* भूमंडलीकरण की अवधारणा विगत 50 दशकों में विकसित हुई है |
* इस प्रक्रिया का उदय प्राचीनकाल से ही हो चुका था |
* भूमंडलीकरण - विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग व्यापार , रोजगार की तलाश , धार्मिक यात्रा , ज्ञान-विज्ञान प्राप्त करने , घूमने आदि के उद्वेश्य से एक -दूसरे के सम्पर्क में आते है , भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण की संज्ञा देते है |
भूमंडलीकरण/ वैश्वीकरण को बढावा देने वाले कारक:
1. व्यापार
2. भौगोलिक खोजे
3. धार्मिक यात्राएं
4.यात्रा भ्रमण
5. शिक्षा -चिकित्सा
6. राष्ट्रीय राज्यों के उदय
7. औद्योगिक क्रान्ति
8. उपनिवेशवाद
9. रोजगार की तलाश
10. सभ्यता और संस्कृति
11. खान-पान
12. बीमारियाँ
* सिल्क रूट :
- ईसा की आरम्भिक सदियों में सबसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग था |
- रेशम मार्ग चीन से आरम्भ होकर स्थल मार्ग द्वारा मध्य एशिया होते हुए यूरोप तक जाता था , इस मार्ग से चीनी
रेशम के अतिरिक्त चीनी मिट्टी के बर्तन , भारत और दक्षिण एशियाई देशों के वस्त्र , मसाले , सुगन्धित पदार्थ यूरोप के विभिन्न भागों तक ले जाए जाते थे , इसलिए इस मार्ग का नाम "रेशम मार्ग" कहा जाता है |
- 1453 ई० में सल्जूक तुर्कों के द्वारा कुस्तुतूनिया ( तुर्की का शहर ) पर अधिकार करने के कारण रेशम मार्ग बंद हो गया | यूरोपीय देशों ने एशियाई देशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के उद्वेश्य से समुद्री मार्ग का पता लगाया |
* भोज्य पदार्थों का आदान प्रदान :
- भूमंडलीकरण का परिणाम यह हुआ की विभिन्न देशों के खाद्य वस्तुओं एक -दूसरे के देशों में जाने लगी |
- चीनी नुडल्स पश्चमी देशों में पहुंचा |
- 5वीं शताब्दी में अरब यात्री पास्ता सिसली (इटली ) ले गये |
- क्रिस्टोफर कोलंबस अमेरिका से आलू , सोया, मूंगफली , मक्का , टमाटर , मिर्च , शकरकंद इत्यादी अपने साथ यूरोप ले गया जहाँ से एशिया आए |
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -1
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -2
भूमंडलीकृत विश्व का बनना (class-10, chapter-4) भाग 3
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -4
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -6
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -5
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -7
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -8
* इस प्रक्रिया का उदय प्राचीनकाल से ही हो चुका था |
* भूमंडलीकरण - विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग व्यापार , रोजगार की तलाश , धार्मिक यात्रा , ज्ञान-विज्ञान प्राप्त करने , घूमने आदि के उद्वेश्य से एक -दूसरे के सम्पर्क में आते है , भूमंडलीकरण/वैश्वीकरण की संज्ञा देते है |
भूमंडलीकरण/ वैश्वीकरण को बढावा देने वाले कारक:
1. व्यापार
2. भौगोलिक खोजे
3. धार्मिक यात्राएं
4.यात्रा भ्रमण
5. शिक्षा -चिकित्सा
6. राष्ट्रीय राज्यों के उदय
7. औद्योगिक क्रान्ति
8. उपनिवेशवाद
9. रोजगार की तलाश
10. सभ्यता और संस्कृति
11. खान-पान
12. बीमारियाँ
* सिल्क रूट :
- ईसा की आरम्भिक सदियों में सबसे प्रमुख व्यापारिक मार्ग रेशम मार्ग था |
- रेशम मार्ग चीन से आरम्भ होकर स्थल मार्ग द्वारा मध्य एशिया होते हुए यूरोप तक जाता था , इस मार्ग से चीनी
रेशम के अतिरिक्त चीनी मिट्टी के बर्तन , भारत और दक्षिण एशियाई देशों के वस्त्र , मसाले , सुगन्धित पदार्थ यूरोप के विभिन्न भागों तक ले जाए जाते थे , इसलिए इस मार्ग का नाम "रेशम मार्ग" कहा जाता है |
- 1453 ई० में सल्जूक तुर्कों के द्वारा कुस्तुतूनिया ( तुर्की का शहर ) पर अधिकार करने के कारण रेशम मार्ग बंद हो गया | यूरोपीय देशों ने एशियाई देशों से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने के उद्वेश्य से समुद्री मार्ग का पता लगाया |
* भोज्य पदार्थों का आदान प्रदान :
- भूमंडलीकरण का परिणाम यह हुआ की विभिन्न देशों के खाद्य वस्तुओं एक -दूसरे के देशों में जाने लगी |
- चीनी नुडल्स पश्चमी देशों में पहुंचा |
- 5वीं शताब्दी में अरब यात्री पास्ता सिसली (इटली ) ले गये |
- क्रिस्टोफर कोलंबस अमेरिका से आलू , सोया, मूंगफली , मक्का , टमाटर , मिर्च , शकरकंद इत्यादी अपने साथ यूरोप ले गया जहाँ से एशिया आए |
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -1
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -2
भूमंडलीकृत विश्व का बनना (class-10, chapter-4) भाग 3
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -4
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -6
भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -5
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भूमण्डलीकृत विश्व का बनना (Class-10, chapter-4) भाग -8
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