Monday 2 November 2020

Sectors of Indian Economy: Economics (ncert)

 Sectors of Indian Economy: Economics  class 10

1. प्राथमिक क्षेत्रक : कृषि , खनन , पशुचारण, मत्स्यपालन, रेशमपालन आदि प्राथमिक क्षेत्रक के अंतर्गत आते है | प्राकृतिक संसाधनों के प्रत्यक्ष उपयोग पर आधारित गतिविधियों को प्राथमिक क्षेत्रक कहते है |

2.  द्वितीयक क्षेत्रक : प्राथमिक  क्षेत्रक के वस्तुओं के विनिर्माण प्रणाली के जरिये नए और भिन्न उत्पादों में परिवर्तन को द्वितीयक क्षेत्रक कहा जाता है | कल-कारखाने , बाँध, पुल  फर्नीचर , कपड़ा आदि इसके उदहारण  है |

3. तृतीयक क्षेत्रक  (सेवा क्षेत्रक ): प्राथमिक क्षेत्रक और द्वितीयक क्षेत्रक आधारित वस्तुओं को जनमानस तक जिस माध्यम तक पहुंचाया जाता है उसे तृतीयक क्षेत्रक या सेवा क्षेत्रक कहा जाता है| बैंकिंग, संचार, इंजीनियर , रेलवे, डाक्टर , शिक्षक , परिवहन आदि 

सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) : किसी देश का एक वर्ष के दौरान तीनों क्षेत्रकों में  उत्पादितअंतिम वस्स्तुओं और सेवाओं का मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है|


प्राथमिक , द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पादन में योगदान 


भारत में तृतीयक क्षेत्रक की महत्ता :
1. देश में बुनियादी सेवाओं का विस्तार हो रही है | जैसे अस्पताल , शैक्षिक संस्थाएं, डाक एवं तार सेवा, कचहरी, रक्षा, परिवहन,बैंकिंग, बीमा आदि 
2.  कृषि एवं उद्योग  के विकास से परिवाहन, व्यापार, भंडारण,संचार जैसी सेवाओं का विस्तार होता है |
3. जिससे -जैसे लोगों की आय बढ़ती है - सेवाओं की मांग भी बढ़ने लगती है |
4. विगत दशकों में सूचना और संचार  प्रौधोगिकी पर आधरित नवीन सेवाएं महत्वपूर्ण हो गयी है | 
5.  सकल घरेलू उत्पाद  में तृतीयक क्षेत्र एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है |

बेरोजगारी :
जब व्यक्ति को कार्य करने की योग्यता , क्षमता एवं इच्छा रहने के बावजूद काम नही मिलता,  वह  व्यक्ति बेरोजगार कहलाता  है और इस प्रवृति को बेरोजगारी कहते है |
बेरोजगारी दो प्रकार की होते है |
1. ग्रामीण बेरोजगारी 
2. शहरी  बेरोजगारी 

ग्रामीण बेरोजगारी  को भी दो भाग में वर्गीकृत कर सकते है 
1. मौसमी बेरोजगारी 
2. प्रच्छन्न बेरोजगारी 

मौसमी बेरोजगारी : ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को मौसम के आधार पर काम मिलता है , शेष दिन काम नहीं मिलता है , उसे मौसमी बेरोजगारी  कहा जाता है | जैसे - धान के फसल बोये एवं काटते समय काम मिलता है और शेष दिन काम नही मिलता |

प्रच्छन्न बेरोजगारी: प्रच्छन्न बेरोजगारी ने व्यक्ति काम करता हुआ दिखाई देता है , परन्तु वास्तव में वह बेरोजगार होता है | यदि उस व्यक्ति को उस काम से हटा भी दिया जाता है तो तय  समय में ही कार्य पूर्ण होगा |
उदाहरण के लिए - एक खेत एक परिवार के पांच व्यक्ति काम कर रहे है | यदि उसमें से दो व्यक्ति  के अनुपस्थिति भी रहते है तो वह काम तय समय पर ही पूर्ण होता है | अर्थात दो व्यक्ति जो काम करते हुए दिख रहा है , वह प्रच्छन्न बेरोजगारी  का कहलाता है | इसे छीपी हुई बेरोजगारी भी कहते है |
    यह बेरोजगारी ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में दिखाई देता है | देश के कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक प्रच्छन्न बेरोजगारी देखने को मिलती है |

 खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न बेरोजगारी में अंतर 

खुली बेरोजगारी 
1. इसमें व्यक्ति वर्तमान मजदूरी दर काम करने के लिए तैयार होता है , पर काम नहीं मिलता |
2. यह दृश्य बेरोजगारी होती है |

प्रच्छन्न बेरोजगारी 
1. इसमें व्यक्ति काम करता दिखाई देता है , लेकिन वास्तव में वह बेरोजगार होता है |
2. इस प्रकार की बेरोजगारी भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुतायत रूप में देखने को मिलती है | खासतौर से कृषि क्षेत्र में 
3. इसे छीपी हुई बेरोजगारी भी कहते है |

मनरेगा  ( महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी अधिनियम -2005)-
1. यह अधिनियम 2005 में आरम्भ के  200 जिलों में लागू किया गया |
2. 1 अप्रैल 2008 में शेष ग्रामीण क्षेत्रों में भी काम शुरू किया गया |
3. इस अधिनियम के अंतर्गत 100 दिनों का रोजगार मिलता है | यदि  सरकार व्यक्ति  को रोजगार उपलब्ध कराने में असफल होता है तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता मिलती है |
4. मनरेगा काम का अधिकार प्रदान करता है |

संगठित और असंगठित क्षेत्रक में अंतर :

संगठित क्षेत्रक :
1.  सरकार द्वारा पंजीकृत 
2. रोजगार की अवधि निमामित होती है 
3.सरकार के नियमों एवं विनियमों का अनुपालन करना होता है 
4. निश्चित समय पर वेतन एवं अन्य भत्ते तथा छुट्टियाँ मिलती है |
5. रोजगार सुरक्षा के लाभ प्राप्त होते है 

असंगठित क्षेत्रक :
1. यह क्षेत्रक छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों , जो अधिकांशत: सरकारी नियंत्रण से बाहर होती है , से निर्मित होता है 
2. इस क्षेत्रक के नियम एवं विनियम तो होते है परन्तु उनका अनुपालन नहीं होता है 
3. रोजगार नियमित नहीं होती है 
4. यहाँ अतिरिक्त समय में काम करने , सवेतन छुट्टी , अवकाश , बीमारी के कारण छुट्टी इत्यादि का कोई प्रावधान नहीं है 
5. रोजगार सुरक्षा नहीं है 

 स्वामित्व आधारित क्षेत्रक - सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक में अंतर 

सार्वजनिक  क्षेत्रक :
1.  अधिकाँश परिसम्पतियों पर सरकार का स्वामित्व होता है 
2. सरकार के नियंत्रण द्वारा संचालित होती है 
3. मूल्य उद्वेश्य - जनता का कल्याण करना होता है 
4. रेलवे, गेल,भेल,ओनजीसी , डाकघर आदि सार्वजनिक क्षेत्रक की स्वामित्व वाली कंपनी है

निजी क्षेत्रक :
1. परिसम्पतियों पर स्वामित्व एवं वितरण की जिम्मेदारी एकल व्यक्ति या कम्पनी के हाथों में होती है 
2.  मूल्य उद्वेश्य : अधिक लाभ अर्जित करना 
3. टिस्को,रिलांयस , एयरटेल , आदि इस क्षेत्रक के उदाहरण है |



No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share

Also Read

Navoday Vidyalaya Class VI result 2024 out

NAVODAYA VIDYALAYA SELECTION TEST CLASS VI -2024 RESULT OUT Navodaya Vidyalaya Samiti Delhi published result of Jawahar Navodaya Vidyal...