Friday 31 July 2020

लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों ? वर्ग-9 पाठ 1

लोकतंत्र क्या? लोकतंत्र क्यों ?

परिचय :

लोकतन्त्र क्या है ?

लोकतंत्र की विशेषताएं क्या -क्या है ?

लोकतांत्रिक और गैर-लोकतांत्रिक शासन में अंतर  क्या है ?

 

लोकतंत्र क्या है ? 

लोकतंत्र शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव लोग करते है |   

संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के द्वारा दिया गया परिभाषा है -" लोकतंत्र जनता का , जनता के लिए और जनता के द्वारा बनाई गई सरकार है |"

भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड आदि देशों में लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था है |

सऊदी अरब , चीन, जार्डन आदि ऐसे देश है जहां लोकतांत्रिक शासन नहीं है |

   

लोकतंत्र की विशेषताएं :

*. लोकतंत्र में अंतिम निर्णय लेने की शक्ति लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के पास ही होनी चाहिए |

    कभी -कभी ऐसा भी देखने को मिलता है की शासक जनता द्वारा चुनी गयी होती है | इसके बाबजूद उसे लोकतांत्रिक सरकार नहीं कह सकते है| क्योंकि ऐसी सरकार गलत तरीकों से चुनाव जीतती है और चुने गए प्रतिनिधियों के पास निर्णय लेने की कोई सकती नहीं होती है |

    ऐसा ही उदाहरण पाकिस्तान में देखने को मिला था\ सेना प्रमुख परवेश मुशर्रफ़ ने तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का तख्ता पलट कर खुद शासक घोषित कर दिया था| बाद में खुद को राष्ट्रपति घोषित किया और 2002 में एक जनमत संग्रह कराके अपना कार्यकाल 5 वर्ष के लिए बढ़वा लिया | पाकिस्तानी मीडिया, मानवाधिकार संगठनों और लोकतंत्र समर्थकों ने आरोप लगाया जनमत संग्रह एक धोखाधड़ी है | इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां हुई है | 2002में उन्होंने "लीगल फ्रेमवर्क आर्डर " के जरिये पाकिस्तान के संविधान को बदल डालाइस आर्डर के अनुसार राष्ट्रपति, राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों को भंग कर सकता था | मंत्रीपरिषद् के कामकाज पर एक राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की निगरानी रहती है जिसके ज्यादातर सदस्य फौजी अधिकारी थे | इस क़ानून के पास हो जाने के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय असेंबलियों के लिए चुनाव कराए गए | लेकिन सर्वोच्य सत्ता सेना के अधिकारियों और जनरल मुशर्रफ़ के पास थी |

 

लोकतंत्र में स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनावी मुकाबला होना चाहिए ताकि  सत्ता में बैठे लोगों के लिए जीत-हार के समान अवसर हों |

लोकतंत्र में प्रतिनिधियों का चुनाव  स्वतन्त्र और निष्पक्ष चुनाव तरीकों से होना आवश्यक है | कई देश ऐसे है जहां चुनाव तो होते है परन्तु निष्पक्ष चुनाव नहीं होते है | मदाताओं को कई प्रकार से प्रलोभन दिया जाता है , डराया जाता है, सरकारी तंत्र का दुरूपयोग किया जाता है| विपक्षी दलों पर तरह -तरह से हथकंडे लगाकर प्रतिबन्ध लगा दिया जाता है| मीडिया को सरकार की आलोचना करने पर रोक लगा दिया जता है | उम्मीदवार चुनाव अभियान पर काफी धन खर्च करते है ऐसे चुनाव लोकतांत्रिक नहीं कहे जाते है |

    लोकतंत्र निष्पक्ष और स्वतन्त्र चुनावों पर आधारित होना चाहिए ताकि सत्ता में बैठे लोगों के लिए हार -जीत  के समान अवसर हों |

 

*. एक व्यक्ति -एक मत -एक मोल का सिद्वांत होना चाहिए 

लोकतंत्र के लिए होने वाला संघर्ष सार्वभौम वयस्क मताधिकार के साथ जुडा है |एक निश्चित आयु वर्ग के लोगों को चाहे वह किसी वर्ग, धर्म ,समुदाय , लिंग ,भाषा का हो मत देने का अधिकारी होता है | यदि मत देने से वंचित किया जाता है या किसी प्रकार का दबाब दिया जाता है या मत की कीमत एक समान महत्त्व का नहीं है तो चुनी गयी सरकार अलोकतांत्रिक ही मानी जायेगी |उदाहरणस्वरूप -

* 2015 तक सऊदी अरब में महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था |

* एस्टोनिया ने अपने यहाँ नागरिकता के नियम कुछ इस तरह से बनाए है कि रूसी अल्पसंख्यक समाज के लोगों को मतदान का अधिकार हासिल कने में मुश्किल होती है |

* फिजी की चुनाव प्रणाली में वहां के मूल निवासियों के वोट का महत्व भारतीय मूल के फ़िजी नागरिक के वोट से ज्यादा है |

    

*. एक लोकतांत्रिक सरकार  संवैधानिक कानूनों और नागरिक अधिकारों द्वारा खींची लक्ष्मण रेखाओं के भीतर ही काम करती है |

    

    जिम्बाबे के राष्ट्रपति राबर्ट मुगाबे देश की स्वाधीनता मिलने से 2017 तक राष्ट्रपति रहा| उसने येनकेन तरीकों से देश की सत्ता पर काबिज रहा|  

    अत: जरुरी है कि लोकतंत्र में क़ानून का राज और अधिकारों का आदर करना जरुरी होता है |

 

लोकतंत्र के खिलाफ तर्क

कुछ लोग लोकतांत्रिक सरकार की भी आलोचना करते है| इस पर कुछ सवाल उठाते है -

लोकतंत्र में नेता बदलते रहते है| इससे अस्थिरता पैदा होती है |

* लोकतंत्र का मतलब सिर्फ राजनैतिक लड़ाई और सता का खेल है| यहाँ नैतिकता की कोई जगह नहीं होती |

* लोकतांत्रिक वयवस्था में इतने सारे लोगों से बहस और चर्चा करनी पड़ती है कि हर फैसले में देरी होती है |

* चुने हुए नेताओं को लोगों के हितों का पता ही नहीं होता| इसके चलते खराब फैसले होते है|

* लोकतंत्र में चुनावी लड़ाई महत्वपूर्ण और खर्चीली होती है, इसलिये इसमें भ्रष्टाचार होता है|

* सामान्य लोगों का पता नहीं होता कि उनके लिए क्या चीज अच्छी है और क्या चीज बुरी; इसलिए उन्हें किसी चीज का फैसला नही  करना चाहिए|

    निश्चित रूप से लोकतंत्र सभी समस्याओं को खत्म करने वाली जादू की छड़ी नहीं है | लोकतंत्र में नेता बदलते रहते है | सही शासक का चुनाव न हो तो फैसले पर बुरा प्रभाव पड़ता है| इस बात की गारंटी नहीं हो  सकती कि सारे फैसले अच्छे ही होंगें | पर लोकतंत्र में विकल्प उपलब्ध है जो अन्य शासन प्रणाली में नहीं है |

 

लोकतंत्र के पक्ष में तर्क :

* लोकतांत्रिक शासन पद्वति दूसरों से बेहतर है क्योंकि यह शासन का अधिक जवाबदेही वाला स्वरूप है |

* लोकतंत्र बेहतर निर्णय लेने की संभावना को बढाता है |

* लोकतन्त्र मतभेदों और टकरावों को संभालने का तरीका उपलब्ध कराता है |

* लोकतंत्र नागरिकों का सम्मान बढाता है |

* लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था  दूसरों से बेहतर है क्योंकि इसमें हमें अपनी गलती ठीक करने का अवसर भी मिलता है |

 

   * आधुनिक लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में इतने अधिक लोग होते है कि हर बात के लिए सबको साथ बैठाकर सामूहिक फैसला कर पाना सम्भव नहीं हो सकता |

* अगर यह सभव हो तब भी हर एक नागरिक के पास हर फैसले में भाग लेने का समय, इच्छा या योग्यता और कौशल नहीं होता

    इसमें हमें लोकतंत्र की स्पष्ट लेकिन न्यूनतम जरुरी समझ मिलती है| हमें लोकतांत्रिक और अलोकतांत्रिक सरकारों में अंतर करने  में मदद मिलती है | नागरिक के तौर पर हम जो भी करते है वह भी हमारे देश के लोकतन्त्र को अच्छा या खराब बनाने में मदद करता है | यही लोकतंत्र का ताकत है और कमजोरी भी |

 

 


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