स्रोत: प्राचीन भारतीय इतिहास
भारतीय समाज एवं संस्कृति आज इस स्थिति में है, उस संदर्भ में भारत के अतीत का अध्ययन विशेष महत्व रखता है । उनके वर्तमान भारत की जड़े अतीत से जुड़ी हुई है। इतिहास जानने के लिए प्राचीन स्रोतों की जरूरत पड़ती है जिसके माध्यम से हम अपने अतीत के इतिहास को समझ सके। यह हम जान सके कि भारतीय समाज एवं संस्कृतियों का विकास कब, कहां और कैसे हुआ था ।
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत :
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत को 4 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है .
1. पुरातात्विक स्रोत
2. धार्मिक स्रोत
3. लौकिक स्रोत
4. विदेशी साहित्य
पुरातात्विक स्रोत
प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत को 4 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है .
1. पुरातात्विक स्रोत
2. धार्मिक स्रोत
3. लौकिक स्रोत
4. विदेशी साहित्य
पुरातात्विक स्रोत
* प्राचीन भारत के अधिकतर अभिलेख पाषाण शिला स्तंभ ताम्रपत्र ओं दीवारों तथा प्रतिमाओं पर उत्कीर्ण हैं ।
* सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के बोगाज़कोई नामक स्थान से लगभग 1400 ई0 पूर्व प्राप्त हुआ है । इस अभिलेख में इंद्र, मित्र , वरुण और नास्तय आदि वैदिक देवताओं के नाम मिलते हैं ।
* भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के हैं इनका समय तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व है ।
* मास्की, गुज्जर्रा , निठूर एवं उदेगोलम से प्राप्त अभिलेखों में अशोक के नाम का स्पष्ट उल्लेख है । इन अभिलेखों से अशोक के धम्म व राजत्व के आदर्श पर प्रकाश पड़ता है
* अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है । केवल उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है ।
* लघमान एवं सर्कुना से प्राप्त अशोक के अभिलेख यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में है ।
* प्रारम्भिक अभिलेख(गुप्त काल से पूर्व) प्राकृत भाषा में है जबकि गुप्त तथा गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत में है ।
* यवन राजदूत हेलियोडोरस का वेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरूड़ स्तम्भ लेख में भागवत धर्म के विकसित जोन के साक्ष्य प्राप्त हुए है ।
* मध्यप्रदेश के एरण से प्राप्त वाराह प्रतिमा पर हूणराज तोरमाण के लेखों का विवरण है ।
* पर्सिपोलीस और बेहिसतून अभिलेखों से ज्ञात होता है कि ईरानी सम्राट दारा ने सिंधु घाटी को अधिकृत किया था ।
* सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेखों को पढ़ा था ।
शेष.........
* सर्वाधिक प्राचीन अभिलेख मध्य एशिया के बोगाज़कोई नामक स्थान से लगभग 1400 ई0 पूर्व प्राप्त हुआ है । इस अभिलेख में इंद्र, मित्र , वरुण और नास्तय आदि वैदिक देवताओं के नाम मिलते हैं ।
* भारत में सबसे प्राचीन अभिलेख अशोक के हैं इनका समय तीसरी शताब्दी ईस्वी पूर्व है ।
* मास्की, गुज्जर्रा , निठूर एवं उदेगोलम से प्राप्त अभिलेखों में अशोक के नाम का स्पष्ट उल्लेख है । इन अभिलेखों से अशोक के धम्म व राजत्व के आदर्श पर प्रकाश पड़ता है
* अशोक के अधिकतर अभिलेख ब्राह्मी लिपि में है । केवल उत्तर पश्चिमी भारत के कुछ अभिलेख खरोष्ठी लिपि में है ।
* लघमान एवं सर्कुना से प्राप्त अशोक के अभिलेख यूनानी तथा आरमेइक लिपियों में है ।
* प्रारम्भिक अभिलेख(गुप्त काल से पूर्व) प्राकृत भाषा में है जबकि गुप्त तथा गुप्तोत्तर काल के अधिकतर अभिलेख संस्कृत में है ।
* यवन राजदूत हेलियोडोरस का वेसनगर (विदिशा) से प्राप्त गरूड़ स्तम्भ लेख में भागवत धर्म के विकसित जोन के साक्ष्य प्राप्त हुए है ।
* मध्यप्रदेश के एरण से प्राप्त वाराह प्रतिमा पर हूणराज तोरमाण के लेखों का विवरण है ।
* पर्सिपोलीस और बेहिसतून अभिलेखों से ज्ञात होता है कि ईरानी सम्राट दारा ने सिंधु घाटी को अधिकृत किया था ।
* सर्वप्रथम जेम्स प्रिंसेप ने ब्राह्मी लिपि में लिखित अशोक के अभिलेखों को पढ़ा था ।
शेष.........
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