परिचय
* विकास की अवधारणा क्या है ?
* विकास हमारा किस प्रकार की हो ?
* हमें किन वस्तुओं की आवश्यकता है ?
* किसी देश का विकास कैसा होना चाहिए

विकास क्या वादा करता है -विभिन्न व्यक्ति , विभिन्न लक्ष्य
प्रत्येक व्यक्ति के लिए विकास के मायने
अलग -अलग होते है |
उदहारण से स्पष्ट करते है -
* भूमिहीन ग्रामीण मजदूर के लिए विकास के मायने क्या हो सकते है -
- जमीन का टूकडा मिल जाए ताकि खेती कर सके
- बेहतर मजदूरी प्राप्त हो
- बच्चे को अच्छी शिक्षा प्राप्त हो
- सामाजिक भेदभाव् ना हो
* गरीब किसान के विकास के मायने क्या हो सकते हो -
- सिचाई की सुविधा प्राप्त हो ताकि वर्षा पर निर्भर ना रहे
- फसल का अच्छा मूल्य प्राप्त हो
- खेती के लिए अधिक जमीन का टुकड़ा उपलब्ध हो
- बच्चों के लिए अच्छी शैक्षणिक वातावरण मिले
* पंजाब के समृद्व किसान के लिए विकास के क्या मायने हो सकते है -
- फसल के लिए उच्च समर्थन मूल्य
- मेहनती और सस्ते मजदूर
- उन्नत किस्म के बीज और उर्वरक का सस्ते मूल्य पर उपलब्ध
- उच्च पारिवारिक आय सुनिचित करना
* शहर के अमीर परिवार की एक लडकी के लिए विकास के मायने -
- अपने भाई की तरह आजादी
- फैसले खुद लेने की आजादी
- विदेश में शिक्षा ग्रहण कर सके
उपर्युक्त उदाहरण से स्पष्ट है की सभी लोगों के लिए अलग अलग विकास के मायने है |कभी -कभी दो लोगों के लिए विकास एक दूसरे के लिए परस्पर विरोधी भी हो सकते है |
अधिक बिजली पाने के लिए उद्योगपति ज्यादा बाँध चाहते है | लेकिन जहां नदियों पर बाँध बनाकर बिजली उत्पादन होगा वहां के रहनेवाले लोग बेघर हो सकते है , जमीन जलमग्न हो सकती है | इन लोगों के लिए विनाश है |
निष्कर्ष : - 1. अलग-अलग लोगों के लिए विकास के लक्ष्य भिन्न हो सकते है | 2. एक लिए जो विकास है वह दूसरे के लिए विनाशकारी हो सकता है |
आय और अन्य लक्ष्य :
सामान्यत: लोगों की अवधारणा होती है की यदि व्यक्ति का विकास का लक्ष्य उसके आय पर निर्भर करता है | परन्तु आय के अतिरिक्त अन्य लक्ष्य भी है जो विकास के लिए महत्वपूर्ण है -
- स्वतंत्रता ,
- बराबरी का व्यवहार ,
- दूसरों के लिए आदर इत्यादि|
एक उदाहरण से समझते है - यदि एक महिला वेतनभोगी (नौकरी ) कार्य करती है तो घर और समाज में उनका आदर-सम्मान बढ़ता है | सुरक्षित और संरक्षित वातावरण महिलाओं को नौकरी और व्यापार करने की बेहतर माहौल प्रदान करती है | अत: आय के साथ साथ अन्य चीजे भी विकास के लिए महत्वपूर्ण है |
विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना :
लोगों के लक्ष्य भिन्न है , तो उनकी राष्ट्रीय विकास के बारे में धारणा भी भिन्न होगी | हो सकता है की धारणाएं दोनों की परस्पर विरोधी भी हो |
आमतौर पर विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना उस देश या राज्य की आय से करते है | जैसे हम विद्यालय में छात्रों की तुलना उसके शैक्षणिक प्रदर्शन से करते है | पर यह मूल्यांकन सही है ?
मान लीजिये एक छात्र पढ़ने में अच्छा है और हमेशा अव्वल आता है | परन्तु खेल-कूद में नीरस रहता है| एक छात्र पढने में अच्छा नही है परन्तु खेल-कूद में बेहतर है , एक छात्र चित्रकारी में बहुत अच्छा है , एक छात्र गायन-वादन में बहुत अच्छा है | ऐसे में इन छात्रों का मूल्यांकन सिर्फ शैक्षणिक स्तर पर हो , उचित नही | इनकी तुलना अलग-अलग मापदंड पर आधारित होना चाहिए |
देशों की तुलना के लिए आय एक विशिष्ट कारक है | जिसे देश की आय अधिक होती है उसे विकसित समझा जाता है | आय इस अवधारणा पर आधारित है की व्यक्ति अपनी मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ती आय के द्वारा प्राप्त कर लेगा |
किसी देश की आय उस देश के सभी निवासियों की आय होती है | देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है | इसलिए औसत आय के आधार पर तुलना की जाती है |
औसत आय या प्रतिव्यक्ति आय : किसी देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है |
विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार , वे देश जिनकी 2017 में प्रतिव्यक्ति आय US $12,056 प्रतिवर्ष या उससे अधिक है तो समृद्व देश माना जाएगा | वे देश जिनकी प्रतिव्यक्ति आय US $ 995 प्रति वर्ष या उससे कम है , उसे निम्न आय वाला देश कहा गया |
भारत मध्य आय वाला देश में गिना जाता है , इसकी प्रतिव्यक्ति आय 2017 में US $ 1820 था |
राज्यों की तुलना उसके आय एवं अन्य मापदंड के द्वारा :
राज्यों की तुलना एक आंकड़ों के द्वारा कर सकते है | इस आकंड़ों से यह देखेंगे की क्या आय एकमात्र मापदंड है विकास की तुलना का या अन्य मापदंड भी जरुरी है |
राज्यों की प्रतिव्यक्ति आय (2015-2016 के लिए प्रति व्यक्ति आय (रूपयों में )
हरियाणा - 1,62,034
केरल - 1,40,190
बिहार - 31,454
हरियाणा ,केरल और बिहार के कुछ तुलनात्मक आंकड़े
राज्य - शिशु मृत्यु दर - साक्षरता दर%(2011)- निवल उपस्थिति अनुपात
प्रति 1,000 व्यक्ति (2016) (प्रति 100 व्यक्ति ) उच्चतर (आयु 14 तथा 15वर्ष )2013-14
हरियाणा - 33 - 82 - 61
केरल - 10 - 94 - 83
बिहार - 38 - 62 - 43
आकंड़ों से यह साबित होता है कि हरियाणा राज्य की प्रतिव्यक्ति आय अधिक है, किन्तु शिशु मृत्यु दर एवं निवल उपस्थिति अनु[पात केरल राज्य की अपेक्षा अधिक है |इसलिए सिर्फ आय के आधार पर हरियाणा को विकसित राज्य कहना क्या उचित होगा ?
* शिशु मृत्यु दर - किसी वर्ष में पैदा हुए 1,000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों के अनुपात दिखाती है |
* साक्षरता दर : 7 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में साक्षर जनसंख्या का अनुपात |
* निवल उपस्थिति अनुपात : 14 तथा 15 वर्ष की आयु के स्कूल जाने वाले कुल बच्चों का उस आयु -वर्ग के कुल बच्चों के साथ प्रतिशत
सार्वजनिक सुविधाएं :
यह आवश्यक नही कि जेब में रखा रूपया वे सब वस्तुएं और सेवाएं खरीद सके , जिनकी आपको एक बेहतर जीवन के लिए आवश्यकता हो सकती है | उदाहरण के लिए , पैसे से प्रदूषण मुक्त वातारण नहीं खरीद सकता या बिना मिलावट की दवाएं नही मिल सकती , संक्रामक बीमारियों से बच नही सकते |
अत: जरुरी है की सार्वजनिक सुविधाएं व्यक्ति और समुदाय को बेहतर कर सकती है |
शरीर द्रव्यमान सूचकांक (BMI): व्यक्ति के शरीर का उचित पोषण की जानकारी जिस वैज्ञानिक तरीके से प्राप्त करते है उसे शरीर द्रव्यमान सूचकांक -(Body Mass Index) कहा जाता है | इसके लिए व्यक्ति का वजन (किलोग्राम में ) उसके लम्बाई (सेंटीमीटर में ) के वर्ग से भाग देने पर जो भागफल प्राप्त होता है , उसका BMI
कहलाता है |
सामान्य भारित व्यक्ति - 18.5-24.9
अति भारित व्यक्ति - 25.0-29.9
अल्प भारित व्यक्ति - <18.5
मोटापा - - 30 से अधिक
मानव विकास रिपोर्ट : UNDP द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट देशों की तुलना लोगों के शैक्षिक स्तर , उनकी स्वास्थ्य स्थिति और प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करती है |
भारत और पड़ोसी देशों की मानव विकास सूचकांक (2016 के अनुसार )
भारत -130
श्रीलंका - 76
म्यांमार - 148
पाकिस्तान - 150
नेपाल - 149
बंगलादेश -136
विकास की धारणीयता :
विश्व के सभी देश अपनी आय और जीवन स्तर को ऊँचा रखने के लिए प्रकृति को शोषण कर रहे है | वैज्ञानिकों का मानना है की विकास की वर्तमान प्रकार इसी तरह जारी रहा तो आने वाले वर्षों मे प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो जायेंगें और भविष्य में आने वाली पीढी इन संसाधनों से वंचित हो जायेगी |
विकास की इस धारणीयता में बदलाव जरुरी है | हमें विकास के साथ प्रकृति का संतुलन भी बनाये रखना होगा | संसाधनों का उपयोग नियोजित तरीकों से करना होगा तथा अनवीकरणीय संसाधनों का वैकल्पिक इस्तेमाल पर जोर देना होगा | इसके लिए वैज्ञानिक ,अर्थशास्त्री ,दार्शनिक और अन्य सामाजिक वैज्ञानिक मिल-जोल कर काम कर रहे है |
समाप्त
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