Wednesday 23 June 2021

भारतीय इतिहास के स्रोत

 भारतीय इतिहास के स्रोत 

 स्रोत: प्राचीन भारतीय इतिहास


भारतीय समाज एवं संस्कृति आज इस स्थिति में है, उस संदर्भ में भारत के अतीत का अध्ययन विशेष महत्व रखता है  । उनके वर्तमान भारत की जड़े  अतीत से जुड़ी हुई है।  इतिहास जानने के लिए प्राचीन स्रोतों की जरूरत पड़ती है जिसके माध्यम से हम अपने अतीत के इतिहास को समझ सके।  यह हम जान सके कि भारतीय समाज एवं संस्कृतियों का विकास कब,  कहां और कैसे हुआ था ।

प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत :
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत को 4 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है .
1.  पुरातात्विक स्रोत
2. धार्मिक स्रोत
3. लौकिक स्रोत
4. विदेशी साहित्य

 पुरातात्विक स्रोत
*     प्राचीन भारत के अधिकतर अभिलेख पाषाण शिला स्तंभ ताम्रपत्र ओं दीवारों तथा प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण हैं ।

*    सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के बोगाज़कोई नामक स्थान से लगभग 1400  ई0 पूर्व प्राप्त हुआ है । इस  अभिलेख में इंद्र,  मित्र , वरुण और नास्तय आदि वैदिक देवताओं के नाम मिलते हैं ।


*    भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के हैं इनका समय तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व है ।



*  मास्की,  गुज्जर्रा , निठूर एवं उदेगोलम से प्राप्त अभिलेखों में अशोक के नाम का स्पष्ट उल्लेख है । इन अभिलेखों से अशोक के धम्म  व राजत्व के आदर्श पर प्रकाश पड़ता है|

*     अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है ।  केवल उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है ।

*   लघमान  एवं सर्कुना  से प्राप्त अशोक के अभिलेख यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में है ।

*    प्रारम्भिक अभिलेख(गुप्त काल से पूर्व) प्राकृत भाषा में है जबकि गुप्त तथा गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत में है ।

*    यवन राजदूत हेलियोडोरस का वेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरूड़ स्तम्भ लेख में भागवत धर्म के विकसित जोन के साक्ष्य प्राप्त हुए है ।


*     मध्यप्रदेश के  एरण से प्राप्त वाराह प्रतिमा पर  हूणराज तोरमाण के लेखों का विवरण है ।

*     पर्सिपोलीस और बेहिसतून अभिलेखों से ज्ञात होता है कि ईरानी सम्राट दारा ने सिंधु घाटी को अधिकृत किया था ।

*    सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेखों को पढ़ा था ।

*  सिक्कों की अध्ययन को मुद्रा शास्त्र कहते हैं ।

*  पुराने सिक्के ताँबाचांदी , सोना और सीसा धातु के बनते थे ।

*  पकाई मिट्टी के बने सिक्कों के सांचे ईसा के आरंभिक तीन सदियों के हैं जिनमें से अधिकांश सांचे कुषाण काल के है ।

*  भारत के प्राचीनतम सिक्के आहत  सिक्के हैं जो ई0 पू0 पांचवी सदी के हैं,  ठप्पा मारकर बनाए जाने के कारण इन्हें आहत मुद्रा कहां गया है ।


*  आहत मुद्रा की सबसे पुरानी निधि  पूर्वी उत्तर प्रदेश और मगध में प्राप्त हुई है ।

*  आरंभिक सिक्के अधिकांशत: चांदी के है,  ये  सिक्के पंचमार्क कहलाते है । इन सिक्कों  पर पेड़,  मछली , सांड , हाथी,  अर्ध चंद्रा आदि आकृतियां उत्कीर्ण है ।


*   सात वाहन वंश के शासकों ने शीशे के सर्वाधिक सिक्के प्रचलित किए थे ।

*   गुप्त शासकों ने सोने के सर्वाधिक सिक्के प्रचलित किए।

*   सर्वप्रथम लेख वाले स्वर्ण सिक्के इंडो-ग्रीक शासकों  ने प्रचलित किए थे ।

*   मंदिरों तथा स्तूपों  से भारतीय संस्कृति,  वास्तु कला शैली का परिचय मिलता है।

*   हड़प्पा , मोहनजोदड़ो से प्राप्त मुहरे  तत्कालीन धार्मिक स्थिति ज्ञात  होती है।

*   बसाढ़  से प्राप्त मिट्टी की मोहरों से व्यापारिक   श्रेणीयों की जानकारी मिलती हैं ।

अभिलेख
पुरातत्त्विक स्रोतों में सबसे महत्वपूर्ण स्रोत अभिलेख है।उत्कीर्ण लेखों को चार श्रेणियो में विभाजित किया गया है। - गुफालेख, शिलालेख, स्तम्भलेख और ताम्रपत्र लेख ।इन अभिलेखों से प्राचीन भारत के राजाओं के नाम ,कार्य ,वंश, तिथि और उनसे सम्बन्धित घटनाओं का पता चलता है ।

कुछ प्रमुख शिलालेख:

संख्या                   शिलालेख                                   शासक

1.                      प्रयाग प्रशस्ती                               समुद्रगुप्त
2.                     हाथीगुम्फा अभिलेख।                    खारवेल
3.                      नानाघाट अभिलेख                        नागनिका
4.                        जूनागढ़ अभिलेख                       रूद्रदामन
5.               शिनकोटप्रस्तर मंजूषा अभिलेख           मिनांडर
6.                तख्त-के-बाही प्रस्तर अभिलेख            गंडोफर्नीज
7.                 सुई विहार ताम्रपत्र लेख                     कनिष्क
8.                    जूनागढ़ अभिलेख                          स्कंदगुप्त
9.                 भीतरी स्तम्भ अभिलेख                     स्कन्दगुप्त
10.                   ग्वालियर प्रशस्ति।                        भोज
11.                  नासिक अभिलेख।                       गौतमीपुत्र बलश्री
12.                  गिरनार अभिलेख                        रुद्रदामन
13.                देवपाड़ा अभिलेख                         विजयसेन
14.                  एहोल अभिलेख                           पुलकेशिन द्वितिय
15.                महरौली अभिलेख                         चंद्रगुप्त द्वितीय
16.                    मधुवन अभिलेख                       हर्षवर्धन
17.                    वांसरवेरा अभिलेख.                    हर्षवर्धन
18.           बोग़जकोई अभिलेख                          एशिया माइनर(स्थान)


इतिहास: धार्मिक साहित्य -ब्राह्मण साहित्य

भारतीय इतिहास के साहित्यिक स्रोतों को दो वर्गो में विभाजित किया जा सकता है ।
1. धार्मिक साहित्य
2. लौकिक साहित्य

     धार्मिक साहित्य को तीन वर्गों में विभाजित कर सकते है ।
1. ब्राह्मण साहित्य
2. बौद्ध साहित्य
3. जैन साहित्य

 ब्राह्मण साहित्य

*  ब्राहमण साहित्य में सर्वाधिक प्राचीन ऋग्वेद है । ऋग्वेद के  द्वारा प्राचीन आर्यों के धार्मिक, सामाजिक,  आर्थिक  और राजनीतिक जीवन का परिचय मिलता है।

*   वेदो की संख्या 4 है ।- ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद , अथर्ववेद


*   चारों वेदों  का सम्मिलित रूप  संहिता कहलाता है ।

*   ऋग्वेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - ऐतरेय ब्राह्मण और कौषीतकि ब्राह्मण ।

*   यर्जुवेद के दो भाग है - शुक्ल यर्जुवेद और कृष्ण यर्जुवेद ।

*  यर्जुवेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - शतपथ ब्राह्मण, तैत्तिरीय ब्राह्मण

*  सामवेद के दो ब्राह्मण ग्रन्थ है - जैमिनीय ब्राह्मण , ताण्ड्य ब्राह्मण

*  अथर्ववेद के ब्राह्मण ग्रन्थ है - गोपथ ब्राह्मण ।

*  यज्ञ के विषयों को प्रतिपादन करने वाले ग्रन्थ "ब्राह्मण" कहलाते है ।

*  उपनिषद वेदों के अंतिम भाग है , इसे वेदांत भी कहा जाता है । उपनिषद भारतीय दर्शन के प्रमुख स्रोत है ।


*  उपनिषदों की कुल संख्या 108 है ।

*  आरण्यक -ऋषियों द्वारा वनों में कही जाने वाली रचनाओं को आरण्यक कहते है ।

*  आरण्यकों की संख्या 7 है ।

 इतिहास: धार्मिक साहित्य -ब्राह्मण साहित्य

* वैदिक मूल ग्रंथ का अर्थ समझने के लिए वेदांगों  की रचना की गई ।

*  वेदांग 6 हैं  ।  -  शिक्षा (उच्चारण विधि) ,  कल्प (कर्मकांड),  व्याकरण , निरुक्त ( भाषा विज्ञान) ,  छंद और ज्योतिष ।

वैदिक साहित्य को अक्षुण्ण बनाये रखने के लिए सूत्र साहित्य का प्रणयन हुआ ।

विधि व नियमों का प्रतिपादन जिन सूत्रों में किया गया वे कल्पसूत्र के नाम से जाना जाता है ।

कल्पसूत्र के  तीन भाग है ।

श्रौत सूत्र (यज्ञ सम्बन्धी नियम )

गृह्य सूत्र ( लौकिक एवं पारलौकिक कर्तव्य )

धर्म सूत्र ( धार्मिक, सामाजिक एवं राजनीतिक कर्तव्य)

धर्म सूत्रों से स्मृति ग्रन्थों का विकास हुआ ।

* प्रमुख स्मृति ग्रन्थ है - मनुस्मृति , याज्ञवल्क्य स्मृति , पराशर स्मृति, नारद स्मृति , वृहस्पति स्मृति , कात्यायन स्मृति , गौतम स्मृति ।

* ऐसा माना जाता है कि मनुस्मृति की रचना मनु ने (ई0पू0 200 ) किया था । यह सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक माना जाता है । 


याज्ञवल्क्य स्मृति की रचना ई0 पू0 100 के लगभग मानी जाती है ।

* दो ग्रथों को महाकाव्य की संज्ञा दी जाती है । - रामायण और महाभारत


महाभारत की रचना वेद व्यास ने की थी ।

* प्रारंभ में इसमें 8800 श्लोक थे और इसका नाम जय संहिता था ।

* बाद में बढ़कर श्लोकों की संख्या 24000 हो गई और नाम पड़ा - भारत ।

* जब श्लोकों की संख्या बढ़कर 100000(एक लाख ) हो गई तो " शत साहस्री" अथवा "महाभारत" कहलाने लगे ।

रामायण की रचना"महर्षी वाल्मीकि" ने की थी ।

* मूलतः रामायण में 6000 श्लोक थे जो बढ़कर 12000 श्लोक हो गए और अंततः 24000 श्लोक हो गए ।

* भारतीय ऐतिहासिक वृतांतों का क्रमबद्व विवरण पुराणों में मिलता है ।


पुराणों की रचना लोमहर्ष और उनके पुत्र उग्रश्रवा थे ।

*  पुराणों का रचना काल सम्भवतः तीसरी - चौथी शताब्दी ई0 में माना जाता है ।

मत्स्य पुराण सबसे प्राचीन और प्रमाणिक माना जाता हैं।

भगवान विष्णु के दस अवतारों का विवरण मत्स्य पुराण में मिलता है ।

मौर्यवंश के लिए विष्णु पुराणसातवाहन वंश और शुंग वंश के लिए मत्स्य पुराण  तथा गुप्त वंश के लिए  वायु पुराण प्रामाणिक है ।

*   ब्राह्मण  साहित्य  से प्राचीन भारत के सामाजिक तथा सांस्कृतिक  इतिहास पर विस्तृत प्रकाश  पड़ता है  परंतु राजनीतिक इतिहास की बहुत कम जानकारी मिलती है ।

 इतिहास: ब्राह्मणेत्तर साहित्य

ब्राह्मणेत्तर साहित्य के अंतर्गत दो धर्मों के साहित्य आते है- बौद्ध धर्म से जुड़ी साहित्य और जैन धर्म जुड़ी साहित्य 


बौद्ध धर्म साहित्य :

*  बौद्ध धर्म साहित्य के प्राचीन ग्रंथ त्रिपिटक कहलाते हैं ।

*  त्रिपिटक 3 हैं - सुत्त पिटक ,  विनय पिटक और  अधिगम पिटक


*   सुत्त पिटक में बुद्व के धार्मिक विचारों और वचनों का संग्रह है ,  इसे बौद्ध धर्म का  इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है ।

*  विनय पिटक बौद्ध संघ के नियमों का उल्लेख है ।

*  अधिधम्म पिटक में बौद्ध दर्शन का विवेचन है ।     
                           
 जातकों में बुद्व  के पूर्व जन्मों की काल्पनिक कथाएं हैं


*  जातक गद्य एवं पद्य दोनों में लिखे गए हैं ।

*  जातकों की संख्या 550 मानी जाती है ।

*  प्राचीनतम बौद्ध ग्रंथ पाली भाषा में है ।

*  पाली भाषा में लिखे गए बौद्ध ग्रंथों को द्वितीय या प्रथम सदी ईस्वी पूर्व का स्वीकार किया गया है ।

*  बुद्व घोष द्वारा रचित " विशुद्ध मग"  बौद्ध धर्म की हिनयान शाखा का ग्रंथ है ।  यह बौद्ध सिद्धांतों पर प्रमाणिक दार्शनिक ग्रंथ स्वीकार किया जाता है ।

* जातक कथाएं ईसा पूर्व 5 वीं सदी से दूसरी सदी तक की सामाजिक व आर्थिक स्थिति की जानकारी का स्रोत है ।

*   पाली भाषा का ग्रंथ नाग सेन द्वारा रचित "मिलिंदपन्हो " जिसमें यूनानी राजा मिनांडर और बौद्ध भिक्षु  नागसेन के दार्शनिक वार्तालाप का वर्णन है ।

*  "अंगुत्तर निकाय " ग्रन्थ में सोलह महाजनपदों का जिक्र है ।

*  " आर्यमंजुश्रीमूलकल्प" नामक ग्रन्थ में गुप्त शासकों का वर्णन मिलता है ।

*  "महावस्तु " और  "ललित विस्तार " में गौतम बुद्व के जीवनवृत की जानकारी मिलती है ।

*  "दीपवंश "  और " महावंश "  ग्रन्थ में मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है ।

जैन साहित्य 

*  जैन साहित्य "आगम"(सिद्वान्त) कहलाता है ।

*  जैन आगमों में 12 अंग , 12 उपांग , 10 प्रकीर्ण , 6 छंद सूत्र है ।

*  "आचारांग सूत्र " में जैन भिक्षुओं के आचार-नियमों का वर्णन मिलता है ।

*  "भगवती सूत्र" में भगवान महावीर के जीवन वृत का उल्लेख है । इसमें सोलह महाजनपदों का  भी उल्लेख है ।

*  भद्रबाहु कृत " कल्पसूत्र " में जैन धर्म के प्रारंभिक इतिहास की जानकारी मिलती है ।

*  उद्योतन सूरी कृत " कुवलयमाला" में जैन समाज की सामाजिक व धार्मिक स्थिति का वर्णन है ।

इतिहास: लौकिक साहित्य 

*  लौकिक साहित्य के अंतर्गत प्रमुख ऐतिहासिक स्रोत चाणक्य  कृत  " अर्थशास्त्र" है । इस पुस्तक में मौर्यकालीन इतिहास की जानकारी मिलती है ।

*  विशाखदत्त कृत "मुद्राराक्षस", सोमदेव कृत "कथासरित्सागर" , क्षेमेन्द्र कृत " वृहत्यकथामन्जरी" मौर्य साम्राज्य के इतिहास की जानकारी प्राप्त होती है ।

*  पतंजलि कृत " महाभाष्य " और कालिदास कृत "मालविकाग्निमित्र" पुस्तक से शुंग वंश की जानकारी मिलती है ।

* शूद्रक कृत " मृच्छकटिकम" से तत्कालीन समाज की जानकारी मिलती है ।

*  कल्हण कृत "राजतरंगिणी" ग्रन्थ से ऐतिहासिक घटनाओं को क्रमबद्व ढंग से प्रस्तुत किया गया है ।

*  राजशेखर कृत " प्रबन्धकोश " ग्रन्थ से गुजरात के चालुक्यकालीं इतिहास की जानकारी मिलती है ।

*  "गार्गी संहिता " से यवन आक्रमण की जानकारी मिलती है ।

*  ऐतिहासिक जीवनियों में 
अश्वघोष कृत "बुद्वचरित" , 
 
वाणभट्ट कृत " हर्षचरित " , 

वाक्पति कृत " गौडव्हो" ,

 विल्हण कृत " विक्रमांकदेवचरित" , 

पद्मगुप्त कृत  " नवसाहसांकचरित " ,

हेमचन्द्र कृत  " कुमारपाल चरित "  

भारतीय प्राचीन इतिहास जानकारी के प्रमुख स्रोत  है ।

* दक्षिण भारत का प्राचीन इतिहास "संगम साहित्य  " से प्राप्त होता है ।

इतिहास: विदेशी वृतान्त साहित्य 

*  हेरोडोटस ( इतिहास का जनक)  ने अपनी पुस्तक "हिस्टोरीका " में भारत और फारस के संबंधों पर प्रकाश डालती हैं|

*  मेगास्थनीज ने अपनी पुस्तक "इंडिका"  में मौर्य युगीन समाज एवं संस्कृति की जानकारी देता है ।

*  टॉलमी की रचना  "ज्योग्राफी"  से तत्कालीन भारत की विस्तृत जानकारी मिलती है  ।

*   "पेरिप्लस ऑफ द एरिथ्रीयन सी "  में भारतीय बंदरगाहों एवं व्यापारिक वस्तुओं का उल्लेख है ।

*  प्लिनी कृत "  नेचुरल हिस्टोरीका "  से भारतीय पशुओं , पौधों , खनिज  पदार्थों  की जानकारी मिलती है ।  इससे भारत व इटली के मध्य होने वाले व्यापार पर भी प्रकाश पड़ता है ।

*  " फाह्यान" के  " यात्रा वृत्तांत" से गुप्तकालीन भारत की सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक स्थिति की जानकारी मिलती है ।

*  ह्वेनसांग की पुस्तक " सी-यू-की" में हर्षकालीन भारत की जानकारी मिलती है । इस पुस्तक में 138 देशों का विवरण मिलता है ।

*  इत्सिंग 7वीं सदी में भारत आया और उसने नालन्दा एवं विक्रमशिला का वर्णन किया ।

*  अलबरूनी कृत " तहकीक -ए -हिंद" ( किताब- उल- हिंद) में राजपूत कालीन भारत की सामाजिक धार्मिक आर्थिक सांस्कृतिक जीवन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराती है  ।

*  अरब यात्री " सुलेमान " ने अपने यात्रा विवरण में प्रतिहार शासकों का उल्लेख करते हुए तत्कालीन सामाजिक आर्थिक जानकारी का विस्तृत उल्लेख किया है ।

*   बगदाद यात्री " अल मसूदी " राष्ट्रकूट एवं प्रतिहार शासकों के विषय में महत्वपूर्ण जानकारी अपने यात्रा विवरण में देता है ।


मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत 

इतिहास लेखन (कृतियाँ) -  इतिहासकार


राज तरंगिणी - कल्हण

तहकीक ए हिंद - अलबरूनी

तबकाते नासिरी - मिनहाज शिराज
 
ताजुल अमासिर - हसन निजामी

चचनामा - बद्रे चाच

तारीख ए फिरोजशाही - जियाउद्दीन बरनी

फ़्तवाये जहाँदारी - जियाउद्दीन बरनी

केरानुस्नसादैन - अमीर खुसरो
 
देवलरानी खिज्र खान - अमीर खुसरो

नूह सिपेहर - अमीर खुसरो

तुगलकनामा - अमीर खुसरो

खजाइनुल फुतूह - अमीर खुसरो

फुतूह उस सलातीन - इसामी

तारीख-ए-फिरोजशाही - शम्स-के-सिराज अफिक

तारीख-ए- मुबार्कशाही - यहया बिन अहमद

वाकयात-ए-मुश्ताकी - रिजकुल्लाह मुश्ताकी

तुजुक-ए- बाबरी- बाबर
 
हुमायूं नामा - गुलबदन बेगम

तारीखे-ए-रशीदी - मिर्जा हैदर

मुन्तख़ब उत तवारीख - अब्दुल कादिर बदायूंनी

तबकाते अकबरी - निजामुद्दीन अहमद
 
 तारीख-ए-अकबरशाही  -      हाजी मोहम्मद आरिफ कन्धारी

 अकबरनामा  - अबुल फजल

 आइने-ए-अकबरी -. अबुल फजल

 तकमील-के-अकबरनामा -  इनायत उल्ला

 तुजुक-के-जहाँगीरी -  जहांगीर

 इकबालनामा-ए-जहाँगीरी -. मुतामद खान

 बादशाहनामा  - अब्दुल हमीद लाहौरी

 शाहजहांनामा  -  मुहम्मद सादिक खान

 लुतबूत तवारीखे हिन्द -   राय भरमल

 तारीख-ए-शेरशाही  - अब्बास खान सरवानी

 नुश्खा-ए-दिलकुशा  - भीमसेन

फुतूहाते-ए-आलमगीरी  - ईश्वर चन्द्रनागा

 खुलासात उत तवारीख -. सुजानराय

 तारीख -ए-फरिश्ता -            फरिश्ता

इतिहास लेखन कृतियाँ

1. डिस्क्रिप्शन आफ इण्डिया -       डी. लायट

2. फ्रैगमेंटेशन आफ इंडिया -         डी. लायट

3. दि एम्पायर आफ ग्रेट मुगल -     डी. लायट

4. ट्रैवल्स इन द मुगल एम्पायर    -  बर्नियर

5. महजुल जहाब -                        अलमसूदी

6. तहक़ीक़-ए-हिन्द -                    अलबरूनी

7. रेहला -                                     इब्नबतूता

8. क्रॉनिकल आफ फर्नास नूनीज - फर्नास नूनीज

9. ए फ़ारगॉटन एम्पायर -               रॉबर्ट स्वेल

10. ट्रावेल्स इन इंडिया -                ट्रैवनियर

11. राजप्रशस्ति -                          रणछोड़ भट्ट

12. जफरनामा पत्र-                      गुरु गोविंद सिंह

13. रस गंगाधर-                            प0 जगन्नाथ




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