Sunday 11 April 2021

cbse previous year questions

CBSE PREVIOUS YEAR QUESTIONS : LONG QUESTIONS AND SOLUTIONS 

YEAR- 2018-16



1. पुरातत्त्वविद के हड़प्पाकालीन संस्कृति में शिल्प उत्पादन के केन्द्रों की पहचान के आधार का वर्णन कीजिये 
उत्तर:
1. शिल्प उत्पादन से अभिप्राय है, मनके बनाना, सीपियाँ काटना, धातुओं को ढालना, मोहरें तथा बात बनाना |

2. पुरातत्ववेत्ता शिल्प उत्पादन से जुड़े स्थाओं को पहचानने के लिए संभावित उत्पादन स्थलों से मिलने वाली वस्तुओं ; जैसे पत्थर, छोटी ग्रन्थियां , सीपियाँ, कच्चे धातु, अर्द्व-निर्मित वस्तुएं तथा अन्य बेकार , कचरा वस्तुओं का सहारा लेते है |

3. पुरातत्ववेत्ताओं का तर्क है कि वास्तव में , उत्खनन में मिले कचरा वाले स्थल में ही शिल्प उत्पादन की वास्तविक जानकारी देते है |

2.. 1859 में अंग्रेजों द्वारा पारित ‘ परिसीमन क़ानून ‘ के प्रभाव की जांच कीजिये |
उत्तर: 
1. 1859 में अंग्रेजों ने एक ' परिसीमन क़ानून ' पारित किया जिसमें कहा गया कि ऋणदाता और रैयत के बीच हस्ताक्षरित  ऋणपत्र केवल तीन  वर्षों के लिए ही मान्य होंगे |

 2. इस क़ानून का उद्वेश्य बहुत समय तक ब्याज को संचित होने से रोकना था |

3. ऋणदाता ने इस क़ानून को घुमाकर अपने पक्ष में कर लिया और रैयत रैयत से हर तीसरे साल एक नया बंध पत्र भरवाने लगा |

4. जब कोई  नया बांड हस्ताक्षरित होता तो न चुकाई गई शेष राशि- ब्याज सहित मूलधन बन जाती और उस पर नए सिरे से ब्याज लागने लगता |

5. इससे रैयतों को आजीवन ऋण जाल में फंसे रहने के लिए मजबूर होना पड़ता था , इससे उबकर ढक्कन में 1875 में रैयतों ने विद्रोह कर दिया था |  

3. ‘ हड्प्पाई समाज में जटिल फैसले लेने और उन्हें कार्यान्वित करने के संकेत मिलते है | “ इस कथन के आलोक में स्पष्ट कीजिये कि हड्प्पाई समाज में शासकों का शासन रहा होगा ?
उत्तर: 
1. हड़प्पाई समाज में शासकों द्वारा जटिल फैसले लेने और कार्यान्वित करने के संकेत मिलते है | - जैसे बस्तियों की स्थापना के बारे में फैसला लेना , बड़ी संख्या में ईंटों को बनाना , शहरों में बड़ी दीवारों का निर्माण करना , सार्वजनिक इमारतों का निर्माण का फैसला , अलग-अलग कार्यों के लिए मजदूरों की व्यवस्था करना जैसे जटिल कार्य शासक ही करता था |

2. कुछ पुरातत्वविदों का मानना था कि हड़प्पा के पुरोहित राजा, जो शासक होता था - महल में रहता था | लोग उसे पत्थर की मूर्तियों में आकर देकर सम्मान करते थे | धार्मिक अनुष्ठान उन्हीं के द्वारा कराया जाता था |

3. कुछ पुरातत्वविद ये मानते है कि हड़प्पाई समाज में कोई शासक नहीं होता था - सभी की सामाजिक स्थिति समान थी | कुछ का मानना था कि अलग -अलग नगरों के अपने -अपने राजा होते थे |   

4. 600 ई. पू. से 600 ई. में देहात के लोगों की आर्थिक और सामाजिक स्थितियों का वर्णन कीजिये |
ऊतर:   
आर्थिक स्थिति 
1. 600 ई. पू. से 600 ई. तक के काल में   देहात के लोगों  आर्थिक और सामाजिक स्थितियों  जानकारी जातक और पञ्चतंत्र  जैसे ग्रन्थों  वर्णित कथाओं से मिलती है |

2. इन ग्रन्थों से स्पष्ट जानकारी मिलती है कि राजा के अपनी प्रजा से विशेष रूप से ग्रामीण प्रजा से सम्बन्ध मधुर नहीं होते थे |

3. जनता पर करों का बोझ था और कृषि बहुसंख्यक जनता की आजीविका का साधन था |

सामजिक स्थिति 
1. ग्रामीण समाज में विभिन्ताओं का अस्तित्व दृष्टिगोचर होता है |

2. समकालीन कथाओं से ज्ञात होता है कि समाज में भूमिहीन कृषि मजदूरों , छोटे -छोटे किसानों एवं बड़े-बड़े जमींदारों का अस्तित्व था और इन सब के बीच काफी असमानता थी |

3. तमिल साहित्य से ज्ञात होता है बड़े जमीन्दारों को वेल्लालर , हलवाहों को उझावर और दासों को अनिमई कहा जाता था | 

6. ‘ धार्मिक और राजनीतिक संस्था के रूप में खिलाफत की बढ़ती हुई विषयशक्ति की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप सूफीवाद का विकास हुआ |’ स्पष्ट कीजिये | 
उत्तर: 
1.  इस्लाम धर्म में खलीफा एक धरमक और राजनीतिक संस्था के रूप में इस्लामिक समाज पर दबाब बढाता जा रहा था  जिसके प्रतिक्रिया स्वरूप अध्यात्मिक लोंगों का रहस्यवाद और  वैराग्य की ओर झुकाव बढ़ा | इन्हें सूफी कहा जाने लगा |

2.  इन लोंगों ने रुढ़िवादी परिभाषाओं तथा धर्माचार्यों द्वारा की गई कुरआन और सुन्ना की बौद्विक व्याख्या की आलोचना की |

3. सूफीवाद में मुक्ति की प्राप्ति  के लिए ईश्वर की भक्ति और उनके आदेशों के पालन पर जोर दिया |

4. सूफियों ने कुरान की व्याख्या अपने  निजी अनुभवों के आधार पर की |
 
7. 1857 के विद्रोह में अवध के ताल्लुकदारों की सहभागिता की जांच कीजिये |
उत्तर: 

1. 1856 में अवध के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साम्राज्य में विलय से  नबाब को  अपनी गद्दी से वंचित  होना पड़ा  था |

2.  अवध के नबाब के साथ-साथ इस क्षेत्र के ताल्लुकदारों  को भी उनकी शक्ति सम्पदा एवं प्रभाव से वंचित होना पडा था |

3. अवध के सम्पूर्ण देहाती क्षेत्रों में ताल्लुक्दारों  की जागीरें एवं कीलें थे जिसपर ब्रिटिश शासन का अधिकार हो गया था |

4. अवध के नबाब तथा ताल्लुक्दारों के शासन खत्म होने से उनलोगों के पास स्थित सेना भी भंग हो गयी ये सेना बेरोजगार हो गये |

5. ताल्लुक्दारो के जमीन पर से मालिकाना हक़ को भी समाप्त कर दिया गया ताल्ल्कुदारों के पास पहले 67% गाँवों पर  अधिकार था जो अब घटाकर 38% हो गया था जिससे उनलोगों में असंतोष  था |

6. उल्लेखनीय है कि जब 1857 में अवध में  जहां भी विद्रोह हुआ वहां नबाब और ताल्लुक्दारों का समर्थन रहा |


8. वर्णन कीजिये कि बौद्ध धर्म का विकास किस प्रकार हुआ है | बुद्व की मुख्य शिक्षाओं की व्याख्या कीजिये |
उत्तर:   
1. बौद्व धर्म का विकास स्वयं महात्मा बुद्व द्वारा मगध साम्राज्य में घूम -घूम कर प्रचार प्रसार किया |

2. मगध साम्राज्य के सम्राटों ने बौद्व धर्म का संरक्षण दिया और इसके विस्तार में भूमिका निभाई |

3. मगध सम्राट अशोक ने अपने महामत्यों को दूसरे देशों में भेजकर  बौद्व धर्म का प्रसार  में किया |

4. ब्राह्मण धर्म के बाह्य आडम्बर से परेशान होकर भी लोगों ने बौद्व धर्म के प्रति झुकाव बढ़ा |

 बौद्व धर्म की मुख्य शिक्षाएं :

1.   विश्व अनित्य अर्थात क्षणभंगुर है और यह निरंतर परिवर्तित हो रहा है |

2. विश्व आत्माविहीन है क्योंकि यहाँ कुछ भी स्थायी अथवा शास्वतनहीं है |

3. विश्व में चार आर्य सत्य है - दुःख (सारा संसार दुखों से भरा हुआ है ), सुख समुदाय  ( इच्छा , अज्ञान और मोह दुःख का कारन है ), दुःख निरोध ( इच्छाओं और वासनाओं के विनाश से दुखों को रोका जा सकता है ) और दुःख निरोध मार्ग ( दुखों को रोकने का एक मार्ग है )

4. आष्टांगीक मार्ग का अनुसरण करके मनुष्य  दुखों और कष्टों से छुटकारा पा सकता है |

5. बुद्व मध्यम मार्ग का अनुसरण पर बल देते थे |

बुद्व ने दस शिलों के पालन पर बल दिया - अहिंसा , सत्य , असते, अपरिग्रह , ब्रह्मचर्य, नृत्य गान का त्याग , सुगन्धित द्रव्यों का त्याग , असमय भोजन का त्याग , कोमल-शैय्या का त्याग , कामिनी-कंचन का त्याग 

6. बुद्व धर्म में कर्म के सिद्वांत पर बल दिया गया |

बुद्व के अनुसार निर्वाण मानव जीवन का अंतिम लक्ष्य है |

7. बुद्व के अनुसार समाज का निर्माण मनुष्यों द्वारा हुआ है न कि दिव्यशक्ति द्वारा | 


9. वर्णन कीजिये कि स्तूपों का निर्माण किस प्रकार किया गया | साँची के स्तूप संरक्षित रहे, परन्तु अमरावती के स्तूप संरक्षित नही रहें , ऐसा क्यों ? स्पष्ट कीजिये |
उत्तर: स्तूपों का निर्माण 

1. स्तूप का स्वरूप अर्द्व -गोलाकार मिलता है | उसमें मेधी (चबूतरा ) के ऊपर उलटे कटोरे की आकृति का थूहा बनाया जाता है , जिसे अंड कहा जाता है | 

2. अंड के ऊपर एक हर्मिका होती थी | यह छज्जे जैसा ढांचा देवताओं के घर का प्रतीक था | 

3. हर्मिका से एक मस्तूल निकलता था जिसे यष्टि कहते थे जिस पर एक छत्री लगी होती थी |

4.  टीले के चारों और एक दीवार द्वारा घेर दिया जाता है जिसे वेदिका (railing) कहते है | 

5. स्तूप तथा वेदिका के बीच परिक्रमा लगाने के लिए बना स्थान प्रदक्षिणा पथ कहलाता है | 

6. समयकाल में वेदिका के चारो ओर चारों दिशाओं में प्रवेश द्वार बनाये गए | प्रवेश द्वार पर मेहराबदार तोरण बनाये गए |

साँची के स्तूप संरक्षित रहे, परन्तु अमरावती के स्तूप संरक्षित नही रहें , कारण 

1. अमरावती स्तूप की खोज साँची के स्तूप के खोज से पहले हो गयी थी |

2. अमरावती स्तूप के महत्व को विद्वान समझ नहीं पाए , कि स्तूप को दूसरे स्थान ले जाने से अच्छा वर्तमान स्थल पर ही स्तूप का संरक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है |

10. भारत में मुग़ल शासकों द्वारा अभिजात – वर्ग में विभिन्न जातियों और धार्मिक समूहों के लोगों की भर्ती क्यों की जाती थी ? व्याख्या कीजिये |
उत्तर: 
1. मुग़ल साम्राज्य में अभिजात वर्ग - मिश्रित वर्ग का था | -उसमें ईरानी , तूरानी , अफगानी , राजपूट दक्खनी  शामिल थे |

2. इससे यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके |

3.  इन अभिजात वर्ग के लोगों को बादशाह द्वारा  मनसब प्रदान किया जाता था , मनसब व्यक्ति के ओहदे एवं महत्व  को निरुपित  करता था |

4. मुग़ल शासक धार्मिक समूहों के लोगों की भी  भर्ती किया गया था जो धर्म  के मसलों पर बहस करती  थी |

5.  धार्मिक समूह को सुलह-ए-कुल का अंग बना दिया जिसमें सभी को धर्म और मतों की स्वतन्त्रता थी परन्तु एक शर्त थी कि वे राज्य-सत्ता को क्षति नहीं पहुंचाएंगे |
 

11. मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका की व्याख्या कीजिये | 2018
उत्तर:  मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों द्वारा निभाई गई भूमिका का मूल्यांकन निम्न है |
1. मुग़ल साम्राज्य  की शाही  परिवार की स्त्रियाँ शिक्षित एवं विदुषी होती थी | शाही परिवार में जन्में  स्त्रियाँ और शाही परिवार में रह रहे अन्य स्त्रियों में अंतर रखा जाता था |

2. दहेज़ के रूप में अच्छा खासा नकद और बहुमूल्य वस्तुएं लेने के बाद विवाह करके आई बेगमों को अपने पतियों से स्वाभाविक रूप से  अगहाओं की तुलना में अधीक उंचा दर्जा और सम्मान मिलता था |

3. राजतन्त्र से जुड़े महिलाओं के पदानुक्रम में उपपत्नियों की स्थिति सबसे निम्न थी |

4. मुग़ल साम्राज्य  के शाही परिवार के हरम में अन्य  परिचारिकाएँ एवं दासियाँ रहती थी जो अलग-अलग कार्यों का निष्पादन करती थी |

5. प्रभावशाली महिला जैसे नूरजहाँ बादशाह से शासन की बागडोर राजनीतिक और वित्तीय दायित्वों का भी पूरा किया |

6. शाहजहाँ की पुत्रियों , झानारा और रोशनारा , को ऊँचे मनसबदारों के समान वार्षिक आय प्राप्त होती थी | जहांआरा को सूरत बंदरगाह से विदेशी व्यापार से भी आय प्राप्त होती थी |


12. बौद्विक स्तूपों को ‘पत्थर में गढ़ी कथाएँ ‘ क्यों कहा जाता है ? स्पष्ट कीजिये | 2016
उत्तर: बौद्विक स्तूपों  खासकर  साँची की स्तूप को देखकर अनायास यह महसूस हो जाता है कि सारी कथाएँ पत्थर पर उकेरे गई है |

1. साँची के तोरणद्वार पर बने चित्र से यह प्रतीतदीखते है कि जातक कहानियों के दृश्य अंकित किये गए है |

2. साँची के तोरणद्वार से यह भी जानकारी मिलती है कि  बुद्व को ज्ञान प्राप्त किसे पेड़ के नीचे हुआ था |

3. महात्मा बुद्व द्वारा सारनाथ में दिए गए उपदेश को चक्र के रूप में दर्शाया गया है |

4. साँची के तोरणद्वार पर उकेरे गए मूर्तियाँ किसी न किसी रूप में बुद्व के जीवन के क्रियाविधि को दर्शाते है |

5. इस द्वार पर लोक परम्पराएँ से जुडी मूर्तियों को उकेरा गया है | इसी क्रम में शालभंजिका की मूर्ती उल्लेखनीय  है ,  

13. गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का वर्णन करें ?
उत्तर: पंजाब के भक्ति आंदोलनों के संतों में गुरु नानक देव का सर्वोच्य स्थान है | उनका उपदेश इनके द्वारा गाये गे शबद में निहित है | इन्होने इस्लाम और हिन्दू धर्म ग्रन्थों को नकारा और ईश्वर प्राप्ति का सुलभ साधन नाम जाप को बताया | इनकी अन्य शिक्षाएं इस प्रकार है |

1. ईश्वर एक है तथा वह शक्तिमान है |

2. सभी धर्म समान है कोई धर्म छोटा और बड़ा नहीं है |

3. जाति -पाति , छुआ-छूत वर्ग भेद का विरोध किया और समानता पर जोर दिया |

4. मूर्तिपूजा  का खंडन किया |

5. गृहस्थ जीवन को सर्वश्रेष्ठ बताया तथा इसमें रहकर तपस्या की प्रेरणा दी |

6. कर्मकांड , बाह्य -आडम्बर , अनुष्ठान को व्यर्थ बताये |

7. रब की उपासना के लिए स्मरण एवं तप का ऊपाय बताया |


14. ‘ आरम्भिक हड़प्पन पुरातत्वविदों को कुछ वस्तुएं जो असमान्य और अपरिचित लगती थीं संभवत: धार्मिक महत्व की होती थी |’ प्रमाणों सहित सिद्व कीजिये |
उत्तर:  
1. आभूषणों से लदी हुई नारी जिनके कुछ के शीर्ष पर विस्तृत प्रसाधन थे | उन्हें मातृदेवी की संज्ञा दी गई |

2. पुरुषों की दुर्लभ पत्थर से बनी मूर्तियाँ योग करते हुए दिखाया गया है , पशुपति शिव की संज्ञा दी गई है |

3. कालीबंगन तथा लोथल से मिली  वेदियाँ धार्मिक महत्व की है |

4. मुहरों पर बने अनुष्ठान के दृश्यों  के आधार पर धार्मिक आस्थाओं का प्रतीक लगता है |

5. पत्थर की शंक्वाकार वस्तुएं जिसे  लिंग के रूप में वर्गीकृत किया गया है   ,शिव लिंग रूप में दिखाया गया है |  

15. अमरावती स्तूप की नियति साँची स्तूप से कैसे भिन्न थी ? स्पस्ट कीजिए |
उत्तर:  
1. अमरावती स्तूप की खोज साँची के स्तूप के खोज से पहले हो गयी थी |

2. अमरावती स्तूप के महत्व को विद्वान समझ नहीं पाए , कि स्तूप को दूसरे स्थान ले जाने से अच्छा वर्तमान स्थल पर ही स्तूप का संरक्षित करना कितना महत्वपूर्ण है | 

3.  आरम्भ में यूरोपीय विद्वानों ने  माना कि अवशेष को संग्रहालयों में सुरक्षित रखा जाना चाहिए न कि प्राप्त स्थलों पर |

 4. अमरावती स्तूप के कलाकृतियाँ को अलग-अलग स्थानों पर ले जाया गया | जबकि साँची के स्तूप को भोपाल के बेगमों के संरक्ष्ण मिलने से सुरक्षित बच  गया |

16. विजयनगर साम्राज्य के विस्तार में कृष्णदेव राय के योगदान पर प्रकाश डालिए |
उत्तर:  विजयनगर साम्राज्य  का सबसे प्रतापी राजा कृष्णदेव राव को माना जाता है  उसने 1509 से 1530 तक शासन किया |  कृष्णदेव राय का योगदान निम्न है |

1. 1512 में कृष्णदेव राय ने बीजापुर के सुलतान युसूफ आदिल शाह को पराजित किया और रायचूर  दोआब पर कब्जा कर लिया |

2. उड़ीसा के राजाओं के कुछ प्रदेशों को अपने अधिकार कर लिया |

3. कृष्णदेव राय ने पश्चिम में कोंकण प्रदेश , पूर्व में विशाखापत्तनम तक, उत्तर में तुंगभद्रा और दक्षिण में कुमारी अंतरीप तक अपने साम्राज्य को फैला चुका था |

4. कृष्णदेव राय के दरबार में आठ  महान कवि रहते थे जिसे   " अष्ट दिग्गज  "  कहा जाता था  | विद्वानों  को संरक्षण दिया |

5. व्यापार - वाणिज्य को प्रोत्साहन दिया , बंदरगाहों को सुधारा , स्थापत्य कला में गोपुरम का निर्माण कराया और माता के नाम नगलमपुरम की स्थापना किया  |

17. ‘ मुग़ल शासकों ने बड़े प्रभावशाली तरीके से विजातीय जनसाधारण को शाही संरचना के अंतर्गत सम्म्लित किया ‘ इस कथन की पुर्ष्टि कीजिये
उत्तर:   
1. मुग़ल साम्राज्य में अभिजात वर्ग - मिश्रित वर्ग का था | -उसमें ईरानी , तूरानी , अफगानी , राजपूट दक्खनी  शामिल थे |

2. इससे यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके |

3.  इन अभिजात वर्ग के लोगों को बादशाह द्वारा  मनसब प्रदान किया जाता था , मनसब व्यक्ति के ओहदे एवं महत्व  को निरुपित  करता था |

4. अकबर ने 1560 से राज्पूरों और भारतीय मुसलमानों को शाही सेवा में नियुक्त किया | शिक्षा और लेखाशास्त्र की ओर झुकाव वाले हन्दू जातियों के सदस्यों को भी पदोन्नत किया जाता  था |

5. जहांगीर के शासन काल में ईरानियों को उंचा पद दिया | 

6. औरंगजेब ने राजपूतों एवं मराठों को को ऊँचे पदों पर नियुक्त किया था  |

7. शाहजहाँ के शासन काल में अलग -अलग वर्गों को शाही  सेवा में नियुक्त किया था | 

18. दामिन-ए-कोह क्या था ? 18 वीं सदी के दौरान संथालों ने अंग्रेजों का प्रतिरोध क्यों किया ? तीन कारण दें |
उत्तर:
 दामिन-ए-कोह :  अंग्रेजों ने संथालों को जमीने देकर राजमहल की तलहटी में बसने के लिए तैयार कर लिया | 1832 तक, जमीन के एक काफी बड़े इलाके को "दामिन-इ-कोह" के रूप में सीमांकित कर दिया गया| इसे संथालों की भूमि घोषित कर दिया|  

संथालों के लिए शर्तें :

1. संथालों को भूमि के कम-से-कम दसवें भाग को साफ़ करके पहले 10 वर्षों के भीतर जोतना था|

2. सीमांकित इलाके के भीतर रहना था 

3. हल चलाकर खेती करनी थी 

4. स्थायी किसान  बनना था| 

संथाल विद्रोह (Santhaal Revolt): 1855-56

कारण :

1. संथाली औपनिवेशिक शासन तथा राजस्व के बढने से तंग आ चुके थे|

2. संथालियों को जमींदारों और साहूकारों द्वारा शोषण किया जा रहा था|

3. कर्ज के लिए उनसे 50 से 500 प्रतिशत तक सूद लिया जाता था|

4. हाट और बाजार में उनका सामान कम तौला जाता था|

5. धनाढ्य लोग अपने जानवरों को इन लोगों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया जाता था|

19. 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के विरूद्व उभरे भारतीय नेतृत्व के स्वरूप की उदाहरणों की मदद से परख कीजिये 
उत्तर:  1857 के विद्रोह में अलग -अलग जगहों पर  विद्रोह का नेतृत्व किया | इस विद्रोह में कोई भी सर्वमान्य नेतृत्व  नहीं था |  

1. . दिल्ली : बिग्रेडियर विल्सन और कैप्टन हडसन  ने अथक संघर्ष के बाद सितम्बर 1857 में पुन: दिल्ली पर अधिकार कर लिया | बहादुर शाह जफ़र को विद्रोह करने के अपराध में रंगून भेज दिया गया  जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गयी |

2. अवध : अवध में विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल और असंतुष्ट ताल्लुकदार कर रहे थे | हैवलाक , कैम्पवेल  ने गोरखा सैनिकों की मदद से 31 मार्च 1858 को लखनऊ पर पुन: अधिकार कर लिया |

3.कानपुर : कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब और तात्या टोपे कर रहे थे | एक लम्बे युद्व के उपरान्त जनरल हैवलाक , नील और कैम्पवेल ने 20 जूलाई 1858 को कानपूर पर पुन: अधिकार कर लिया |

4. झांसी : झांसी में विद्रोह का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई कर रही थी| 3 अप्रैल 1858 को अंग्रेज ह्यूरोज नेझांसी पर अधिकार कर लिया | रानी  लक्ष्मीबाई भागकर कालपी पहुँची| ह्यूरोज ने इन्हें कालपी में भी परस्त किया | रानी वहां से ग्वालियर पहुँची | रानी और तात्या टोपे ने 3 जून 1858 में अधिकार कर लिया |  अंगरेजों के साथ भीषण युद्व में 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई |
    ह्यूरोज ने कहा ," रानी लक्ष्मी बाई विद्रोहियों में सर्वाधिक वीर एवं  श्रेष्ठतम सेनापति थी "  

5. बिहार : बिहार में विद्रोह का नेतृत्व जगदीशपुर के बाबू वीर कुंवर सिंह कर रहे थे|  अपरैल 1858 को कुंवर सिंह की मृत्यु हो गयी | विद्रोह का नेतृत्व कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह ने किया | जनरल वेग और टेलर ने दिसंबर 1858 तक विद्रोह का दमन कर दिया | 

20. मुगल काल में जमींदारों की भूमिका का विश्लेष्ण कीजिये |
ऊतर:  
1.  मुग़ल काल में जमींदार  कृषि की जमीनों के स्वामी होने के अलावा जमीदारों के एक अच्छे खासे वर्ग को अपने गांवों से मालगुजारी की वसूली का पुश्तैनी अधिकार प्राप्त था।

2.  मालगुजारी वसूल करने के बदले जमींदार उसमें से एक हिस्सा पाता था। 
3.  जमीन पर  खेती करने वाले किसान जब तक मालगुजारी देते रहते थे, वह बेदखल नहीं किए जा सकते थे। इस तरह जमीन में जमीदार और किसानों के अपने-अपने वंशानुगत अधिकार थे।

4.  जमीदारों के ऊपर राजा होते थे जो छोटे-बड़े भूखंडों के स्वामी होते थे तथा उन्हें कम या अधिक आंतरिक स्वायत्तता प्राप्त होती थी। जमीदारों और राजाओं के अपने-अपने सैनिक दल होते थे।

5. जब मुगल प्रशासन जमीदारों से नहीं बल्कि अपने प्रतिनिधियों से राजस्व वसूल करते थे तो उसे कुल राजस्व में से कुछ हिस्सा जमीदारों को देना पड़ता था जिसे "मालिकाना" कहते थे और यह भी कुल वसूली राशि का 10% हिस्सा होता था। दक्कन में इसे "चौथ" कहते थे। वहां पर जमीदारों का एक अन्य वित्तीय दावा "सरदेशमुखी" के नाम से जाना जाता था जो कुल राजस्व का 10% होता था। 

6. अपने वित्तीय दावों के अलावा यह जमीदार किसानों से कई प्रकार के उपकर और नजराने वसूल किया करते थे। इनमें से कुछ है बाजार कर , बस्तर शुमारी (पगड़ी कर), गृह कर (खाना शुमारी), विवाह और जन्म आदि पर कर।

7. जमीदारों के पास अपनी पैदल और घुड़सवार सेना होती थी। सेना की सहायता से वह किसानों से राजस्व वसूल करते थे और उन्हें दबाया करते थे। 

21. 16वीं और 17वीं शताब्दियों में जंगलवासियों की जिन्दगी किस तरह बदल गई ? परख कीजिये |
उत्तर: ?

22. अशोक के अभिलेखों में मौर्यों का क्या वर्णन मिलता है ? अभिलेख साक्ष्यों की सीमाओं का वर्णन कीजिये |
उत्तर: 
1. सम्राट अशोक के अभिलेख से मौर्यों के साम्राज्य विस्तार की जानकारी मिलती है |

2. अशिलेखों से सम्राट अशोक के कलिंग युद्व के बारे में जानकारी मिलती है |

3. अभिलेखों से ही अशोक के बौद्व धर्म अपनाने और धम्म के बारे में जानकारी मिलती है |

4. इन्ही अभिलेखों से सम्राट अशोक के द्वारा किये गे जनकल्याण कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी मिलती है |

5. सम्राट अशोक के अभिलेख से मौर्य साम्राज्य के आर्थिक , राजनीतिक , धार्मिक गतिविधियों के बारे में जानकारी मिलती है |

 
23. महाजनपदों की विशेषताओं का वर्णन कीजिये| मगध किस प्रकार सबसे शक्तिशाली महाजनपद बना |
 उत्तर: 
1. महाजनपद का शासक राजा  कहलाता था |

2. महाजनपद के राजा को शासन में सहयोग के लिए मंत्रियों की एक समिति होती थी |

3.  राजा निरंकुश होता था परन्तु मंत्रियों की सलाह को मानता था |

4. राजा का पद वंशानुगत होता था | परन्तु  राजा यदि अयोग्य हो तो उसे हटाकर अन्य व्यक्ति भी राजा बन सकता था |

मगध सबसे शक्तिशाली महाजनपद बना | इसके कारण 

1. मगध में अनाज की पैदावार अच्छी होती थी |

2. झारखंड के जंगलों से लौह अयस्क और हाथियों के उपलब्धता के कारण सैनिक शक्ति बढाने में मदद मिली |
3. गंगा और उसकी उपनदियों के कारण आवागमन में सुविधा थी |

4. मगध में शक्तिशाली राजा हुए - बिम्बीसार , अजातशत्रु , उद्यान, म्हापद्म्नंद, घनान्द, चन्द्रगुप्त मौर्य , अशोक आदि 

5. मगध की राजधानी राजगृह और बाद में पाटलीपुत्रा क्रमश: पहाड़ियों और नदियों से सुरक्षित थी | 

24. भारत की संविधान सभा में भाषा के मुद्दे पर काफी बहस हुई | सभा के सदस्यों द्वारा इस विषय पर दी गई दलीलों की परख कीजिये |
उत्तर:   भारत की संविधान सभा में भाषा के मुद्दे पर काफी बहस हुई | सभा के सदस्यों ने इस विषय पर अपनी दलीले पेश की जो निम्न है |

1. संविधान सभा से परे महात्मा  गांधी अपनी मृत्यु के कुछ माह पूर्व अपनी राय रखी कि हिन्दुस्तानी भाषा ही हमारी राष्ट्रभाषा हो जो पूरे भारत को एक जुट रख सकता है |  उनको लगता था कि बहुसांस्कृतिक भाषा विविध समुदायों के बीच संचार की आदर्श भाषा हो सकती है |

2. संयुक्त प्रांत के आर.वी. धुलेकर ने संविधान सभा में हिन्दी हो राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिए आवाज उठाई |

3. मद्रास की जी. दुर्गाबाई ने कहा कि दक्षिण भारत में हिन्दी का काफी विरोध है | फिर भी दक्षिण भारत में हिन्दी का प्रचार - प्रसार हो रहा है परन्तु हिन्दी गैर -हिन्दी  भाषी लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए |

4. मद्रास के टी.ए.रामलिंगम चेतियार ने कहा कि जो भी किया जाय एहतियात के साथ की जाय | यदि आक्रामक हो कर काम किया गया तो हिन्दी का कोई भला नही होगा |

5. संविधान सभा की भाषा समिति ने एक निष्कर्ष पर पहुँची की हिन्दी को राजभाषा घोषित की जाए | प्रत्यके प्रांत को अपने कामों के लिए एक क्षेत्रीय भाषा चुनने का अधिकार दी जाय | पहले 15 वर्षों तक  सरकारी कामों  में  अंगरेजी का इस्तेमाल जारी रहेगा |
 
25. भारत की संविधान सभा ने केंद्र सरकार की शक्तियों का संरक्ष्ण किस प्रकार किया ? स्पष्ट कीजिये | 2016
उत्तर:  संविधान सभा में केंद्र सरकार और  राज्य सरकार के बीच शक्ति वितरण को लेकर काफी बहस हुई थी | कुछ सदस्यों का मानना था कि केंद्र को अधिक शक्तियाँ दी जाय और कुछ का मानना था कि राज्य सरकार को अधिक शक्तियाँ दी जाय | शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार के लिए निम्न तर्क दिए गए |

1. सारे प्रान्तों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए केंद्र को शक्तिशाली होना आवश्यक है |

2. बहुत सारे सदस्यों ने महसूस किया कमजोर केन्द्रीय सरकार के कारण ही भारत गुलाम बना था इसलिए केंद्र को मजबूत रखा जाय |

3. आर्थिक रूप से सशक्त और देश को बाहरी आक्रमण से बचने  के लिए केंद्र को मजबूत होना जरूरी है |

4.  प्रान्तों में उठने वाले  विद्रोह को दबाने के लिए केंद्र को मजबूत होना आवश्यक है |

5.   देश की स्वतन्त्रता के साथ रजवाड़ों को भी स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई थी इसलिए  उन राजवाडों का एकीकरण देश के  साथ करने के लिए केंद्र का मजबूत होना आवश्यक है |


2 comments:

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M. PRASAD
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