Saturday, 20 June 2020

यात्रियों के नजरिए: वर्ग 12 पाठ 5 भाग 4

यात्रियों  के नजरिए 
समाज के बारे में उनकी समझ 
(लगभग दसवीं से सत्रहवीं सदी तक )

मुगलकालीन राजकीय कारखाने 
 बर्नियर राजकीय कारखाने के बारे में लिखता है - 
        कई स्थानों पर बड़े  कक्ष दिखाई देते है ; जिन्हें काराखाना अथवा शिल्पकारों की कार्यशाला कहते है | एक कक्ष में कशीदाकार एक मास्टर निरीक्षण में व्यवस्ता से कार्यरत रहते है | एक अन्य में आप सुनारों को देखते है; तीसरें में चित्रकार; चौथे में प्र्लाक्षा रस का रोगन लगाने वाले; पांचवे में बढई , खरादी, दरजी तथा जूते बनाने वाले; छठे में रेशम,जरी तथा महीन मलमल का काम करने वाले ..
        शिल्पकार अपने कारखानों में हर रोज सुबह आते है जहां वे पूरे दिन कार्यरत रहते है; और शाम को अपने -अपने घर चले जाते है | इसी निश्चेष्ट नियमित ढंग से उनका समय बीतता जाता है ; कोई भी जीवन की उन स्थितियों में सुधार करने का इच्छुक नहीं है जिनमें वह पैदा हुआ था |

महिलाएं : दासियाँ, सती तथा श्रमिक 
इब्नबतूता और दास 
* भारत में प्रचलित दास प्रथा का वर्णन विभिन्न विदेशी यात्रियों ने किया है |
* दिल्ली सल्लतनत के आरम्भिक वंश दास वंश के सभी सुलतान पूर्व में दास रह चुके थे |
* बाजारों में दास किसी भी अन्य वस्तु की तरह खुले-आम बेचे जाते थे और नियमित रूप से भेंटस्वरूप दी जाते थी |
* इब्नबतूता लिखता है -  जब वह सिंध पहुँचा हो उसने सुलतान मुहम्मद बिन तुगलक के लिए भेंटस्वरूप "घोड़े,ऊंट तथा दास" खरीदे | जब वह मुल्तान पहुँचा तो उसने गवर्नर को "किशमिश " के बादाम के साथ एक दास और घोड़ा " भेंट के रूप में दिए | इब्नबतूता बताता है की मुहम्मद बिन तुगलक नसीरूद्वीन नामक धर्मोपदेशक के प्रवचन से इतना प्रसन्न हुआ की उसे "एक लाख टके तथा दो सौ दास" दे दिए |
*  इब्नबतूता बताता है की सुल्तान की सेवा में कार्यरत दासियाँ संगीत और गायन में निपुण थी, और इब्नबतूता सुलतान की बहन की शादे के अवसर पर उनके प्रदर्शन से खूब आनन्दित हुआ |
* सुल्तान अपने अमीरों पर नजर रखने के लिए दासियों को भी नियुक्त करता था |
इब्नबतूता  कहता है : 
        यह सम्राट की आदत है ..... हर बड़े या छोटे अमीर के साथ अपने दाशों में से एक को रखने की, जो उसके अमीरों की मुखबिरी करता है | वह महिला सफाई कर्मचारियों को भी नियुक्त करता  जो बिना बताए  में दाखिल हो जाती है ; और दासियों के पास जो भी जानकारी होती है , वे उन्हें दे देती है |
        अधिकाँश दासियों को हमलों और अभियानों के दौरान बलपूर्वक प्राप्त किया जाता था |


बर्नियर और सती प्रथा 
  बर्नियर के व्रतांत के सबसे मार्मिक विवरणों में से एक 
लाहौर में मैंने एक बहुत ही सुन्दर अल्पवयस्क विधवा जिसकी  आयु मेरे विचार से 12 वर्ष से अधिक नही थी , की बलि होते हुए देखी |  उसे भयानक नर्क की और जाते हुए वह असहाय छोटी बच्ची जीवित से अधिक मृत प्रतीत हो रही थे ; उसके मष्तिष्क की व्यथा का वर्णन नही किया जा सकता ; वह कांपते हुए बुरी तरह से रो रही थी; लेकिन तीन या चार ब्राह्मण, एक बूढ़ी  औरत, जिसने उसे अपनी आस्तीन के नीचे दबाया हुआ था, की सहायता से उस अनिच्छुक पीडिता को जबरन घातक स्थल की ओर  ले गए, उसे लकड़ियों पर बैठाया, उसके हाथ और पैर बाँध दिए ताकि वह भाग न जाए और इस स्थिति में उस मासूम प्राणी को ज़िंदा जला दिया गया | मई अपनी भावनाओं को दबाने में और उनके कोलाहलपूर्ण तथा व्यर्थ के क्रोध को बाहर आने से रोकने में असमर्थ था ..........

* सामान्यत: महिलाएं घर के काम के अलावा कृषि कार्य में भी शामिल होती थी |  व्यापारिक परिवारों से आने वाली महिलाएं व्यपारिक गतिविधियों में भी शामिल होती  थी |

भारत में आने वाले प्रमुख विदेशी यात्री 
 क्रम सं.  विदेशी यात्री        देश  भ्रमण काल                यात्रा वृतांत 
 1. मेगास्थनीजयूनान   305-297ई.पू. इंडिका   
 2. फाह्यान चीन   399-414ई. फाह्यान की यात्राएं  
 3. ह्वेनसांग  चीन  629-644ई.  सीयुकी 
 4. अल-बिरूनी  उज्बेकिस्तान   1024-1030ई.  तहकीक-ए-हिन्द 
 5. मार्क पोलो  इटली  1292-1293 ई. मार्क पोलो की यात्राएं  
 6.इब्नबतूता मोरक्को  1333-1342 ई.  रेहला  
 7. निकोली कोंटीइटली  1420-1472 ई.   -
 8.अब्दुर्रज्जाक   ईरान  1441-1442ई.  मतालसादेन 
 9.अफनासी निकेतन  रूस  1466-1472 ई.   तीन समुद्रों पार की यात्रा 
 10.एडूअर्ड़ो बारबोसा पुर्तगाल  1516-1518 ई.  द बुक आफ डूराते बारबोसा 
 11. डेमिंगोस  पेईजपुर्तगाल   1520-1522ई.  डेमीगोस की कथा 
 12. फर्नाओ नूनीज  पुर्तगाल 1535-1537 ई.  क्रोनिकल आफ फर्नास  
 13.        पीटर मुंदी   इटली  1630-1634 ई.  -
 14. टेवर्नियर  फ्रांस  1641-1687  ई.  टेवर्नियर की यात्रा वृतांत 
 15. निकोली मनुची  इटली  1656-1717 ई.  सटोरियों द मोगोर 
 16. फ्रांस्वा बर्नियर  फ्रांस  1658-1668 ई.  ट्रेवल्स इन द मुग़ल एम्पायर 
 17. लिविदेव  रूस  1785-1797 ई.  हिन्दुस्तानी ग्रामर 


                            समाप्त

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