इतिहास: धार्मिक साहित्य -ब्राह्मण साहित्य-1
भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोतों को दो वर्गो में विभाजित किया जा सकता है ।
1. धार्मिक साहित्य
2. लौकिक साहित्य
धार्मिक साहित्य को तीन वर्गों में विभाजित कर सकते है ।
1. ब्राह्मण साहित्य
2. बौद्ध साहित्य
3. जैन साहित्य
ब्राह्मण साहित्य
* ब्राहमण साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन ऋग्वेद है । ऋग्वेद के द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन का परिचय मिलता है।
* वेदो की संख्या 4 है ।- ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद।
1. धार्मिक साहित्य
2. लौकिक साहित्य
धार्मिक साहित्य को तीन वर्गों में विभाजित कर सकते है ।
1. ब्राह्मण साहित्य
2. बौद्ध साहित्य
3. जैन साहित्य
ब्राह्मण साहित्य
* ब्राहमण साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन ऋग्वेद है । ऋग्वेद के द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन का परिचय मिलता है।
* वेदो की संख्या 4 है ।- ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद।
* चारों वेदों का सम्मिलित रूप संहिता कहलाता है ।
* ऋग्वेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - ऐतरेय ब्राह्मण और कौषीतकि ब्राह्मण ।
* यर्जुवेद के दो भाग है - शुक्ल यर्जुवेद और कृष्ण यर्जुवेद ।
* यर्जुवेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - शतपथ ब्राह्मण, तैत्तिरीय ब्राह्मण
* सामवेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - जैमिनीय ब्राह्मण , ताण्ड्य ब्राह्मण
* अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रन्थ है - गोपथ ब्राह्मण ।
* यज्ञ के विषयों को प्रतिपादन करने वाले ग्रन्थ "ब्राह्मण" कहलाते है ।
* उपनिषद वेदों के अंतिम भाग है , इसे वेदांत भी कहा जाता है । उपनिषद भारतीय दर्शन के प्रमुख स्रोत है ।
* उपनिषदों की कुल संख्या 108 है ।
* आरण्यक -ऋषियों द्वारा वनों में कही जाने वाली रचनाओं को आरण्यक कहते है ।
* आरण्यकों की संख्या 7 है ।
क्रमशः............
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