भारतीय संविधान का निर्माण के समय परिस्थितियाँ :
* भारत जैसे विशाल और विविधता भरा देश |
* देश का धर्म के आधार पर हुए बंटबारे की विभीषिका
* विभाजन से जुडी हिंसा में सीमा के दोनों तरफ कम-से-कम दस लाख लोग मारे जा चुके थे
* देशी रियासतों के शासकों को यह आजादी दे दी थी कि वे भारत या पाकिस्तान जिसमें इच्छा हो अपनी रियासत का विलय कर दें या स्वतंत्र रहे
संविधान निर्माण का रास्ता :
* देश में आजादी की लड़ाई के दौरान ही लोकतंत्र समेत अधिकाँश बुनियादी बातों पर राष्ट्रीय सहमति बनाने का काम हो चुका था |
* 1928 में नेहरू रिपोर्ट और 1931 में करांची में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में एक प्रस्ताव में संविधान की रूपरेखा रखी गयी थी | इन दोनों दस्तावेजों में स्वतंत्र भारत के संविधान में सार्वभौम व्यस्क मताधिकार, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की बात कही गई थी |
* औपनिवेशिक शासन की राजनैतिक संस्थाओं और व्यवस्थाओं से नई राजनैतिक संस्थाओं का स्वरूप तय करने में मदद मिली |
* विदेशी संविधान के उन आदर्शों को अपनाया जो देश के लिए आवश्यक लगा |
संविधान सभा :
चुने हुए जनप्रतिनिधियों की जो सभा संविधान नामक विशाल दस्तावेज को लिखने का काम करती है उसे संविधान सभा कहते है |
* भारतीय संविधान सभा के लिए जूलाई 1946 में चुनाव हुए थे |
* संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसम्बर 1946 को हुई थी | इसके तत्काल बाद देश दो हिस्सों - भारत और पाकिस्तान में बाँट गया | और संविधान सभा भी दो हिस्सों में बाँट गयी |
* भारतीय संविधान लिखने वाली सभा में 299 सदस्य थे | इसने 26 नवम्बर 1949 को अपना काम पूरा कर लिया | इसी दिन की याद में हर साल 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस मनाते है |
* संविधान के निर्माण में 2 वर्ष 11 महीने और 18 दिन लगे |
70 साल पहले बनाए गए संविधान को क्यों मानते है :
* संविधान सिर्फ संविधान सभा के सदस्यों के विचारों को ही व्यक्त नही करता है | यह अपने समय की व्यापक सहमतियों को व्यक्त करता है |
* संविधान सभा भारत के लोगों का प्रतिनिधित्व कर रही थी |
* संविधान सभा का काम काफी व्यवस्थित, खुला और सर्वसम्मति बनाने का प्रयास पर आधारित था | सबसे पहले बुनियादी सिद्वांत तय किये गए और उन पर सबकी सहमति बनाई गयी |
* तीन वर्षों में कुल 114 दिनों की गंभीर चर्चा हुई | सभा में हर प्रस्ताव, हर शब्द और वहां कही गयी हर बात को रिकार्ड किया गया | इन्हें Constituent assembly debates नाम से 12 मोटे- मोटे खंडों में प्रकाशित किया गया |
संविधान का दर्शन :
जिन मूल्यों ने स्वतन्त्रता संग्राम की प्रेरणा दी और उसे दिशा-निर्देश दी तथा जो क्रम में जांच-परख लिए गए वे ही भारतीय लोकतंत्र का आधार बने | संविधान की शुरुआत बुनियादी मूल्यों की एक छोटी-सी उद्वेशिका के साथ होती है | इस संविधान की प्रस्तावना या उद्देशिका कहते है | संविधान की प्रस्तावना पूरे संविधान का निचोड़ है |
संस्थाओं का स्वरूप :
* भारतीय संविधान निर्माताओं ने भारतीय संविधान को समय के अनुरूप बनाया | संविधान में ऐसा प्रावधान किये गए कि समयानुसार बदलाव लाया जा सके | इस बदलाव को संविधान संशोधन कहते है |
* भारतीय संविधान संस्थाओं के कामकाज के दायरों को निर्धारित किया है | वह उसका उलंघन नहीं कर सकते |
* भारतीय नागरिकों को व्यापक अधिकार दिये है लेकिन उनके लिए भी लक्ष्मण रेखा खिंच दी है |
समाप्त
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