Saturday, 22 February 2020

पाषाण युग - पुरापाषाण काल इतिहास

पाषाण युग - पुरापाषाण काल इतिहास 

*  पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 450 अरब  वर्ष पूर्व मानी जाती है ।  जीवन की उत्पत्ति बहुत बाद मानी गई है ।  और मनुष्य की उत्पत्ति इस पृथ्वी पर लगभग 20 लाख  वर्ष पूर्व मानी जाती है ।
*  मानव सभ्यता के आरम्भिक इतिहास को पाषाण युग के नाम से जाना गया है ।
*  पाषाण युग को तीन भागीं में विभाजित किया जाता है ।
(1)   पुरापाषाण काल    (20 लाख ई0 पू0 -  9000 ई. पू. )
(2)  मध्य पाषाण काल     ( 9000 ई0 पू. - 4000 ई0 पू0 ) 
(3)  नवपाषाण काल        ( 6000 ई0 पू0 से -  2000 ई0 पू0 ) 
                      पुरापाषाण काल 
पुरापाषाण काल को मानव द्वारा व्यवहत पत्थर के औज़ारों तथा जलवायु में हुए परिवर्तनों के आधार पर  तीन अवस्थाओं में  विभाजित किया जा सकता है । 
1. निम्न पुरापाषाण काल 
2. मध्य पुरापाषाण काल 
3. उच्च पुरापाषाण काल
                    निम्न पुरापाषाण काल
*  पुरापाषाण काल में मनुष्य अपना जीवन यापन मुख्य खाद्यान्न संग्रह व पशुओं के शिकार करके करता था ।
*   पुरापाषाण काल का मानव पर्वत की कंदराओं में रहता था  ।
*   पुरापाषाण काल के मानव के औजार और हथियार कुल्हाड़ी,  पत्थर , खुरचनी ,छेदनी आदि थे जो परिष्कृत व  तीक्षण नहीं थे ।
इस काल की प्रमुख स्थल : पंजाब की सोहन घाटी , मिर्जापुर की बेलन घाटी , मध्यप्रदेश में भीमबेटका 

                          मध्य पुरापाषाण काल 
*  इस युग में मानव ने अपने उपकरणों को ज्यादा सुंदर और उपयोगी बनाने का प्रयास किया  । इस युग में चमकीले  पत्थरों से  फलक हथियार बनाए जाने लगे । इसलिए मध्य पुरापाषाण काल को फलक संस्कृति का नाम दिया गया ।
*  प्रमुख स्थल : उत्तरप्रदेश के बेलन घाटी , गोदावरी घाटी, कृष्ना घाटी( कर्नाटक), मध्य प्रदेश वेतबा घाटी, ।
*  प्रमुख उपकरण : वेधक(borers), खुरचनी(scrappers) , वेधनियाँ (points) ।

                         उच्च पुरापाषाण काल 
*  इस काल में होमो सेपियंस (ज्ञानी मानव ) का उदय माना जाता है ।
*  प्रमुख उपकरण : पत्थर के पतले फलकों से उपकरण बनाए जाने लगा । चाकू, छिद्रक, खुरचनी, वेधनियाँ ।
*   पुरापाषाण काल में उपलब्ध पशु जिनसे मानव परिचित था -  बंदर, हिरण, बकरी ,भैंस , गाय,  बैल नीलगाय ,सूअर,  बारहसिंघा,  गैंडा,  हाथी आदि ।
*   पुरापाषाण काल का मानव कछुआ , मछलियों से भी परिचित था ।
*   पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल भारत में सोहन घाटी , व्यास व सिरसा नदियों के क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं ।
पहलगांव , बलवाल ,  चौंटारा  आदि क्षेत्र की प्रमुख बस्तियां थे ।
*  राजस्थान में थार- मरुस्थल के डीडवाना क्षेत्र में , लूनी नदी, गम्भीरा नदी, चम्बल नदी , की घाटियों में पुरापाषाण काल के पुरातात्विक बस्तियां प्राप्त हुई है ।
*  गुजरात के साबरमती, माही, भद्दर नदियों के किनारे पुरापाषाणकालीन बस्तियों के अवशेष मिले है ।
* नर्मदा नदी क्षेत्र व विंध्य पर्वत माला में पुरापाषाणकालीन बस्तियों के अवशेष प्राप्त हुई है जिनमें भीमबेटका सर्वाधिक उल्लेखनीय है ।
*  सुदूर दक्षिण में कृष्णा के सहायक नदियों के तटों पर पूरा पाषाण युगीन बस्तियों के अवशेष मिले हैं जिनमें बागलकोट ,  पनियार,  गुडियम उल्लेखनीय है ।  बंगाल में दामोदर एवं स्वर्णरेखा नदियों के तट पर ,  उड़ीसा में बुहार- बलंग घाटी में ,  वैतरणी, ब्राहमणी,  महानदी तटों पर पूरा पाषाण युगीन अवशेष प्राप्त हुए हैं ।
*   भारत में अधिकांश पाषाण अवशेष चमकीले पत्थर के निर्मित हैं ,  इसी कारण इन मानवों  को " चमकीले पत्थर के मानव " कहा गया है ।
*   पूरा पाषाण कालीन मानव ने आग जलाना सीख लिया था ।  करनूल जिले की गुफाओं में अग्नि के चिन्ह  मिले हैं ।


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