Lord Mahavir (भगवान महावीर):जैन धर्म और दर्शन(भाग-2)
* वर्धमान महावीर ने अपना उपदेश प्राकृत ( अर्ध मागधी) में दिया था जबकि भगवान गौतम बुद्व ने पाली भाषा में अपना उपदेश दिया |
* महावीर के प्रथम अनुयायी उनके दामाद जामिल और प्रथम भिक्षुणी नरेश दधिवाहन की पुत्री चम्पा थी ।
* बौद्ध साहित्य में महावीर को "निगण्ठ-नाथपुत्र" कहा गया है ।
* महावीर ने चार महाव्रतों में पाँचवाँ महाव्रत " ब्रह्मचर्य" जोड़ा ।
* भिक्षुओं के लिए पंच महाव्रत की व्यवस्था है -
अहिंसा , सत्य , अस्तेय, अपरिग्रह , ब्रह्मचर्य
* गृहस्थों के लिए पंच अणुव्रत की व्यवस्था है ।
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य।
* जैन धर्म के त्रिरत्न है - सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान , सम्यक आचरण ।
* जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नही है परन्तु "आत्मा" की मान्यता है ।
* जैन धर्म "कर्मवाद "और "पुनर्जन्म"नें विश्वास रखता है , उसके अनुसार कर्मफल ही जन्म और मृत्यु का कारण है ।
* जैन धर्म में "सलेखना" की प्रथा है ,जिसका तात्पर्य है " उपवास द्वारा शरीर का त्याग "
* पहली जैन संगीति 300 ई0पू0 पाटलीपुत्रा में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के समय स्थूलबाहु के नेतृत्व में हुआ , इस सभा में ही जैन धर्म दो भागों में विभाजित हो गया - दिगम्बर और स्वेताम्बर ।
* स्थलबाहु एवं उसके अनुयायियों को "श्वेताम्बर" ( सफेद कपड़े पहनते है ) तथा भद्रबाहु एवं उसके अनुयायियों को "दिगम्बर"(नग्न अवस्था में ) कहा गया ।
* दूसरी जैन सभा 512 ई0 में वल्लभी ( गुजरात) में देवधिरक्षमा श्रवण की अध्यक्षता में हुई ।
* श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोगों ने ही सर्वप्रथम महावीर एवं अन्य तीर्थकरों की पूजा आरम्भ की ।
* जैन धर्म के आध्यात्मिक विचारों "सांख्य दर्शन" से ग्रहण किये है ।
* जैन धर्म के मानने वाले प्रमुख राजा थे - उदयन , चन्द्रगुप्त मौर्य, खारवेल, राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष , चन्देल शासक ।
* जैन धर्म के प्रमुख केंद्र थे - उज्जैन और मथुरा ।
* जैन धर्म के तीर्थंकरों के प्रतीक निम्न है ।
ऋषभदेव - वृषभ , शांतिनाथ- हिरन ,
पाश्र्वनाथ- सर्पफण महावीर - सिंह
* ऋग्वेद में दो तीर्थंकर ऋषभदेव और अरिष्टनेमि का उल्लेख मिलता है ।
* जैन परम्परा के अनुसार "अरिष्टनेमि" वासुदेव कृष्ण के समकालीन थे । "अरिष्टनेमि 22वें तीर्थंकर थे ।
* महावीर के 11 प्रमुख शिष्यों को "गन्धर्व" कहा गया है , गन्धर्व का अर्थ होता है - विद्यालयो के प्रधान " ।
* जैन धर्म से सम्बन्धित स्थापत्य कला
हाथीगुम्फा, बाघगुफा, दिलवाड़ा मन्दिर, पावापुरी, राजगृह, श्रवणबेलगोला,
* जैन साहित्य को "आगम" कहा जाता है ।
* प्रमुख साहित्य -
12 अंग, 12 उपांग , 2 सूत्रग्रन्थ , 14 पर्व , भगवतीसूत्र , भद्रबाहु रचित कल्पसूत्र
* महावीर के प्रथम अनुयायी उनके दामाद जामिल और प्रथम भिक्षुणी नरेश दधिवाहन की पुत्री चम्पा थी ।
* बौद्ध साहित्य में महावीर को "निगण्ठ-नाथपुत्र" कहा गया है ।
* महावीर ने चार महाव्रतों में पाँचवाँ महाव्रत " ब्रह्मचर्य" जोड़ा ।
* भिक्षुओं के लिए पंच महाव्रत की व्यवस्था है -
अहिंसा , सत्य , अस्तेय, अपरिग्रह , ब्रह्मचर्य
* गृहस्थों के लिए पंच अणुव्रत की व्यवस्था है ।
अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य।
* जैन धर्म के त्रिरत्न है - सम्यक दर्शन , सम्यक ज्ञान , सम्यक आचरण ।
* जैन धर्म में ईश्वर की मान्यता नही है परन्तु "आत्मा" की मान्यता है ।
* जैन धर्म "कर्मवाद "और "पुनर्जन्म"नें विश्वास रखता है , उसके अनुसार कर्मफल ही जन्म और मृत्यु का कारण है ।
* जैन धर्म में "सलेखना" की प्रथा है ,जिसका तात्पर्य है " उपवास द्वारा शरीर का त्याग "
* पहली जैन संगीति 300 ई0पू0 पाटलीपुत्रा में सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के समय स्थूलबाहु के नेतृत्व में हुआ , इस सभा में ही जैन धर्म दो भागों में विभाजित हो गया - दिगम्बर और स्वेताम्बर ।
* स्थलबाहु एवं उसके अनुयायियों को "श्वेताम्बर" ( सफेद कपड़े पहनते है ) तथा भद्रबाहु एवं उसके अनुयायियों को "दिगम्बर"(नग्न अवस्था में ) कहा गया ।
* दूसरी जैन सभा 512 ई0 में वल्लभी ( गुजरात) में देवधिरक्षमा श्रवण की अध्यक्षता में हुई ।
* श्वेताम्बर सम्प्रदाय के लोगों ने ही सर्वप्रथम महावीर एवं अन्य तीर्थकरों की पूजा आरम्भ की ।
* जैन धर्म के आध्यात्मिक विचारों "सांख्य दर्शन" से ग्रहण किये है ।
* जैन धर्म के मानने वाले प्रमुख राजा थे - उदयन , चन्द्रगुप्त मौर्य, खारवेल, राष्ट्रकूट राजा अमोघवर्ष , चन्देल शासक ।
* जैन धर्म के प्रमुख केंद्र थे - उज्जैन और मथुरा ।
* जैन धर्म के तीर्थंकरों के प्रतीक निम्न है ।
ऋषभदेव - वृषभ , शांतिनाथ- हिरन ,
पाश्र्वनाथ- सर्पफण महावीर - सिंह
* ऋग्वेद में दो तीर्थंकर ऋषभदेव और अरिष्टनेमि का उल्लेख मिलता है ।
* जैन परम्परा के अनुसार "अरिष्टनेमि" वासुदेव कृष्ण के समकालीन थे । "अरिष्टनेमि 22वें तीर्थंकर थे ।
* महावीर के 11 प्रमुख शिष्यों को "गन्धर्व" कहा गया है , गन्धर्व का अर्थ होता है - विद्यालयो के प्रधान " ।
* जैन धर्म से सम्बन्धित स्थापत्य कला
हाथीगुम्फा, बाघगुफा, दिलवाड़ा मन्दिर, पावापुरी, राजगृह, श्रवणबेलगोला,
* जैन साहित्य को "आगम" कहा जाता है ।
* प्रमुख साहित्य -
12 अंग, 12 उपांग , 2 सूत्रग्रन्थ , 14 पर्व , भगवतीसूत्र , भद्रबाहु रचित कल्पसूत्र
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M. PRASAD
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