Friday, 8 May 2020

-12 ,पाठ -2 , राजा , किसान और नगर ( भाग -8)


अभिलेखों का अर्थ निकालने के तरीके :
ब्राह्मी लिपि का अध्ययन:
* आधुनिक भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त  लगभग सभी लीपियों का मूल ब्राह्मी लिपि है |
*सम्राट अशोक के आधिकांश अभिलेख ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण है |
*यूरोपीय विद्वानों ने भारतीय विद्वानों की सहायता से देवनागरी लिपि में कई पांडुलिपियों का अध्ययन किया और उनके अक्षरों की प्राचीन अक्षरों के नमूनों से तुलना की |
* कई दशकों के बाद अभिलेख वैज्ञानिकों ने प्राकृत भाषा से तुलना के बाद जेम्स प्रिसेप ने अशोककालीन ब्राह्मी लिपि का 1838 ई०में  अर्थ निकाल लिया|

खरोष्ठी लीपि का अध्ययन :
*  पश्चिमोत्तर भारत के अभिलेखों में प्रयुक्त खरोष्ठी लिपि का अध्ययन द्वितीय –प्रथम  शताब्दी ई० पू० हिन्द-यूनानी राजाओं द्वारा बनवाए गए सिक्कों के अक्षरों से मिलान किया जिससे अभिलेखों का पढ़ना आसान हो गया |
अभिलेखों से प्राप्त ऐतिहासिक साक्ष्य का अध्ययन :
* माना की अशोक के दो अभिलेख प्राप्त हुए | उनमें एक अभिलेख पर अशोक द्वारा अपनाई गयी उपाधियों का प्रयोग किया गया जैसे "देवानांपीय अर्थात देवताओं का प्रिय" और पियदस्सी यानी    देखने में सुन्दर |
*  अशोक नाम अन्य अभिलेखों में मिलता है जिनमें उनकी उपाधियाँ भी है |इस अभिलेखों का परीक्षण करने के बाद अभिलेखाशास्त्रियों ने पता लगाया की उनके विषय, शैली, भाषा और पुरालिपिविज्ञान सबमें समानता है |
         अत: इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि उक्त अभिलेखों का एक ही शासक ने बनवाया था |
* इतिहासकारों को अभिलेखों के अध्ययन हेतु अन्य परीक्षण करने पड़ते है | जैसे यदि राजा के आदेश यातायात मार्गो के किनारे और नगरों के पास प्राकृतिक पत्थरों पर उत्कीर्ण थे , तो क्या उस रास्ते से आने जाने वाले लोग पढ़ते थे ?
* क्या अधिकांश लोग पढ़े –लिखे थे ?
* क्या मगध (पाटलीपुत्रा ) में प्रयुक्त प्राकृत भाषा सभी स्थानों पर समझते थे ?
* क्या राजा के आदेशों का पालन किया जाता था ? इन प्रश्नों के उत्तर पाना पुरातत्ववेत्ताओं/इतिहासकारों के लिए आसान नही है |
अभिलेख साक्ष्य की सीमा :
* अभिलेखों से प्राप्त जानकारी की भी सीमा है |
* अभिलेखों में अक्षरों का अंकन हलके ढंग से हुआ है जिन्हें पढ़ना आसान नही होता है |
* अभिलेख नष्ट भी हो सकते है, जिनका अक्षर लुप्त हो सकता है |ऐसे में वास्तविक अर्थ लगा पाना मुश्किल होता है क्योंकि कुछ अर्थ विशेष स्थान या समय से सम्बन्धित होते है |
* कई हजार अभिलेख प्राप्त हुए है लेकिन सभी का अर्थ नही निकाले जा सके है |
* कई हजार अभिलेख ऐसे भी रहे होंगे जो कालान्तर में नष्ट हो गए होंगे, जो अभिलेख उपलब्ध है उसके ये अंश मात्र है |
* अभिलेख प्राय: किसी विशेष अवसरों का वर्णन करते है | यह उन्ही व्यक्तियों के विचार व्यक्त करते है जो उन्हें लिखवाते है |

                            समाप्त

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