इतिहास: ब्राह्मणेत्तर साहित्य
ब्राह्मणेत्तर साहित्य के अंतर्गत दो धर्मों के साहित्य आते है- बौद्ध धर्म से जुड़ी साहित्य और जैन धर्म जुड़ी साहित्य ।
बौद्ध धर्म साहित्य :
* बौद्ध धर्म साहित्य के प्राचीन ग्रंथ त्रिपिटक कहलाते हैं ।
* त्रिपिटक 3 हैं - सुत्त पिटक , विनय पिटक और अधिगम पिटक
* सुत्त पिटक में बुद्व के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह है , इसे बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है ।
* विनय पिटक बौद्ध संघ के नियमों का उल्लेख है ।
* अधिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन है । * जातकों में बुद्व के पूर्व जन्मों की काल्पनिक कथाएं हैं
* त्रिपिटक 3 हैं - सुत्त पिटक , विनय पिटक और अधिगम पिटक
* सुत्त पिटक में बुद्व के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह है , इसे बौद्ध धर्म का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है ।
* विनय पिटक बौद्ध संघ के नियमों का उल्लेख है ।
* अधिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन है । * जातकों में बुद्व के पूर्व जन्मों की काल्पनिक कथाएं हैं
* जातक गद्य एवं पद्य दोनों में लिखे गए हैं ।
* जातकों की संख्या 550 मानी जाती है ।
* प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पाली भाषा में है ।
* पाली भाषा में लिखे गए बौद्ध ग्रंथों को द्वितीय या प्रथम सदी ईस्वी पूर्व का स्वीकार किया गया है ।
* बुद्व घोष द्वारा रचित " विशुद्ध मग" बौद्ध धर्म की हिनयान शाखा का ग्रंथ है । यह बौद्ध सिद्धांतों पर प्रमाणिक दार्शनिक ग्रंथ स्वीकार किया जाता है ।
* जातक कथाएं ईसा पूर्व 5 वीं सदी से दूसरी सदी तक की सामाजिक व आर्थिक स्थिति की जानकारी का स्रोत है ।
* पाली भाषा का ग्रंथ नाग सेन द्वारा रचित "मिलिंदपन्हो " जिसमें यूनानी राजा मिनांडर और बौद्ध भिक्षु नागसेन के दार्शनिक वार्तालाप का वर्णन है ।
* "अंगुत्तर निकाय " ग्रन्थ में सोलह महाजनपदों का जिक्र है ।
* " आर्यमंजुश्रीमूलकल्प" नामक ग्रन्थ में गुप्त शासकों का वर्णन मिलता है ।
* "महावस्तु " और "ललित विस्तार " में गौतम बुद्व के जीवनवृत की जानकारी मिलती है ।
* जातकों की संख्या 550 मानी जाती है ।
* प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पाली भाषा में है ।
* पाली भाषा में लिखे गए बौद्ध ग्रंथों को द्वितीय या प्रथम सदी ईस्वी पूर्व का स्वीकार किया गया है ।
* बुद्व घोष द्वारा रचित " विशुद्ध मग" बौद्ध धर्म की हिनयान शाखा का ग्रंथ है । यह बौद्ध सिद्धांतों पर प्रमाणिक दार्शनिक ग्रंथ स्वीकार किया जाता है ।
* जातक कथाएं ईसा पूर्व 5 वीं सदी से दूसरी सदी तक की सामाजिक व आर्थिक स्थिति की जानकारी का स्रोत है ।
* पाली भाषा का ग्रंथ नाग सेन द्वारा रचित "मिलिंदपन्हो " जिसमें यूनानी राजा मिनांडर और बौद्ध भिक्षु नागसेन के दार्शनिक वार्तालाप का वर्णन है ।
* "अंगुत्तर निकाय " ग्रन्थ में सोलह महाजनपदों का जिक्र है ।
* " आर्यमंजुश्रीमूलकल्प" नामक ग्रन्थ में गुप्त शासकों का वर्णन मिलता है ।
* "महावस्तु " और "ललित विस्तार " में गौतम बुद्व के जीवनवृत की जानकारी मिलती है ।
* "दीपवंश " और " महावंश " ग्रन्थ में मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है ।
* जैन साहित्य "आगम"(सिद्वान्त) कहलाता है ।
* जैन आगमों में 12 अंग , 12 उपांग , 10 प्रकीर्ण , 6 छंद सूत्र है ।
* "आचारांग सूत्र " में जैन भिक्षुओं के आचार-नियमों का वर्णन मिलता है ।
* "भगवती सूत्र" में भगवान महावीर के जीवन वृत का उल्लेख है । इसमें सोलह महाजनपदों का भी उल्लेख है ।
* भद्रबाहु कृत " कल्पसूत्र " में जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी मिलती है ।
* उद्योतन सूरी कृत " कुवलयमाला" में जैन समाज की सामाजिक व धार्मिक स्थिति का वर्णन है ।
प्रश्न: " किस ग्रन्थ को "बौद्व धर्म का इनसाइक्लोपीडिया" कहा जाता है ?
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