खारवेल कौन था ?
कलिंग का चेदी राजवंश
* " चेदी " भारत की अत्यंत प्राचीन जाती थी |* छठी शताब्दी ई० पू० में चेदी महाजनपद विद्यमान था जिसमें सम्भवत: आधुनिक बुन्देलखण्ड तथा उसके समीपवर्ती प्रदेश शामिल थे |
* चेदी महाजनपद की राजधानी शक्तिमती ( चेतीय जातक के अनुसार सोत्थिवती ) थी |
* लगता है इसी चेदी वंश की एक शाखा कलिंग गयी और एक स्वतंत्र राजवंश की स्थापना की |
* कलिंग के चेदी राजवंश का संस्थापक महामेघवाहन था |
* चेदी राजवंश का सर्वाधिक शक्तिशाली राजा खारवेल हुआ |
* हाथिगुम्फा अभिलेख से खारवेल के बारे में जानकारी मिलती है |
खारवेल :
* हाथिगुम्फा अभिलेख से पता चलता है की खारवेल इस राजवंश का तीसरा शासक था |
* 15 वर्ष की आयु में युवराज बना और 24 वर्ष की आयु में राजा |
* उसका विवाह ललक हथ्थी सिंह नामक एक राजा की कन्या से हुआ था |
उपलब्धियां:
* राज्याभिषेक के प्रथम वर्ष कलिंग नगर का निर्माण कराया | इन कार्यों पर 5 लाख मुद्राएं खर्च की |
* दूसरे वर्ष खारवेल ने अपनी सेना पश्चिम की और भेजी जिसका सामना सातवाहन नरेश शातकर्णी प्रथम की सेना से हुई थी |यह एक झडप थी |
* तीसरे वर्ष खारवेल ने अपनी राजधानी में संगीत , वाद्य , नृत्य , नाटक आदि का उत्सव मनाया |
* चौथे वर्ष बरार के भोजकों तथा पूर्वी खानदेश और अहमदनगर के राथिकों के विरोद्व सैनिक अभियान किये |
* पाचवे वर्ष तन्सुली से एक नहर के जल को अपनी राजधानी लाया |
* छठे वर्ष एक लाख मुद्रा खर्च कर प्रजा को सुखी रखने के लिए प्रयास किये |
* 7वें वर्ष की जानकारी संदिग्ध है |
* 8वें वर्ष खारवेल ने उत्तर भारत की और सैनिक अभियान किये और गोरथागिरी ( बराबर जी पहाड़ियां ) को पार किया |
* नवें वर्ष उत्तर भारत की विजय के उपलक्ष्य में प्राची नगर के दोनों ओर" महाविजय प्रासाद " बनवाये |
* 10वे वर्ष पुन: उत्तर भारत पर आक्रमण किया परन्तु अपेक्षित सफलता नही मिली |
* 11 वें वर्ष में खारवेल दक्षिण भारत की ओर सैनिक अभियान किये और पांड्य राज्य तक जा पहुंचा |
* 12 वें वर्ष उत्तर और दक्षिण भारत दोनों ओर सैनिक अभियान किया |
मगध नरेश ( बहसतिमित्र ) पराजित हुआ और अधीनता स्वीकार किया |
दक्षिण भारत में पांड्य राज्य पर आक्रमण किया और अधीनता स्वीकार कर लिया |
13वें वर्ष खारवेल ने कुमारीपहाडी ( उदयगिरी -खांडागिरी ) पर जैन भिक्षुओं के निवास के निमित गुहाविहारों का निर्माण करवाया |
* खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था और उसने 13 वर्ष तक शासन किया |
* इतिहासकारों ने खारवेल का समय 49-37 ई० पू० निर्धारित किया है |
* हाथीगुम्फा अभिलेख एक प्रशस्ति के रूप में है जो उड़ीसा प्रांत के पुरी जिले में उदयगिरी -खंडगिरी पहाड़ी पर जैन भिक्षुओं के लिए बनवाई गयी थी |
* हाथीगुम्फा अभिलेख ब्राह्मी लिपि और प्राकृत भाषा में उत्कीर्ण है |
* इस लेख की खोज विशप स्टालिंग ने की थी | 1885 में भगवान लाल इंद्र ने इसका शुद्व वाचन किया और राजा खारवेल सही ढंग से पढ़ा गया |
खारवेल कौन था ?
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