Sunday 18 July 2021

Nationalism in India - ncert notes

Nationalism in India - Ncert Notes and Solutions 


परिचय 
* भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारण :
* चंपारण सत्याग्रह 
* खिलाफत और असहयोग आन्दोलन 
* सविनय अवज्ञा आन्दोलन 
* भारत छोड़ो आन्दोलन 

राष्ट्रवाद का शाब्दिक अर्थ - राष्ट्रीय चेतना का उदय , राष्ट्र के प्रति लगाव का भाव 
राष्ट्र के प्रति लगाव पैदा करनेवाले कारक :
* नए प्रतीकों और चिन्हों ने 
* नए गीतों और विचारों ने नए सम्पर्क स्थापित किये 
* समुदायों की सीमाओं का विस्तार एवं अन्य समुदायों से सम्पर्क 

भारत में राष्ट्रवाद के उदय के कारण :
1. अंगरेजी साम्राज्यवाद के विरूद्व असंतोष : अंगरेजी सरकार की नीतियों के शोषण के शिकार देशी राज-रजवाड़े, ताल्लुकदार, महाजन, कृषक,मजदूर, मध्यम वर्ग सभी बने | पूंजीपति वर्ग और व्यापारी वर्ग सरकार की भेदभावपूर्ण नीति से असंतुष्ट था| बुद्वीजीवी वर्ग बढ़ती बेरोजगारी  से, व्यक्तिगत स्वतन्त्रता एवं विचार अभिव्यक्ति  तथा राजनीतिक अधिकारों पर पाबंदी से क्षुब्ध था |
2. आर्थिक कारण : सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण कृषि और कुटीर उद्योग- धंधे नष्ट हो गए | किसानों पर कर का बोझ बढ़ा दिया | कपड़ा उद्योग नष्ट हो गया | बुनकरों की रोजगार खत्म हो गयी | इंग्लैण्ड से सूती कपड़ों का आयत होने लगा | भारत से धन निष्कासन हुआ और बेकारी बढ़ी|
3. अंगरेजी शिक्षा का प्रसार : भारत में अंगरेजी शिक्षा के प्रसार से यूरोप एवं अमेरिका के क्रांतियों से परिचित हुए |रूसो, वाल्टेयर,मेजिनी, मांतेस्क्यु  जैसे दार्शनिक और क्रांतिकारियों के विचारों का प्रभाव पडा| वे भी स्वतन्त्रता, समानता और नागरिक अधिकारों के प्रति सचेत होने लगे |
4. मध्यम वर्ग का उदय: अंगरेजी शिक्षा के प्रसार से समाज में मध्यम वर्ग का उदय हुआ -जैसे  अध्यापक, वकील, डाक्टर, राजकीय कर्मचारी आदि | आरम्भ में अंगरेजी सरकार के हिमायती थे परन्तु धीरे धीरे इनके दृष्टिकोण में परिवर्तन होने लगा| 
5. साहित्य एवं समाचार पत्रों का योगदान : राष्ट्रीय चेतना को जागृत करने में साहित्य और समाचार पत्रों का महत्वपूर्ण योगदान था| अंगरेजी और स्थानीय भाषाओं में प्रकाशित समाचार पत्रों से भारतीयों में राष्ट्रवाद की भावना जागृत की | महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में  संवाद कौमुदी, हिन्दू, बाम्बे क्रोनिकल, आजाद, केशरी,मराठा, यंग इंडिया, अलहिलाल , पायनियर आदि | 
6. समाजिक -आर्थिक सुधार आन्दोलन :  भारतीय समाज में फैले अशिक्षा, जाति-पांति, उंच-नीच, छुआछूत, कुप्रथाओं , सतीप्रथा, बालविवाह  जैसे रूढ़ियों को दूर करने के लिए राजा राम मोहन राय, दयानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद के प्रयासों से नई चेतना आई| आर्यसमाज, ब्रह्मसमाज, प्रार्थना समाज, रामकृष्ण मिशन आदि सामाजिक संगठनों ने इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया |
7. प्राचीन संस्कृतियों का ज्ञान : प्राचीन इतिहास और संस्कृति को उजागर करने में अनेक यूरोपीय विद्वानों  जैसे, विलियम जोन्स,मैक्समूलर, चार्ल्स विलिक्न्सन और भारतीय विद्वानों में राजेन्द्रलाल मित्र , आर.जी.भंडारकर आदि का महत्वपूर्ण  योगदान रहा | जब प्राचीन लिपियों और ग्रन्थों का अंगरेजी और अन्य स्थानीय भाषाओं में अनुवाद हुआ तो अपने अतीत का गौरव महसूस हुआ |
8. भारत का राजनीतिक एकीकरण :  अंग्रेजों ने सम्पूर्ण भारत का राजनीतिक एकीकरण कर दिया| रेल, सड़क, डाक-तार की व्यवस्था से यातायात और संचार की सुविधा बढ़ी | लोगों को आपसी विचारों को आदान-प्रदान करने में सहूलियते होने लगी |
9. सरकार की प्रतिगामी नीतियाँ:  सरकार के प्रतिगामी नीतियाँ राष्ट्रवाद को बढाने में योगदान दिया |
*1878 में लार्ड लिटन द्वारा वर्नाक्युलर एक्ट द्वारा प्रेस पर पाबंदी 
* भारत में आयतित कपडे पर आयात -शुल्क हटा दिया 
* अफगान युद्व का खर्च भारतीय राजस्व से वसूला 
* आर्म्स एक्ट (1879) द्वारा भारतीयों को हथियार रखने पर पाबंदी 
* सिविल सेवा में भातीयों के प्रवेश की आयु 21 से घटाकर 19 कर दिया 
* इल्बर्ट बिल द्वारा भारतीय जजों को यूरोपीय लोगों के मुकदमे सुनने का अधिकार दिया , जिसे वापस ले लिया 
* 1905 बंगाल का विभाजन कर दिया 
10. राजनीतिक संस्थानों का योगदान :  लैंडहोल्डर्स सोसाइटी , बंबई एसोसिएशन, इन्डियन एसोसिएशन, पूना सार्वजनिक सभा, ढक्कन सोसायटी  आदि की स्थापना हुई | 1885 में  स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में  राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम संचालित हुआ|

प्रथम विश्व युद्व, खिलाफत और असहयोग 
प्रथम विश्व युद्व के दौरान भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति :
रक्षा व्यय में भारी इजाफा 
* इस युद्व के खर्च की भरपाई के लिए युद्व के नाम पर कर्जे लिए गए 
* सीमा शुल्क में वृदि और आयकर शुरू किया गया 
* मंहगाई में वृद्वि 
* लगान में वृद्वि की गयी 
* ग्रामीण युवकों को जबरन सिपाही में भर्ती किया जाने लगा 
* 1918-19 और 1920-21के दौरान अकाल से खाद्य पदार्थों की कमी 
* 1920-21 में फ़्लू की महामारी से 120-130 लाख लोग मारे गए 

सत्याग्रह का विचार :
गांधी जी दक्षिण अफ्रीका से  जनवरी 1915 ई. में भारत लौटे |  भारत में सत्याग्रह का विचार महात्मा गांधी ने  प्रतिपादित किया था | इस अस्त्र का प्रयोग दक्षिण अफ्रीका में कर चुके थे |  
सत्याग्रह : 
* सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर देना |
* सत्याग्रह शुद्व आत्मबल है | सत्य ही आत्मा का आधार होता है| आत्मा ज्ञान से हमेशा लैस होती है | सत्याग्रह अहिंसक प्रतिकार है | अहिंसा सर्वोच्य धर्म है |
* प्रतिशोध की भावना का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे अपने संघर्ष में सफल हो सकता है |
* गांधी जी का विचार था की अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है |
चम्पारण सत्याग्रह :
19वीं सदी जे प्रारम्भ में गोरे बगान मालिकों ने चंपारण जिले के किसानों से एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था| इसे "तिनकठिया पद्वति " कहा जाता था| किसान इस अनुबंध से मुक्त होना चाहते थे |
* 1916 ई. में राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर गांधीजी चम्पारण पहुंचे |
* चंपारण पहुंचकर गांधीजी ने समस्याओं को सूना व् सही पाया|
* गांधीजी के प्रयासों से सरकार ने चंपारण के किसानों की जांच हेतु एक आयोग नियुक्त हुआ |
* आयोग के सिफारिस पर  तिनकठिया पद्वति समाप्त कर दिया और अंग्रेजों को अवैध वसूली का 25% वापस करना पडा |
    गांधी जी का भारत में पहला सत्याग्रह आन्दोलन था जो सफल रहा |

खेड़ा सत्याग्रह :
* खेड़ा (गुजरात) में वर्षा न होने से किसानों की फसल बर्बाद हो गयी 
* प्लेग और हैजा ने जनता को बेकार कर दिया 
* खेड़ा की जनता अंगरेजी हुकूमत से लगान में ढील देने की मांग कर रही थी 
* 1917 ई. में महात्मा गांधी , सरदार बल्लभ भाई पटेल के साथ गाँव का दौरा किया और खेड़ा के किसानों की मांग का समर्थन किया 
* गांधी जी के सत्याग्रह से अंग्रेजों ने लगान माफ कर दिया 

अहमदाबाद कपड़ा मिल आन्दोलन : 
* मार्च 1918 में अहमदाबाद कपड़ा मिल मालिक और मजदूरों के बीच "प्लेग बोनस " को लेकर विवाद हो गया |
* मिल मजदूर 35% बोनस की मांग कर रहे थे परन्तु मिल मालिक बोनस देने को तैयार नहीं थे |
* गांधीजी ने मिल मालिकों से बोनस देने का  आग्रह किया और अनशन पर बैठ गए |
* अंतत: मिल मालिकों ने 35% बोनस देने को तैयार हो गए |




रालेट एक्ट (1919):
* 1917 की रूसी क्रांति और भारतीय क्रांतिकारियों की राजनीतिक गतिविधियों से आशंकित अंगरेजी सरकार ने न्यायाधीश सिडनी रालेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति (सेडीशन समिति) का गठन किया |
सेडीशन समिति के अनुशंसा पर 2 मार्च 1919 को रालेट कानून (क्रान्तिकारी एवं अराजकता अधिनियम ) बना |
* इसके अनुसार, संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था, और उसपर बिना मुकदमा चलाए दो वर्षों तक जेल में बंद किया जा सकता था |

रालेट एक्ट का विरोध :
* भारतीयों ने इस क़ानून को "काला क़ानून" कहा |
* इस क़ानून को "न वकील, न अपील और न दलील" का क़ानून कहा गया |
* गांधीजी ने इस क़ानून के विरोध में 6अप्रैल से सत्याग्रह करने का आह्वान किया |
* विभिन्न  शहरों में रैली निकाली गयी, रेलवे वर्कशाप के मजदूरों ने हड़ताल की, दूकाने बंद रखी गयी,  संचार सेवाएं बाधित की गयी |
* अंगरेजी सरकार ने भी आन्दोलन को दमन करने हेतु अमृतसर के  स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, गांधी जी को दिल्ली प्रवेश पर पाबंदी लगा दी 
* अमृतसर में 10 अप्रैल को  पुलिस ने शातिपूर्ण जुलूस पर गोलियां चलायी और  शहर में मार्शल लाँ लागू कर दिया | 

जालियावाला बाग़ हत्याकांड (1919):
कारण :
* रालेट एक्ट के विरूद्व लोगों में असंतोष 
* गांधीजी तथा कुछ अन्य नेताओं के पंजाब प्रवेश पर प्रतिबन्ध 
* पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डा.सतपाल और डा.सैफुदीन किचलू को गिरफ्तार कर जिलाबदर कर दिया गया |
* अमृतसर में 10अप्रैल 1919 को शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस द्वारा गोलियां बरसाई गयी , परिणामत: स्थिति बिगड़ गयी और मार्शल लाँ लगा दिया गया |
घटना :
*13अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर  में लगभग शाम 4 बजे जलियावाला बागा में एक सभा का आयोजन किया गया और उस सभा में  लगभग 20000 व्यक्ति एकत्रीत हुए | 
* उस सभा में  प्रवेश के लिए एकमात्र संकीर्ण रास्ता था, चारो तरफ, मकान बने हुए थे और बीच में एक कुआं व् कुछ पेड़ थे | 
* जिस समय सभा चल रही थी, उसी वक्त संध्याकाल जनरल डायर सैनिकों और बख्तरबंद गाडी के साथ सभास्थल पर पहुंचा और बिना चेतावनी के उसने गोलियां चलवा दी |
* इस घटना में लगभग (सरकारी आंकड़ा)  379 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए |
घटना का प्रभाव :
* इस घटना की जाँच के लिए "हंटर कमीशन" का गठन किया गया जिसमें 5 अंग्रेज और 3 भारतीय सदस्य थे |
* रवीन्द्रनाथ टैगोर ने "सर"   और गांधीजी ने  "केशर-ए-हिन्द " की उपाधि लौटा दी |
* शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया | 

खिलाफत आन्दोलन(1919-1924:
* प्रथम विश्व युद्व के बाद ब्रिटेन और तुर्की के बीच "सेवर्स की संधि" हुई जिसमें तुर्की का सुलतान (जो मुसलमानों का धर्मगुरु भी था ) खलीफा का 
पद छीन लिया | 
* भारतीय मुसलमानों में खलीफा का पद छिनने से नाराजगी थी |
खलीफा का पद बरक़रार रखने के लिए अली बंधुओं (शौकत अली और महम्मद अली)  के नेतृत्व में मार्च  1919 में बंबई में खिलाफत समिति का गठन किया गया |
* गांधीजी ने इसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के रूप में देखा और खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया 
* सितम्बर 1920 में क्रांग्रेस के कलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर राजी कर लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए |

असहयोग आन्दोलन (1920-21) :
महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक "हिन्द स्वराज "(1909) में कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था| यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी 
असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम :
* सरकार द्वारा दी गई  पदवियां लौटा देनी चाहिए |
* सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र और बहिष्कार करना 
* सेना,पुलिस और अदालतों का बहिष्कार 
* स्कूलों और कालेजों का बहिष्कार 
* विधायी परिषदों का बहिष्कार 
* विदेशी वस्तुओं का त्याग 
* शराब की पिकेटिंग 
दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौता हुआ और असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति की मोहर लग गयी| असहयोग-खिलाफत  आन्दोलन जनवरी 1921में शुरू हुआ| इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया लेकिन हरेक की अपनी-अपनी आकांक्षाएं थी| सभी के लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे |

शहरों में आन्दोलन:
* आन्दोलन की शुरुआत  शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई |
* हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज  छोड़ दिए |
* हेडमास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए |
* वकीलों ने मुकदमें लड़ना बंद कर दिया |
* मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया |
* विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया
* शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई |
* विदेशी कपड़ों की होली जलाई गयी |
* व्यापारियों ने विदेशी सामानों का व्यापार करने और निवेश करने से इनकार कर दिया |
* लोग भारतीय कपडे पहनने लगे , भारतीय कपड़ा और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा|

आन्दोलन धीमा पड़ने के कारण:
* खादी का कपड़ा मिलों में बनने वाले कपड़ों के मुकाबले मंहगी होती थी और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे |
* आन्दोलन की कामयाबी के लिए वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना जरुरी था , जो उस समय नहीं थे |
* देशी शिक्षण संस्थान पर्याप्त नहीं होने के कारण  विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे |
* वकील दोबारा सरकारी अदालतों में आने लगे |
नोट:
जस्टिस पार्टी : मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के जरिये उन्हें वे अधिकार मिल सकते है जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्माणों को मिल पाते है इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया |
पिकेटिंग : प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दूकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते है |

ग्रामीण इलाकों में असहयोग आन्दोलन :
असहयोग आन्दोलन देश के ग्रामीण इलाकों में भी फैल गए | इस आन्दोलन में किसानों व आदिवासियों ने भी भाग लिया |
असहयोग आन्दोलन में  किसानों की भूमिका  -
* अवध में सन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों का नेतृत्व कर रहे थे | उनका आन्दोलन तालुक्क्दारों और जमींदारों के खिलाफ था जो किसानों से भारी- भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल रहे थे |
* किसानों को बेगार करनी पड़ती थी| पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं थे | उन्हें बार-बार पट्टे की समीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका अधिकार स्थापित न हो सके |
* किसानों की मांग थी कि लगान कम किया जाय, बेगार खत्म हो और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाय|
* 1920 में जवाहर लाल नेहरु , बाबा रामचंद्र और कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में "अवध किसान सभा" का गठन कर लिया गया | असहयोग आन्दोलन आरम्भ होने पर तालुक्क्दारों , जमींदारों के मकानों पर हमला होने लगे,बाजारों में लूटपाट होने लगी, आनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया गया , लगान देना बंद कर दिया गया |

असहयोग आन्दोलन मे आदिवासियों की भूमिका  :
*आदिवासी किसानों ने गांधीजी की संदेश का और ही मतलब निकाला |
* आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक की शुरुआत में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन फैल गया |
* अंगरेजी सरकार का आदिवासियों के जीवन में हस्तक्षेप से उनमें असंतोष पहले से भरा था | गांधीजी के आह्वान पर लोगों ने बगावत कर दिया| उनका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया |
* अल्लूरी ने खुद में विशेष शक्तियों का दावा किया| लोगों को खादी पहनने और शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया|
* गूडेम विद्रोहियों ने पुलिस थानों पर हमले किये, ब्रिटिश अधिकारियों को मारने की कोशिश  की |
* अल्लूरी को 1924 में फांसी दे दी गई |
नोट: 
* बेगार :बिना किसी पारिश्रमिक के काम करवाना 
गिरमिटिया मजदूर : औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को काम करने के लिए फ़िज, गुयाना, वेस्टईंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा| उन्हें एक एग्रीमेंट(अनुबंध) के तहत ले जाया  जाता था| बाद में इसी एग्रीमेंट को ये मजदूर गिरमिट खाने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा| अंगरेजी में इन्हें Indentured Labour कहा जाता है | 

बागानों में स्वराज 
* 1859 के Inland Emigration Act के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत के बाहर जाने की छुट नहीं थी |
* जब बगान मजदूरों ने असहयोग आन्दोलन के बारे में सुना तो उन्होंने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे| उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर को चल दिए |
* रेलवे और स्टीमरों की हड़ताल के कारण वे रस्ते में ही फंस रह गए | उन्हें पुलिस ने पकड लिया और उनकी बुरी तह पिटाई हुई |

असहयोग आन्दोलन का अंत :
5 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया| जुलूस ने आक्रोशित होकर थाने में आग लगा दी जिसमें 22 पुलिसकर्मी ज़िंदा जल गए | जब यह घटना गांधी जी को पता चला तो उन्होंने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आन्दोलन बंद करने का ऐलान कर दिया |

असहयोग आन्दोलन का महत्व और प्रभाव :
गांधीजी ने देश में पहली बार एक जन-आन्दोलन खड़ा किया और राष्ट्रवाद का उत्साह का संचार किया |
* इस आन्दोलन का प्रभाव उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक रहा |
* स्वदेशी आन्दोलन ने जनता में आत्म-विश्वास की भावना का विकास किया 
* ब्रिटिश सरकार का भय अब जनता के मन से निकल चुका था |
* पहली बार महिलाओं ने भी आन्दोलन में भाग लिया |
* राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना हुई |



Mahatma Gandhi & National Movement


1922 से 1930 तक की राजनैतिक गतिविधियाँ 
स्वराज दल :
महात्मा गांधी द्वारा अचानक असहयोग आन्दोलन स्थगित कर देने के कारण एक राजनीतिक शून्यता आ गयी | निराशा के ऐसे वातावरण में मोती लाल नेहरू और चितरंजन दास ने स्वराज दल की स्थापना की |
* संस्थापक - मोतीलाल नेहरू, चितरंजन दास 
* स्थापना वर्ष - 1जनवरी 1923
* स्थान : इलाहाबाद 
* पार्टी अध्यक्ष : चितरंजन दास 
* उद्देश्य : स्वराज प्राप्त करना, प्रांतीय परिषदों के चुनाव में भाग लेकर ब्रिटिश नीतियों का विरोध करना, सुधारों की वकालत करना, अंगरेजी सरकार के कामों में अड़ंगा डालना |
स्वराज दल के कार्य :
* मान्तेग्यु-चेम्सफोर्ड अधिनियम(1919) के सुधारों की पुन: व्याख्या करना 
* नवीन संविधान बनाने के लिए भारतीय प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाना |
* राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की गई 
* सरकारी समारोह  व उत्सवों का बहिष्कार करना 

क्रांतिकारी आन्दोलन (नौजवान भारत सभा )
असहयोग आन्दोलन के अचानक स्थगित होने से और स्वराज दल के द्वारा भी कोई हल नही निकलने पर युवा वर्ग ने हिंसात्मक तरीकों से आजादी प्राप्त करने की कोशिश की | इन युवा वर्ग ने सशस्त्र तरीकों को अपनाया |
* 9अगस्त 1925 को कुछ युवकों ने लखनऊ के पास काकोरी में 8 डाउन ट्रेन को रोक लिया और रेल का सरकारी खजाना लूट लिया | इस घटना को "काकोरी काण्ड " कहा जाता है | क्रुद्व अंगरेजी सरकार ने  अशफाक उल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को फांसी दे दी | चंद्रशेखर आजाद फरार हो गए |
* 30अकूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज किया और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी | लाठी बरसाने वाले पुलिस अधिकारी सांडर्स को 17दिसंबर 1928 को भगत सिंह, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद ने ह्त्या कर दी |
* भगत सिंह ने 1926 में "नौजवान भारत सभा" की स्थापना की | 
* भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने " पब्लिक सेफ्टी बिल " पास होने के विरोध में 8अप्रैल 1929को केन्द्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका | भगत सिंह, राजगुरु और बटुकेश्वर दत को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गयी |भगत सिंह एवं उनके अन्य साथियों की शहादत ने युवाओं में नवीन जोश भर दिया |

साइमन कमीशन :
* 1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि 10 वर्ष के बाद एक आयोग का गठन किया जाएगा जो यह देखेगा कि इस अधिनियम में क्या सुधार किया जा सकता है |
* ब्रिटिश सरकार ने 2 वर्ष पूर्व 1927में ही सर जान  साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जिसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे | इसे "गोरे कमीशन " भी कहा जाता है |
* 3 फरवरी 1928 को कमीशन बंबई पहुँचा | साइमन कमीशन जहाँ भी गया उसका विरोध किया गया | "साइमन गो बैक " का नारा दिया गया |

साइमन कमीशन की रिपोर्ट :
* द्वैधशासन  समाप्त कर दिया जाय 
* प्रांतीय स्वायतत्ता की स्थापना की जाय 
* प्रांतीय विधान परिषदों का विस्तार किया जाय 
* बर्मा को भारत से तथा सिंध को बंबई से पृथक कर दिया जाए 
* मताधिकार का विस्तार किया जाय परन्तु साम्प्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त नही किया जाय 
साइमन कमीशन के इस सुझाव को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विरोध किया| इसे रद्दी का कागज़ बताया |

नेहरू रिपोर्ट (1928)
साइमन कमीशन  के विरोध करने से क्षुब्ध भारत मंत्री लार्ड बरकेन हेड ने  भारतीयों को चुनौती दी कि उनमें आपसी मतभेद इतने है कि एक सर्वमान्य संविधान का निर्माण नहीं कर सकते | भारतीय राजनीतिज्ञों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और मोतीलाल नेहरु के नेतृत्व में रिपोर्ट तैयार किया गया |

प्रमुख सिफारिशों :
* भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान  किया जाय |
* प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाए 
* केन्द्रीय सरकार पूर्णरूप से उत्तरदायी हो, गर्वनर जनरल वैधानिक प्रमुख हो और संसदीय प्रणाली हो |
* संविधान की व्याख्या के लिए एक उच्चतम न्यायालय स्थापित हो |
ब्रिटिश सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया |

डोमिनियन स्टेट्स :
* कांग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहा था |
* इस विरोध को शांत करने के लिए वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत के लिए "डोमिनियन स्टेट्स" का गोलमाल सा ऐलान किया और भावी संविधान के बारे में चर्चा के करने के लिए गोलमेज सम्मलेन का आयोजन करने का आश्वासन दिया |
* "डोमिनियन स्टेट्स " का तात्पर्य था की भारतीयों को  आंतरिक शासन का उत्तरदायित्व दिया जाएगा | अर्थात औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाएगा|
* कांग्रेस ने इस निर्णय को स्वीकार नहीं किया| 

पूर्ण स्वराज्य की मांग 
* दिसंबर 1929 में जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में "पूर्ण स्वराज " की मांग को स्वीकार किया गया | 


* यह भी तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा और उस दिन पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे |

नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आन्दोलन :
11 सूत्री मांग :
गांधीजी नमक यात्रा आरम्भ करने से पहले 31 जनवरी 1930 को वायसराय लार्ड इरविन को एक खत लिखा जिसमें 11 मांगों का उल्लेख किया था तथा समझौता करने का प्रयास किया |
*  पूर्णरूपेन मदिरा प्रतिबंध हो 
* भूमि कर आधा किया जाय |
* विनिमय दर एक शिलिंग चार पेंस किया जाय 
* नमक कर समाप्त हो 
* सेना पर व्यय में  50% की कमी की जाय 
* बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियों का वेतन आधा किया जाय 
* विदेशी वस्त्रों के आयात पर रोक हो 
* भारतीय समुद्री तट केवल भारतीय जहाज़ों के लिए सुरक्षित रहे 
* राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाय 
* गुप्तचर पुलिस हटाया जाय या जनता का नियंत्रण हो 
* भारतीयों को भी आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति हो 
लार्ड इरविन ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया |

नमक यात्रा :
* गांधी जी ने आह्वान किया कि लोग अंग्रेजों की शांतिपूर्वक अवज्ञा करे| 
* 6 अप्रैल को समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया| यह क़ानून का उल्लंघन था और यहीं से सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू होता है|


सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कार्यक्रम :
1. हर स्थान पर नमक क़ानून तोड़ना |
2. शराब की पिकेटिंग करना |
3. सरकारी संस्थाओं का त्याग करना 
4. सरकार को कर नही देना 
5. विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाये|

घटनाएं :
* लोगों को औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने का आह्वान किया जाने लगा|
* देश के विभिन्न भागों में लोगों ने नमक क़ानून तोड़ा 
* सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए|
* विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया जाने लगा|
* शराब की दुकानों की पिकेटिंग होने लगी|
* गावों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे|
* जंगलों में रहनेवाले वन कानूनों का उल्लंघन करने लगे , वे लकड़ी बीनने और मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में घुसने लगे|

    ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करने लगी| 4मई 1930 को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया| इसके विरोध में श्लापुर के औद्योगिक मजदूरों ने पुलिस चौकियों, नगरपालिका भवनों, अदालतों और रेलवे स्टेशनों पर हमले शुरू कर दिए|  सरकार ने दमन नीति अपनाई| शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर हमले किए गए, औरतों व बच्चों को मारा-पिटा गया और लगभग एक लाख लोग गिरफ्तार किए गए|
     

Mahatma gandhi and National Movement
* click here for Mahatma Gandhi & National Movement part4

गोलमेज सम्मेलन 
:सविनय अवज्ञा आन्दोलन के दौरान ही कांग्रेस को नजरअंदाज करते हुए गोलमेज सम्मेलन का आयोजन लन्दन में आरम्भ किया गया |

प्रथम गोलमेज सम्मलेन प्रथम गोलमेज सम्मेलन का आयोजन 12नबम्बर 1930 को हुआ| इस सम्मेलन की अध्यक्षता ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मेक्डोनाल्ड ने की| इसमें 16ब्रिटिश संसद सदस्य और ब्रिटिश भारत के 57 प्रतिनिधि जिन्हें वायसराय ने नियुक्त किया था तथा देशी रियासतों के 16 सदस्य सम्मिलित थे| कांग्रेस ने इस सम्मेलन का बहिष्कार किया| परिणामत: इस सम्मेलन का कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला और 19जनवरी 1931 को बिना किसी नतीजे के समाप्त कर दिया गया|

गांधी-इरविन समझौता: वायसराय ने देश में सार्थक माहौल बनाने के लिए कांग्रेस पर से प्रतिबंध हटा दिया, गांधीजी तथा अन्य नेताओं को छोड़ दिया| अंतत: 5मार्च 1931को गान्धीजी और इरविन में समझौता हो गया| प्रमुख बिंदु :- गांधीजी के निम्न मांगों को स्वीकार किया गया|

1. हिंसा के आरोपियों को छोड़कर राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए

2. भारतीयों को समुद्र से नमक बनाने का अधिकार दिया गया |

3.आन्दोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को बहाल किया जाए |

4. भारतीय अब शराब और विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना देने के लिए स्वतंत्र थे|

गांधीजी द्वारा मानी गयी बातें : सविनय अवज्ञा आन्दोलन को स्थगित कर दिया गया और कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार किया कर लिया |

दूसरा गोलमेज सम्मलेन : दूसरा गोलमेज सम्मलेन 7सितम्बर 1931 से 1दिसंबर 1931 तक चला| कांग्रेस की और से एक मात्र प्रतिनिधि के रूप में गांधीजी ने भाग लिया| यह सम्मेलन भी असफल रहा|

महात्मा गांधी के ब्रिटेन से लौटने के उपरान्त सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुन: आरम्भ किया किया| साल भर तक यह आन्दोलन चलता रहा लेकिन 1934 तक आते-आते इसकी गति मंद पड़ने लगी|


तीसरा गोलमेज सम्मलेन: यह सम्मलेन 17 नवम्बर 1932 से 24 दिसंबर 1932 तक चला| कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया और यह भी असफल रहा|

लोगों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को कैसे लिया?

किसान वर्ग : गाँव के संपन्न किसानों प्रमुख रूप से भाग लिया| व्यावसायिक फसलों की खेती करने के कारण व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों से वे बहुत परेशान थे| जब उनकी नकद आय खत्म होने लगी तो उनके लिए सरकारी लगान चुकाना नामुमकिन हो गया| उनके लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ाई था| जब 1931 लगानों के घटे बिना आन्दोलन वापस ले लिया गया तो निराशा हुई | जब 1932आन्दोलन दुबारा शुरू हुआ तो बहुतों ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया |

गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे| महामंदी लम्बी खींची और नकद आमदनी गिराने लगी तो छोटे पट्टेदारों के लिए जमीन का किराया चुकाना भी मुश्किल हो गया| उन्होंने रेडिकल आन्दोलनों में हिस्सा लिया जिनका नेतृत्व अकसर समाजवादियों और कम्युनिष्टों के हाथों में होता था| अमीर किसानों और जमींदारों की नाराजगी के भय से कांग्रेस "भाड़ा विरोधी" आंदोलनों को समर्थन देने में हिचकिचाती थी | इसी कारण गरीब किसानों और कांग्रेस के बीच सम्बन्ध अनिश्चित बने रहे |


व्यवसायी वर्ग की स्थिति : पहले विश्वयुद्व के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफ़ा कमाया| अपने कारोबार को फैलाने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी| वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे और रुपया-स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में बदलाव चाहते थे| व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए 1920 में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (Indian Industrial and commercial congress) और 1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (Federation of Indian Chamber of Commerce and Industry-FICCI) का गठन किया| उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण का विरोध किया और सिविल नाफ़रमानी आन्दोलन का समर्थन किया| उन्होंने आन्दोलन को आर्थिक सहायता दी और आयतित वस्तुओं को खरीदने या बेचने से इंकार कर दिया| ज्यादातर व्यवसायिकों का लगता था कि औपनिवेशिक शासन समाप्त होने से कारोबार निर्बाध रूप से ढंग से फल-फूल सकेंगें|

औद्योगिक श्रमिक वर्ग की स्थिति: औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन में नागपुर के अलावा कहीं और भी बड़ी संख्या में हिस्सा नहीं लिया| जैसे-जैसे उद्योगपति कांग्रेस के नजदीक आ रहे थे, मजदूर कांग्रेस से छिटकने लगे थे| फिर भी मजदूरों ने कम वेतन व खराब कार्यपरिस्थियों के खिलाफ अपनी लड़ाई से जोड़ लिया था| 1930 में रेलवे कामगारों की और 1932 में गोदी कामगारों की हड़ताल हुई| कांग्रेस को लगता था कि इससे उद्योगपति आन्दोलन से दूर चले जाएंगे|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका: महिलाओं ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया| महिलाएं जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों की पिकेटिंग की| बहुत सारी महिलाएं जेल भी गई| शहरी इलाकों में ज्यादातर ऊँची जातियों की महिलाएं सक्रीय थी जबकि ग्रामीण इलाकों में संपन्न किसान परिवारों की महिलाएं आन्दोलन में हिस्सा ले रही थी|

महिलाओं के प्रति गांधीजी के विचार: गांधीजी का मानना था कि घर चलाना, चूल्हा-चौका संभालना, अच्छी माँ व अच्छी पत्नी की भूमिकाओं का निर्वाह करना ही औरत का असली कर्तव्य है| फिर भी गांधीजी के आह्वान पर महिलाएं आन्दोलन में भाग लिया|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन की सीमाएं :

कांग्रेस रूढ़िवादी सवर्ण हिन्दू सनातनापंथियों के डर से दलितों पर ध्यान नहीं दिया| लेकिन गांधीजी ने ऐलान किया कि अस्पृश्यता (छुआछूत) को खत्म किए बिना सौ साल तक भी स्वराज की स्थापना नहीं की जा सकती| अछूतों को हरिजन यानि ईश्वर की सन्तान बताया| उन्होंने मंदिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों, और कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया|

कई दलित नेता अपने समुदाय की समस्याओं का अलग राजनीतिक हल ढूंढना चाहते थे| उन्होंने शिक्षा संस्थानों में आरक्षण के लिए आवाज उठाई और अलग निर्वाचन क्षेत्रों की बात कही ताकि वहां से विधायी परिषदों के लिए केवल दलितों को ही चुनकर भेजा जा सके| क्योकि इनकी भागदारी काफी सीमित थी|

डॉक्टर अम्बेडकर ने 1930 में दलितों को दमित वर्ग एसोसिएशन (Depressed Classes Association) संगठित किया| दलितों के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मांग की जिसपर गांधीजी के साथ विवाद हुआ | गांधी जी नहीं चाहते थे कि हिंदूओं की एकता का विभाजन हो| जब ब्रिटिश सरकार ने आंबेडकर की मांग मान ली तो गांधीजी आमरण अनशन पर बैठ गए|

साम्प्रदायिक पंचाट (Communal Award):
 ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड ने 16 अगस्त 1932 को साम्प्रदायिक पंचाट की घोषणा की| इस घोषणा में मुसलमानों, सिक्खों, भारतीय ईसाई और हिन्दू दलितों को पृथक प्रतिनिधित्व दिया गया| साम्प्रदायिक पंचाट के विरूद्व गांधीजी ने यरवदा जेल में ही 20 सितम्बर 1932 को आमरण अनशन शुरू कर दिया|

पूना पैक्ट (1932): मदन मोहन मालवीय , राजगोपालचारी और राजेन्द्र प्रसाद के प्रयासों से गांधीजी और आंबेडकर के बीच दलितों के निर्वाचन व्यवस्था पर 26सितम्बर 1932 पूना में समझौता हुआ|

इस समझौते के अनुसार :
1. दलित वर्गों के लिए पृथक निर्व्वाचं वयवस्था समाप्त कर दिया गया |
2. यह निश्चित हुआ कि दलितों के लिए स्थान तो सुरक्षित किये जाएंगे , किन्तु उनका निर्वाचन संयुक्त प्रणाली के आधार पर किया जाएगा |
3. दलों में दलितों के लिए 71 की जगह 147 सीटें आरक्षित की गई और केन्द्रीय विधानमंडल में दलित वर्ग के लिए 18% सीटें आरक्षित की गई |
4. हरिजनों के लिए शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए शर्ते रखी गई|



मुसलमानों की भागीदारी : असहयोग आन्दोलन के बाद मुसलमानों का एक बड़ा तबका कांग्रेस को भी हिन्दू संगठन मानने लगा | हिन्दू संगठनों के स्थापना से हिन्दू-मुस्लिम खाई बढ़ती गयी | मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना ने मुसलामानों के लिए केन्द्रीय सभा में आरक्षित सीटें और मुस्लिम बहुल प्रान्तों (बंगाल और पंजाब) में आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व की मांग की| तभी पृथक निर्वाचन की मांग छोड़ेगा | परन्तु हिन्दू महासभा के एम.आर.जयकर ने इसका विरोध किया | मुसलामानों को भय था कि हिन्दू बहुसंख्या के वर्चस्व की स्थिति में अल्पसंख्यकों की संस्कृति और पहचान खो जाएगी|

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्व: 
1. 14 जूलाई 1933 ई. को जन आन्दोलन रोक दिया परन्तु व्यक्तिगत आन्दोलन चलता रहा |
2. 7 अप्रैल 1934 ई. को गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बिलकुल बंद कर दिया |
3. यह आन्दोलन अपने वास्तविक उद्वेश्य को पाने में असफल हुआ तथापि जनमानस में राष्ट्रीय भावना की चेतना को उत्पन्न करने में सफल रहा |
4. भारतीयों में यह साहस पैदा कर दिया कि ब्रिटिश शासन को समाप्त किया जा सकता है |
5. ब्रिटिश सामाज्य को अहिंसक साधनों से उखाड़ फेंका जा सकता है |


Mahatma Gandhi and National Movement- Objective Questions



Link:1. महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन

2. भक्ति -सूफी परम्पराएं

3.विचारक ,विश्वास और इमारतें

4. बंधुत्व , जाति तथा वर्ग

5.राजा ,किसान और नगर

6.ईंट ,मनके और अस्थियाँ



Class -12 History : Mahatma Gandhi & National Movement



वस्तुनिष्ठ प्रश्न :

1. गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत कब आये ?- 1915

2. गांधीजी के राजनीतिक गुरु कौन थे ?- गोपाल कृष्ण गोखले

3. बाल गंगाधर तिलक भारत के किस राज्य के थे ? महाराष्ट्र

4. गांधीजी की 1916 में पहली महत्वपूर्ण सार्वजनिक उपस्थिति कहाँ हुई थी ? -बनारस में

5. महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के हथियार का सर्वप्रथम प्रयोग कहां किया था ? -दक्षिण अफ्रिका

6. महात्मा गांधी ने भारत में सत्याग्रह का सबसे पहला प्रयोग कहां किया था ? -चम्पारण में

7. 1918 में गांधीजी गुजरात में किन अभियानों में संलग्न रहे ?- अहमदाबाद मिल हड़ताल

8. गांधीजी ने 1919 में किस एक्ट के विरूद्व एक अभियान चलाया ? -रालेट एक्ट

9. रालेट एक्ट समिति का गठन कब और किसकी अध्यक्षता में किया गया था ? 1917 में, सर सिडनी रालेट

10. रालेट एक्ट क़ानून क्या था ? शक के आधार पर किसी भारतीयों को गिरफ्तार करना

11. जलियावाला बाग हत्याकांड में गोली में गोली चलाने का आदेश किसने दिया था ?- जनरल डायर ने

12. जलियावाला बाग़ हत्याकांड की घटना किस तारीख को हुई थी ?- 13 अप्रैल 1919

13. लाल-बाल-पाल का पूरा नाम लिखे ?- लाला लाजपत राय , बाल गंगाधर तिलक , विपिनचंद्र पाल

14. असहयोग आन्दोलन का औपचारिक आरम्भ कब हुआ ?- 1 जनवरी 1921

15. असहयोग आन्दोलन वापस कब और क्यों लिया गया ?- 12 फरवरी 1922, चौरी-चौरा काण्ड के कारण

16. स्वराज दल की स्थापना कब हुई ?- 1 जनवरी 1923

17. स्वराज दल की स्थापना किन लोगों ने किया था ?- मोती लाल नेहरु और चितरंजन दास

18. 1929 का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन कहां हुआ था ?- लाहौर

19. खिलाफत आन्दोलन किसने और कब चलाया गया ? 1920 शौकत अली और मुहम्मद अली

20. पूर्ण स्वराज की घोषणा कब और कहां किया गया था ?- 31 दिसम्बर 1929, लाहौर अधिवेशन में

21. जलियावाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में ‘केशर-ए-हिन्द’ एवं “सर” की उपाधि किसने लौटाई ?गांधी , टैगोर

22. साइमन कमीशन कब भारत आया ? 1928

23. लाला लाजपत राय की मृत्यु कब और कैसे हुई ?- साइमन कमिशन के विरोध में पुलिस की लाठी से

24. साइमन कमीशन में कितने भारतीय सदस्य शामिल थे ?- एक भी नहीं

25. महात्मा गांधी ने दांडी यात्रा की शुरुआत कब और किस स्थान से किया ? 12 मार्च 1930, साबरमती

26. उत्तर-पश्चिम सीमान्त प्रदेश में राष्ट्रीय आन्दोलन चलाने वाले सीमान्त गांधी किसे कहा जाता है ?-गफ्फार खान

27. सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय ब्रिटिश भारत का वायसराय कौन था ? लार्ड इरविन

28. प्रथम गोलमेज सम्मेलन की शुरुआत कब और कहां हुई थी और कांग्रेस की ओर से कौन भाग लिया था ?

12 नबम्बर 1930, लन्दन , कोई नहीं

29. गांधी –इरविन समझौता कब हुआ ?- 5 मार्च 1931

30. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन कब और कहां हुई थी तथा कांग्रेस की ओर से किसने भाग लिया था ?

7 सितम्बर 1931- 1 दिसम्बर 1931, लन्दन , महात्मा गांधी

31. सन ................... में व्यक्तिगत सत्याग्रह आरम्भ किया गया |- 1940

32. साम्प्रादायिक पंचाट (कम्यूनल आवार्ड ) की घोषणा कब और किसने किया ?-

16 अगस्त 1932, मैकडोनाल्ड

33. पूना समझौता कब और किसके बीच हुआ था ?- 26 सितम्बर 1932, गांधी और आम्बेडकर

34. पूना समझौता के तहत दलित वर्ग को प्रांतीय विधानमंडलों में कितने सीटें आरक्षित की गई ?- 147

35. तीसरा गोलमेज सम्मलेन कब और कहां हुई ?- 17नबम्बर 1932-24 दिसम्बर 1932, लन्दन

36. हिन्द स्वराज के लेखक ......................... है |- महात्मा गांधी

37. यंग इंडिया के लेखक .................................है |-- महात्मा गांधी

38. अगस्त प्रस्ताव ...................में वायसराय लिनालिथिगो के द्वारा प्रस्तुत किया गया | - 1940

39. मुस्लिम लीग ने .............अधिवेशन में ..............ई. में पहली बाग़ पाकिस्तान की मांग किया गया | लाहौर अधिवेशन , 22-23 मार्च 1940


1. Which of the agreement gave seats to the depressed classes in Provincial and Central Legislative council?

किस समझौते ने प्रांतीय और केंद्रीय विधान परिषद में दबे हुए वर्गों को सीटें दीं?

Ans: Poona Pact (पूना समझौता )

2. Which Viceroys announced a vague offer of dominion status for India in October 1929?

किस वायसराय ने अक्टूबर 1929 में भारत के लिए प्रभुत्व की स्थिति की अस्पष्ट पेशकश की घोषणा की?

Ans: Lord Irwin (लार्ड इरविन )

3. Which combination of colours was there in the Swaraj flag designed by Gandhiji in 1921?

Ans: Red,Green and White (लाल ,हरा और उजला )

4. In which region was Dalit participation limited in the civil disobedience movement?

सविनय अवज्ञा आंदोलन में दलित भागीदारी किस क्षेत्र में सीमित थी?

Ans: Maharashtra & Nagpur (महाराष्ट्र और नागपुर )

5. Why were the Dalits ignored by the congress for a long time?

लंबे समय तक कांग्रेस द्वारा दलितों की उपेक्षा क्यों की गई?

Ans: Fear of offending the sanatanis (सनातनपंथियों को ठुकराने का डर)

6. Which of the Acts did not permit plantation workers to leave the tea gardens without permission?

किस अधिनियम ने बागान श्रमिकों को बिना अनुमति के चाय बागानों को छोड़ने की अनुमति नहीं दी?

Ans: Inland Emigration Act of 1859 (इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट 1859)

7. In which year Mahatma gandhi inspired the peasants of Champaran district of Bihar to strugle against the oppressive plantation system?

किस वर्ष महात्मा गाँधी ने बिहार के चंपारण जिले के किसानों को दमनकारी खेती प्रणाली के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया?

Ans: 1916

8. In which Indian National congress Session, the idea of Non-Cooperation movement was accepted?

किस भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिवेशन में , असहयोग आंदोलन के विचार को स्वीकार किया गया था?

Ans: Calcutta Session (कलकता सत्र )

9.Why did Gandhiji withdraw the Non-cooperation Movement ?

गांधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस क्यों लिया ?

Ans: Gandhiji felt the movement was turning violent in many places. (गांधीजी को लगा कि आंदोलन कई जगहों पर हिंसक हो रहा है।) / Due to chauri-chaura incident (चौरी-चौरा की घटना के कारण)

10. Why did Nationalist in India tour villages to gather folk songs and legends?

भारत में राष्ट्रवादी लोगों ने लोक गीतों और किंवदंतियों को इकट्ठा करने के लिए गांवों का दौरा क्यों किया

Ans: Nationlists did it because it gave a true picture of traditional culture.

(राष्ट्रवादियों ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि इसने पारंपरिक संस्कृति की सच्ची तस्वीर दी)

11. Who wrote "Vande Matram" ? ( "वन्दे मातरम् " की रचना किसने की ?)

Ans: Bankim Chandra Chattopadhyay (बंकिम चन्द्र चटोपाध्याय)

12. The Jalliyawalla bagh incident took place in the city of ...........? (जलियांवाला बाग़ की घटना शहर में हुई थी.....?)

Ans: Amritsar (अमृतसर )

13. When the Jalliyawala bagh incident took place ? ( जलियावाला बाग़ की घटना कब हुई ?)

Ans: 13th april 1919

14. What was the reason for calling off the Non-cooperation Movement by Gandhiji? (गांधीजी द्वारा असहयोग आंदोलन को बंद करने का क्या कारण था?)

Ans:The Chauri-Chauara incident (चौरी-चौरा की घटना )

15. The resolution of Purna Swaraj was adopted at which session.? (पूर्ण स्वराज का संकल्प किस अधिवेशन में अपनाया गया था।)

Ans: Lahore Session (लाहौर अधिवेशन )

16. Why the Simon Commission was boycotted ?(साइमन कमीशन का बहिष्कार क्यों किया गया ?)

Ans: There was no Indian in the commision (आयोग में कोई भारतीय नहीं था)

17. Justice Party of Madras was a party of ........? (जस्टिस पार्टी ऑफ मद्रास .................. की एक पार्टी ?)

Ans: Non-brahmins (गैर -ब्राह्मणों )

18. Who led a peasant movement during the Non-cooperation Movement?(असहयोग आंदोलन के दौरान किसान आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?)

Ans: Baba Ramchandra (बाबा रामचंद्र )

19. Baba Ramchandra led a Peasant Movement in Awadh against Whom? (बाबा रामचंद्र ने अवध में किसके खिलाफ किसान आंदोलन का नेतृत्व किया?

Ans: The Talukdars (तालुकदारों )

20. By whom was the Swaraj Party formed? (स्वराज पार्टी का गठन किसके द्वारा किया गया था?)

Ans: Motilal Nehru & C.R. Das (मोतीलाल नेहरु और सी.आर. दास

21. With which main demand did the Civil Disobedience Movement start. ?

किस मुख्य माँग के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ। ?

Ans: Abolition of Salt Law (नमक क़ानून का रद्द करना )

22. At which place did Gandhiji make salt out of sea water to defy the salt law?

नमक कानून की अवहेलना करने के लिए गांधीजी ने समुद्री जल से किस स्थान पर नमक बनाया?

Ans: Dandi (दांडी)

23. Who led the Civil Disobedience Movement in Peshawar ?

पेशावर में सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व किसने किया?

Ans: Khan Abdul Gaffar Khan (खान अब्दुल गफ्फार खान )

24. By what name were the the dalits referred by Gandhiji?

गांधीजी द्वारा दलितों को किस नाम से पुकारते थे ?

Ans: Harijans (हरिजन )

25. When was the Indian Chambers of Commerce and Industries set up?

इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की स्थापना कब की गई थी?

Ans: 1927

26. Why did Alluri Sitaran Raju well known? (अल्लूरी सीतारन राजू को क्यों जाना जाता है?)

Ans: He led the militant movement of tribal peasants in Andhra Pradesh.(उन्होंने आंध्र प्रदेश में आदिवासी किसानों के उग्रवादी आंदोलन का नेतृत्व किया।)

27. Who organised the dalits into the Depressed Classes Association in 1930? (1930 में डिप्रेस्ड क्लास एसोसिएशन में दलितों को किसने संगठित किया?)

Ans:Dr. B.R. Ambedkar (डा. भीम राव आंबेडकर )

28. When and who did the end of sati practice in India? (भारत में सती प्रथा का अंत कब और किसने किया ?

Ans: 1929, Lord William bentick (लार्ड विलियम बेंटिक , 1929)

30. When and who founded the Brahmo Samaj? (ब्रह्म समाज की स्थापना कब और किसने किया ?

Ans: 1928, Raja Ram Mohan Roy (1928,(राजा रामोहन राय )

31. When and who founded the Indian National Congress? भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब और किसने किया ? )

Ans : 1885, A.O. Hume (1885,ए.ओ. ह्युम )

32. Who was the Viceroy of India at the time of the establishment of the Indian National Congress?भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्ठापना के समय भारत का वायसराय कौन था ?

Ans; Lord Dafrin ( लार्ड डफरिन )

33.The Rowlatt Act was enacted with the recommendation of which committee?

किस समिति की अनुशंसा के निमित रालेट एक्ट अधिनियम बनाया गया ?

Ans: Sedition committee (सेडीशन समिति)

34. Which law was called the law of "neither lawyer, nor appeal nor plea". ?

किस क़ानून को "न वकील, न अपील और न दलील" का क़ानून कहा गया ?

Ans: Rowlatt Act (रालेट एक्ट)

35. Which commission was formed to investigate the Jallianwala Bagh massacre?

जलियावाला बाग़ हत्याकांड के जांच हेतु किस आयोग का गठन किया गया था ?

Ans: Hunter Commission (हंटर कमीशन)

36.Who returned the title "Kaiser-e-Hind" in protest against the Jallianwala Bagh Bagh massacre?

जलियावाला वाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में किसने "कैसर -ए-हिन्द " की उपाधि लौटा दी?

Ans: Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी )

37. Who returned the title "Sir" in protest against the Jallianwala Wala Bagh massacre?

जलियावाला वाला बाग़ हत्याकांड के विरोध में किसने "सर " की उपाधि लौटा दी?

Ans: Rabindra Nath Tagore (रविन्द्र नाथ टैगोर )

38. Who two leaders led the Khilafat Movement? (खिलाफत आंदोलन का नेतृत्व किन दो नेताओं ने किया?)

Ans: Shaukat Ali and Muhammad Ali (शौकत अली एवं मुहम्मद अली )

39. "Hind Swaraj" was written by whom ?( "हिंद स्वराज" किसके द्वारा लिखा गया था)

Ans: Mahatma Gandhi (महात्मा गांधी )

40. Why did the Indians oppose Rowlatt Act ? (भारतीयों ने रौलट एक्ट का विरोध क्यों किया?)

Ans: It gave power to the British to arrest and detain a person without a trail.इसने अंग्रेजों को बिना कोर्ट ट्रायल के व्यक्ति को गिरफ्तार करने और हिरासत में रखने की शक्ति दी।

41. By whom was the first image of Bharatmata painated?

भारतमाता की पहली छवि किसके द्वारा चित्रित की गई थी?

Ans: Abindranath Tagore (अविन्द्र नाथ टैगोर)

42. During which movements did the women participate in large numbers for the first time?

किस आंदोलनों के दौरान महिलाओं ने पहली बार बड़ी संख्या में भाग लिया?

Ans: Civil Disobedience Movement (सविनय अवज्ञा आन्दोलन )

43. In which province was the Justice Party established? (जस्टिस पार्टी की स्थापना किस प्रांत में हुई थी ?)

Ans: Madras Province (मद्रास प्रांत )

44. What kind of movement was launched by the tribal peasants of Gudem Hills in Andhra Pradesh?

आंध्र प्रदेश में गुडेम हिल्स के आदिवासी किसानों द्वारा किस तरह का आंदोलन शुरू किया गया था?

Ans: Militant Gurerrilla Movement (मिलिटेंट गुरिल्ला आंदोलन)

45. When and who formed the Awadh Kisan Sabha?

(अवध किसान सभा का गठन कब और किसने किया ?)

Ans: 1920, Baba ramchandra & Jawahar lal Nehru

46. Where was the "Tin-Kathiya system" used?तीन कठिया पद्वति कहां प्रचलित थी ?

Ans: Champaran (चंपारण )

47. When did the Kakori incident happen? (काकोरी काण्ड की घटना कब हुई ?)

Ans: 1925

48. Which commission was called the "White Commission"? (किस कमिशन को "गोरे कमीशन " कहा जाता था ?

Ans: Simon Commission (साईमन कमिशन )

49. Bhagat Singh, Batukeshwar Dutt and Rajguru were thrown bombs in the Central Legislative Assembly in protest of which bill?

भगत सिंह , बटुकेश्वर दत्त और राजगुरु को किस बिल के विरोध में केन्द्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका था ?

Ans: Public Safety Bill (पब्लिक सेफ्टी बिल)

50. Who was the writer of "The Southern folks "? "दक्षिणी लोग" के लेखक कौन थे?



Ans: Natesha shashtri (नटेशा शास्त्री )

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