मौर्य साम्राज्य का स्रोत:-
साहित्यिक स्रोत :-
पुस्तक - लेखक
* अर्थशास्त्र - चाणक्य
* मुद्राराक्षस- विशाखदत्त
* कल्पसूत्र - भद्रबाहु
* परिशिष्टपर्वन- हेमचन्द्र
* कथासरित्सागर- सोमदेव
* वृहत्कथामन्जरी- क्षेमेन्द्र
* इंडिका - मेगास्थनीज
* इसके अतिरिक्त विष्णु पुराण , दीपवंश , महावंश, महाबोधि वंश , दिव्यादान , अशोकावदान, मंजूश्रीमूलकल्प , ग्रँथों में मौर्य वंश की जानकारी मिलती है ।
साहित्यिक स्रोत :-
पुस्तक - लेखक
* अर्थशास्त्र - चाणक्य
* मुद्राराक्षस- विशाखदत्त
* कल्पसूत्र - भद्रबाहु
* परिशिष्टपर्वन- हेमचन्द्र
* कथासरित्सागर- सोमदेव
* वृहत्कथामन्जरी- क्षेमेन्द्र
* इंडिका - मेगास्थनीज
* इसके अतिरिक्त विष्णु पुराण , दीपवंश , महावंश, महाबोधि वंश , दिव्यादान , अशोकावदान, मंजूश्रीमूलकल्प , ग्रँथों में मौर्य वंश की जानकारी मिलती है ।
पुरातात्विक स्रोत :-
* अशोक शिलालेख , रूद्रदामन का जूनागढ़(गिरनार) अभिलेख, आहत सिक्के आदि मौर्य साम्राज्य की जानकारी उपलब्ध कराते है ।
* अशोक शिलालेख , रूद्रदामन का जूनागढ़(गिरनार) अभिलेख, आहत सिक्के आदि मौर्य साम्राज्य की जानकारी उपलब्ध कराते है ।
मौर्य वंश की उतपत्ति:-
* चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय प्रमाणित करता है ।
* बौद्व ग्रँथों महावंश , महापरिनिर्वाणनसुत्त , दिव्यादान में चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय कहा है ।
* जैन ग्रँथों परिशिष्टपर्वन , पुन्याश्रव कथाकोश में भी चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय कहा है ।
* मुद्राराक्षस , कथासरित्सागर और वृहत्कथामन्जरी में चन्द्रगुप्त मौर्य को शुद्र कहा है ।
* चाणक्य के अर्थशास्त्र में भी चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय प्रमाणित करता है ।
* बौद्व ग्रँथों महावंश , महापरिनिर्वाणनसुत्त , दिव्यादान में चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय कहा है ।
* जैन ग्रँथों परिशिष्टपर्वन , पुन्याश्रव कथाकोश में भी चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय कहा है ।
* मुद्राराक्षस , कथासरित्सागर और वृहत्कथामन्जरी में चन्द्रगुप्त मौर्य को शुद्र कहा है ।
चन्द्रगुप्त मौर्य :-
* मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ई0 पू0 किया ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई0 पू0 में हुआ था
* चन्द्रगुप्त मौर्य के मगध सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य की बड़ी भूमिका थी । जिन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया ।
* एरियन और प्लूटार्क ने चन्द्रगुप्त मौर्य को " एंड्रोकोट्स" के नाम का प्रयोग किया है ।
* सर्वप्रथम सर विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए "सैंडरोकोट्स " तथा "एंड्रोकोट्स" नामों का तादात्म्य स्थापित किया था ।
* जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना को " डाकुओं का गिरोह " कहा है ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य 305 ई0 पू0 सिकन्दर के सेनापति सेल्युकस निकेटर को पराजित किया । सेल्युकस ने अपनी पुत्री कार्नेलिया का विवाह चन्द्रगुप्त से किया तथा चार प्रांत काबुल (पेरोपनिसडाई) , कंधार ( आरकोसिया) , हेरात ( एरिया) और मकरान( जेड्रोसिया) सौपें । यह विवाह भारतीय इतिहास का प्रथम अंतरराष्ट्रीय विवाह था ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की शिक्षा ली।
* मेगास्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में था और इंडिका नामक ग्रन्थ लिखा ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्युकस निकेटर के बीच का हुए युद्व का वर्णन ऐप्पियस ने किया है।
* चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई0पू0 श्रवनवेलगोला में उपवास( सल्लेखना) द्वारा हुई ।
* रूद्रदामन अभिलेख से ज्ञात होता है कि सौराष्ट्र में पुष्यगुप्त चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था ।
* जूनागढ़ स्थित सुदर्शन झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य ने कराया था ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य की राजधानी " पाटलीपुत्रा " थी ।
* प्लूटार्क ने लिखा है कि " चन्द्रगुप्त मौर्य ने 6लाख की सेना लेकर सम्पूर्ण भारत को रौंदा डाला और उस पर अपना अधिकार कर लिया ।"
* मौर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य ने 322 ई0 पू0 किया ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य का जन्म 345 ई0 पू0 में हुआ था
* चन्द्रगुप्त मौर्य के मगध सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य की बड़ी भूमिका थी । जिन्हें अपना प्रधानमंत्री बनाया ।
* एरियन और प्लूटार्क ने चन्द्रगुप्त मौर्य को " एंड्रोकोट्स" के नाम का प्रयोग किया है ।
* सर्वप्रथम सर विलियम जोन्स ने चन्द्रगुप्त मौर्य के लिए "सैंडरोकोट्स " तथा "एंड्रोकोट्स" नामों का तादात्म्य स्थापित किया था ।
* जस्टिन ने चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना को " डाकुओं का गिरोह " कहा है ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य 305 ई0 पू0 सिकन्दर के सेनापति सेल्युकस निकेटर को पराजित किया । सेल्युकस ने अपनी पुत्री कार्नेलिया का विवाह चन्द्रगुप्त से किया तथा चार प्रांत काबुल (पेरोपनिसडाई) , कंधार ( आरकोसिया) , हेरात ( एरिया) और मकरान( जेड्रोसिया) सौपें । यह विवाह भारतीय इतिहास का प्रथम अंतरराष्ट्रीय विवाह था ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य ने जैन गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की शिक्षा ली।
* मेगास्थनीज सेल्युकस निकेटर का राजदूत था जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में था और इंडिका नामक ग्रन्थ लिखा ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्युकस निकेटर के बीच का हुए युद्व का वर्णन ऐप्पियस ने किया है।
* चन्द्रगुप्त मौर्य की मृत्यु 298 ई0पू0 श्रवनवेलगोला में उपवास( सल्लेखना) द्वारा हुई ।
* रूद्रदामन अभिलेख से ज्ञात होता है कि सौराष्ट्र में पुष्यगुप्त चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्यपाल था ।
* जूनागढ़ स्थित सुदर्शन झील का निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य ने कराया था ।
* चन्द्रगुप्त मौर्य की राजधानी " पाटलीपुत्रा " थी ।
* प्लूटार्क ने लिखा है कि " चन्द्रगुप्त मौर्य ने 6लाख की सेना लेकर सम्पूर्ण भारत को रौंदा डाला और उस पर अपना अधिकार कर लिया ।"
बिंदुसार: ( 298-273ई0 पू0 )
* चन्द्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ, जो 298 ई0 पू0 मगध के सिंहासन पर बैठा ।
* यूनानी लेखकों ने बिंदुसार को अमित्रोकेडीज कहा है जिसका संस्कृत रूपांतर अमित्रघात (शत्रुओं का नाश करनेवाला ) होता है ।
* जैन परम्पराओं के अनुसार बिंदुसार के माता का नाम दुर्घरा था ।
* महावंश टीका में बिंदुसार की पत्नी का नाम वम्पा और अशोकावदान में सुभद्रांगी दिया है ।
* वायुपुराण में बिंदुसार का नाम भद्रासर तथा अन्य पुराणों में वारिसार मिलता है ।
* स्ट्रेबो के अनुसार सीरिया का राजा एण्टियोकस ने डायमेकस को अपना राजदूत बनाकर बिंदुसार के दरबार में भेजा था ।
* प्लिनी का कहना है कि मिस्र का राजा फिलाडेलफस (टॉलमी-II) ने पाटलीपुत्रा में डियानीसियस नाम का राजदूत भेजा था ।
* एथिनीयस नामक यूनानी लेखक के अनुसार सीरिया के राजा से तीन वस्तुओं की मांग की थी ।
1. मीठी मदिरा
2. सूखी अंजीर
3. एक दार्शनिक(सोफिस्ट)
* बिंदुसार के दरबार में 500 सदस्यों वाली एक मंत्रिपरिषद थी जिसका प्रधान खल्लाटक था ।
* जैन धर्म के अनुसार बिंदुसार को सिंहसेन कहा है ।
* दिव्यादान में तक्षशिला में होने वाले विद्रोह का वर्णन करता है जिसको दबाने के लिए बिंदुसार ने अशोक को भेजा था ।
* दिव्यादान के अनुसार बिंदुसार ने अवन्ति का उपराजा अशोक को नियुक्त किया था ।
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M. PRASAD
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