Wednesday 29 July 2020

भारत में राष्ट्रवाद वर्ग 10 भाग 2

भारत में राष्ट्रवाद 
परिचय 
* भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के कारण :
* चंपारण सत्याग्रह 
* खिलाफत और असहयोग आन्दोलन 
* सविनय अवज्ञा आन्दोलन 
* सामूहिक अपनेपन की भावना 

रालेट एक्ट (1919):
* 1917 की रूसी क्रांति और भारतीय क्रांतिकारियों की राजनीतिक गतिविधियों से आशंकित अंगरेजी सरकार ने न्यायाधीश सिडनी रालेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति (सेडीशन समिति) का गठन किया |
सेडीशन समिति के अनुशंसा पर 2 मार्च 1919 को रालेट कानून (क्रान्तिकारी एवं अराजकता अधिनियम ) बना |
* इसके अनुसार, संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था, और उसपर बिना मुकदमा चलाए दो वर्षों तक जेल में बंद किया जा सकता था |

रालेट एक्ट का विरोध :
* भारतीयों ने इस क़ानून को "काला क़ानून" कहा |
* इस क़ानून को "न वकील, न अपील और न दलील" का क़ानून कहा गया |
* गांधीजी ने इस क़ानून के विरोध में 6अप्रैल से सत्याग्रह करने का आह्वान किया |
* विभिन्न  शहरों में रैली निकाली गयी, रेलवे वर्कशाप के मजदूरों ने हड़ताल की, दूकाने बंद रखी गयी,  संचार सेवाएं बाधित की गयी |
* अंगरेजी सरकार ने भी आन्दोलन को दमन करने हेतु अमृतसर के  स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, गांधी जी को दिल्ली प्रवेश पर पाबंदी लगा दी 
* अमृतसर में 10 अप्रैल को  पुलिस ने शातिपूर्ण जुलूस पर गोलियां चलायी और  शहर में मार्शल लाँ लागू कर दिया | 

जालियावाला बाग़ हत्याकांड (1919):
कारण :
* रालेट एक्ट के विरूद्व लोगों में असंतोष 
* गांधीजी तथा कुछ अन्य नेताओं के पंजाब प्रवेश पर प्रतिबन्ध 
* पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डा.सतपाल और डा.सैफुदीन किचलू को गिरफ्तार कर जिलाबदर कर दिया गया |
* अमृतसर में 10अप्रैल 1919 को शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस द्वारा गोलियां बरसाई गयी , परिणामत: स्थिति बिगड़ गयी और मार्शल लाँ लगा दिया गया |
घटना :
*13अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर  में लगभग शाम 4 बजे जलियावाला बागा में एक सभा का आयोजन किया गया और उस सभा में  लगभग 20000 व्यक्ति एकत्रीत हुए | 
* उस सभा में  प्रवेश के लिए एकमात्र संकीर्ण रास्ता था, चारो तरफ, मकान बने हुए थे और बीच में एक कुआं व् कुछ पेड़ थे | 
* जिस समय सभा चल रही थी, उसी वक्त संध्याकाल जनरल डायर सैनिकों और बख्तरबंद गाडी के साथ सभास्थल पर पहुंचा और बिना चेतावनी के उसने गोलियां चलवा दी |
* इस घटना में लगभग (सरकारी आंकड़ा)  379 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए |
घटना का प्रभाव :
* इस घटना की जाँच के लिए "हंटर कमीशन" का गठन किया गया जिसमें 5 अंग्रेज और 3 भारतीय सदस्य थे |
* रवीन्द्रनाथ टैगोर ने "सर"   और गांधीजी ने  "केशर-ए-हिन्द " की उपाधि लौटा दी |
* शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया | 

खिलाफत आन्दोलन(1919-1924:
* प्रथम विश्व युद्व के बाद ब्रिटेन और तुर्की के बीच "सेवर्स की संधि" हुई जिसमें तुर्की का सुलतान (जो मुसलमानों का धर्मगुरु भी था ) खलीफा का 
पद छीन लिया | 
* भारतीय मुसलमानों में खलीफा का पद छिनने से नाराजगी थी |
* खलीफा का पद बरक़रार रखने के लिए अली बंधुओं (शौकत अली और महम्मद अली)  के नेतृत्व में मार्च  1919 में बंबई में खिलाफत समिति का गठन किया गया |
* गांधीजी ने इसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के रूप में देखा और खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया 
* सितम्बर 1920 में क्रांग्रेस के कलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर राजी कर लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए |

असहयोग आन्दोलन (1920-21) :
महात्मा गांधी ने अपनी पुस्तक "हिन्द स्वराज "(1909) में कहा था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से स्थापित हुआ था| यदि भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी 
असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम :
* सरकार द्वारा दी गई  पदवियां लौटा देनी चाहिए |
* सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र और बहिष्कार करना 
* सेना,पुलिस और अदालतों का बहिष्कार 
* स्कूलों और कालेजों का बहिष्कार 
* विधायी परिषदों का बहिष्कार 
* विदेशी वस्तुओं का त्याग 
* शराब की पिकेटिंग 
दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौता हुआ और असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति की मोहर लग गयी| असहयोग-खिलाफत  आन्दोलन जनवरी 1921में शुरू हुआ| इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया लेकिन हरेक की अपनी-अपनी आकांक्षाएं थी| सभी के लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे |

शहरों में आन्दोलन:
* आन्दोलन की शुरुआत  शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई |
* हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज  छोड़ दिए |
* हेडमास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए |
* वकीलों ने मुकदमें लड़ना बंद कर दिया |
* मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया |
* विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया
* शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई |
* विदेशी कपड़ों की होली जलाई गयी |
* व्यापारियों ने विदेशी सामानों का व्यापार करने और निवेश करने से इनकार कर दिया |
* लोग भारतीय कपडे पहनने लगे , भारतीय कपड़ा और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा|

आन्दोलन धीमा पड़ने के कारण:
* खादी का कपड़ा मिलों में बनने वाले कपड़ों के मुकाबले मंहगी होती थी और गरीब उसे खरीद नहीं सकते थे |
* आन्दोलन की कामयाबी के लिए वैकल्पिक भारतीय संस्थानों की स्थापना जरुरी था , जो उस समय नहीं थे |
* देशी शिक्षण संस्थान पर्याप्त नहीं होने के कारण  विद्यार्थी और शिक्षक सरकारी स्कूलों में लौटने लगे |
* वकील दोबारा सरकारी अदालतों में आने लगे |
नोट:
* जस्टिस पार्टी : मद्रास में गैर-ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई जस्टिस पार्टी का मानना था कि काउंसिल में प्रवेश के जरिये उन्हें वे अधिकार मिल सकते है जो सामान्य रूप से केवल ब्राह्माणों को मिल पाते है इसलिए इस पार्टी ने चुनावों का बहिष्कार नहीं किया |
* पिकेटिंग : प्रदर्शन या विरोध का एक ऐसा स्वरूप जिसमें लोग किसी दूकान, फैक्ट्री या दफ्तर के भीतर जाने का रास्ता रोक लेते है |

ग्रामीण इलाकों में असहयोग आन्दोलन :
असहयोग आन्दोलन देश के ग्रामीण इलाकों में भी फैल गए | इस आन्दोलन में किसानों व आदिवासियों ने भी भाग लिया |
असहयोग आन्दोलन में  किसानों की भूमिका  -
* अवध में सन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों का नेतृत्व कर रहे थे | उनका आन्दोलन तालुक्क्दारों और जमींदारों के खिलाफ था जो किसानों से भारी- भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल रहे थे |
* किसानों को बेगार करनी पड़ती थी| पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं थे | उन्हें बार-बार पट्टे की समीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका अधिकार स्थापित न हो सके |
* किसानों की मांग थी कि लगान कम किया जाय, बेगार खत्म हो और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाय|
* 1920 में जवाहर लाल नेहरु , बाबा रामचंद्र और कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में "अवध किसान सभा" का गठन कर लिया गया | असहयोग आन्दोलन आरम्भ होने पर तालुक्क्दारों , जमींदारों के मकानों पर हमला होने लगे,बाजारों में लूटपाट होने लगी, आनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया गया , लगान देना बंद कर दिया गया |

असहयोग आन्दोलन मे आदिवासियों की भूमिका  :
*आदिवासी किसानों ने गांधीजी की संदेश का और ही मतलब निकाला |
* आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक की शुरुआत में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन फैल गया |
* अंगरेजी सरकार का आदिवासियों के जीवन में हस्तक्षेप से उनमें असंतोष पहले से भरा था | गांधीजी के आह्वान पर लोगों ने बगावत कर दिया| उनका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया |
* अल्लूरी ने खुद में विशेष शक्तियों का दावा किया| लोगों को खादी पहनने और शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया|
* गूडेम विद्रोहियों ने पुलिस थानों पर हमले किये, ब्रिटिश अधिकारियों को मारने की कोशिश  की |
* अल्लूरी को 1924 में फांसी दे दी गई |
नोट: 
* बेगार :बिना किसी पारिश्रमिक के काम करवाना 
* गिरमिटिया मजदूर : औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को काम करने के लिए फ़िज, गुयाना, वेस्टईंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा| उन्हें एक एग्रीमेंट(अनुबंध) के तहत ले जाया  जाता था| बाद में इसी एग्रीमेंट को ये मजदूर गिरमिट खाने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा| अंगरेजी में इन्हें Indentured Labour कहा जाता है | 

बागानों में स्वराज 
* 1859 के Inland Emigration Act के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत के बाहर जाने की छुट नहीं थी |
* जब बगान मजदूरों ने असहयोग आन्दोलन के बारे में सुना तो उन्होंने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे| उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर को चल दिए |
* रेलवे और स्टीमरों की हड़ताल के कारण वे रस्ते में ही फंस रह गए | उन्हें पुलिस ने पकड लिया और उनकी बुरी तह पिटाई हुई |

असहयोग आन्दोलन का अंत :
5 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया| जुलूस ने आक्रोशित होकर थाने में आग लगा दी जिसमें 22 पुलिसकर्मी ज़िंदा जल गए | जब यह घटना गांधी जी को पता चला तो उन्होंने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आन्दोलन बंद करने का ऐलान कर दिया |

असहयोग आन्दोलन का महत्व और प्रभाव :
* गांधीजी ने देश में पहली बार एक जन-आन्दोलन खड़ा किया और राष्ट्रवाद का उत्साह का संचार किया |
* इस आन्दोलन का प्रभाव उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक रहा |
* स्वदेशी आन्दोलन ने जनता में आत्म-विश्वास की भावना का विकास किया 
* ब्रिटिश सरकार का भय अब जनता के मन से निकल चुका था |
* पहली बार महिलाओं ने भी आन्दोलन में भाग लिया |
* राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना हुई |


No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share

Also Read

Download Admit card Of JNVST -2024 CLASS NINE AND ELEVEN

Download Admit card of JNVST-2024 CLASS NINE AND ELEVEN Navodaya Vidyalaya Samiti has published the admit card for Jawahar Navodaya Vidyalay...