Sunday 25 July 2021

Agriculture : Ncert Notes and Solutions

Agriculture : Ncert Notes and Solutions

परिचय

कृषि क्या है ?

कृषि के प्राथमिक क्रिया है जो हमारे लिए खाद्यान्न उत्पन्न करती है और विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चा माल पैदा करती है |

कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है |

देश की दो-तिहाई जनसंख्या कृषि पर आश्रित है |

देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान 18% है |


कृषि के प्रकार


प्रारम्भिक जीविका निर्वाह कृषि

•भूमि के छोटे टुकड़ों पर आदिम औजारों से खेती

•मानसून , मृदा की प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भरता

•किसान जमीन के टुकडे साफ करके अपने परिवार के भरण पोषण
के लिए अनाज का उत्पादन

•भूमि की उर्वरता कम होने पर अन्य स्थान की जमीन पर खेती आरम्भ करना

•इसे कर्तन दहन प्रणाली (slash and burn)/ झूम की खेती भी कहा जाता है

•कर्तन दहन प्रणाली के अन्य नाम

•उत्तर –पूर्वी राज्य –झूम , 

मणिपुर- पामलू, 

छतीसगढ़/ अंदमान निकोबार – दीपा , 

मध्य प्रदेश – बेबर/दहिया , 

आंध्रप्रदेश –पेंडा, 

ओड़िसा-कोमान, 


पश्चिमी घाट- कुमारी , 

झारखंड – कुरुवा

• विश्व के अन्य भाग में 

मध्य अमेरिका –मिल्पा , 

ब्राजील –रोको,

इंडोनेशिया-लादांग आदि |




गहन जीविका कृषि

•इस प्रकार की कृषि उन क्षेत्रों में की जाती है भूमि पर जनसंख्या का दबाब अधिक होता है |

•अनाजों के अधिक उत्पादन हेतु आधुनिक तकनीकों की सहायता ली जाती है |- कृषि यंत्र ,सिंचाई , कीटनाशक दवाइयां , रासायनिक उर्वरक आदि


•जोतो के आकार छोटा होने के कारण अधिकतम पैदावार उत्पन्न करने का प्रयास



वाणिज्यिक कृषि


•इस प्रकार की कृषि के मुख्य उद्वेश्य आधुनिक निवेशों जैसे अधिक पैदावार देने वाले बीजों , रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग से उच्च पैदावार पैदा करना और अधिक आय प्राप्त करना |


•हरियाणा और पंजाब में चावल वाणिज्य की फसल है परन्तु उड़ीसा और झारखण्ड में एक जीविका फसल है



रोपण कृषि

•रोपण कृषि भी एक प्रकार की वाणिज्यिक कृषि है |


•इस प्रकार की खेती लम्बे-चौड़े क्षेत्र में एकल फसल बोई जाती है |

•अत्याधिक पूंजी और श्रम की सहायता ली जाती है |


•रोपण कृषि का उत्पादन उद्योग में कच्चे माल के रूप प्रयोग होता है |


•भारत में चाय,कॉफी,रबड़,केला, कपास,पटसन,ईख

शस्य प्रारूप -अनेक फसलों के क्षेत्रीय वितरण एवं मौसम के आधार से बने प्रारूप को शस्य प्रारूप कहते हैं।


भारत में तीन शस्य ऋतुएँ है – रबी , खरीफ और जायद

•रबी फसल :

•बुआई- अक्टूबर –दिसम्बर


•कटाई- अप्रैल –जून


•फसल-गेहूं,जौ,मटर,चना,सरसों 



खरीफ फसल –

. बुआई –मानसून के आगमन के साथ 

. कटाई – सितम्बर –अक्टूबर

. फसल-धान,मक्का,ज्वार,बाजरा,अरहर,मूंग,उडद,कपास,सोयाबीन, मूंगफली


जायद फसल-रबी फसल और खरीफ फसल ऋतुओं के बीच ग्रीष्म ऋतू में बोई जाने वाली फसल |

- तरबूज ,खरबूज ,खीरा ,ककडी,सब्जियां , चारे की फसल



चावल की भौगोलिक विशेषताएं 

•मृदा – जलोढ़ मृदा

•तापमान – 25 डिग्री सेल्सियस

•वार्षिक वर्षा – 100 cm से ऊपर, कम वर्षा वाले क्षेत्रों में सिंचाई की जरुरत

•समय – रोपाई - जून-जुलाई

कटाई – सितम्बर –अक्टूबर

* शस्य फसल – खरीफ

•उत्पादक राज्य – पंजाब , हरियाणा , उत्तर प्रदेश बिहार ,प.बंगाल,तमिलनाडू

* उत्पादक देश – चीन , भारत


गेहूं

•मृदा – जलोढ़ मृदा ,काली मृदा

•तापमान – 15 - 21 डिग्री सेल्सियस

•वार्षिक वर्षा – 50 से 75 सेमी

•समय - बुनाई – अक्टूबर-नवम्बर

कटाई – फरवरी –मार्च

•शस्य फसल – रबी फसल

•उत्पादक राज्य – पंजाब,हरियाणा ,उत्तरप्रदेश,राजस्थान,बिहार,म.प्र.

•उत्पादक देश – पाकिस्तान,कनाडा, अमेरिका,आस्ट्रेलिया, भारत



मोटे अनाज – ज्वार, बाजरा और रागी

•मृदा(बाजरा)- बलुआ,उथली काली मृदा

•मृदा(रागी)- लाल,बलुआ,दोमट,काली

•तापमान – 25 डिग्री सेल्सियस

•वर्षा – 25-75 सेमी

•समय – रोपाई - जून-जुलाई

कटाई – सितम्बर –अक्टूबर

•शस्य फसल – खरीफ

•उत्पादक राज्य (बाजरा)- महाराष्ट्र,उ.प्र.

राजस्थान,गुजरात ,हरियाणा

* उत्पादक राज्य(रागी)-कर्नाटक,हिमाचलप्रदेश,उत्तराखंड, झारखण्ड,सिक्किम

* पोषक तत्व(रागी)-लोहा,कैल्सियम,सूक्षमपोषक,भूसी



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मक्का

•मृदा – जलोढ़ मृदा

•तापमान – 21 - 27 डिग्री सेल्सियस

•वार्षिक वर्षा– 50 से 100 सेमी

•समय- बुनाई– जून-जूलाई

कटाई – सितम्बर अक्टूबर

•शस्य फसल– खरीफ/रबी

•उत्पादक राज्य– कर्नाटक,मध्यप्रदेश, बिहार ,आंध्रप्रदेश , उत्तरप्रदेश

गन्ना

•मृदा – जलोढ़ मृदा,काली मृदा

•तापमान – 21 - 27 डिग्री सेल्सियस

•वार्षिक वर्षा– 75 से 100 सेमी

•समय- उत्तर भारत – जनवरी –मार्च

महाराष्ट्र – जूलाई

•फसल- एक वर्षीय फसल

•उत्पादक राज्य– महाराष्ट्र,कर्नाटक,पंजाब , बिहार ,आंध्रप्रदेश , उत्तरप्रदेश

उत्पादक देश – ब्राजील , भारत

उद्योग – चीनी उद्योग के लिए कच्चा माल


नोट : गन्ना एक उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय फसल दलहन

दलहन : 

भारत विश्व में सबसे बड़ा उत्पादक देश है |

• शाकाहारी भोजन में दालें सबसे अधिक प्रोटीनदायक है |

• दालें (चना,मसूर, उड़द, मूंग,मटर)रबी फसल है, अरहर को छोड़कर

• फलीदार फसल ( अरहर को छोड़कर) होने के कारण दालें वायु से नाइट्रोजन लेकर भूमि की उर्वरता को बनाए रखती है |

•मृदा : जलोढ़, काली, दोमट

•तापमान-15-25 डिग्री सेल्सियस

•वर्षा – 50-75 सेमी.

•उत्पादक राज्य – मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक, महाराष्ट्र

तिलहन

•प्रमुख तथ्य

•देश में कुल बोए गए क्षेत्र के 12% भाग पर तिलहन की फसलें उगाई जाती है |

•प्रमुख तिलहन खरीफ फसल – मूंगफली, तिल (उतर भारत)

•रबी फसल – सरसों, अलसी, तिल (दक्षिण भारत)

•अरंडी (रबी और खरीफ दोनों ऋतुओं में बोया जाता है |

•उपयोग : खाना बनाने में , साबुन,प्रसाधन और उबटन उद्योग में

उत्पादक राज्य :

सोयाबीन- मध्यप्रदेश

मूंगफली – गुजरात,राजस्थान,तमिलनाडू,महाराष्ट्र

चाय

•चाय एक रोपण कृषि है तथा महत्वपूर्ण पेय पदार्थ है| चाय अंग्रेजों ने चीन से भारत में लाया |

•जलवायु : उष्ण और उपोष्ण कटिबन्धीय जलवायु, ह्यूमस और जीवांश युक्त गहरी मिट्टी तथा सुगम जल निकास वाले ढालवा क्षेत्रों में, कोष्ण, नम और पालारहित जलवायु

•श्रम एवं पूंजी प्रधान फसल

•मृदा – लेटाराईट मृदा

•वर्षा – 200सेमी से ऊपर

•तापमान – 18-30 डिग्री सेल्सियस

•भूमि- ढालू

•उत्पादक राज्य : असम,उत्तराखंड, प.बंगाल, तमिलनाडु, केरल,मेघालय.आंध्रप्रदेश,

•उत्पादक देश – चीन, भारत, श्रीलंका


कहवा खेती के लिए भौगोलिक दशाएं :

मृदा : लेटाराईट मृदा

तापमान : 15 -28 डिग्री सेल्सियस

वर्षा : 200 सेंटीमीटर से ऊपर

जलवायु : उष्ण और नम पालारहित जलवायु , ढालवां क्षेत्र




महत्वपूर्ण तथ्य :

* भारतीय कॉफी अपनी उत्तम गुणवता के लिए प्रसिद्व है |

* देश में अरेबिका किस्म की कॉफी पैदा की जाती है जो आरम्भ में यमन से लाई गयी थी |

उत्पादक राज्य : कर्नाटक की बाबा बूदन की पहाड़ियां , केरल , तामिलनाडू

बागबानी फसलें :

* सन 2015 में भारत का विश्व में फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में चीन के बाद दूसरा स्थान था |

* भारत में उष्ण और शीतोष्ण कटिबंधीय दोनों ही प्रकार के फलों का उत्पादक है |



कुछ महत्वपूर्ण फलों के उत्पादक राज्य :

* आम : महाराष्ट्र , उत्तरप्रदेश , बिहार , आंध्रप्रदेश , तेलंगाना , पश्चिम बंगाल

* संतरा : महाराष्ट्र (नागपुर ) और मेघालय (चेरापूंजी )

* केला : केरल, तमिलनाडू , मिजोरम, महाराष्ट्र , बिहार

* लीची : बिहार , उत्तरप्रदेश
 
* अन्नास : मेघालय

* अंगूर: आंध्रप्रदेश , तेलंगाना और महाराष्ट्र

* सेव, नाशपाती ,खूबानी , अखरोट : हिमाचल प्रदेश , जम्मू व् काश्मीर

भारत का सब्जी मटर, फूलगोभी,प्याज, बंदगोभी , टमाटर , बैंगन और आलू उत्पादन में प्रमुख स्थान है |



अखाद्य फसलें :

रबड़:

मृदा : लेटाराईट मृदा

तापमान : 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान वाली नाम और आर्द्र जलवायु

वर्षा : 200 सेंटीमीटर से ऊपर

नोट: रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है परन्तु विशेष परिस्थितियों में उष्ण और उपोष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जाती है 
|

उत्पादक राज्य : केरल, तमिलनाडू , कर्नाटक , अंडमान निकोबार , मेघालय (गारो पहाड़ियां)

उद्योग : रबर उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में


रेशेदार फसलें :


भारत में चार मुख्य रेशेदार फसलें उगाई जाती है। जिनमें प्रमुख है - कपास , जूट, सन और रेशम

* कपास, जूट और सन मिट्टी में उगने वाली फसलें है जबकि मलबरी के हरी पत्तियों पर पलनेवाले रेशम के कीड़े से कोकून प्राप्त होता है जिससे प्राकृतिक रेशम प्राप्त होता है ।

* रेशम उत्पादन के लिए रेशम के कीड़ों का पालन करना " रेशम पालन (Sericulture)" कहा जाता है ।


कपास :

मृदा : काली मृदा

तापमान : 21-30 डिग्री सेल्सियस

वर्षा : 50-100 cm

जलवायु : 210 दिन पालरहित मौसम, खिली धुप

फसल : खरीफ फसल

समय : फसल तैयार होने में 6 से 8 महीने लगते है |

उत्पादक राज्य : महाराष्ट्र , गुजरात ,मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश , तेलंगाना , तमिलनाडु , पंजाब , उत्तरप्रदेश

उद्योग: सूती वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल के रूप में उपयोग

नोट: कपास उत्पादन में भारत का विश्व में तृतीय स्थान






जूट (सुनहरा रेशा ):

मृदा : जलोढ़ मृदा

तापमान : 25 डिग्री सेल्सियस

वर्षा : 150 सेंटीमीटर से ऊपर

उत्पादक राज्य : प. बंगाल, बिहार,असम, उड़ीसा, मेघालय

उपयोग: बोरियां , चटाई,रस्सी , तन्तु, धागे, गलीचे आदि

जूट उद्योग की समस्याएं :

* उच्च लागत

* कृत्रिम रेशों की अधिक मांग




प्रौधोगिकीय और संस्थागत सुधार :

भारतीय कृषि की प्रमुख समस्याएं :

* प्राचीन पद्वति के अनुसार कृषिगत कार्य

* देश के बड़े भाग में खेती वर्षा और प्राकृतिक उर्वरता पर निर्भर


* देश का 60% जनसंख्या आजीविका के लिए खेती पर निर्भर

* जोतों का छोटा आकर आधुनिक खेती में बाधक

* देश के अधिकांश क्षेत्र में आधुनिक कृषि यंत्रों के प्रयोग का अभाव
* कृषि में पूंजी निवेश की कमी

* सरकार द्वारा कृषि में सहायिकी कम करने से उत्पादन लागत में बढ़ोतरी

* भारतीय किसान को अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा का सामना




कृषि में प्रौधोगिकीय और संस्थागत सुधार :

* आधुनिक कृषि यंत्रो के प्रयोग पर जोर

* सिचाई सुविधाओं का विस्तार पर जोर

* उन्नत बीज का प्रयोग

* रासायनिक उर्वरको का इस्तेमाल पर जोर


कृषि में संस्थागत सुधार :


* आजादी के बाद जमींदारी प्रथा का उन्मूलन

* जोतों की चकबंदी पर जोर

* पैकेज टेक्नोलॉजी पर आधारित हरित क्रान्ति (Green Revolution) तथा श्वेत क्रान्ति (Operation flood) आरम्भ 

की गयी |

* सूखा , बाढ, चक्रवात , आग और बीमारी के लिए फसल बीमा योजना का प्रावधान

* किसानों को कम दर पर ऋण सुविधाएं प्रदान करने हेतु सहकारी समितियां और बैंको की स्थापना

* किसानों के लाभ के लिए भारत सरकार ने " किसान क्रेडिट कार्ड और व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना (PAIS)" 
 भी शुरू की गयी |

* दूरदर्शन पर किसानों के लिए मौसम की जानकारी और कृषि कार्यक्रम प्रसारित किए जाते है |

* किसानों को दलालों और बिचौलियों के शोषण से बचाने के लिए " न्यूनतम सहायता मूल्य " की सरकार द्वारा 
घोषणा

* भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् व् कृषि विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी |

* पशु चिकित्सा सेवाएँ और पशु प्रजनन केंद्र की स्थापना |

* मौसम विज्ञान केंद्र की स्थापना



भूदान - ग्रामदान

महात्मा गांधी ने विनोबा भावे को अपना आध्यात्मिक उतराधिकारी घोषित किया था | विनोबा भावे को गांधी जी के 
ग्राम स्वराज अवधारणा में गहरी आस्था थी | गांधी जी के मृत्यु उपरान्त उंके विचारों को जन-जन तक पहुचाने के 
लिए पदयात्रा की | इसी क्रम में आंध्रप्रदेश के पोचमपल्ली गाँव में भूमिहीन गरीब ग्रामीणों ने आर्थिक भरण-पोषण 
हेतु कुछ भूमि माँगी | विनोबा भावे ने ग्रामीणों को आश्वाशन किया की भारत सरकार से बात करेंगें |

अचानक श्रीरामचंद्र रेडी ने 80 भूमिहीन ग्रामीणों को 80 एकड़ भूमि बांटने की पेशकश की | इसे "भूदान "
कहा गया |

भारत भ्रमण के दौरान विनोबा भावे ने इस विचार को फैलाया | कुछ जमींदारों ने , जो अनेक गावों के मालिक थे , भूमिहीनों को पूरा गाँव देने की पेशकश की | इसे " ग्रामदान " कहा गया | परन्तु कुछ जमींदारों ने तो भूमि सीमा क़ानून से बचने के लिए अपने भूमि का एक हिस्सा दान किया था | विनोबा भावे द्वारा शुरू किये गए इस भूदान-ग्राम दान आन्दोलन को "रक्तहीन क्रांति " का भी नाम दिया गया |


कृषि की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था, रोजगार और उत्पादन में योगदान :

* कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानी जाती है |

* 2010-2011 में देश की लगभग 52% जनसंख्या रोजगार और आजीविका के लिए कृषि पर आश्रित है |

* देश की सकल घरेलू उत्पाद में कृषि का योगदान मात्र 18% रह गया है |
वैश्वीकरण का कृषि पर प्रभाव :

* आजादी के पहले भी भारतीय कृषि उत्पाद विश्व के विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता था |

* गरम मसाले , कपास , नील भारत से ब्रिटेन निर्यात किया जाता था तथा इन फसलों के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन 
दिया जाता था |

* 1990 के बाद , वैश्वीकरण के कारण भारतीय किसानों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है |

* चावल, कपास , रबड़, चाय , कॉफी, जूट और मसालों का मुख्य उत्पादक होने के बावजूद भारतीय कृषि 
विकसित देशों से स्पर्धा करने में असमर्थ है क्योंकि उन देशों में कृषि को अत्याधिक सहायिकी (Subsidy) दी जाती है |

* सीमान्त और छोटे किसानों की स्थिति सुधारने लाने की जरुरत है |

* रासायनिक उर्वरको के स्थान पर कार्बनिक कृषि की आवश्कता है जिससे पूंजी लागत में कमी आये और भूमि 
का निम्नीकरण होने से बचाया जा सके |

* जोतों के आकार में सुधार लाया जाए ताकि वैज्ञानिक विधि से खेती की जा सके |

* किसानों को खाद्य फसलों के साथ-साथ वाणिज्यिक खेती भी करनी चाहिए |




                                                                        समाप्त














































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M. PRASAD
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