Thursday 25 March 2021

Bricks, Beads and Bones ncert objective notes

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हड़प्पा सभ्यता: ईंट, मनके और अस्थियाँ

1. पुरातत्व : पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ।

2. संस्कृति: पुरातत्व संस्कृति शब्द का प्रयोग पूरा- वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं और सामान्यतया एक साथ, एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबद्ध पाए जाते हैं।
हड़प्पा संस्कृति के संदर्भ में इन पूरा- वस्तुओं के मुहरे, मनके, बाट, पत्थर के फलक और पकी हुई ईट सम्मिलित है। यह वस्तुएं अफगानिस्तान, जम्मू, बलूचिस्तान तथा गुजरात जैसे क्षेत्रों से मिली है ।

3. हड़प्पा संस्कृति : इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक का स्थान , जहां यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी , के नाम पर किया गया है । इसका काल निर्धारण 2600 और 1900 ईसा पूर्व के बीच किया गया है ।

4. चोलिस्तान के स्थलों और बनवाली(हरियाणा)से मिट्टी से बने हल मिले हैं।

5. कालीबंगा (राजस्थान) से जूते हुए खेत का साथ मिला है ।

6. अफगानिस्तान में शोर्टघुई से नहर के प्रमाण मिले हैं ।

7. धोलावीरा(गुजरात) से जलाशयों का प्रयोग कृषि के लिए जल संचयन हेतु किया जाता था।

8. हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख विषेशता इसका नगर निर्माण योजना है। हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व एवम पश्चिम में दो टीले मिलते है । पूर्व टीले पर नगर तथा पश्चिमी टीले पर दुर्ग स्थित है। दुर्ग में सम्भवतः शासक वर्ग के लोग रहते थे। दुर्ग में परिखा,प्रकार,द्वार, राजमार्ग, प्रासाद, सभा एवं जलाशय आदि वस्तु के सभी तत्व मिलते है।

9. प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर ईंटों के मकानों वाला नगर बसा था। जहां सामान्य लोग रहते थे। नगरो के दुर्ग ऊँची और चौड़ी प्राचीरों में बुर्ज तथा मुख्य दिशाओं में द्वार बनाये गए थे।

10. मोहनजोदड़ो का प्रमुख सार्वजनिक स्थल हैं यहाँ के विशाल दुर्ग में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट लम्बा*23फुट चौडा*8फुट गहरा है।

11. सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग अनुष्ठानिक स्नान हेतु होता होगा । मार्शल महोदय ने इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण कहा है ।

12. मोहनजोदड़ो में ही 45.72मीटर लम्बी* चौडाई 22.86 मीटर का एक अन्नागार मिला है।

13. मोहनजोदड़ो में कुओं की संख्या अनुमानतः 700 बताई गई है ।

14. हड़प्पा सभ्यता नगरीय सभ्यता थी।

15. ऐसा अनुमान है कि उनका एक राजा होता था जो सम्भवतःपुरोहित होता था

16. जनता से कर के रूप में अनाज लिया जाता था ।

17. हड़प्पा और मोहनजोदड़ो क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी भारत का शासन केंद्र थे । इसीलिए स्टूअर्ट पिग्गट महोदय ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को सिंधु घाटी नदी सभ्यता की जुड़वां राजधानी बतलाया है ।

18. कुछ विद्वानों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का शासन व्यापारी वर्ग के हाथ में था ।

19. समाज मातृसत्तात्मक था ।

20. खुदाई से प्राप्त सुइयों के अवशेष से पता चलता है कि वे लोग सिले वस्त्र पहनते थे ।

21. हड़प्पा वासी आभूषण के शौकीन थे-कण्ठहार, कर्णफूल, हंसुली, भुजबंध, अंगूठी, करधनी आदि

22. चन्हूदड़ों से लिपिस्टिक के अस्तित्व मिले है ।

23. आभूषण बहुमूल्य पत्थरों, हाथी दांत , हड्डी, एवं शंख के बने होते थे ।

24. मिट्टी एवं धातुओं से निर्मित बर्तनों का प्रयोग करते थे ।

25. आमोद प्रमोद के साधन उपलब्ध थे पासा, नृत्य, शिकार करना आदि ।

26. हड़प्पा सभ्यता से कोई मन्दिर और ना ही ऐसा कोई भवन मिला है जिसे मन्दिर की संज्ञा दी जा सके

27. मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त मृण्मूतियों को पुरातत्वविदों द्वारा मातृदेवी की मूर्तियां मानते है।अर्थात मातृदेवी की पूजा होती होगी।

28. एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है जो सम्भवतः धरती देवी की मूर्ति है ।

29. मोहनजोदड़ो से एक मुद्रा प्राप्त हुई है जिसमें तीन मुख्य वाला एक पुरूष योग मुद्रा में बैठा है । इसके तीन सिंग है । इसके बाएं ओर एक गैंडा और भैंसा है, दायीं ओर एक हाथी और व्याघ्र, इसके सम्मुख हिरन है । इसकी तुलना पशुपति से की गई है ।

30. हड़प्पा सभ्यता में बहुसंख्या में लिंग-योनि की प्राप्ति हुई है जो लिंग पूजा के संकेत है ।

31. कूबड़ वाला बैल विशेष पूजनीय था ।

32. मोहनजोदड़ो में स्वास्तिक पर्याप्त संख्या में मिले है , जो सूर्य पूजा का संकेत है ।

33. कालीबंगा और लोथल से ईंटों की बनी वेदी मिली है जो अग्नि पूजा का साक्ष्य है । कालीबंगा से हवन कुंड मिले है जो यज्ञ का साक्ष्य है ।

a. हड़प्पा सभ्यता के लोग तीन तरीकों से मृतकों का दाह संस्कार कराते थे ।
1. पूर्ण समाधिकरण- शव को भूमि के नीचे गाढ़ दिया जाता था ।
2. आंशिक समाधिकरण:- इसमें पशु पक्षियों के खाने के बाद बचे शेष को गाढ़ दिया जाता ।
3. दाह कर्म- इसमें शव जला दिया जाता एवं उसकी भस्म को गाढ़ दिया जाता था ।

सिन्धु घाटी सभ्यता में आयतित वस्तुएं :

34. सोना- अफगानिस्तान, फारस, दक्षिण भारत

35. चांदी - ईरान , अफगानिस्तान

36. लाजवर्द( नील रत्न )- अफगानिस्तान (शोर्ताघई), काश्मीर

37. सुलेमानी पत्थर - सौराष्ट्र , पश्चिम भारत

38. सेलखड़ी - राजस्थान, उत्तरी गुजरात

39. ताम्बा- खेतड़ी (राजस्थान), ओमान (मगान )

40. पुरातत्वविदों द्वारा खेतड़ी क्षेत्र से मिलने वाले साक्ष्यों को गणेश्वर– जोधपुरा संस्कृति का नाम दिया गया है|

41. नीलमणि- महाराष्ट्र

42. शंख - उड़ीसा, दक्षिण भारत

43. कार्नीलियन – गुजरात (भड़ौच)

44. दिलमुन की पहचान फारस खाड़ी में स्थित बहरीन से की है |

45. मेसोपोटामिया से प्राप्त सिंधु सभ्यता सम्बन्धी अभिलेखों से इसका नाम मेलुहा मिलता है ।

46. ऋग्वेद में हडप्पा सभ्यता को हरियूपिया कहा गया है।

47. मेसोपोटामिया के एक मिथक में मेलूहा के विषय में कहा गया है” तुहारा पक्षी हाजा पक्षी हो, उसकी आवाज राजप्रसाद में सुनाई दे ‘| पुरातत्वविदों के विचारानुसार हाजा पक्षी मोर था और उसे यह नाम उसकी आवाज से मिला था|

48. फ्योंस – घिसी हुई रेत अथवा बालू एवं रंग तथा चिपचिपे पदार्थ के मिश्रण को पकाकर बनाया जाने वाला पदार्थ | यह एक विलासिता की वस्तु थी | यह वस्तु हड़प्पा और मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई है |

49. भारतीय पुरातत्व विभाग की स्थापना 1861 में की गई और जनरल कनिघम को प्रथम डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया |

50. 1902 में सर जान मार्शल को भारतीय पुरातत्व विभाग का डायरेक्टर जनरल नियुक्त किया गया |

51. 1921 में सर दयाराम साहनी ने हड़प्पा पुरास्थल की खोज की |

52. 1922 में राखल दास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो पुरास्थल की खोज की |

53. 1924 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के डायरेक्टर जनरल सर जन मार्शल ने सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज की घोषणा की |

54. 1826 ई0 में सर्वप्रथम हड़प्पा टीले का उल्लेख चालर्स मैसन द्वारा किया गया ।

55. 1856 ई0 में करांची से लाहौर तक रेललाइन बिछाने के दौरान हुई खुदाई में जान ब्रंटन एवं विलियम ब्रंटन नामक अंग्रेजों को कुछ पुरातात्विक अवशेष मिले।

56. 1921 ई0 में दयाराम साहनी ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी नदी के तट पर हड़प्पा नामक स्थल की खोज की ।

57. 1922 ई0 में राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो स्थल की खोज की ।

58. हड़प्पा सभ्यता का विस्तार पूर्व से पश्चिम -1600km एवं उत्तर से दक्षिण - 1100 km है । यह त्रिभुजाकार है और लगभग 13 लाख वर्ग km में फैला है ।

59. यह सभ्यता उत्तर में जम्मू (अखनूर) , दक्षिण में नर्मदा नदी तट ,पूर्व में मेरठ तथा पश्चिम में बलूचिस्तान(मकरान) तक फैला है ।

हड़प्पा सभ्यता का काल निर्धारण:

60. 1. सर जान मार्शल : 3250-2750 ई0 पू0

61. 2. अर्नेस्ट मैके : 2800-2500 ई0 पू0

62. 3. माधव स्वरूप वत्स : 2700-2500 ई0 पू0

63. 4. राधाकुमुद मुखर्जी : 3200-2750 ई0 पू0

64. 5. आर. ई. एम. व्हील : 2500- 1750 ई00 पू0

65. 6. वी. ए. स्मिथ : 2500-1500ई0 पू0

66. 7. रेडियो कार्बन विधि(C-14) : 2500-1750 ई0 पू0

67. कार्बन विधि(C-14) और व्हीलर का मत विद्वानों द्वारा मान्य की गई है ।

68. इस सभ्यता के काल निर्धारण में इतिहासकरो में मतभेद है।

69. विभिन्न इतिहासकारो के अनुसार हड़प्पा सभ्यता के निर्माता:
विद्वान हड़प्पा सभ्यता के निर्माता
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1.डॉक्टर गुहा मंगोल, आग्नेय,एल्पाइन(मिश्रित जाति
2.रंगनाथ राव बहुजातीय जिसमे एक आर्य भी
3.जी. गार्डन। सुमेरियन
4.डा. व्हीलर द्रविड़
5.राम प्रसाद चंद्र व्यापारी

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