Saturday 4 December 2021

CBSE Class 6 History Chapter 3 Notes - In the Earliest Cities

CBSE Class 6 History Chapter 3 Notes - In the Earliest Cities

आरंभिक नगर पाठ – 3



· 150 साल पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पहली बार रेलवे लाइनें बिछाई जा रही थी , तो इंजीनियरों को अचानक पुरास्थल मिला जिसे हडप्पा पुरास्थल कहा गया |

· उसके बाद लगभग 80 साल पहले पुरातत्वविदों ने इस स्थल को ढूंढा और तब पता चला की यह खंडहर उपमहाद्वीप के सबसे पुराने शहरों में से एक है |

· चूँकि इस शहर की खोज सबसे पहले हुई थी , इसलिए बाद में मिलने वाले इस तरह के सभी पुरस्थलों में जो इमारतें और चीजें मिलीं उन्हें हडप्पा सभ्यता की इमारतें कहा गया |

· हडप्पा पुरास्थल का निर्माण लगभग 4700 साल पहले हुआ था |





· हड़प्पा सभ्यता के नगरों में से कई दो या उससे ज्यादा हिस्सों में विभाजित किया गया था |

· प्राय: पश्चमी भाग छोटा था लेकिन ऊँचाई पर बना था , पुरातत्त्वविदों ने इसे नगर-दुर्ग कहा है |

· पूर्वी हिस्सा बड़ा था लेकिन यह निचले इलाके में था , इस हिस्से को निचला-नगर कहा है |

· नगर-दुर्ग और निचला –नगर दोनों हिस्सों की चारदीवारियां पकी ईंटों की बनाई जाती थीं | ये ईंटों की दीवारें आज भी मौजूद है

· कुछ नगरों के नगर-दुर्ग में कुछ ख़ास इमारतें बनाई गई थी | जैसे- मोहनजोदड़ो में विशाल स्नानागार 

· विशाल स्नानागार : मोहनजोदड़ों से प्राप्त ख़ास तालाब जिसे पुरात्वविदों ने विशाल स्नानागार कहा है , इस तालाब को बनाने में ईंट और प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया था |इसमें पानी का रिसाव का रोकने के लिउए प्लास्टर के ऊपर चारकोल की परत चढाई गई थी |इस सरोवर में दो तरफ से उतरने के लिए सीढियां बनाई गई थी, और चारों ओर कमरे बनाए गए थे |इसमें भरने के लिए पानी कुँए से निकाला जाता था, उपयोग के बाद इसे खाली कर दिया जाता था | शायद यहाँ विशिष्ट नागरिक विशेष अवसरों पर स्नान किया करते थे |

· कालीबंगा (राजस्थान ) और लोथल (गुजरात ) जैसे एनी नगरों में अग्निकुंड मिले है , जहां संभवत: यज्ञ किये जाते होंगें |

· हड़प्पा , मोहनजोदड़ो और लोथल जैसे कुछ नगरों में बड़े-बड़े भंडार-गृह मिले है |

भवन , नाले और सड़कें

· हड़प्पा सभ्यता के नगरों के घर आमतौर पर एक या दो मंजिलें होत्ते थे | घर के आँगन के चारों ओर कमरे बननाए जाते थे | अधिकांश घरों में एक अलगर स्नानघर होता था, और कुछ घरों में कुँए भी होते थे |



· हड़प्पा नगरों में ढके हुए नाले थे| इन्हें सावधानी से सीधी लाइन में बनाया जाता था | हर नाली में हल्की ढलान होती थी ताकि पानी आसानी से बह सके |अक्सर घरों की नालियों को सड़कों की नालियों से जोड़ दिया जाता था, जो बाद में बड़े नालों में मिल जाती थीं | नालों के ढके होने के कारण इनमें जगह-जगाह पर मेनहोल बनाए गए थे , जिनके जरिये इनकी देखभाल और सफाई की जा सके |




नगरीय जीवन

· नगरों के शासक ख़ास इमारतों में रहते थे | ये शासक लोगों को भेज कर दूओर-दूर से धातु , बहुमूल्य पत्थर और अन्य उपयोगी चीजें मंगवाते थे | शासक लोग ख़ूबसूरत मनकों तथा सोने-चांदी से बने आभूषणों जैसी कीमती चीजों को अपने पास रखते होंगे |

· इन नगरों में लिपिक भी होते थे, जो मुहरों पर तो लिखते ही थे , और शायद अन्य चीजों पर भी लिखते होंगे, जिसका अवशेष वर्तमान में उपलब्ध नहीं है |

· नगरों में शिल्पकार स्त्री-पुरुष भी रहते थे जो अपने घरों या किसी उद्योग-स्थल पर तरह-तरह की चीजे बनाते होंगें |

· हड़प्पा सभ्यता के लोग लम्बी यात्राएं भी करते थे, और वहां से उपयोगी वस्तुएं लाते थे |

नगर और नए शिल्प

· पुरातत्वविदों के अनुसार हड़प्पा के नगरों से अनेक वस्तुएं प्राप्त हुई है जो पत्थर , शंख , ताम्बें , कांसे , सोने और चांदी जैसे धातुनों से बनाई जाती थी |

· ताम्बें और कांसे से औजार , हथियार , गहने और बर्तन बनाए जाते थे |

· सोने और चांदी से गहने और बर्तन बनाए जाते थे |

· हड़प्पा के नगरों से मिली सबसे आकर्षक वस्तुओं में मनके, बाट और फलक है |




· हडप्पा सभ्यता के लोग पत्थर की मुहरें बनाते थे | इन आयताकार मुहरों पर सामान्यत: जानवरों के चित्र मिलते है | हड़प्पा सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाईन किये गये खुसूर्त लाल मिट्टी के बर्तन बनाते थे |

· संभवत: 7000 साल पहले मेहरगढ़ में कपास की खेती होती थी |

· मोहनजोदड़ो से कपडे के टुकड़ों के अवशेष चांदी के एक फूलदान के ढक्कन तथा कुछ अन्य ताम्म्बें की वस्तुओं से चिपके हुए मिले है |

· फेयान्स: फेयंस को कृत्रिम रूप से तैयार किया जाता था | बालू या स्फटिक पत्थरों के चूर्ण को गोंद में मिलाकर उनसे वस्तुएं बनाई जाती थीं | उसके बाद उन वस्तुओं पर एक चिकनी पार्ट चढाई जाती थी | इस चिकनी पार्ट के रंग प्राय: नीले या हलके समुद्री हरे होते थे | फेयान्स से मनके , चूड़ियाँ , बाले और छोटे बर्तन बनाए जाते थे |






कच्चे माल की खोज में

· कच्चा माल : कच्चा माल उन पदार्थो को कहते है जो या तो प्राकृतिक रूप से मिलते है या फिर किसान या पशुपालक उनका उत्पादन करते है जैसे लकड़ी या धातुओं के अयस्क प्राकृतिक रूप से उपलब्ध कच्चे माल है |

· हड़प्पा में लोगों को कई चीजें वहीं मिलती थीं, लेकिन ताम्बा , लोहा, सोना, चांदी और बहुमूल्य पत्थरों जैसे पदार्थो का वे दूर-दूर से आयात करते थे |

· हड़प्पा के लोग तांबा का आयात राजस्थान के खेतड़ी तथा पश्चिम एशियाई देश ओमान से करते थे |

· टिन का आयत ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था |

· सोने का आयात आधुनिक कर्नाटक और बहुमूल्य पत्थर का आयात गुजरात , ईरान और अफगानिस्तान से किया जाता था |

नगरों में रहने वाले के लिए भोजन :

· गाँव के लोग अनाज उगाते थे और जानवर पालते थे |

· किसान और चरवाहे ही शहरों में रहने वाले शासकों, लेखकों और दस्तकारों को खाने के सामान देते थे |

· पौधों के अवशेषों से पता चलता है की हड़प्पा के लोग गेहूं, जौ, मटर, धान, तिल और सरसों उगाते थे |

· जमीन की जुताई के लिए हल का प्रयोग किया जाता था |हल के आकार के खिलौने मिले है |

· हड़प्पा के लोग पानी का संचय करते थे | सिंचाई के लिए नहर का प्रयोग होता होगा | शुर्त्घई से नहर के अवशेष प्राप्त हुए है |

· हड़प्पा के लोग गाय, भैंस , भेंड और बकरियां पालते थे | बस्तियों के आस-पास तालाब और चारागाह होते थे |

गुजरात में हडप्पाकालीन नगर का सूक्ष्म-निरीक्षण

धोलविरा


· धौलवीरा गुजरात में हडप्पा कालीन पुरास्थल है | धौलवीरा नगर को तीन भागों में बांटा गया था | इसके हर हिस्से के चारों ओर पत्थर की ऊँची-ऊँची दीवार बनाई गई थी | इसके अन्दर जाने के लिउए बड़े-बड़े प्रवेश द्वार थे |

· धौलवीरा नगर में एक खुला मैदान भी था , जहां सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते थे | यहाँ मिले कुछ अवशेषों में हड़प्पा लिपि के बड़े-बड़े अक्षरों को पत्थरों में खुदा पाया है | इन अभिलेखों को संभवत: लकड़ी में जड़ा गया था | यह एक अनोखा अवशेष है, क्योंकि आमतौर पर हड़प्पा के लेख मुहर जैसी छोटी वस्तुओं पर पाए जाते है |

लोथल


· लोथल गुजरात के खम्भात की खाड़ी में साबरमती की एक उपनदी भोगवा नदी के किनारे पाए जाने वाला हडप्पा कालीन पुरास्थल है |

· लोथल से कीमती पत्थर आसानी से मिल जाता था |

· यह पत्थरों, शंखों और धातुओं से बनाई गई चीजों का एक महत्त्वपूर्ण केंद्र था |

· इस नगर में एक भंडार गृह भी था| इस भंडार गृह से कई मुहरें और मुद्रांकन या मुहरबंदी (गीली मिट्टी पर दबाने से बनी उनकी छाप) मिले है |

· लोथल से एक बड़ा तालाब मिले है | हो सकता है की यह बंदरगाह रहा हूगा, जहां समुद्र के रास्ते आने वाली नावें रूकती थी | संभवत: यहाँ पर माल-चढाया-उतारा जाता था |




· लोथल में पत्थर के टुकड़े , अधबने मनके, नामके बनाने वाले उपकरण और तैयार मनके भी यहाँ मिले है |


· मुद्रा (मुहर) और मुद्रांकन या मुहरबंदी : मुहरों का प्रयोग सामान से भरे उन डिब्बों या थैलों को चिन्हित करने के लिए किया जाता होगा , जिन्हें एक जगह से दूसरी जगह भेजा जाता था | थैले को बंद करने के बाद उनके मुहानों पर गीली मिट्टी पॉट कर उन पर मुहर लगाई जाती थी | मुहर की छाप को मुहरबंदी कहते है |


हड़प्पा सभ्यता के अंत का रहस्य :


· लगभग 3900 साल पहले हड़प्पा सभ्यता का अंत हो गया | अचानक लोगों ने इन नगरों को छोड़ दिया | लेखन, मुहर औअर बाटों का प्रयोग बंद हो गया | जलनिकासी प्रणाली नष्ट हो गयी |

· हड़प्पा सभ्यता का अंत कैसे हुआ ? कुछ पता नहीं | अनेक विद्वानों ने अलग –अलग राय रखी है |

· कुछ विद्वानों का कहना है कि नदियाँ सूख गई थीं |

· कुछ विद्वानों का कहना था कि जंगलों का विनाश हो गया था |

· अन्य विद्वानों का कहना है कि कुछ इलाकों में बाढ़ आ गयी |

लेकिन इन कारणों से यह स्पस्ट नहीं हो पाता है की सभी नगरों का अंत कैसे हो गया क्योंकि बाढ़ और नदियों के सूखने का असर कुछ ही इलाकों में हुआ होगा |

CHAPTER

No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share

Also Read

Navoday Vidyalaya Class VI result 2024 out

NAVODAYA VIDYALAYA SELECTION TEST CLASS VI -2024 RESULT OUT Navodaya Vidyalaya Samiti Delhi published result of Jawahar Navodaya Vidyal...