Thursday 11 February 2021

पुरापाषाण काल इतिहास

पाषाण युग - पुरापाषाण काल इतिहास 

*  पृथ्वी की उत्पत्ति लगभग 450 अरब  वर्ष पूर्व मानी जाती है ।  जीवन की उत्पत्ति बहुत बाद मानी गई है ।  और मनुष्य की उत्पत्ति इस पृथ्वी पर लगभग 20 लाख  वर्ष पूर्व मानी जाती है ।

*  मानव सभ्यता के आरम्भिक इतिहास को पाषाण युग के नाम से जाना गया है ।

*  पाषाण युग को तीन भागीं में विभाजित किया जाता है ।
(1)   पुरापाषाण काल    (20 लाख ई0 पू0 -  9000 ई. पू. )
(2)  मध्य पाषाण काल     ( 9000 ई0 पू. - 4000 ई0 पू0 ) 
(3)  नवपाषाण काल        ( 6000 ई0 पू0 से -  2000 ई0 पू0 ) 

पुरापाषाण काल 
पुरापाषाण काल को मानव द्वारा व्यवहत पत्थर के औज़ारों तथा जलवायु में हुए परिवर्तनों के आधार पर  तीन अवस्थाओं में  विभाजित किया जा सकता है । 
1. निम्न पुरापाषाण काल 
2. मध्य पुरापाषाण काल 
3. उच्च पुरापाषाण काल

निम्न पुरापाषाण काल
*  पुरापाषाण काल में मनुष्य अपना जीवन यापन मुख्य खाद्यान्न संग्रह व पशुओं के शिकार करके करता था ।

*   पुरापाषाण काल का मानव पर्वत की कंदराओं में रहता था  ।

*   पुरापाषाण काल के मानव के औजार और हथियार कुल्हाड़ी,  पत्थर , खुरचनी ,छेदनी आदि थे जो परिष्कृत व  तीक्षण नहीं थे ।

इस काल की प्रमुख स्थल : पंजाब की सोहन घाटी , मिर्जापुर की बेलन घाटी , मध्यप्रदेश में भीमबेटका 

मध्य पुरापाषाण काल 

*  इस युग में मानव ने अपने उपकरणों को ज्यादा सुंदर और उपयोगी बनाने का प्रयास किया  । इस युग में चमकीले  पत्थरों से  फलक हथियार बनाए जाने लगे । इसलिए मध्य पुरापाषाण काल को फलक संस्कृति का नाम दिया गया ।

*  प्रमुख स्थल : उत्तरप्रदेश के बेलन घाटी , गोदावरी घाटी, कृष्ना घाटी( कर्नाटक), मध्य प्रदेश वेतबा घाटी, ।

*  प्रमुख उपकरण : वेधक(borers), खुरचनी(scrappers) , वेधनियाँ (points) ।

                       
 उच्च पुरापाषाण काल 

*  इस काल में होमो सेपियंस (ज्ञानी मानव ) का उदय माना जाता है ।

*  प्रमुख उपकरण : पत्थर के पतले फलकों से उपकरण बनाए जाने लगा । चाकू, छिद्रक, खुरचनी, वेधनियाँ ।

*   पुरापाषाण काल में उपलब्ध पशु जिनसे मानव परिचित था -  बंदर, हिरण, बकरी ,भैंस , गाय,  बैल नीलगाय ,सूअर,  बारहसिंघा,  गैंडा,  हाथी आदि ।

*   पुरापाषाण काल का मानव कछुआ , मछलियों से भी परिचित था ।

*   पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल भारत में सोहन घाटी , व्यास व सिरसा नदियों के क्षेत्रों से प्राप्त हुए हैं ।

पहलगांव , बलवाल ,  चौंटारा  आदि क्षेत्र की प्रमुख बस्तियां थे ।

*  राजस्थान में थार- मरुस्थल के डीडवाना क्षेत्र में , लूनी नदी, गम्भीरा नदी, चम्बल नदी , की घाटियों में पुरापाषाण काल के पुरातात्विक बस्तियां प्राप्त हुई है ।

गुजरात के साबरमती, माही, भद्दर नदियों के किनारे पुरापाषाणकालीन बस्तियों के अवशेष मिले है ।

* नर्मदा नदी क्षेत्र व विंध्य पर्वत माला में पुरापाषाणकालीन बस्तियों के अवशेष प्राप्त हुई है जिनमें भीमबेटका सर्वाधिक उल्लेखनीय है ।

*  सुदूर दक्षिण में कृष्णा के सहायक नदियों के तटों पर पूरा पाषाण युगीन बस्तियों के अवशेष मिले हैं जिनमें बागलकोट ,  पनियार,  गुडियम उल्लेखनीय है ।  बंगाल में दामोदर एवं स्वर्णरेखा नदियों के तट पर ,  उड़ीसा में बुहार- बलंग घाटी में ,  वैतरणी, ब्राहमणी,  महानदी तटों पर पूरा पाषाण युगीन अवशेष प्राप्त हुए हैं ।

*   भारत में अधिकांश पाषाण अवशेष चमकीले पत्थर के निर्मित हैं ,  इसी कारण इन मानवों  को " चमकीले पत्थर के मानव " कहा गया है ।

*   पूरा पाषाण कालीन मानव ने आग जलाना सीख लिया था ।  करनूल जिले की गुफाओं में अग्नि के चिन्ह  मिले हैं ।


पाषाण काल : मध्यपाषाण काल का इतिहास 


*  भारत में मध्यपाषाण काल का समय  - 9000 BC से 4000 BC तक मानी जाती है ।

*  जलवायु में परिवर्तन होने से जीव - जंतुओं और वनस्पतियों में भी परिवर्तन हुआ ।  बर्फ की जगह घास से भरे मैदान और जंगल उगने आरंभ हुए ।  ठंड में रहने वाले विशालकाय जानवरों जैसे मैं मैमथ, रेनडियर आदि नष्ट हो गए और उसके स्थान पर छोटे-छोटे जानवर खरगोश, हिरण,  बकरी,  आदि पैदा हुए ।

*  उपकरण : इस युग का विशिष्ट औजार लघु अस्त्र (Microliths) था । इसके अलावा तीर-धनुष, इकधार फलक(Backed Blade), वेदनी(Points) आदि ।

*  प्रमुख स्थल : वीरभानपुर ( प0 बंगाल) , लंघनाज(गुजरात), टेरी समूह ( तमिलनाडु), आदमगढ़(मध्यप्रदेश), बागोर(राजस्थान) , मोरहना पहाड़, सरायनाहर राय, महादहा(उत्तरप्रदेश)

*  इस काल की प्रमुख उपलब्धि पशुपालन था ।

*  सबसे प्राचीन मध्यपाषाण कालीन स्थल सरायनाहर राय (उत्तर प्रदेश ) से प्राप्त हुई है ।

*  बागोर ( राजस्थान) से शवों के सुनियोजित ढंग से दफनाने की विधि का पता चला है ।



पाषाण काल: नवपाषाण काल का इतिहास 

*  नवपाषाण काल में मानव भोजन संग्राहक से भोजन उत्पादक बन गया ।

*   विश्व स्तर पर नवपाषाण काल 9000 ई0 पूर्व मानी जाती है ,  जबकि भारत में इस काल की शुरुआत 7000 ईसा पूर्व मानी गई है  ।

*  नवपाषाण काल के प्रमुख स्थल हैं -  
मेहरगढ़ ( सिंध- पाकिस्तान) ,  
बुर्जहोम- कश्मीर , 
कीलीगुल मोहम्मद -  क्वेटा घाटी (पाकिस्तान) , 
राणा घुनडई- बलूचिस्तान ,  
सराय खोला -रावलपिंडी , 
चिरांद- बिहार  , 
मास्की-  कर्नाटक ,  
कोलडीहवा- उत्तर प्रदेश  । 
ब्रह्मगिरि, हल्लूर,कॉडकल, सनगनकल्लु - कर्नाटक , 
पैयमपल्ली- तामिलनाडु, 
पिकलीहल,उतनर(आंध्रप्रदेश) ।

*  प्रमुख उपकरण: कुल्हाड़ी, हंसिया, ओखली, हड्डी और सिंग से बनी छूरी,बरमा, रुखानी, आदि ।

*  नव पाषाण काल में मानव मृतकों को दफनाते समय उनकी आवश्यकता की वस्तुएं रख देते थे ।

*  दक्षिण भारत में कुछ कब्रगाहों में मृतकों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए बड़े -बड़े पत्थर लगा दिए जाते थे जो महापाषाण (Megaliths) कहलाते है ।

*  मेहरगढ़-पाकिस्तान से कृषि एवं पशुपालन के प्रमाण मिले है ।

*  बुर्जहोम-काश्मीर में पालतू कुते भीमालिकों के शवों के साथ उनकी कब्रों में दफना दिए जाते थे ।

*  कोलडीहवा- उत्तरप्रदेश में चावल के खेती का प्रमाण मिले है ।

*  चिरांद-बिहार से चावल , गेहूं , मूंग, मसूर की खेती के प्रमाण मिले है ।  साथ ही मिट्टी के बर्तन , खिलौने , हड्डी के औजार  तथा मूर्तीयों के प्रमाण मिले है ।



पुरापाषाण काल इतिहास 





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M. PRASAD
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