Wednesday 29 July 2020

भारत में राष्ट्रवाद वर्ग 10 भाग 3

भारत में राष्ट्रवाद 
परिचय 
* भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारण :
* चंपारण सत्याग्रह 
* खिलाफत और असहयोग आन्दोलन 
* सविनय अवज्ञा आन्दोलन 
* सामूहिक अपनेपन की भावना 
1922 से 1930 तक की राजनैतिक गतिविधियाँ 
स्वराज दल :
महात्मा गांधी द्वारा अचानक असहयोग आन्दोलन स्थगित कर देने के कारण एक राजनीतिक शून्यता आ गयी | निराशा के ऐसे वातावरण में मोती लाल नेहरू और चितरंजन दास ने स्वराज दल की स्थापना की |
* संस्थापक - मोतीलाल नेहरू, चितरंजन दास 
* स्थापना वर्ष - 1जनवरी 1923
* स्थान : इलाहाबाद 
* पार्टी अध्यक्ष : चितरंजन दास 
* उद्देश्य : स्वराज प्राप्त करना, प्रांतीय परिषदों के चुनाव में भाग लेकर ब्रिटिश नीतियों का विरोध करना, सुधारों की वकालत करना, अंगरेजी सरकार के कामों में अड़ंगा डालना |
स्वराज दल के कार्य :
* मान्तेग्यु-चेम्सफोर्ड अधिनियम(1919) के सुधारों की पुन: व्याख्या करना 
* नवीन संविधान बनाने के लिए भारतीय प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाना |
* राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की गई 
* सरकारी समारोह  व उत्सवों का बहिष्कार करना 
क्रांतिकारी आन्दोलन (नौजवान भारत सभा )
असहयोग आन्दोलन के अचानक स्थगित होने से और स्वराज दल के द्वारा भी कोई हल नही निकलने पर युवा वर्ग ने हिंसात्मक तरीकों से आजादी प्राप्त करने की कोशिश की | इन युवा वर्ग ने सशस्त्र तरीकों को अपनाया |
* 9अगस्त 1925 को कुछ युवकों ने लखनऊ के पास काकोरी में 8 डाउन ट्रेन को रोक लिया और रेल का सरकारी खजाना लूट लिया | इस घटना को "काकोरी काण्ड " कहा जाता है | क्रुद्व अंगरेजी सरकार ने  अशफाक उल्ला खान, रामप्रसाद बिस्मिल, रोशन सिंह और राजेन्द्र लाहिड़ी को फांसी दे दी | चंद्रशेखर आजाद फरार हो गए |
* 30अकूबर 1928 को लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन के दौरान लाला लाजपत राय पर लाठीचार्ज किया और बाद में उनकी मृत्यु हो गयी | लाठी बरसाने वाले पुलिस अधिकारी सांडर्स को 17दिसंबर 1928 को भगत सिंह, राजगुरु और चंद्रशेखर आजाद ने ह्त्या कर दी |
* भगत सिंह ने 1926 में "नौजवान भारत सभा" की स्थापना की | 
* भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने " पब्लिक सेफ्टी बिल " पास होने के विरोध में 8अप्रैल 1929को केन्द्रीय लेजिस्लेटिव असेम्बली में बम फेंका | भगत सिंह, राजगुरु और बटुकेश्वर दत को 23 मार्च 1931 को फांसी दे दी गयी |भगत सिंह एवं उनके अन्य साथियों की शहादत ने युवाओं में नवीन जोश भर दिया |

साइमन कमीशन :
* 1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि 10 वर्ष के बाद एक आयोग का गठन किया जाएगा जो यह देखेगा कि इस अधिनियम में क्या सुधार किया जा सकता है |
* ब्रिटिश सरकार ने 2 वर्ष पूर्व 1927में ही सर जान  साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जिसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे | इसे "गोरे कमीशन " भी कहा जाता है |
* 3 फरवरी 1928 को कमीशन बंबई पहुँचा | साइमन कमीशन जहाँ भी गया उसका विरोध किया गया | "साइमन गो बैक " का नारा दिया गया |

साइमन कमीशन की रिपोर्ट :
* द्वैधशासन  समाप्त कर दिया जाय 
* प्रांतीय स्वायतत्ता की स्थापना की जाय 
* प्रांतीय विधान परिषदों का विस्तार किया जाय 
* बर्मा को भारत से तथा सिंध को बंबई से पृथक कर दिया जाए 
* मताधिकार का विस्तार किया जाय परन्तु साम्प्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था समाप्त नही किया जाय 
साइमन कमीशन के इस सुझाव को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने विरोध किया| इसे रद्दी का कागज़ बताया |

नेहरू रिपोर्ट (1928)
साइमन कमीशन  के विरोध करने से क्षुब्ध भारत मंत्री लार्ड बरकेन हेड ने  भारतीयों को चुनौती दी कि उनमें आपसी मतभेद इतने है कि एक सर्वमान्य संविधान का निर्माण नहीं कर सकते | भारतीय राजनीतिज्ञों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और मोतीलाल नेहरु के नेतृत्व में रिपोर्ट तैयार किया गया |

प्रमुख सिफारिशों :
* भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान  किया जाय |
* प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाए 
* केन्द्रीय सरकार पूर्णरूप से उत्तरदायी हो, गर्वनर जनरल वैधानिक प्रमुख हो और संसदीय प्रणाली हो |
* संविधान की व्याख्या के लिए एक उच्चतम न्यायालय स्थापित हो |
ब्रिटिश सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया |

डोमिनियन स्टेट्स :
* कांग्रेस और मुस्लिम लीग, सभी पार्टियों ने साइमन कमीशन का विरोध कर रहा था |
* इस विरोध को शांत करने के लिए वायसराय लार्ड इरविन ने अक्टूबर 1929 में भारत के लिए "डोमिनियन स्टेट्स" का गोलमाल सा ऐलान किया और भावी संविधान के बारे में चर्चा के करने के लिए गोलमेज सम्मलेन का आयोजन करने का आश्वासन दिया |
* "डोमिनियन स्टेट्स " का तात्पर्य था की भारतीयों को  आंतरिक शासन का उत्तरदायित्व दिया जाएगा | अर्थात औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाएगा|
* कांग्रेस ने इस निर्णय को स्वीकार नहीं किया| 

पूर्ण स्वराज्य की मांग 
* दिसंबर 1929 में जवाहर लाल नेहरु की अध्यक्षता में रावी नदी के तट पर कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में "पूर्ण स्वराज " की मांग को स्वीकार किया गया | 


* यह भी तय किया गया कि 26 जनवरी 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाएगा और उस दिन पूर्ण स्वराज के लिए संघर्ष की शपथ लेंगे |

नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आन्दोलन :
11 सूत्री मांग :
गांधीजी नमक यात्रा आरम्भ करने से पहले 31 जनवरी 1930 को वायसराय लार्ड इरविन को एक खत लिखा जिसमें 11 मांगों का उल्लेख किया था तथा समझौता करने का प्रयास किया |
*  पूर्णरूपेन मदिरा प्रतिबंध हो 
* भूमि कर आधा किया जाय |
* विनिमय दर एक शिलिंग चार पेंस किया जाय 
* नमक कर समाप्त हो 
* सेना पर व्यय में  50% की कमी की जाय 
* बड़ी-बड़ी सरकारी नौकरियों का वेतन आधा किया जाय 
* विदेशी वस्त्रों के आयात पर रोक हो 
* भारतीय समुद्री तट केवल भारतीय जहाज़ों के लिए सुरक्षित रहे 
* राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाय 
* गुप्तचर पुलिस हटाया जाय या जनता का नियंत्रण हो 
* भारतीयों को भी आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति हो 
लार्ड इरविन ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया |

नमक यात्रा :
* गांधी जी ने 12मार्च 1930 को अपने 78अनुयायियों के साथ साबरमती आश्रम से दांडी तक 240किलोमीटर की दूरी 24 दिन तक हर रोज 10मिल का सफ़र तय करके 6 अप्रैल को दांडी पहुंचे|
* गांधी जी ने आह्वान किया कि लोग अंग्रेजों की शांतिपूर्वक अवज्ञा करे| 
* 6 अप्रैल को समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया| यह क़ानून का उल्लंघन था और यहीं से सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू होता है|


सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कार्यक्रम :
1. हर स्थान पर नमक क़ानून तोड़ना |
2. शराब की पिकेटिंग करना |
3. सरकारी संस्थाओं का त्याग करना 
4. सरकार को कर नही देना 
5. विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाये|

घटनाएं :
* लोगों को औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने का आह्वान किया जाने लगा|
* देश के विभिन्न भागों में लोगों ने नमक क़ानून तोड़ा 
* सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए|
* विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया जाने लगा|
* शराब की दुकानों की पिकेटिंग होने लगी|
* गावों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे|
* जंगलों में रहनेवाले वन कानूनों का उल्लंघन करने लगे , वे लकड़ी बीनने और मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में घुसने लगे|

    ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार कांग्रेसी नेताओं को गिरफ्तार करने लगी| 4मई 1930 को गांधीजी को गिरफ्तार कर लिया| इसके विरोध में श्लापुर के औद्योगिक मजदूरों ने पुलिस चौकियों, नगरपालिका भवनों, अदालतों और रेलवे स्टेशनों पर हमले शुरू कर दिए|  सरकार ने दमन नीति अपनाई| शांतिपूर्ण सत्याग्रहियों पर हमले किए गए, औरतों व बच्चों को मारा-पिटा गया और लगभग एक लाख लोग गिरफ्तार किए गए|

 

No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share

Also Read

Navoday Vidyalaya Class VI result 2024 out

NAVODAYA VIDYALAYA SELECTION TEST CLASS VI -2024 RESULT OUT Navodaya Vidyalaya Samiti Delhi published result of Jawahar Navodaya Vidyal...