इतिहास: धार्मिक साहित्य -ब्राह्मण साहित्य-II
* वैदिक मूल ग्रंथ का अर्थ समझने के लिए वेदांगों की रचना की गई ।
* वेदांग 6 हैं । - शिक्षा (उच्चारण विधि) , कल्प (कर्मकांड), व्याकरण , निरुक्त ( भाषा विज्ञान) , छंद और ज्योतिष ।
* वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सूत्र साहित्य का प्रणयन हुआ ।
* विधि व नियमों का प्रतिपादन जिन सूत्रों में किया गया वे कल्पसूत्र के नाम से जाना जाता है ।
* कल्पसूत्र के तीन भाग है ।
- श्रौत सूत्र (यज्ञ सम्बन्धी नियम )
- गृह्य सूत्र ( लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्य )
- धर्म सूत्र ( धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्य)
* धर्म सूत्रों से स्मृति ग्रन्थों का विकास हुआ ।
* प्रमुख स्मृति ग्रन्थ है - मनुस्मृति , याज्ञवल्क्य स्मृति , पराशर स्मृति, नारद स्मृति , वृहस्पति स्मृति , कात्यायन स्मृति , गौतम स्मृति ।
* ऐसा माना जाता है कि मनुस्मृति की रचना मनु ने (ई0पू0 200 ) किया था । यह सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक माना जाता है ।
* वेदांग 6 हैं । - शिक्षा (उच्चारण विधि) , कल्प (कर्मकांड), व्याकरण , निरुक्त ( भाषा विज्ञान) , छंद और ज्योतिष ।
* वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सूत्र साहित्य का प्रणयन हुआ ।
* विधि व नियमों का प्रतिपादन जिन सूत्रों में किया गया वे कल्पसूत्र के नाम से जाना जाता है ।
* कल्पसूत्र के तीन भाग है ।
- श्रौत सूत्र (यज्ञ सम्बन्धी नियम )
- गृह्य सूत्र ( लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्य )
- धर्म सूत्र ( धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्य)
* धर्म सूत्रों से स्मृति ग्रन्थों का विकास हुआ ।
* प्रमुख स्मृति ग्रन्थ है - मनुस्मृति , याज्ञवल्क्य स्मृति , पराशर स्मृति, नारद स्मृति , वृहस्पति स्मृति , कात्यायन स्मृति , गौतम स्मृति ।
* ऐसा माना जाता है कि मनुस्मृति की रचना मनु ने (ई0पू0 200 ) किया था । यह सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक माना जाता है ।
* याज्ञवल्क्य स्मृति की रचना ई0 पू0 100 के लगभग मानी जाती है ।
* दो ग्रथों को महाकाव्य की संज्ञा दी जाती है । - रामायण और महाभारत।
* महाभारत की रचना वेद व्यास ने की थी ।
* प्रारंभ में इसमें 8800 श्लोक थे और इसका नाम जय संहिता था ।
* बाद में बढ़कर श्लोकों की संख्या 24000 हो गई और नाम पड़ा - भारत ।
* जब श्लोकों की संख्या बढ़कर 100000(एक लाख ) हो गई तो " शत साहस्री" अथवा "महाभारत" कहलाने लगे ।
* रामायण की रचना"महर्षी वाल्मीकि" ने की थी ।
* मूलतः रामायण में 6000 श्लोक थे जो बढ़कर 12000 श्लोक हो गए और अंततः 24000 श्लोक हो गए ।
* भारतीय ऐतिहासिक वृतांतों का क्रमबद्व विवरण पुराणों में मिलता है ।
* पुराणों की रचना लोमहर्ष और उनके पुत्र उग्रश्रवा थे ।
* पुराणों का रचना काल सम्भवतः तीसरी - चौथी शताब्दी ई0 में माना जाता है ।
* मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता हैं।
* भगवान विष्णु के दस अवतारों का विवरण मत्स्य पुराण में मिलता है ।
* मौर्यवंश के लिए विष्णु पुराण, सातवाहन वंश और शुंग वंश के लिए मत्स्य पुराण तथा गुप्त वंश के लिए वायु पुराण प्रामाणिक है ।
* ब्राह्मण साहित्य से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है परंतु राजनीतिक इतिहास की बहुत कम जानकारी मिलती है ।
* मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता हैं।
* भगवान विष्णु के दस अवतारों का विवरण मत्स्य पुराण में मिलता है ।
* मौर्यवंश के लिए विष्णु पुराण, सातवाहन वंश और शुंग वंश के लिए मत्स्य पुराण तथा गुप्त वंश के लिए वायु पुराण प्रामाणिक है ।
* ब्राह्मण साहित्य से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक इतिहास पर विस्तृत प्रकाश पड़ता है परंतु राजनीतिक इतिहास की बहुत कम जानकारी मिलती है ।
No comments:
Post a Comment
M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share