Sunday 25 July 2021

Political Party : Ncert Notes and Solutions

Political Party  


 राजनीतिक दल 

परिचय -

* परिभाषा 

* राजनीतिक दलों की प्रकृति और कामकाज 

* राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की जानकारी 

* राजनीतिक दलों की चुनौतियां 

* राजनीतिक दलों को कैसे सुधारा जा सकता है ?

राजनीतिक दल की परिभाषा : राजनीतिक दल लोगों का एक ऐसा संगठित समूह है चुनाव लड़ने और सरकार में राजनीतिक सत्ता हासिल करने उद्वेश्य से काम करता है | समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर कुछ नीतियाँ और कार्यक्रम तय करता है |


सामूहिक हित एक विवादास्पद विचार है जिसको लेकर सबकी राय अलग-अलग होती है |इसी आधार पर दल लोगों को यह समझाने का प्रयास करते है कि उसकी नीतियाँ औरों से बेहतर है | वे लोगों का सर्मथन पाकर चुनाव जितने के बाद उन नीतियों को लागू करने का प्रयास करते है | किसी राजनीतिक दल की पहचान उसकी नीतियाँ और उसके सामाजिक आधार से तय होती है |

राजनीतिक दल के हिस्से : राजनीतिक दल के तीन हिस्से है |

* नेता 

* सक्रिय सदस्य;   और 

* अनुयायी या समर्थक 


राजनीतिक दल के कार्य :

1. चुनाव लड़ती है |

2. राजनेतिक दल अलग-अलग नीतियाँ और कार्यक्रमों को मतदाताओं के सामने रखते है और मतदाता अपनी पसंद की नीतियों और कार्यक्रमों को चुनती है |

3. देश के क़ानून का निर्माण करती है |

4. राजनीतिक दल सरकार बनाती और चलाती है |

5.चुनाव हारने वाला दल विरोधी पक्ष की भूमिका निभाती है और सरकार की गलत नीतियों और असफलताओं  की आलोचना करती है |

6. राजनीतिक दल जनमत का निर्माण करती है |

7.  दल सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रमों को जनता तक पहुंचाती है |

8. सरकार देश का प्रतिनिधित्व करती है |


राजनीतिक दलों की आवश्यकता क्यों ?

अगर एक लोकतांत्रिक  देश  में राजनीतिक दल का अस्तित्व नहीं हो तो -

अगर  राजनीतिक दल न हो  तो सारे  उम्मीदवार स्वतंत्र और निर्दलीय होंगे |

*  इनमें कोई भी बड़े नीतिगत बदलाव करने की स्थिति में नहीं होंगे |

* निर्वाचित प्रतिनिध अपने निर्वाचन क्षेत्र में किए गए कामों के लिए उत्तरदायी होंगे |

* देश के प्रति उत्तरदायी नहीं होंगे |

* जनमत का निर्माण नही हो सकेगा |


लोकतांत्रिक देश के लिए राजनीतिक दल की जरुरत :

* बड़े समाज और देश के लिए विभिन्न मुद्दों पर अलग-अलग विचारों को समेटने के लिए |

* विभिन्न स्थानों से चुन कर आए प्रतिनिधियों को साथ करने  के लिए 

* सरकार का निर्माण करने अथवा उस पर नियंत्रण रखने के लिए 

* सरकार द्वारा नीतियाँ बनाने अथवा उस पर विरोध करने के लिए 


कितने राजनीतिक दल :

एकदलीय शासन व्यवस्था : जिस देश में सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने और चलाने की अनुमति हो , उस देश की शासन व्यवस्था एकदलीय शासन व्यवस्था कहा जाता है | जैसे - चीन 

द्विदलीय शासन व्यवस्था : जिसे देश में दो प्रमुख दलों के बीच सत्ता  बदलती रहती है, वहां  अन्य दूसरी पार्टियां  भी चुनाव लड़ती और जीतती है परन्तु दो ही दल सरकार  बनाने का प्रबल दावेदार होती है | जैसे अमेरिका , ब्रिटेन 

बहुदलीय व्यवस्था : जब अनके दल सत्ता के लिए होड़ में हो और दो दलों से ज्यादा के लिए अपने दम पर या दूसरों से गठबंधन करके सत्ता में आने का ठीक -ठाक हो तो इसे बहुदलीय व्यवस्था कहते है | जैसे - भारत 

गठबंधन व्यवस्था जब किसी बहुदलीय व्यवस्था में अनेक पार्टियां चुनाव लड़ने और सत्ता में आने के लिए आपस में हाथ मिला लेती है तो इसे गठबंधन या मोर्चा कहा जाता है | भारत  में दो गठबंधन - संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन , राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन , वाम मोर्चा |  अक्सर बहुदलीय व्यवस्था देश को राजनीतिक अस्थिरता की ओर ले जाती है |

भारत में बहुदलीय व्यवस्था है | भारत एक विशाल और विविधता वाला  देश है | सिर्फ दो-तीन पार्टियां इतने बड़े मुल्क की सारी सामाजिक और भौगोलिक विविधताओं  को  समेटन पाने में अक्षम है |इसलिए  भारत में बहुदलीय व्यवस्था  अपनाई गई है |

 राजनीतिक दल नोट्स

विश्व के संघीय व्यवस्था वाले लोकतंत्र में दो तरह के राजनीतिक दल होते हैं-

1. संघीय  इकाइयों में से सिर्फ एक इकाई में अस्तित्व रखने वाले दल और

2. अनेक या संघ की सभी इकाइयों में अस्तित्व रखने वाले दल |

 भारत में सभी इकाइयों में अस्तित्व रखने वाले दल पाए जाते हैं । कुछ पार्टियां पूरे देश में फैली हुई है,  इसे राष्ट्रीय पार्टी कहा जाता है और कुछ दल अपने राज्य में ही फैसले होते हैं वह राज्य स्तरीय पार्टी कहलाते हैं| राष्ट्रीय स्तर की पार्टियां में  कार्यक्रमों और नीतियों में समानता रहते है  | 

देश की हर पार्टी को चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण कराना पड़ता है | चुनाव आयोग सभी दलों को चुनाव चिन्ह आवंटित करता है|  कुछ पार्टियों को विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं जिसे "मान्यता प्राप्त " दल कहते हैं |इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित कुछ मापदंडों को पूरा करना होता है|

राष्ट्रीय राजनीतिक दल होने के मापदंड या शर्त :

1. अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों के विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6% हासिल करता है और

2.  लोकसभा के चुनाव में कम से कम 4 सीटों पर जीत दर्ज करता है उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता मिलती है।


राज्य के राजनीतिक दल की मान्यता के शर्त :

1. जब कोई पार्टी राज विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का 6 फ़ीसदी या उससे अधिक हासिल करती है और

2.  उस राज्य के विधानसभा चुनाव में कम से कम 2 सीटों पर जीत दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल जाती है।


राष्ट्रीय राजनीतिक दल : 

2006 के अनुसार देश में 6 राजनीतिक दल राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त थे।

1. कांगेस : 

1. भारत के सबसे पुराने राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिसकी स्थापना 1885 ईस्वी में हुई थी।

2. कांग्रेस पूरे देश और समाज के सभी वर्गों में अपना आधार बनाए हुए हैं 

3. इस दल ने धर्मनिरपेक्षता और कमजोर वर्ग तथा अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है ।

4. यह दल नई आर्थिक नीतियों का समर्थक है।


2. भारतीय जनता पार्टी - स्थापना 1980 

चुनाव चिन्ह :

सिद्वान्त

1.  भारत की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाने का लक्ष्य ,

2. भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का बढ़ावा देना ,

3. जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा समाप्त करना ,

4. देश के सभी धर्म के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने पर जोर,

5.  धर्मांतरण पर रोक लगाना


3. बहुजन समाज पार्टी-  स्थापना 1984

चुनाव चिन्ह :

 सिद्धांत :

1. बहुजन समाज जिसमें दलित, आदिवासी, पिछड़ी जातियां और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं,  के लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास  

2. शाहू महाराज ,महात्मा फुले, परियार स्वामी और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और शिक्षाओं को बढ़ावा देना

 3. दलितों और कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा करना

4. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -मार्क्सवादी (सीपीआई-एम)- स्थापना 1964 

चुनाव चिन्ह :

सिद्धांत 

1. मार्क्सवाद और लेलिनवाद में आस्था , 

2. समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की समर्थक ,

3. साम्राज्यवाद और संप्रदायिकता की विरोधी 

4. सामाजिक ,आर्थिक ,न्याय का लक्ष्य  हासिल करना ,

5. गरीबों , कारखाना मजदूरों खेतिहर मजदूरों को उत्थान करना 


5. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी -सीपीआई -  स्थापना 1925

चुनाव चिन्ह :

 सिद्धांत 

1. मार्क्सवाद-लेनिनवाद  में विश्वास,

2. धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र में आस्था .

3.अलगाववादी और संप्रदायिक ताकतों की विरोधी,

4.  मजदूर वर्ग किसानों और गरीबों के हितैषी


6. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी -स्थापना -1999

चुनाव चिन्ह :

 सिद्धांत

 1. लोकतंत्र, गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता  में विश्वास ,

2. समता , सामाजिक न्याय और संघवाद में आस्था ,

3. भारत में जन्मे नागरिकों के लिए सरकार के प्रमुख पदों पर नियुक्ति

राष्ट्रीय राजनीतिक दल और उसके चुनाव चिन्ह

प्रांतीय दल 

आमतौर पर प्रांतीय दल को क्षेत्रीय दल भी कहा जाता है पर यह जरुरी नहीं है कि अपनी विचारधारा या नजरिये में ये पार्टियां क्षेत्रीय ही हो | इनमें कुछ अखिल भारतीय दल है पर उन्हें कुछ प्रान्तों में  ही सफलता मिल पाई है| जैसे- समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल |बीजू जनता दल, सिक्किम लोकतांत्रिक मोर्चा और मिजो नेशनल फ्रंट जैसे दल अपनी क्षेत्रीय पहचान को लेकर सचेत है|
    पिछले तीन दशकों से प्रांतीय दलों की संख्या और ताकत में वृद्वी हुई है | इससे भारतीय संसद विविधताओं से और भी ज्यादा सम्पन्न हुई है| 

प्रांतीय दल की मान्यता हेतु शर्त :

1. जब कोई पार्टी राज्य विधानसभा के चुनाव में  पड़े कुल मतों का 6 फीसदी या उससे अधिक हासिल करती  है |

2. तथा कम से कम उस विधानसभा के दो  सीटों  पर जीत दर्ज करती हो |





राजनीतिक दलों की चुनौतियां 

1. पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना |

2. वंशवाद की चुनौती 

3. चुनाव के समय धन और अपराधी तत्वों की घुसपैठ 

4. पार्टियों  के बीच विकल्पहीनता की स्थिति  

राजनीतिक दलों को कैसे सुधार जा सकता है ?

1. संविधान संशोधन द्वारा दल-बदल क़ानून लागू किया गया ताकि  विधायकों और एवं सांसदों के दल-बदल पर अंकुश लगाया जा सके |

2. उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने के लिए चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को सम्पति एवं अपराधी मामलों का ब्योरा एक शपथपत्र के मध्यम से देना अनिवार्य कर  दिया गया |

3. राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए क़ानून बनाया जाना चाहिए |

4. राजनीतिक दलों पर भी सूचना कानून का अधिकार लागू करना चाहिए |

5. प्रत्येक राजनीतिक दल महिलाओं को न्यूनतम एक तिहाई टिकट आरक्षित करें |

6.चुनाव का खर्च सरकार उठाए|

7.  राजनीतिक दलों पर जनसामान्य, दबाब समूह ,आन्दोलन और मीडिया डके माध्यम से दबाब बनाकर किया जा सकता है |

8. राजनीतिक दलों में सुधार की इच्छा रखने वालों का खुद राजनीतिक दलों में शामिल होना |


                                        समाप्त 








                                                                      



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M. PRASAD
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