनी को ससमय राजस्व प्राप्त होगा जिससे उसे भविष्य की योजनाएं
बनाने में लाभ होगा |
ग) कृषकों और जमींदारों का एक ऐसा समूह पैदा
होगा जो ब्रिटिश कंपनी का वफादार वर्ग साबित होगा |जिसके पास कृषि
में सुधार करने के लिए पूंजी और उद्यम दोनों होंगे|
प्रश्न 4. इस्तमरारी
बंदोबस्त में जमीदारों की असफलता (Failure of Zamindar in Istmarari Bandobast)- राजस्व राशि के भुगतान में जमींदार क्यों चूक करते थे ?
कम्पनी के अधिकारियों का
यह सोचना था कि राजस्व मांग निर्धारित किए जाने से जमींदारों में सुरक्षा का भाव
उत्पन्न होगा, और वे अपने निवेश पर प्रतिफल प्राप्ति की आशा से प्रेरित हकर अपनी
संपदाओं में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित होंगे| किन्तु
इस्तमरारी बंदोबस्त के बाद, कुछ प्रारंभिक दशकों में जमींदार अपनी राजस्व मांग को अदा करने में
बराबर कोताही करते रहे, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व की बकाया रकमें बढ़ती गई |
जमीदारों की इस असफलता के कई कारण थे :
1. राजस्व में निर्धारित की गई राशि बहुत अधिक थी क्योंकि खेती का
विस्तार होने से आय में वृद्वि हो जाने पर भी कम्पनी उस वृद्वि में अपने हिस्से का
दावा कभी नहीं कर सकती थी|
2. यह ऊँची मांग 1790
के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की
कीमतें नीची थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी डे
राशियाँ चुकाना मुश्किल था|
3. राजस्व
असमान था, फसल अच्छी हो या खराब
राजस्व का ठीक समय पर भुगतान करना जरुरी था |वस्तुत: सूर्यास्त विधि
के अनुसार, यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं होता था तो
जमींदारी नीलाम किया जा सकता था|
4. इस्तमरारी बंदोबस्त ने प्रारंभ में जमींदार की शक्ति को रैयत से
राजस्व इक्कठा करने और अपनी जमींदारी का प्रबंध करने तक ही सीमित कर दिया था|
प्रश्न 5. अंग्रेजों द्वारा भारत में लागू की राजस्व की नीतियों का संक्षिप्त
जानकारी दें |
उत्तर: Policies of Revenue System- राजस्व की नीतियाँ
ब्रिटिश भारत ने औपनिवेशिक शासन के तहत
भू-राजस्व की तीन नीतियाँ अलग-अलग प्रान्तों में स्थापित की थी|
1. इजारेदारी व्यवस्था :सर्वप्रथम वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल में 1772 में "इजारेदारी व्यवस्था " की प्रथा की शुरुआत की| यह
एक पंचवर्षीय व्यवस्था थी, जिसमें सबसे ऊँची बोली लगाने वाले की भूमि ठेके पर दी जाती थी|
2. स्थायी बन्दोबस्त :
यह बंदोबस्ती 1793 में
लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा बनारस खंड के 19% भाग , उत्तरी
कर्नाटक में लागू किया गया |
3. रैयतवाडी
बंदोबस्त : यह व्यवस्था 1820
में तत्कालीन मद्रास के गवर्नर लार्ड मुनरो ने
बंबई, असम तथा मद्रास के अन्य प्रान्तों में लागू की गई | इसके
अंतर्गत औपनिवेशिक भारत के 51%
भूमि थी |
4. महालवाडी बंदोबस्त : लार्ड हेस्टिंग ने यह व्यवस्था उतर प्रदेश, मध्य
प्रांत तथा पंजाब में लागू की |
इस व्यवस्था के अंतर्गत
औपनिवेशिक भूमि का 30% था |
प्रश्न 6. पांचवी रिपोर्ट क्या था ? वर्णन करें :
उत्तर: पांचवीं रिपोर्ट :
भारत में ईस्ट इण्डिया कंपनी के प्रशासन तथा क्रियाकलापों के विषय
में तैयार की गई रिपोर्ट थी जो 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी | इस रिपोर्ट को
"पांचवीं रिपोर्ट " के नाम से उल्लिखित है| इस रिपोर्ट में 1,002 पृष्ठ थी | इसके 800 से अधिक पृष्ठ
परिशिष्टों के थे जिनमें जमींदारों और रैयतों की अर्जियां, भिन्न- भिन्न जिलों के
कलेक्टरों की रिपोर्टें, राजस्व विवरणियों से सम्बन्धित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों
द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल
की गई थी|
ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765 के बाद अपने आपको बंगाल
में स्थापित किया| तभी से इंग्लैण्ड में उसके क्रियाकलापों पर नजर राखी जाने लगी|ब्रिटेन के अन्य व्यापरी
भारत
के
साथ व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार का विरोध करते थे| वे चाहते थे कि शाही
फरमान रद्द कर दिया जाए जिसके तहत इस कंपनी को यह एकाधिकार दिया गया था| ब्रिटेन के राजनीतिक
समूह भी कहना था कि बंगाल पर मिली विजय का लाभ सिर्फ ईस्ट इंडिया कम्पनी को मिल रहा है , समपूर्ण ब्रिटिश राष्ट्र
को नहीं|
कम्पनी के कामकाज की जांच करने के लिए कई समितियां नियुक्त की गई | "पांचवी रिपोर्ट "
एक ऐसी ही रिपोर्ट है जो एक प्रवर समिति द्वारा तैयार की गई थी| यह रिपोर्ट भारत में
ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन के स्वरूप पर ब्रिटिश संसद में गंभीर वाद-विवाद का
आधार बनी|
पांचवी रिपोर्ट के शोधकर्ताओं ने ग्रामीण बंगाल में औपनिवेशिक शासन
के बारे में लिखने के लिए बंगाल के अनेक अभिलेखागारों तथा जिलों के स्थानीय
अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की| उनसे पता चलता है कि 5वीं रिपोर्ट लिखने वाले कम्पनी
के कुप्रशासन की आलोचना करने पर तुले हुए थे इसलिए 5वीं रिपोर्ट में जमींदारी सत्ता
के पत्तन का वर्णन अतिरंजित है |
प्रश्न 7. स्थायी बंदोबस्त
के लाभ और हानि का वर्णन करे |
उत्तर: स्थायी बन्दोबस्त के लाभ ( Merits of Permanent Settlement )
1. स्थाई बंदोबस्त होने से सरकार की आय निश्चित हो गयी।
2. बार-बार बंदोबस्त करने की परेशानी से सरकार को छुटकारा मिल गया।
3. स्थाई बंदोबस्त के होने से जमींदारों को लाभ हुआ । वह सरकार के
स्वामी भक्त बन गए ।
4. स्थाई बंदोबस्त हो जाने से सरकारी कर्मचारी तथा अधिकारी अधिक समय
मिलने के कारण लोक कल्याण के कार्य कर सकते थे ।
5. सरकार को निश्चित राशि मिलने से अन्य योजनाओं को बनाने में सहूलियत
हुई ।
स्थायी बंदोबस्त के दोष ( Demerits of Permanent Settlement )
1. भूमि कर की राशि बहुत अधिक निश्चित की गई थी जिसे ना चुका सकने पर
जमींदारों की भूमि बेचकर यह राशि वसूल की गई |
2. स्थाई बंदोबस्त किसानों के हित को ध्यान में रखकर नहीं किया गया था|
3. सरकार ने कृषि सुधार हेतु कोई ध्यान नहीं दिया|
4. स्थाई बंदोबस्त ने जमींदारों को आलसी और विलासी बना दिया|
5. बंगाल में जमींदारों और किसानों में आपसी विरोध बढ़ने लगा था|
6. जमींदार खुद शहर में जाकर बस गए और उसके प्रतिनिधियों ने किसानों
पर अत्याचार किया|
प्रश्न 8. रैयतवाडी बंदोबस्त की विशेषताएं और उसके
प्रभाव का वर्णन करें |
उत्तर: रैयतवाडी
बंदोबस्त (Raiyatwari System)
यह व्यवस्था 1820
में तत्कालीन मद्रास के गवर्नर लार्ड मुनरो ने मद्रास प्रांत में लागू की | इसके अंतर्गत औपनिवेशिक भारत के 51% भूमि
थी | इसे बंबई और असम में भी लागू किया गया |
रैयतवाडी बन्दोबस्त की विशेषताएं :
1. इस व्यवस्था के तहत कंपनी तथा रैयतों (किसानों) के बीच सीधा समझौता था|
2. राजस्व के निर्धारण तथा लगान वसूली में किसी जमींदार या बिचौलिए की
भूमिका नहीं होती थी |
3. टामस मुनरो ने प्रत्येक पंजीकृत किसानों को भूमि का स्वामी माना
गया | 4. रैयत राजस्व सीधे कंपनी को देगा और उसे अपनी भूमि के अधिकार से वंचित
नहीं किया जा सकता था|
5. यदि किसान लगान न देने की स्थिति में उसे भूमि देनी पड़ती थी ।
6. यह व्यवस्था भी किसानों के लिए ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुई और
कंपनी के अधिकारी रैयतों पर अत्याचार करते रहे|
7. मद्रास यातना
आयोग ने 1854 में इन अत्याचारों
का विवरण दिया था|
रैयतवाडी बन्दोबस्त का प्रभाव :(Impact of Raiyatwari System in Madras)
यह व्यवस्था कृषकों के लिए हानिकारक सिद्व हुई | कृषक
गरीब तथा भूमिहीन हुए तथा ऋणग्रस्तता के शिकार हो गये| किसान कम्पनी के अधिकारियों और साहूकारों के
शोषण से तंग आ गये थे | जिसके परिणामस्वरूप कृषकों ने 1875 में ढक्कन विद्रोह
कर दिया|
प्रश्न 9. महलवाडी
बंदोबस्त क्या था ?
उत्तर: महालवाडी बंदोबस्त ( Mahalwari System):
1. स्थायी बंदोबस्त तथा रैय्यतवाड़ी
व्यवस्था के बाद ब्रिटिश भारत में लागू कि जाने वाली यह भू-राजस्व की अगली
व्यवस्था थी जो संपूर्ण भारत के 30 % भाग दक्कन के जिलों, मध्य प्रांत पंजाब तथा उत्तर प्रदेश
(संयुक्त प्रांत) आगरा, अवध
पर लागू थी।
2. इस व्यवस्था के अंतर्गत भू-राजस्व
का निर्धारण समूचे ग्राम के उत्पादन के आधार पर किया जाता था तथा महाल के समस्त
कृषक भू-स्वामियों के भू-राजस्व का निर्धारण संयुक्त रूप से किया जाता था। इसमें
गाँव के लोग अपने मुखिया या प्रतिनिधियों के द्वारा एक निर्धारित समय-सीमा के अंदर
लगान की अदायगी की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते थे।
3. इस पद्धति के अंतर्गत लगान का
निर्धारण अनुमान पर आधारित था और इसकी विसंगतियों का लाभ उठाकर कंपनी के अधिकारी
अपनी स्वार्थ सिद्धि में लग गए तथा कंपनी को लगान वसूली पर लगान से अधिक खर्च करना
पड़ा। परिणामस्वरूप, यह
व्यवस्था बुरी तरह विफल रही।
प्रश्न 10. फ़्रांसीसी बुकानन कौन था ?
उत्तर: फ़्रांसीसी बुकानन एक चिकित्सक था जो भारत आया और बगाल चकित्सा सेवा में (1794-1815 तक ) कार्य किया | कुछ वर्षों तक , वह भारत के गवर्नर जनरल लार्ड वेलेस्ली का शल्य-चिकित्सक रहा| कलकता के अपने प्रवास के दौरान उसने कलकता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो कलकता अलिपुर चिड़ियाघर कहलाया | वे थोड़े समय के लिए वनस्पति उद्यान के प्रभारी रहें |
बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाली भूमि का सर्वेक्षण किया| 1815 में वह बीमार हो गये और इंग्लैण्ड चले गए | अपनी माता की मृत्यु के पश्चात वे उनकी जायदाद के वारिस बने और उन्होंने उनके वंश के नाम " हैमिल्टन " को अपना लिया | इसलिए उन्हें अक्सर बुकानन हैमिल्टन भी कहा जाता है |
11. झूम
की खेती / स्थानांतरित खेती से आप क्या समझते है ?
उत्तर: झूम की खेती:
राजमहल के पहाड़िया लोग जंगल के छोटे-से-हिस्से
में झाड़ियों को काटकर और घास-फूंस को जलाकर जमीन साफ कर लेते थे और राख की पोटाश
से उपजाऊ बनी जमीन पर अपने खाने के लिए दालें और ज्वर-बाजरा उगा लेते थे| वे
अपने कुदाल से खेती करते थे और फिर उसे कुछ वर्षों के लिए पार्टी छोड़ कर नए इलाके
में चले जाते जिससे कि उस जमीन में खोई हुई उर्वरता फिर
से उत्पन्न हो जाती थी|
प्रश्न 12. पहाड़िया जनजाति का जीवन शैली का वर्णन करे :
उत्तर: पहाड़िया
समुदाय जीवन शैली :
उन जंगलों से पहाड़िया लोग खाने के लिए महुआ के फूल इकट्ठे करते थे, बेचने
के लिए रेशम के कोया और राल और काठकोयला बनाने के लिए लकडियाँ इकट्ठी करते थे| पेड़ों
के नीचे जो छोटे-छोटे पौधे उग आते थे या परती जमीन पर जो घास-फूंस के हरी चादर सी
बिछ जाती थी वह पशुओं के लिए चरागाह बन जाती थी|
पहाड़िया लोग जंगल से
घनिष्ठ रूप से जुडी हुई थी| इमली के पेंड के नीचे बनी झोपड़ियों में रहते थे और ऍम के पेंड के
छांह में आराम करते थे| पूरे प्रदेश को अपनी निजी भूमि मानते थे| वे
बाहरी लोगों के प्रवेश का प्रतिरोध करते थे| उनके मुखिया लोग अपने
समूह में एकता बनाए रखते थे|आपसी लड़ाई-झगड़ें निपटा देते थे|
प्रश्न 13. दामिन-इ-कोह क्या है ?
उत्तर: दामिन-इ-कोह भागलपुर से राजमहल तक का वन क्षेत्र था। ब्रिटिश सरकार द्वारा दामिन इ-कोह का निर्माण सन्थाल समुदाय को बसाने के लिए किया गया था। ... ब्रिटिश भारत में संथाल जनजाति ( तत्कालीन बिहार) को अंग्रेजों द्वारा जमीन दे कर बसाया गया था ,, जिस क्षेत्र में उनको बसाया गया वह क्षेत्र ही दामिन इ कोह के नाम से जाना गया ।प्रश्न 14. संथाल विद्रोह पर प्रकाश डालें |
उत्तर: संथाल विद्रोह (Santhaal Revolt):
कारण :
1. संथाली औपनिवेशिक शासन तथा राजस्व के बढने से तंग आ चुके थे|
2. संथालियों को जमींदारों और साहूकारों द्वारा शोषण किया जा रहा था|
3. कर्ज के लिए उनसे 50 से 500 प्रतिशत तक सूद लिया जाता था|
4. हाट और बाजार में उनका सामान कम तौला जाता था|
5. धनाढ्य लोग अपने जानवरों को इन लोगों के खेतों में चरने के लिए छोड़
दिया जाता था|
विद्रोह की गतिविधियाँ :
1. यह विद्रोह 1855-1856
में प्रारम्भ हुआ था|
2. इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्वू तथा कान्हू ने किया था|
3. संथालों ने जमीन्दारों तथा महाजनों के घरों को लूटा, खाद्यान
को छीना|
4. संथालियों ने अस्त्र-शस्त्र, तीर-कमान , भाला, कुल्हाड़ी
आदि लेकर एकत्रित हुए और अपनी तीन मांग प्रस्तुत किये|
1. उनका शोषण बंद किया जाए
2. उनकी जमीने वापस की जाएँ |
3. उनको स्वतंत्र जीवन जीने दिया जाए|
विद्रोह का दमन :
अंग्रेजों ने आधुनिक हथियारों के बल पर संथाल विद्रोह का दमन कर दिया गया| कई संथाल योद्वा वीरगति
को प्राप्त हुए | इस विद्रोह के पश्चात् संथालों को संतुष्ट करने के लिए अंग्रेज
अधिकारियों ने कुछ विशेष क़ानून लागू किये | संथाल परगने का निर्माण
किया गया , जिसके लिए 5,500
वर्ग मील का क्षेत्र भागलपुर और बीरभूम जिलों
में से लिया गया|
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M. PRASAD
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