BUDDHIST COUNCIL
👉 महात्मा बुद्ध के महापरिनिर्वाण के पश्चात समय समय पर बौद्ध सभाओं का आयोजन किया गया जिन्हें बौद्ध संगीति के नाम से जाना जाता है ।
👉 बौद्ध धर्म की व्याख्या हेतु चार बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ, जिनका विवरण ये हैं ।
प्रथम बौद्ध संगीति :
समय : 483 ई.पू.
स्थान : बिहार में राजगृह के शप्तपर्णी गुहा में
शासक : अजातशत्रु के शासन काल में
अध्यक्ष : महाकश्यप
प्रमुख कार्य :
👉 गौतम बुद्ध के शिष्य उपाली ने स्मृति के आधार पर संघ के नियमों का पाठ किया गया जिसे "विनयपिटक" के रूप में संकलित किया गया।
👉 बुद्ध के ही शिष्य आनन्द ने सिद्वांत तथा आचरण के विषयों पर बुद्व के उपदेशों को सुनाया, जिसे "सुत्तपिटक" के नाम से जाना जाता है ।
द्वितीय बौद्ध संगीति
द्वितीय बौद्ध संगीति
समय : 383 ई.पू.
स्थान : चुल्लभग , वैशाली, बिहार
शासक : कालाशोक
अध्यक्ष : सबकामी
प्रमुख कार्य :
👉 विनय पिटक संम्बंधी नियमों में बौद्ध भिक्षुओं के बीच मतभेद होने के कारण भिक्षु संघ दो भाग में विभाजित हो गया ।
1. महासांघिक : जून भिक्षुओं ने परिवर्तन के साथ विनयपिटक के नियमों को स्वीकार किया वे महासांघिक कहलाए
2. थेरवादी : जिन भिक्षुओं ने बिना परिवर्तन के विनयपिटक के मूल नियमों को स्वीकार किया वे थेरवादी कहलाये ।
तृतीय बौद्ध संगीति :
समय : 250 ई0 पू
स्थान : पाटलिपुत्र, बिहार
शासक : अशोक
अध्यक्ष : मोगालीपुत्र तिस्स
प्रमुख कार्य :
इस संगीति में बौद्ध धर्म की दार्शनिक व्याख्या की गई है जिसे अभिधम्म पिटक कहा जाता है । तीनों पिटकों को त्रिपिटक नाम से जाना गया ।
चतुर्थ संगीति :
चतुर्थ संगीति :
समय : प्रथम शताब्दी
स्थान : कुण्डलवन ,काश्मीर
अध्यक्ष: वसुमित्र
उपाध्यक्ष: अश्वघोष
शासक : कनिष्क
प्रमुख कार्य :
👉 इस संगीति में त्रिपिटक पर प्रमाणिक भाष्य पर " विभाषा शास्त्र" की रचना हुई ।
👉 इस संगीति में ही बौद्ध अनुयायी हिनयान तथा महायान दी सम्प्रदायों में विभाजित हो गए।
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