Friday 4 February 2022

कक्षा 12 इतिहास : TERM-II CBSE द्वारा पिछले वर्षों में पूछे गए और संभावित प्रश्न तथा उसके हल

कक्षा 12 इतिहास : TERM-II  CBSE द्वारा  पिछले वर्षों में पूछे गए और  संभावित प्रश्न तथा  उसके हल

CBSE TERM-2 HISTORY CLASS 12 

IMPORTANT QUESTIONS & SOLUTIONS 



शासक और इतिवृत


1. सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियों में मुगलों द्वारा भारत में बनाए गए शहरों के किन्ही दो चारित्रिक लक्षणों का उल्लेख कीजिये |  cbse 2019

उत्तर: शहरों के दो चारित्रिक लक्षण निम्नलिखित है :-

1. शहरों की विशाल इमारतें अपनी शहरी भव्यता और समृद्वि के लिए प्रसिद्व थी |

2. मुग़ल शहर शाही प्रशासन और नियन्त्रण में थी | इसमें अवस्थित आवास व्यक्ति की स्थिति और प्रतिष्ठा का प्रतीक था |



2. “ अकबर ने सोच-समझकर फारसी को दरबार की मुख्य भाषा बनाया |” इस कथन की परख उसके द्वारा किये गए प्रयासों के साथ कीजिये | CBSE 2019

उत्तर:

* फारसी को दरबार की भाषा का उंचा स्थान दिया गया तथा उन लोगों को शक्ति और प्रतिष्ठा प्रदान की गई जिनकी इस भाषा पर अच्छी पकड़ थी |

* ईरानी और मध्य एशियाई प्रवासियों को मुगल दरबार में जगह दी गई |

* यह अभिजात वर्ग की भाषा थी |

* राजा, शाही परिवार के लोग और दबार के विशिष्ट सदस्य यह भाषा बोलते थे |

* यह प्रशासन के अभी स्तरों की भाषा बन गई, जिससे लेखाकारों, लिपिकों तथा एनी अधिकारियों ने ही इसे सीख लिया |

* फारसी के हिन्दी के साथ पारस्परिक सम्बन्ध से उर्दू के रूप में एक नई भाषा का विकास हुआ |





३. “ मुग़ल शक्ति का सुपष्ट केंद्र बादशाह का दरबार था |” उपयुक्त तर्कों के साथ इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए | CBSE  2019

उत्तर: मुग़ल शक्ति का स्पष्ट केंद्र बादशाह का दरबार था | इसे निम्न बिन्दुओं से स्पष्ट किया जा सकता है |

* बादशाह के दरबार की भौतिक व्यवस्था शासक पर केन्द्रित थी और राज सिंहासन इसका केंद्र-बिंदु था

* राजगद्दी के ऊपर छतरी राजसत्ता का प्रतीक था |

दरबारियों को, मुग़ल दरबार में बैठने का विशिष्ट स्थान शासक की निगाहों में उनके महत्व के अनुसार सौंपा गया था |

* किसी भी दरबारी को बादशाह के अनुमति के अपने आवंटित स्थान से जाने की अनुमति नहीं थी |

* संबोधन, शिष्टाचार और बोलने के ध्यानपूर्वक निर्धारित रूप से निर्दिष्ट किये गए थे , उल्लंघन करने पर दंड दिया जाता था |

* अभिवादन के तरीके से पदानुक्रम में एक व्यक्ति की हैसियत का संकेत दिया जाता था |

* राजनयिक दूतों सबंधी नवाचारों का कडाई से पालन किया जाता था |

* राजा द्वारा अभिजात वर्ग और अन्य लोगों को दरबार में पुरस्कार और उपहार दिए जाते थे।

* राजा दरबार में विभिन्न देशों के राजदूतों के साथ मिलता था।

* मनसबदार मुगल दरबार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे।

* राजनीतिक प्रणाली मुगल दरबार द्वारा तैयार की गई थी ।

* सैन्य शक्ति की शाही संरचना को मुगलों द्वारा तैयार की गई थी।





4. भारत में मुगल शासकों द्वारा अभिजात –वर्ग में विभिन्न जातियों और धार्मिक समूहों के लोगों की भर्ती क्यों की जाती थी ? व्याख्या कीजिये      CBSE 2018 

उत्तर:

* मुग़ल शासक को यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके \

* मुगलों के अधिकारी वर्ग को गुलदस्ते के रूप में वर्णित किया जाता था हो वफादारी से बादशाह के साथ जुड़े थे |

* साम्राज्य के निर्माण के आरंभिक चरण में तूरानी और इरानी अभिजात वर्ग की प्रधानता थी परन्तु समय-समय पर विद्रोह कर देते थे |

* 1560 के बाद अकबर ने भारतीय मूल के दो शासकीय समूहों राजपूतों और भारतीय मुसलमानों को शामिल किया |

* जहांगीर ने इरानी समूहों को प्राथमिकता दी तो औरंगजेब ने राजपूतों और बाद में मराठों को शामिल किया |

* अभिजात वर्ग के सभी राजपूत , ईरानी , तूरानी , अफगानी , दक्षिणी मुसलमानों को पद और पुरस्कार उसके कार्य और बादशाह के प्रति निष्ठा के आधार पर दिया जाता था |

* अभिजात वर्ग के सदस्यों के लिए शाही सेवा शक्ति , धन और उच्चतम पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक माध्यम था |

* सैन्य अभियानों में अभिजात अपनी सेना के साथ भाग लेते थे और प्रान्तों में वे साम्राज्य के अधिकारियों के रूप में कार्य करते थे |

* मुगलों ने दबार में समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर अपने शासनकाल को अत्यधिक माजबूत किया और कई वर्षो तक शासन किया |



5. मुग़ल साम्राज्य में शाही परिवार की महिलाओं द्वारा निभाई गई भूमिका की व्याख्या कीजिये | CBSE 2018 

उत्तर - शाही परिवार



• 'हरम' शब्द फारसी से निकला है जिसका मतलब है 'पवित्र स्थान' । मुगुल परिवारों की घरेलू दुनिया में उनकी औरतों और बच्चों आदि के लिए 'हरम' शब्द का इस्तेमाल होता था। इसमें बादशाह की पत्नियां तथा उपपत्नियाँ, उसके करीबी तथा दूर के रिश्तेदार (माता, सौतेली तथा उपमाताएं, बहन, बहू, पुत्री, चाची-मौसी, बच्चे आदि) तथा महिला परिचारिकाएं औ दास होते थे ।



• मुगल परिवार में शाही परिवारों से आने वाली औरतों (बेगमों ) तथा दूसरी स्त्रियों (अगहा ) जिनका जन्म कुलीन परिवार में नहीं हुआ था, में फर्क रखा जाता था। दहेज (मेहर) के तौर पर अच्छा-ख़ासा नकद और बहुमूल्य वस्तुएं लेने के पश्चात विवाह करके आई बेगमों को अपने पतियों से स्वाभाविक तौर पर अगहाओं की तुलना में ज्यादा ऊँचा दर्जा और आदर मिलता था। राजतंत्र से जुड़े स्त्रियों के पदानुक्रम में उपपत्नियों (अगाचा) की स्थिति सर्वाधिक निम्न थी। इन सभी को नकद मासिक भत्ता और अपने दर्जे के अनुसार उपहार मिलते थे। वंश आधारित परिवारिक ढांचा पूर्णतः स्थाई नहीं था। अगर पति की मर्जी हो और उसके पास पहले से ही 4 पत्नियां न हो तो अगहा व अगाचा भी बेगम की स्थिति पा सकती थी।



• पत्नियों के अलावा मुगल परिवार में कई महिला और पुरुष दास होते थे। वे साधारण से साधारण कार्य से लेकर निपुणता, कौशल, बुद्धिमत्ता के विभिन्न कार्यों का संपादन करते थे । दास हिजड़े (ख्वाजासार ) परीवार के अंदर और बाहर के जीवन में रक्षक, दास और व्यापार में दिलचस्पी लेने वाली स्त्रियों के एजेंट होते थे।



शाही परिवार में महिलाओं की भूमिका



• मुगल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों, जैसे नूरजहां, रोशनआराऔर गुलबदन बेगम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

• नूरजहां ने जहांगीर के शासनकाल में शासन प्रबंध में भाग लिया।

• उसके पश्चात मुगल रानियों और राजकुमारियों ने महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण शुरू कर दिया।

• शाहजहां की पुत्रियों, जहांआरा और रोशनआरा को ऊँचे शाही मनसबदारों के समान वार्षिक आय प्राप्त होती थी।

• जहाँआरा को सूरत के बंदरगाह नगर से राजस्व प्राप्त होता था। यह नगर विदेशी व्यापार का एक लाभप्रद केन्द्र था।

• मुगल बादशाह शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने शाहजहाँ की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) के हृदय स्थल चांदनी चौक की रूपरेखा तैयार की थी।

• जहांआरा की वास्तुकलात्मक परियोजनाओं का एक अन्य उदाहरण दो मंजिली भव्य कारवांसराय शामिल थी जिसमें एक आंगन और एक बाग था।

• बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम द्वारा हुमायूँनामा लिखा गया जिससे मुगलों के घरेलू जीवन की जानकारी प्राप्त होती है। अबुल फजल ने मुगलों का इतिहास लिखते समय इस कृति का लाभ उठाया।





6. आप किस प्रकार सोचते है कि मुग़ल बादशाहों द्वारा तैयार करवाए गए इतिवृत मुग़ल इतिहास के अध्ययन के महत्वपूर्ण स्रोत है ?   CBSE  2017

Ans: मुगल इतिहास के अध्ययन के लिए एक स्रोत के रूप में इतिहास

(i) मुगल शासन के इतिहास का अध्ययन करने के लिए इतिहास महत्वपूर्ण स्रोत हैं।

(ii) उन्हें एक प्रबुद्ध राज्य की दृष्टि को प्रोजेक्ट करने के लिए लिखा गया था, जो इसकी छत्रछाया में आया था।

(iii) वे मुगल शासन का विरोध करने वालों को संदेश देने के लिए थे।

(iv) शासक यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि उनके शासन के बाद का लेखा-जोखा हो।

(v) उनके द्वारा लिखे गए इतिहास शासक, उनके परिवार, अदालतों और रईसों, युद्धों और प्रशासनिक व्यवस्था पर केंद्रित घटनाओं पर केंद्रित थे।

(vi) अकबर- नामा, शाहजहांनामा, आलमगीर नामा का सुझाव है कि उनके लेखकों की नजर में साम्राज्य और अदालत का इतिहास सम्राट के समान था।





7. मुग़ल शासकों ने बड़े प्रभावशाली तरीके से विजातीय जनसाधारण को शाही संरचना के अंतर्गत सम्मिलित किया “| इस कथन की पुष्टि कीजिये | 2016

उत्तर:

* मुग़ल शासक को यह सुनिश्चित हो जाता था कि कोई भी दल इतना बड़ा न हो कि वह राज्य की सत्ता को चुनौती दे सके \

* मुगलों के अधिकारी वर्ग को गुलदस्ते के रूप में वर्णित किया जाता था हो वफादारी से बादशाह के साथ जुड़े थे |

* साम्राज्य के निर्माण के आरंभिक चरण में तूरानी और इरानी अभिजात वर्ग की प्रधानता थी परन्तु समय-समय पर विद्रोह कर देते थे |

* 1560 के बाद अकबर ने भारतीय मूल के दो शासकीय समूहों राजपूतों और भारतीय मुसलमानों को शामिल किया |

* जहांगीर ने इरानी समूहों को प्राथमिकता दी तो औरंगजेब ने राजपूतों और बाद में मराठों को शामिल किया |

* अभिजात वर्ग के सभी राजपूत , ईरानी , तूरानी , अफगानी , दक्षिणी मुसलमानों को पद और पुरस्कार उसके कार्य और बादशाह के प्रति निष्ठा के आधार पर दिया जाता था |

* अभिजात वर्ग के सदस्यों के लिए शाही सेवा शक्ति , धन और उच्चतम पद प्रतिष्ठा प्राप्त करने का एक माध्यम था |

* सैन्य अभियानों में अभिजात अपनी सेना के साथ भाग लेते थे और प्रान्तों में वे साम्राज्य के अधिकारियों के रूप में कार्य करते थे |

* मुगलों ने दबार में समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देकर अपने शासनकाल को अत्यधिक माजबूत किया और कई वर्षो तक शासन किया |

* मुगल शासकों ने शिक्षा और लेखाशास्त्र की ओर झुकाव रखने वाले हिन्दू जातियों के सदस्यों को शाही दरबार में शामिल किया |

* टोडरमल , बीरबल, प्रमुख उदाहरण है |



8. सटीक और विस्तृत आलेख तैयार करना , मुग़ल प्रशासन की मुख्य चुनौती थी | उदाहरण के साथ कथन की पुष्टि कीजिये | 2016

उत्तर:

* सटीक और विस्तृत आलेख तैयार करना मुग़ल प्रशासन के लिए आवश्यक था क्योंकि वृतांत और महत्वपूर्ण शासकीय दस्तावेज शाही डाक के माध्यम से मुग़ल शासन के अधीन क्षेत्रों में एक छोर से दूसरे छोर तक जाते थे |

* राजधानी से बाहर तैनात अभिजातों के प्रतिनिधि तथा अदीनस्थ शासक बड़े मनोयोग से इन उदघोषणाओं की नकल तैयार करते थे एवं संदेश वाहकों के जरिये अपनी टिप्पणियां अपने स्वामियों के पास भेज देते थे |

* सार्वजनिक समाचार के लिए पूरा साम्राज्य एक तीव्र सूचना तंत्र से जुड़ा हुआ था |

* मीरबख्शी दरबारी लेखकों के समूह का निरीक्षण करते थे |

* ये लेखक ही दरबार में प्रस्तुत की जाने वाले सभी अर्जियों, दस्तावेजों तथा शासकीय आदेशों का आल्लेख तैयार करते थे |


9. मुग़ल साम्राज्य के शाही परिवार के विशिष्ट अभिलक्षणों की पहचान कीजिये 2015.


उत्तर - शाही परिवार



• 'हरम' शब्द फारसी से निकला है जिसका मतलब है 'पवित्र स्थान' । मुगुल परिवारों की घरेलू दुनिया में उनकी औरतों और बच्चों आदि के लिए 'हरम' शब्द का इस्तेमाल होता था। इसमें बादशाह की पत्नियां तथा उपपत्नियाँ, उसके करीबी तथा दूर के रिश्तेदार (माता, सौतेली तथा उपमाताएं, बहन, बहू, पुत्री, चाची-मौसी, बच्चे आदि) तथा महिला परिचारिकाएं औ दास होते थे ।



• मुगल परिवार में शाही परिवारों से आने वाली औरतों (बेगमों ) तथा दूसरी स्त्रियों (अगहा ) जिनका जन्म कुलीन परिवार में नहीं हुआ था, में फर्क रखा जाता था। दहेज (मेहर) के तौर पर अच्छा-ख़ासा नकद और बहुमूल्य वस्तुएं लेने के पश्चात विवाह करके आई बेगमों को अपने पतियों से स्वाभाविक तौर पर अगहाओं की तुलना में ज्यादा ऊँचा दर्जा और आदर मिलता था। राजतंत्र से जुड़े स्त्रियों के पदानुक्रम में उपपत्नियों (अगाचा) की स्थिति सर्वाधिक निम्न थी। इन सभी को नकद मासिक भत्ता और अपने दर्जे के अनुसार उपहार मिलते थे। वंश आधारित परिवारिक ढांचा पूर्णतः स्थाई नहीं था। अगर पति की मर्जी हो और उसके पास पहले से ही 4 पत्नियां न हो तो अगहा व अगाचा भी बेगम की स्थिति पा सकती थी।



• पत्नियों के अलावा मुगल परिवार में कई महिला और पुरुष दास होते थे। वे साधारण से साधारण कार्य से लेकर निपुणता, कौशल, बुद्धिमत्ता के विभिन्न कार्यों का संपादन करते थे । दास हिजड़े (ख्वाजासार ) परीवार के अंदर और बाहर के जीवन में रक्षक, दास और व्यापार में दिलचस्पी लेने वाली स्त्रियों के एजेंट होते थे।



शाही परिवार में महिलाओं की भूमिका



• मुगल साम्राज्य में शाही परिवार की स्त्रियों, जैसे नूरजहां, रोशनआराऔर गुलबदन बेगम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई ।

• नूरजहां ने जहांगीर के शासनकाल में शासन प्रबंध में भाग लिया।

• उसके पश्चात मुगल रानियों और राजकुमारियों ने महत्वपूर्ण वित्तीय स्रोतों पर नियंत्रण शुरू कर दिया।

• शाहजहां की पुत्रियों, जहांआरा और रोशनआरा को ऊँचे शाही मनसबदारों के समान वार्षिक आय प्राप्त होती थी।

• जहाँआरा को सूरत के बंदरगाह नगर से राजस्व प्राप्त होता था। यह नगर विदेशी व्यापार का एक लाभप्रद केन्द्र था।

• मुगल बादशाह शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने शाहजहाँ की नई राजधानी शाहजहांनाबाद (दिल्ली) के हृदय स्थल चांदनी चौक की रूपरेखा तैयार की थी।

• जहांआरा की वास्तुकलात्मक परियोजनाओं का एक अन्य उदाहरण दो मंजिली भव्य कारवांसराय शामिल थी जिसमें एक आंगन और एक बाग था।

• बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम द्वारा हुमायूँनामा लिखा गया जिससे मुगलों के घरेलू जीवन की जानकारी प्राप्त होती है। अबुल फजल ने मुगलों का इतिहास लिखते समय इस कृति का लाभ उठाया।




10. मुगल दरबार में पांडुलिपि तैयार करने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए। NCERT

उत्तर -

• पांडुलिपि अर्थात हाथ से लिखी पुस्तकें तैयार करने का मुख्य केंद्र शाही किताबखाना (पुस्तकालय) था जोकि एक लिपि घर या ऐसा स्थान था जहां पांडुलिपियों का संग्रह रखा जाता था तथा नई पांडुलिपियाँ लिखी जाती थी।

• पांडुलिपि तैयार करने की प्रक्रिया निम्नलिखित थी-

• कागज बनाने वाले की पांडुलिपि के पन्ने तैयार करने;

• सुलेखक की पाठ की नकल तैयार करने;

• कोफ्तगर को पृष्ठों को चमकाने;

• इनके अलावा चित्रकारों की पाठ से दृश्यों को चित्रित करने के लिए और ज़िल्दसाजों की प्रत्येक पन्ने को इकट्ठा करने उसे अलंकृत आवरण में बैठाने के लिए आवश्यकता होती थी।



11. राजत्व के मुगल आदर्श का निर्माण करने वाले तत्वों की पहचान कीजिए। NCERT


उत्तर - राजत्व के मुगल आदर्श का निर्माण करने वाले मुख्य तत्व तीन थे -


1. बादशाह एक दैवीय प्रकाश

2. सुलह-ए-कुल -एकीकरण का एक स्रोत

3. सामाजिक अनुबंध के रूप में न्यायपूर्ण प्रभुसत्ता



बादशाह एक दैवीय प्रकाश



*. दरबारी इतिहासकारों के अनुसार मुगल शासकों को सीधे ईश्वर से शक्ति मिली थी। उनके द्वारा वर्णित दंत कथाओं के अनुसार मंगोल रानी अलानकुआ अपने शिविर में आराम करते हुए सूर्य की एक किरण द्वारा गर्भवती हुई थी। उसके द्वारा जन्म लेने वाली संतान पर दिव्य प्रकाश का प्रभाव था। इस प्रकार पीढी दर पीढ़ी यह प्रकाश हस्तांतरित होता गया।

*. अबुल फजल ईश्वर से निःसृत प्रकाश को ग्रहण करने वाली वस्तुओं में मुगल राजत्व को सबसे प्रथम स्थान पर रखता है। इसके अंतर्गत दैवीय प्रकाश राजा में संप्रेषित होता है जिसके बाद राजा अपनी प्रजा के लिए आध्यात्मिक मार्गदर्शन का स्रोत बन जाता था।

*. इसके साथ कलाकारों ने मुगल बादशाहों को प्रभामंडल के साथ चित्रित करना शुरू कर दिया। ईश्वर के प्रकाश के प्रतीक रूप में इन प्रभामण्डलों को उन्होंने ईसा और वर्जिन मेरी यूरोपीय चित्रों में देखा था।



सुलह-ए-कुल : एकीकरण का स्रोत

* मुगल इतिवृत्त साम्राज्य को हिंदुओं, जैनों, जरतुश्तियोंऔर मुसलमानों जैसे अनेक भिन्न-भिन्न नृजातीय और धार्मिक समुदायों को समाविष्ट किए हुए साम्राज्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं ।

* सभी तरह की शांति और स्थायित्व के स्रोत के रूप में बादशाह सभी धार्मिक और नृजातीय समूहों के ऊपर होता था। वह इन सबके बीच मध्यस्थता करता था, तथा यह सुनिश्चित करता था कि न्याय और शांति बनी रहे।

* अबुल फजल सुलह-ए-कुल (पूर्णशांति ) के आदर्श को प्रबुद्ध शासन की आधारशिला बताता है।

* सुलह-ए-कुल में सभी धर्मों और मतों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता थी किंतु उसकी एक शर्त थी कि वे सब राज्यसत्ता को क्षति नहीं पहुंचाएंगे अथवा आपस में नहीं लड़ेंगे।

सुलह ए कुल का आदर्श राज्य नीतियों के द्वारा लागू किया गया -



* मुगलों के अधीन अभिजात-वर्ग मिश्रित था। उसमें ईरानी, तुरानी, अफगानी, राजपूत, दक्खनी सभी सम्मिलित थे।

इन सब को दिए गए पद और पुरस्कार पूरी तरह राजा के प्रति उनकी सेवा और निष्ठा पर आधारित थे।

1563 में तीर्थयात्रा कर तथा 1564 में जजिया कर हटा दिया गया क्योंकि यह धार्मिक पक्षपात पर आधारित थे।

* साम्राज्य के अधिकारियों को प्रशासन में सुलह-ए-कुल के नियमों का अनुपालन करने के लिए निर्देश दिए गए।

* सामाजिक अनुबंध के रूप में न्यायपूर्ण प्रभुसत्ता

अबुल फजल के अनुसार प्रभुसत्ता एक सामाजिक अनुबंध का रूप है व बादशाह प्रजा के चार तत्वों जीवन, धन, सम्मान और विश्वास की रक्षा करता है और बदले में आज्ञा पालन व संसाधनों में भाग की मांग करता है।

मुगल काल में न्याय के विचार को कई प्रतीकों द्वारा जैसे शेर और बकरी को एक दूसरे के साथ चिपककर शांतिपूर्वक बैठे हुए दर्शाया गया है।

12. मुगल शासकों ने विभिन्न जातीय और धार्मिक समूहों से जानबूझकर भर्ती किया था। sample paper


ANSWER:
मुगल शासकों ने मुगल शासकों को सचेत रूप से भर्ती किया था:

i) मुगल कुलीनता मुगल राज्य के मुख्य स्तंभ थे

ii) मुगल कुलीनता को विभिन्न समूहों से चुना गया था, धार्मिक और जातीय दोनों रूप से ताकि विभिन्न समूहों के बीच शक्ति का संतुलन सुनिश्चित हो सके।

iii) उन्हें मुगल बादशाह के प्रति निष्ठा के साथ आयोजित उनकी एकता को दर्शाने वाले आधिकारिक इतिहास में गुलदस्ता या फूलों का गुलदस्ता बताया गया है।

iv) उन्हें जातीय रूप से चार प्रमुख समूहों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे कि ईरानी, तुरानी, राजपूत और शेखजाद या भारतीय मुसलमान।

v) सभी रईसों को स्थान दिया गया था या उन्हें जट और सायर से युक्त मनसब आवंटित किए गए थे

vi) बादशाहों को सम्राट के लिए सैन्य सेवा करने की भी आवश्यकता थी



13. 16वीं और 17 वीं सदियों के कृषि इतिहास को समझाने में एतिहासिक ग्रन्थ ‘आइन-ए-अकबरी ‘ किस प्रकार एक प्रमुख स्रोत है , व्याख्या कीजिये | इसके साथ इस काल में प्रयुक्त सिंचाई और तकनीक के तरीकों को भी स्पष्ट कीजिये |

उतर:

1. अबुल फजल द्वारा रचित एतिहासिक ग्रन्थ " आइन-ए-अकबरी ' में मुग़ल कालीन भूराजस्व और कृषि संबंधी जानकारी मिलती है |

2. आइन-ए-अकबरी से यह जानकारी मिलती है कि मुग़ल काल में खरीफ और रबी दोनों प्रकार की फसल उपजाई जाती थी |

3. इस काल में जहां पानी की वर्ष भर उपलब्धता थी वहां पर वर्ष में तीन फसलें उगाई जाती थी |

4. आइन-ए-अकबरी से पता चलता है कि आगरा में 39 किस्म की फसलें , दिल्ली में 43 फसलें उगाई जाती थी |

5. बंगाल में चावल की पैदावार अधिक होती थी |यहाँ 50 किस्म की धान की फसलें पैदा होती थी |

6. फसलों की सिचाईं के लिए कुँए , तालाब, रहट तथा नहर का प्रयोग होता था |

7. मुग़ल काल में कई नहरे भी बनवाई गई | कुछ नहरों की रम्मत का कार्य भी सम्पन्न किया गया |


उपनिवेशवाद और देहात




1. 18वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में पहाड़ियों (पहाडी लोग ) की जीवन जीने के तरीकों का मूल्यांकन कीजिये | उन्होंने संथालों के आगमन पर किस प्रकार प्रतिक्रिया व्यक्त की ? 2020

उत्तर:


पहाड़िया समुदाय जीवन शैली :

उन जंगलों से पहाड़िया लोग खाने के लिए महुआ के फूल इकट्ठे करते थे, बेचने के लिए रेशम के कोया और राल और काठकोयला बनाने के लिए लकडियाँ इकट्ठी करते थे| पेड़ों के नीचे जो छोटे-छोटे पौधे उग आते थे या परती जमीन पर जो घास-फूंस के हरी चादर सी बिछ जाती थी वह पशुओं के लिए चरागाह बन जाती थी|

पहाड़िया लोग जंगल से घनिष्ठ रूप से जुडी हुई थी| इमली के पेंड के नीचे बनी झोपड़ियों में रहते थे और ऍम के पेंड के छांह में आराम करते थे| पूरे प्रदेश को अपनी निजी भूमि मानते थे| वे बाहरी लोगों के प्रवेश का प्रतिरोध करते थे| उनके मुखिया लोग अपने समूह में एकता बनाए रखते थे|आपसी लड़ाई-झगड़ें निपटा देते थे|

पहाडी लोगों ने सथालों के आगमन पर प्रतिक्रिया

* पहाड़िया लोग राजमहल की पहाड़ियों के आसपास रहते थे और झूम की खेती करते थे तथा पूरे क्षेत्र को नीजी भूमि समझते थे |

* वे अपने जीवन में बाहरी हस्स्तक्षेप को सहन नहीं करते थे |

* 1780 के दशक के बाद संथाल लोग बंगाल और राजमहल के आस पास तलहटी इलाकों में बसने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने निमंत्र्ण दिया |

* उस भूमि को दामिन-इ-कोह के रूप में सीमांकित कर दिया गया |

* संथालियों के बसने से पहाड़िया समुदाय के रहन-सहन व जीवन पर बुरा प्रभाव पडा |

* आरम्भ में पहाड़िया समुदाय संथालियों का विरोध किया परन्तु अंतत: पहाड़ियों में भीतर चले जाने को मजबूर होना पड़ा |





2. उन परिस्थितियों का मूल्यांकन कीजिये जिनके अंतर्गत 19वीं सदी के दौरान संथाल राजमहल पहाड़ियों के इर्द-गिर्द बसे | उन्होंने ब्रिटिश शासन के विरूद्व विद्रोह क्यों किया ? 2020

उत्तर:

* ब्रिटिश लोग पहाड़ियों को बस में करके स्थायी कृषि करवाने में असफल रहे |

* अत: उन्होंने संथालों को राजमहल के तलहटी में बसने के लिए निमंत्रित किया और इस भूमि को दामिन-इ-कोह के रूप में सीमांकित कर दिया गया |

* संथालों ने आसपास की भूमि को साफ़ को कर खेतीनुमा बना दिया , जिसपर सरकार ने भारी लगान लगा रही थी , साहूकार ऊँची दर पर ब्याज लगा रहे थे और जमीनें उनके हाथ से निकली जा रही थी |

* अत: संथालों ने जईम्दारों , साहूकारों तथा औपनिवेशिक राज्य के विरूद्व विद्रोह कर दिया , जिसे सरकार ने सख्ती से कुचला दिया |



3. “ 18वीं सदी के अंत तक, संथाल के इस्तमरारी बदोबस्त के बाद भी , जमीनदार राजस्व की मांग को अदा करने में निरंतर असफल रहे |” इस कथन का मूल्यांकन कीजिये | 2020

जमीदारों की इस असफलता के कई कारण थे :

1. राजस्व में निर्धारित की गई राशि बहुत अधिक थी क्योंकि खेती का विस्तार होने से आय में वृद्वि हो जाने पर भी कम्पनी उस वृद्वि में अपने हिस्से का दावा कभी नहीं कर सकती थी|

2. यह ऊँची मांग 1790 के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की कीमतें नीची थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी डे राशियाँ चुकाना मुश्किल था|

3. राजस्व असमान था, फसल अच्छी हो या खराब राजस्व का ठीक समय पर भुगतान करना जरुरी था |वस्तुत: सूर्यास्त विधि के अनुसार, यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं होता था तो जमींदारी नीलाम किया जा सकता था|

4. इस्तमरारी बंदोबस्त ने प्रारंभ में जमींदार की शक्ति को रैयत से राजस्व इक्कठा करने और अपनी जमींदारी का प्रबंध करने तक ही सीमित कर दिया था|

परिणाम

1. भूमि कर की राशि बहुत अधिक निश्चित की गई थी जिसे ना चुका सकने पर जमींदारों की भूमि बेचकर यह राशि वसूल की गई |

2. स्थाई बंदोबस्त किसानों के हित को ध्यान में रखकर नहीं किया गया था|

3. सरकार ने कृषि सुधार हेतु कोई ध्यान नहीं दिया|

4. स्थाई बंदोबस्त ने जमींदारों को आलसी और विलासी बना दिया|

5. बंगाल में जमींदारों और किसानों में आपसी विरोध बढ़ने लगा था|

6. जमींदार खुद शहर में जाकर बस गए और उसके प्रतिनिधियों ने किसानों पर अत्याचार किया|



4. “ बंगाल के कई ग्रामीण क्षेत्रों में 19वी. सदी के प्रारम्भ में जोतेदार शक्तिशाली हुए |” इस कथन का मूल्यांकन कीजिये | 2020

उत्तर:

* जोतदार जमींदार के अधिकारियों को अपने कर्तव्य का पालन करने से रोकते थे |

* जोतदार जान-बुझकर जमींदारों को क्र भुगतान में देरी करते थे |

* जो किसान उन पर निर्भर रहते थे उन्हें अपने पक्ष में एकजूट रखते थे |

* जमीदार द्वारा कर भुगतान ना कर पाने पर उसकी सम्पति नीलाम हो जाने की स्थिति में वे उनकी जमीन के खरीरदार बन जाते थे |

* इस प्रकार जोतदार 19वीं सदी के प्रारम्भ में शक्तिशाली बनते चले गए |




5. “ बगाल में इस्तमरारी बंदोबस्त लागू करने के बाद जमींदार भू-राजस्व को अदा करने में लगातार असफल रहे |” इसके कारणों और परिणामों की परख कीजिये | 2017 

उत्तर: कम्पनी के अधिकारियों का यह सोचना था कि राजस्व मांग निर्धारित किए जाने से जमींदारों में सुरक्षा का भाव उत्पन्न होगा, और वे अपने निवेश पर प्रतिफल प्राप्ति की आशा से प्रेरित हकर अपनी संपदाओं में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित होंगे| किन्तु इस्तमरारी बंदोबस्त के बाद, कुछ प्रारंभिक दशकों में जमींदार अपनी राजस्व मांग को अदा करने में बराबर कोताही करते रहे, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व की बकाया रकमें बढ़ती गई |

जमीदारों की इस असफलता के कई कारण थे :

1. राजस्व में निर्धारित की गई राशि बहुत अधिक थी क्योंकि खेती का विस्तार होने से आय में वृद्वि हो जाने पर भी कम्पनी उस वृद्वि में अपने हिस्से का दावा कभी नहीं कर सकती थी|

2. यह ऊँची मांग 1790 के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की कीमतें नीची थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी डे राशियाँ चुकाना मुश्किल था|

3. राजस्व असमान था, फसल अच्छी हो या खराब राजस्व का ठीक समय पर भुगतान करना जरुरी था |वस्तुत: सूर्यास्त विधि के अनुसार, यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं होता था तो जमींदारी नीलाम किया जा सकता था|

4. इस्तमरारी बंदोबस्त ने प्रारंभ में जमींदार की शक्ति को रैयत से राजस्व इक्कठा करने और अपनी जमींदारी का प्रबंध करने तक ही सीमित कर दिया था|



6. सन 1813 में बिर्टिश संसद में प्रस्तुत की गई पाचवीं रिपोर्ट के मुख्य पहलूओं की परख कीजिये | 2016


उत्तर: पांचवीं रिपोर्ट :

* भारत में ईस्ट इण्डिया कंपनी के प्रशासन तथा क्रियाकलापों के विषय में तैयार की गई रिपोर्ट थी जो 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी | इस रिपोर्ट को "पांचवीं रिपोर्ट " के नाम से उल्लिखित है|

* इस रिपोर्ट में 1,002 पृष्ठ थी | इसके 800 से अधिक पृष्ठ परिशिष्टों के थे जिनमें जमींदारों और रैयतों की अर्जियां, भिन्न- भिन्न जिलों के कलेक्टरों की रिपोर्टें, राजस्व विवरणियों से सम्बन्धित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल की गई थी|

* ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765 के बाद अपने आपको बंगाल में स्थापित किया| तभी से इंग्लैण्ड में उसके क्रियाकलापों पर नजर राखी जाने लगी|

* ब्रिटेन के अन्य व्यापरी भारत के साथ व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार का विरोध करते थे| वे चाहते थे कि शाही फरमान रद्द कर दिया जाए जिसके तहत इस कंपनी को यह एकाधिकार दिया गया था|

* ब्रिटेन के राजनीतिक समूह भी कहना था कि बंगाल पर मिली विजय का लाभ सिर्फ ईस्ट इंडिया कम्पनी को मिल रहा है , समपूर्ण ब्रिटिश राष्ट्र को नहीं|

* कम्पनी के कामकाज की जांच करने के लिए कई समितियां नियुक्त की गई | "पांचवी रिपोर्ट " एक ऐसी ही रिपोर्ट है जो एक प्रवर समिति द्वारा तैयार की गई थी| यह रिपोर्ट भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन के स्वरूप पर ब्रिटिश संसद में गंभीर वाद-विवाद का आधार बनी|

* पांचवी रिपोर्ट के शोधकर्ताओं ने ग्रामीण बंगाल में औपनिवेशिक शासन के बारे में लिखने के लिए बंगाल के अनेक अभिलेखागारों तथा जिलों के स्थानीय अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की|

* उनसे पता चलता है कि 5वीं रिपोर्ट लिखने वाले कम्पनी के कुप्रशासन की आलोचना करने पर तुले हुए थे इसलिए 5वीं रिपोर्ट में जमींदारी सत्ता के पत्तन का वर्णन अतिरंजित है |



7. रैयतवाडी व्यवस्था क्या थी ? रैयतों ने हिंसक रूप क्यों लिया ? तीन कारण स्पष्ट कीजिये 2016

उत्तर: रैयतवाडी बंदोबस्त (Raiyatwari System)

यह व्यवस्था 1820 में तत्कालीन मद्रास के गवर्नर लार्ड मुनरो ने मद्रास प्रांत में लागू की | इसके अंतर्गत औपनिवेशिक भारत के 51% भूमि थी | इसे बंबई और असम में भी लागू किया गया |

रैयतवाडी बन्दोबस्त की विशेषताएं :

1. इस व्यवस्था के तहत कंपनी तथा रैयतों (किसानों) के बीच सीधा समझौता था|

2. राजस्व के निर्धारण तथा लगान वसूली में किसी जमींदार या बिचौलिए की भूमिका नहीं होती थी |

3. टामस मुनरो ने प्रत्येक पंजीकृत किसानों को भूमि का स्वामी माना गया | 4. रैयत राजस्व सीधे कंपनी को देगा और उसे अपनी भूमि के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता था|

5. यदि किसान लगान न देने की स्थिति में उसे भूमि देनी पड़ती थी ।

6. यह व्यवस्था भी किसानों के लिए ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुई और कंपनी के अधिकारी रैयतों पर अत्याचार करते रहे|

7. मद्रास यातना आयोग ने 1854 में इन अत्याचारों का विवरण दिया था|


रैयतवाडी बन्दोबस्त का प्रभाव :(Impact of Raiyatwari System in Madras)

यह व्यवस्था कृषकों के लिए हानिकारक सिद्व हुई | कृषक गरीब तथा भूमिहीन हुए तथा ऋणग्रस्तता के शिकार हो गये| किसान कम्पनी के अधिकारियों और साहूकारों के शोषण से तंग आ गये थे | जिसके परिणामस्वरूप कृषकों ने 1875 में ढक्कन विद्रोह कर दिया|



8. दामिन-इ-कोह से आप क्या समझते है ? 18वीं सदी के दौरान संथालों ने अंग्रेजों का प्रतिरोध क्यों किया ? तीन कारण दें | sample paper



उत्तर: दामिन-इ-कोह भागलपुर से राजमहल तक का वन क्षेत्र था। ब्रिटिश सरकार द्वारा दामिन इ-कोह का निर्माण सन्थाल समुदाय को बसाने के लिए किया गया था। ... ब्रिटिश भारत में संथाल जनजाति ( तत्कालीन बिहार) को अंग्रेजों द्वारा जमीन दे कर बसाया गया था ,, जिस क्षेत्र में उनको बसाया गया वह क्षेत्र ही दामिन इ कोह के नाम से जाना गया ।

संथाल विद्रोह (Santhaal Revolt):


कारण :


1. संथाली औपनिवेशिक शासन तथा राजस्व के बढने से तंग आ चुके थे|



2. संथालियों को जमींदारों और साहूकारों द्वारा शोषण किया जा रहा था|



3. कर्ज के लिए उनसे 50 से 500 प्रतिशत तक सूद लिया जाता था|



4. हाट और बाजार में उनका सामान कम तौला जाता था|



5. धनाढ्य लोग अपने जानवरों को इन लोगों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया जाता था|



10. 18वीं सदी के दौरान पहाड़िया समुदाय के प्रति अंग्रेजों ने किस प्रकार की नीति अपनाई ?

उत्तर: 
अठारहवीं शताब्दी के दौरान अंग्रेजों द्वारा पहाडिया समुदाय के प्रति अपनाई गई नीतियां


(i) अंग्रेजों ने विनाश की नीति अपनाई।



(ii) अंग्रेजों ने उचित आचरण सुनिश्चित करने के लिए पहाड़िया प्रमुखों के साथ शांति की नीति प्रस्तावित की।



(iii) पहाड़िया पहाड़ों और गहरे जंगलों में चले गए और बाहरी लोगों के खिलाफ अपना युद्ध जारी रखा



(iv) कई पहाड़िया प्रमुख जिन्होंने भत्ते स्वीकार किए थे, उन्हें अधीनस्थ कर्मचारी या वजीफा प्रमुख के रूप में माना जाने लगा, इसलिए उन्होंने समुदाय के भीतर अपना अधिकार खो दिया।

9. भारत में उपनिवेशों की स्थापना के कारण बताएं |

उत्तर: भारत में उपनिवेशों की स्थापना के कारण :Causes of Establishment of Colony in India)

1. कच्चे माल की प्राप्ति : यूरोपीय देशों मे औद्योगिकीकरण कारण कच्चे माल की आवश्यकता को पूरा करने के लिए प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण भारत में उपनिवेश की स्थापना की |

2. निर्मित माल की खपत : यूरोपीय देशों में उत्पादित माल की खपत के लिए एक बड़े बाजार की जरुरत थे जिसकी लिए उपनिवेशों की स्थापना की गयी |

3. ईसाई धर्म का प्रचार : उपनिवेशों की स्थापना के साथ-साथ ईसाई धर्म की प्रचार करना तथा गैर-ईसाई लोगों को ईसाई बनाना अपना लक्ष्य समझते थे |

4. अमीर देश बनने की लालसा : विभिन्न देशों से आये यात्रियों ने भारत की समृद्वता और वैभव का गुणगान किया , जिससे प्रेरित होकर यूरोपीय भारत में धन और वस्तुओं को प्राप्त करने के लिए आये |


10. भारत के ग्रामीण समाज पर उपनिवेशवाद का क्या प्रभाव हुए? विस्तार से बताएं |

उत्तर: भारतीय ग्रामीण समाज पर उपनिवेशवाद का प्रभाव : (Impact of Colonialism of Indian Rural Society)

1. कुटीर उद्योगों का विनाश : यूरोपीय देशों ने भारतीयों की समृद्वता का आधार कुटीर उद्योग को समाप्त क्र दिया | जिन समानों का भारत निर्यात करता था , उन समानों का भारत आयात करने करने लगा |

2. अंग्रेजों द्वारा स्थापित भूमि प्रबंध की त्रुटियाँ : अंग्रेजों ने पूरे भारत के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग प्रकार के भूमि प्रबंधन किया | परन्तु ये व्यवस्था कारगर सिद्व नहीं हुआ और किसान ऋणग्रस्त होते गए |

3. राजस्व संग्रह करने के कठोर तरीके : अंग्रेजों ने किसानों से लगान वसूली में कीसी भी प्रकार का ढील नहीं देती थी | फसल की बर्बादी या अकाल पड़ने पर लगान वसूला जाता था | परिणामस्वरूप किसान अपने खेत साहूकारों के पास गिरवी रखता था | बाद में साहूकारों का कर्ज नहीं चुका पाने के कारण भूमि से हाथ धोना पड़ता|


11. इस्तमरारी बंदोबस्त लागू करने के उद्वेश्य क्या थे ?

उत्तर: इस्तमरारी बंदोबस्त लागू करने के उद्वेश्य : (Aim to Introduce the Permanent Settlement)

क) इस बंदोबस्त लागू होने से कम्पनी को निश्चित राजस्व प्राप्त हो सकेगा|

ख) ऐसा माना गया कि इस बंदोबस्त से कृषि में निवेश होगा तथा कम्पनी को ससमय राजस्व प्राप्त होगा जिससे उसे भविष्य की योजनाएं बनाने में लाभ होगा |

ग) कृषकों और जमींदारों का एक ऐसा समूह पैदा होगा जो ब्रिटिश कंपनी का वफादार वर्ग साबित होगा |जिसके पास कृषि में सुधार करने के लिए पूंजी और उद्यम दोनों होंगे|


12. इस्तमरारी बंदोबस्त में जमीदारों की असफलता (Failure of Zamindar in Istmarari Bandobast)- राजस्व राशि के भुगतान में जमींदार क्यों चूक करते थे ? sample paper

कम्पनी के अधिकारियों का यह सोचना था कि राजस्व मांग निर्धारित किए जाने से जमींदारों में सुरक्षा का भाव उत्पन्न होगा, और वे अपने निवेश पर प्रतिफल प्राप्ति की आशा से प्रेरित हकर अपनी संपदाओं में सुधार करने के लिए प्रोत्साहित होंगे| किन्तु इस्तमरारी बंदोबस्त के बाद, कुछ प्रारंभिक दशकों में जमींदार अपनी राजस्व मांग को अदा करने में बराबर कोताही करते रहे, जिसके परिणामस्वरूप राजस्व की बकाया रकमें बढ़ती गई |

जमीदारों की इस असफलता के कई कारण थे :

1. राजस्व में निर्धारित की गई राशि बहुत अधिक थी क्योंकि खेती का विस्तार होने से आय में वृद्वि हो जाने पर भी कम्पनी उस वृद्वि में अपने हिस्से का दावा कभी नहीं कर सकती थी|

2. यह ऊँची मांग 1790 के दशक में लागू की गई थी जब कृषि की उपज की कीमतें नीची थी, जिससे रैयत (किसानों) के लिए, जमींदार को उनकी डे राशियाँ चुकाना मुश्किल था|

3. राजस्व असमान था, फसल अच्छी हो या खराब राजस्व का ठीक समय पर भुगतान करना जरुरी था |वस्तुत: सूर्यास्त विधि के अनुसार, यदि निश्चित तारीख को सूर्य अस्त होने तक भुगतान नहीं होता था तो जमींदारी नीलाम किया जा सकता था|

4. इस्तमरारी बंदोबस्त ने प्रारंभ में जमींदार की शक्ति को रैयत से राजस्व इक्कठा करने और अपनी जमींदारी का प्रबंध करने तक ही सीमित कर दिया था|


13. अंग्रेजों द्वारा भारत में लागू की राजस्व की नीतियों का संक्षिप्त जानकारी दें |
उत्तर: Policies of Revenue System- राजस्व की नीतियाँ

ब्रिटिश भारत ने औपनिवेशिक शासन के तहत भू-राजस्व की तीन नीतियाँ अलग-अलग प्रान्तों में स्थापित की थी|

1. इजारेदारी व्यवस्था :सर्वप्रथम वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल में 1772 में "इजारेदारी व्यवस्था " की प्रथा की शुरुआत की| यह एक पंचवर्षीय व्यवस्था थी, जिसमें सबसे ऊँची बोली लगाने वाले की भूमि ठेके पर दी जाती थी|

2. स्थायी बन्दोबस्त : यह बंदोबस्ती 1793 में लार्ड कार्नवालिस ने बंगाल, उड़ीसा, उत्तर प्रदेश तथा बनारस खंड के 19% भाग , उत्तरी कर्नाटक में लागू किया गया |

3. रैयतवाडी बंदोबस्त : यह व्यवस्था 1820 में तत्कालीन मद्रास के गवर्नर लार्ड मुनरो ने बंबई, असम तथा मद्रास के अन्य प्रान्तों में लागू की गई | इसके अंतर्गत औपनिवेशिक भारत के 51% भूमि थी |

4. महालवाडी बंदोबस्त : लार्ड हेस्टिंग ने यह व्यवस्था उतर प्रदेश, मध्य प्रांत तथा पंजाब में लागू की | इस व्यवस्था के अंतर्गत औपनिवेशिक भूमि का 30% था |


14. पांचवी रिपोर्ट क्या था ? वर्णन करें :
उत्तर: पांचवीं रिपोर्ट :

भारत में ईस्ट इण्डिया कंपनी के प्रशासन तथा क्रियाकलापों के विषय में तैयार की गई रिपोर्ट थी जो 1813 में ब्रिटिश संसद में पेश की गई थी | इस रिपोर्ट को "पांचवीं रिपोर्ट " के नाम से उल्लिखित है| इस रिपोर्ट में 1,002 पृष्ठ थी | इसके 800 से अधिक पृष्ठ परिशिष्टों के थे जिनमें जमींदारों और रैयतों की अर्जियां, भिन्न- भिन्न जिलों के कलेक्टरों की रिपोर्टें, राजस्व विवरणियों से सम्बन्धित सांख्यिकीय तालिकाएँ और अधिकारियों द्वारा बंगाल और मद्रास के राजस्व तथा न्यायिक प्रशासन पर लिखित टिप्पणियाँ शामिल की गई थी|

ईस्ट इंडिया कंपनी ने 1765 के बाद अपने आपको बंगाल में स्थापित किया| तभी से इंग्लैण्ड में उसके क्रियाकलापों पर नजर राखी जाने लगी|ब्रिटेन के अन्य व्यापरी भारत के साथ व्यापार पर ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार का विरोध करते थे| वे चाहते थे कि शाही फरमान रद्द कर दिया जाए जिसके तहत इस कंपनी को यह एकाधिकार दिया गया था| ब्रिटेन के राजनीतिक समूह भी कहना था कि बंगाल पर मिली विजय का लाभ सिर्फ ईस्ट इंडिया कम्पनी को मिल रहा है , समपूर्ण ब्रिटिश राष्ट्र को नहीं|

कम्पनी के कामकाज की जांच करने के लिए कई समितियां नियुक्त की गई | "पांचवी रिपोर्ट " एक ऐसी ही रिपोर्ट है जो एक प्रवर समिति द्वारा तैयार की गई थी| यह रिपोर्ट भारत में ईस्ट इंडिया कम्पनी के शासन के स्वरूप पर ब्रिटिश संसद में गंभीर वाद-विवाद का आधार बनी|

पांचवी रिपोर्ट के शोधकर्ताओं ने ग्रामीण बंगाल में औपनिवेशिक शासन के बारे में लिखने के लिए बंगाल के अनेक अभिलेखागारों तथा जिलों के स्थानीय अभिलेखों की सावधानीपूर्वक जांच की| उनसे पता चलता है कि 5वीं रिपोर्ट लिखने वाले कम्पनी के कुप्रशासन की आलोचना करने पर तुले हुए थे इसलिए 5वीं रिपोर्ट में जमींदारी सत्ता के पत्तन का वर्णन अतिरंजित है |




15. स्थायी बंदोबस्त के लाभ और हानि का वर्णन करे |
उत्तर: स्थायी बन्दोबस्त के लाभ ( Merits of Permanent Settlement )

1. स्थाई बंदोबस्त होने से सरकार की आय निश्चित हो गयी।

2. बार-बार बंदोबस्त करने की परेशानी से सरकार को छुटकारा मिल गया।

3. स्थाई बंदोबस्त के होने से जमींदारों को लाभ हुआ । वह सरकार के स्वामी भक्त बन गए ।

4. स्थाई बंदोबस्त हो जाने से सरकारी कर्मचारी तथा अधिकारी अधिक समय मिलने के कारण लोक कल्याण के कार्य कर सकते थे ।

5. सरकार को निश्चित राशि मिलने से अन्य योजनाओं को बनाने में सहूलियत हुई ।



स्थायी बंदोबस्त के दोष ( Demerits of Permanent Settlement )

1. भूमि कर की राशि बहुत अधिक निश्चित की गई थी जिसे ना चुका सकने पर जमींदारों की भूमि बेचकर यह राशि वसूल की गई |

2. स्थाई बंदोबस्त किसानों के हित को ध्यान में रखकर नहीं किया गया था|

3. सरकार ने कृषि सुधार हेतु कोई ध्यान नहीं दिया|

4. स्थाई बंदोबस्त ने जमींदारों को आलसी और विलासी बना दिया|

5. बंगाल में जमींदारों और किसानों में आपसी विरोध बढ़ने लगा था|

6. जमींदार खुद शहर में जाकर बस गए और उसके प्रतिनिधियों ने किसानों पर अत्याचार किया|


16. रैयतवाडी बंदोबस्त की विशेषताएं और उसके प्रभाव का वर्णन करें |
उत्तर: रैयतवाडी बंदोबस्त (Raiyatwari System)

यह व्यवस्था 1820 में तत्कालीन मद्रास के गवर्नर लार्ड मुनरो ने मद्रास प्रांत में लागू की | इसके अंतर्गत औपनिवेशिक भारत के 51% भूमि थी | इसे बंबई और असम में भी लागू किया गया |

रैयतवाडी बन्दोबस्त की विशेषताएं :

1. इस व्यवस्था के तहत कंपनी तथा रैयतों (किसानों) के बीच सीधा समझौता था|

2. राजस्व के निर्धारण तथा लगान वसूली में किसी जमींदार या बिचौलिए की भूमिका नहीं होती थी |

3. टामस मुनरो ने प्रत्येक पंजीकृत किसानों को भूमि का स्वामी माना गया | 4. रैयत राजस्व सीधे कंपनी को देगा और उसे अपनी भूमि के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता था|

5. यदि किसान लगान न देने की स्थिति में उसे भूमि देनी पड़ती थी ।

6. यह व्यवस्था भी किसानों के लिए ज्यादा कारगर सिद्ध नहीं हुई और कंपनी के अधिकारी रैयतों पर अत्याचार करते रहे|

7. मद्रास यातना आयोग ने 1854 में इन अत्याचारों का विवरण दिया था|


रैयतवाडी बन्दोबस्त का प्रभाव :(Impact of Raiyatwari System in Madras)

यह व्यवस्था कृषकों के लिए हानिकारक सिद्व हुई | कृषक गरीब तथा भूमिहीन हुए तथा ऋणग्रस्तता के शिकार हो गये| किसान कम्पनी के अधिकारियों और साहूकारों के शोषण से तंग आ गये थे | जिसके परिणामस्वरूप कृषकों ने 1875 में ढक्कन विद्रोह कर दिया|


17.महलवाडी बंदोबस्त क्या था ?
उत्तर: महालवाडी बंदोबस्त ( Mahalwari System):

1. स्थायी बंदोबस्त तथा रैय्यतवाड़ी व्यवस्था के बाद ब्रिटिश भारत में लागू कि जाने वाली यह भू-राजस्व की अगली व्यवस्था थी जो संपूर्ण भारत के 30 % भाग दक्कन के जिलों, मध्य प्रांत पंजाब तथा उत्तर प्रदेश (संयुक्त प्रांत) आगरा, अवध पर लागू थी।

2. इस व्यवस्था के अंतर्गत भू-राजस्व का निर्धारण समूचे ग्राम के उत्पादन के आधार पर किया जाता था तथा महाल के समस्त कृषक भू-स्वामियों के भू-राजस्व का निर्धारण संयुक्त रूप से किया जाता था। इसमें गाँव के लोग अपने मुखिया या प्रतिनिधियों के द्वारा एक निर्धारित समय-सीमा के अंदर लगान की अदायगी की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेते थे।

3. इस पद्धति के अंतर्गत लगान का निर्धारण अनुमान पर आधारित था और इसकी विसंगतियों का लाभ उठाकर कंपनी के अधिकारी अपनी स्वार्थ सिद्धि में लग गए तथा कंपनी को लगान वसूली पर लगान से अधिक खर्च करना पड़ा। परिणामस्वरूप, यह व्यवस्था बुरी तरह विफल रही।


18. फ़्रांसीसी बुकानन कौन था ?
उत्तर: फ़्रांसीसी बुकानन एक चिकित्सक था जो भारत आया और बगाल चकित्सा सेवा में (1794-1815 तक ) कार्य किया | कुछ वर्षों तक , वह भारत के गवर्नर जनरल लार्ड वेलेस्ली का शल्य-चिकित्सक रहा| कलकता के अपने प्रवास के दौरान उसने कलकता में एक चिड़ियाघर की स्थापना की, जो कलकता अलिपुर चिड़ियाघर कहलाया | वे थोड़े समय के लिए वनस्पति उद्यान के प्रभारी रहें |
बंगाल सरकार के अनुरोध पर उन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधिकार क्षेत्र में आनेवाली भूमि का सर्वेक्षण किया| 1815 में वह बीमार हो गये और इंग्लैण्ड चले गए | अपनी माता की मृत्यु के पश्चात वे उनकी जायदाद के वारिस बने और उन्होंने उनके वंश के नाम " हैमिल्टन " को अपना लिया | इसलिए उन्हें अक्सर बुकानन हैमिल्टन भी कहा जाता है |



19. झूम की खेती / स्थानांतरित खेती से आप क्या समझते है ?
उत्तर: झूम की खेती:

राजमहल के पहाड़िया लोग जंगल के छोटे-से-हिस्से में झाड़ियों को काटकर और घास-फूंस को जलाकर जमीन साफ कर लेते थे और राख की पोटाश से उपजाऊ बनी जमीन पर अपने खाने के लिए दालें और ज्वर-बाजरा उगा लेते थे| वे अपने कुदाल से खेती करते थे और फिर उसे कुछ वर्षों के लिए पार्टी छोड़ कर नए इलाके में चले जाते जिससे कि उस जमीन में खोई हुई उर्वरता फिर से उत्पन्न हो जाती थी|


20. पहाड़िया जनजाति का जीवन शैली का वर्णन करे :

उत्तर: पहाड़िया समुदाय जीवन शैली :

उन जंगलों से पहाड़िया लोग खाने के लिए महुआ के फूल इकट्ठे करते थे, बेचने के लिए रेशम के कोया और राल और काठकोयला बनाने के लिए लकडियाँ इकट्ठी करते थे| पेड़ों के नीचे जो छोटे-छोटे पौधे उग आते थे या परती जमीन पर जो घास-फूंस के हरी चादर सी बिछ जाती थी वह पशुओं के लिए चरागाह बन जाती थी|

पहाड़िया लोग जंगल से घनिष्ठ रूप से जुडी हुई थी| इमली के पेंड के नीचे बनी झोपड़ियों में रहते थे और ऍम के पेंड के छांह में आराम करते थे| पूरे प्रदेश को अपनी निजी भूमि मानते थे| वे बाहरी लोगों के प्रवेश का प्रतिरोध करते थे| उनके मुखिया लोग अपने समूह में एकता बनाए रखते थे|आपसी लड़ाई-झगड़ें निपटा देते थे|




21. दामिन-इ-कोह क्या है ?

उत्तर: दामिन-इ-कोह भागलपुर से राजमहल तक का वन क्षेत्र था। ब्रिटिश सरकार द्वारा दामिन इ-कोह का निर्माण सन्थाल समुदाय को बसाने के लिए किया गया था। ... ब्रिटिश भारत में संथाल जनजाति ( तत्कालीन बिहार) को अंग्रेजों द्वारा जमीन दे कर बसाया गया था ,, जिस क्षेत्र में उनको बसाया गया वह क्षेत्र ही दामिन इ कोह के नाम से जाना गया ।

22. संथाल विद्रोह पर प्रकाश डालें |
उत्तर: संथाल विद्रोह (Santhaal Revolt):

कारण :

1. संथाली औपनिवेशिक शासन तथा राजस्व के बढने से तंग आ चुके थे|

2. संथालियों को जमींदारों और साहूकारों द्वारा शोषण किया जा रहा था|

3. कर्ज के लिए उनसे 50 से 500 प्रतिशत तक सूद लिया जाता था|

4. हाट और बाजार में उनका सामान कम तौला जाता था|

5. धनाढ्य लोग अपने जानवरों को इन लोगों के खेतों में चरने के लिए छोड़ दिया जाता था|

विद्रोह की गतिविधियाँ :

1. यह विद्रोह 1855-1856 में प्रारम्भ हुआ था|

2. इस विद्रोह का नेतृत्व सिद्वू तथा कान्हू ने किया था|

3. संथालों ने जमीन्दारों तथा महाजनों के घरों को लूटा, खाद्यान को छीना|

4. संथालियों ने अस्त्र-शस्त्र, तीर-कमान , भाला, कुल्हाड़ी आदि लेकर एकत्रित हुए और अपनी तीन मांग प्रस्तुत किये|

1. उनका शोषण बंद किया जाए

2. उनकी जमीने वापस की जाएँ |

3. उनको स्वतंत्र जीवन जीने दिया जाए|

विद्रोह का दमन :

अंग्रेजों ने आधुनिक हथियारों के बल पर संथाल विद्रोह का दमन कर दिया गया| कई संथाल योद्वा वीरगति को प्राप्त हुए | इस विद्रोह के पश्चात् संथालों को संतुष्ट करने के लिए अंग्रेज अधिकारियों ने कुछ विशेष क़ानून लागू किये | संथाल परगने का निर्माण किया गया , जिसके लिए 5,500 वर्ग मील का क्षेत्र भागलपुर और बीरभूम जिलों में से लिया गया|




विद्रोही और राज


1. 1857 के विद्रोह के दौरान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक भेद के लक्ष्ण क्यों दिखाई नहीं दिए ? 2019

उत्तर: * विद्रोहियों में ज्यादातर कम पढ़े लिखे सैनिक थे जिन्होंने अपने विचारों का प्रसार करने और लोगों में संघर्ष में भाग लेने के लिए घोषणाएं जारी किये जिसमें जाति धर्म भेद का स्थान नहीं दिया गया |

* मुस्लिम के तरफ से जारी घोषणाओं में हिन्दुओं के भावनाओं का ख्याल रखा जाता था | वहीं हिन्दू वर्ग के लोग अपने पुराने गौरवगाथा का गुणगान करके लोगों को संघर्ष में भाग लेने की सन्देश देते थे



2. 1857 के विद्रोह में अवध के ताल्लुक्दारों की सहभागिता की जांच कीजिये | 2018

उत्तर:




1. 1856 में अवध के ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के साम्राज्य में विलय से नबाब को अपनी गद्दी से वंचित होना पड़ा था |



2. अवध के नबाब के साथ-साथ इस क्षेत्र के ताल्लुकदारों को भी उनकी शक्ति , सम्पदा एवं प्रभाव से वंचित होना पडा था |



3. अवध के सम्पूर्ण देहाती क्षेत्रों में ताल्लुक्दारों की जागीरें एवं कीलें थे जिसपर ब्रिटिश शासन का अधिकार हो गया था |



4. अवध के नबाब तथा ताल्लुक्दारों के शासन खत्म होने से उनलोगों के पास स्थित सेना भी भंग हो गयी | ये सेना बेरोजगार हो गये |



5. ताल्लुक्दारो के जमीन पर से मालिकाना हक़ को भी समाप्त कर दिया गया | ताल्ल्कुदारों के पास पहले 67% गाँवों पर अधिकार था जो अब घटाकर 38% हो गया था जिससे उनलोगों में असंतोष था |



6. उल्लेखनीय है कि जब 1857 में अवध में जहां भी विद्रोह हुआ वहां नबाब और ताल्लुक्दारों का समर्थन रहा |





3. “ अवध में विभिन्न प्रकार की पीडाओं ने राजकुमारों , ताल्लुक्दारों, किसानों और सिपाहियों के अंग्रेजों के विरूद्व 1857 के विद्रोह में हाथ मिला लिया |” इस कथन की परख कीजिये | 2017 अंक 8

अथवा

अवध में विद्रोह इतना व्यापक क्यों था ? किसान,ताल्लुक्दार और जमींदार उसमें क्यों शामिल हुए ?

उत्तर:

* 1856 में अवध का अधिग्रहण ब्रिटिश भारत में इस आधार पर किया कि नवाव वाजिद अली शाह लोकप्रिय नहीं है और राज्य की क़ानून-व्यवस्था पर नबाब का नियंत्रण नहीं है | फलत: अंग्रजो ने नबाब और उसके अनुयायियों को असंतोष कर दिया |

* नबाब के हटाए जाने से दरबार और उसकी संस्कृति खत्म हो गई | संगीतकारों, नर्तकों, कवियों, कारीगरों, बावर्चियों, नौकरों, सरकारी कर्मचारियों और बहुत सारे लोगों की रोजी रोटी खत्म हो गई |

* अवध में ताल्ल्कुदारों की अपनी शक्ति थी | बड़े ताल्लुक्दारों के पास 12000 तक पैदल सिपाही और छोटे ताल्ल्कुदारों के पास 200 सिपापियों की टुकड़ी तो होती ही थी | अंग्रेजों ने अधिग्रहण के बाद इनकी सेनाएं भंग कर दी गई | उनके दुर्ग ध्वस्त कर दिए गए | स्वाभिवक है इनके अन्दर असंतोष बढ़ी |

* अंग्रेजों ने किसानों पर लगान की राशि 30 से 70 % तक इजाफा कर दिया | किसानों के अन्दर भी ब्रिटिश शासन के प्रति असंतोष बढ़ रही थी |

* 1857 के विद्रोह के दौरान लड़ाई की बागडोर ताल्लुक्दारों और उनके किसानों ने ले ली और बेगम हजरत महल (नबाब की पत्नी ) के खेमे में शामिल हो गए|

* किसानों का अंसतोष का प्रभाव सैनिकों तक पहुंचने लगा था क्योंकि अधिकाश सैनिकों का सबंध किसान परिवारों से था |





4. 1857 के विद्रोह के चित्रों (प्रकट निरूपणों ) की परख कीजिये जिसने अनेक तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएँ पैदा होती है | 2017

उत्तर:

* अंग्रेजों द्वारा बनाई गई तस्वीरों को देखने पर तरह-तरह की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं पैदा होती है क्योनिक इन तस्वीरों में से कुछ में अंग्रेजों को बचाने और विद्रोहियों को कुचलने वाले अंग्रेज नायकों का गुणगान किया गया है |

* सन 1859 में टामस जोन्स बार्कर द्वारा बनाया गया चित्र “ रिलीफ ऑफ लखनऊ ‘ इसी श्रेणी की एक तस्वीर है |

* बार्कर की चित्र कैम्पबेल के आगमन के क्षण का जश्न मनाती है | कैनवास के मध्य भाग में कैम्पबेल, ऑट्रम, तथा हेवलौक. नामक तीन ब्रिटिश नायकों की छवियाँ है |

* इस तरह के चित्रों से अंग्रेज जनता में अपनी सरकार के प्रति भरोसा पैदा करते थे |

* इन चित्रों से अंग्रेजों को ऐसा प्रतीत होता था कि संकट की घड़ी जा चुकी है और विद्रोह समाप्त हो गया है अर्थात अंग्रेज विजयी हो गए है |




5. 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के विरूद्व उभरे भारतीय नेतृत्व के स्वरूप की उदाहरणों की मदद से परख कीजिए | 2016

अथवा

1857 के विद्रोह में उत्तर भारत के 6 प्रमुख नेताओं की भूमिका का वर्णन करें |


उत्तर: 1857 के विद्रोह के प्रमुख नेताओं की भूमिका।


(i) कानपुर में पेशवा बाजीराव द्वितीय के उत्तराधिकारी नाना साहिब विद्रोह के नेता बने।

(ii) झांसी में रानी लक्ष्मीबाई ने विद्रोह का नेतृत्व संभाला।

(iii) बिहार के आरा में, कुंवर सिंह, एक स्थानीय जमींदार लोकप्रिय दबाव में नेता बन गया


(iv) लखनऊ में, नवाब वाजिद अली शाह के युवा पुत्र बिरजिस क़द्र, राज्य के विलय के खिलाफ विद्रोह के नेता बने


(v) छोटानागपुर में सिंहभूम के एक आदिवासी किसान गोनू क्षेत्र के कोल आदिवासियों के विद्रोही नेता बन गए।


(vi) शाह मल ने बड़ौत परगना के ग्रामीणों को संगठित किया



6. 1857 के विद्रोहियों को दबाने के लिए अंग्रेजों द्वारा अपनाई गई दमनकारी नीतियों की परख कीजिये | 2015

उत्तर:

* अंग्रेजों ने इस विद्रोह को दबाने के लिए ब्रिटेन से बड़ी संख्या में सैन्य सहायता मंगवाई |

* इस विद्रोह को दबाने के लिए अंग्रेजों ने कई नए क़ानून जारी किये तथा उत्तर भारत पर मार्शल लॉ लागू कर दिया |

* मेजर रेनांड ने जनरल नाईल के आदेश पर उन सभी क्षेत्रों में घोर अत्याचार किये जहां विद्रोह फैला था | उसने अनगिनत लोगों की ह्त्या की और उनकी लाशों को पेड़ों पर लटका दिया |

* विद्रोही सैनिकों को पकड़कर हजारों लोगों के सामने उन्हें तोप से उड़ा दिया गया |

* अंगेजों ने फूट डालो और राज करो की नीति अपनाते हुए हिन्दू और मुसलमानों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश की |



7. लार्ड डलहौजी की अवध अधिग्रहण नीति की आलोचनात्मक परख कीजिये | 2015

उत्तर: 


8. विद्रोहियों के बीच  एकता स्थापित करने के लिए क्या तरीके अपनाए गए ? 2017

उत्तर:

* भारतीय समाज के सभी वर्गो से जातीय भेदभाव न करते हुए एकता बनाए रखने की अपील की गई |

* मुस्लिम राजाओं द्वारा की गई घोषणा में भी हिन्दुओं की भावनाओं का ध्यान रखा गया था |

* हिन्दुओं और मुसलमानों दोनों की भावनाओं के लाभ और हानि को ध्यान में रखते हुए विद्रोह आरम्भ किया |

* बहादुर शाह जफ़र के नेतृत्व में लोगों को मुहम्मद तथा महावीर दोनों के नामों पर विद्रोह होने की अपील की | यद्यपि अंग्रेजों ने दोनों समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाने की भरपूर चेष्टा की |



9. 1857 के विद्रोह के बाद औपनिवेशिक शहरों के भवनों का स्वरूप किस प्रकार बदल गया ? कोई दो उदाहरण दीजिये | 2014

उत्तर:

* 1857 के विद्रोह के बाद अंग्रेजों नें अपना घर स्थानीय देशी लोगों के घरों से अलग एक नई बस्ती का निर्माण किया जिसे सिविल लाईन्स कहा गया |

* इस बस्ती में सिर्फ अंगेजों के ही रहने का अधिकार था |

* पुराने कस्बों के आस-पास के चरागाहों और खेतों को साफ़ कर दिया गया |



10. 1857 के विद्रोहियों ने अपने विचारों का प्रसार करने और लोगों को विद्रोह शामिल होने के लिए किस तरह प्रेरित किया ? स्पष्ट कीजिये | 2014

उत्तर:

* विद्रोहियों में ज्यादातर सिपाही और आम लोग थे जो कम-पढ़े लिखे थे | अत: उन्होंने अपने विचारों का प्रसार करने और लोगों को विद्रोह में शामिल कने के लिए घोषणाएं एवं इश्तहार जारी किये |

* इन इश्तहारों में जाति और धर्म का भेद किये बिना समाज के सभी वर्गों का आह्वान किया जाता था |

* बहुत सारी घोषणाएं मुस्लिम राजकुमारों या नबाबों की तरफ से या उनके नाम पर जारी की जाती थी |

* मुस्लिम राजकुमारों या नबाबों द्वारा जारी किये गए इश्तहारों में हिन्दुओं की भावनाओं का ख्याल रखा जाता था |

* बहादुर शाह जफ़र के नेतृत्व में लोगों को मुहम्मद तथा महावीर दोनों के नामों पर विद्रोह होने की अपील की | यद्यपि अंग्रेजों ने दोनों समुदायों के बीच वैमनस्य बढ़ाने की भरपूर चेष्टा की |



11. 1857 के विद्रोह में अंग्रेजों के विरूद्व उभरे भारतीय नेतृत्व के स्वरूप की उदाहरणों की मदद से परख कीजिये
उत्तर: 
 1857 के विद्रोह में अलग -अलग जगहों पर विद्रोह का नेतृत्व किया | इस विद्रोह में कोई भी सर्वमान्य नेतृत्व नहीं था |



1. . दिल्ली : बिग्रेडियर विल्सन और कैप्टन हडसन ने अथक संघर्ष के बाद सितम्बर 1857 में पुन: दिल्ली पर अधिकार कर लिया | बहादुर शाह जफ़र को विद्रोह करने के अपराध में रंगून भेज दिया गया जहां 1862 में उनकी मृत्यु हो गयी |



2. अवध : अवध में विद्रोह का नेतृत्व बेगम हजरत महल और असंतुष्ट ताल्लुकदार कर रहे थे | हैवलाक , कैम्पवेल ने गोरखा सैनिकों की मदद से 31 मार्च 1858 को लखनऊ पर पुन: अधिकार कर लिया |



3.कानपुर : कानपुर में विद्रोह का नेतृत्व नाना साहब और तात्या टोपे कर रहे थे | एक लम्बे युद्व के उपरान्त जनरल हैवलाक , नील और कैम्पवेल ने 20 जूलाई 1858 को कानपूर पर पुन: अधिकार कर लिया |



4. झांसी : झांसी में विद्रोह का नेतृत्व रानी लक्ष्मीबाई कर रही थी| 3 अप्रैल 1858 को अंग्रेज ह्यूरोज नेझांसी पर अधिकार कर लिया | रानी लक्ष्मीबाई भागकर कालपी पहुँची| ह्यूरोज ने इन्हें कालपी में भी परस्त किया | रानी वहां से ग्वालियर पहुँची | रानी और तात्या टोपे ने 3 जून 1858 में अधिकार कर लिया | अंगरेजों के साथ भीषण युद्व में 18 जून 1858 को रानी लक्ष्मीबाई वीरगति को प्राप्त हुई |

ह्यूरोज ने कहा ," रानी लक्ष्मी बाई विद्रोहियों में सर्वाधिक वीर एवं श्रेष्ठतम सेनापति थी "

5. बिहार : बिहार में विद्रोह का नेतृत्व जगदीशपुर के बाबू वीर कुंवर सिंह कर रहे थे| अपरैल 1858 को कुंवर सिंह की मृत्यु हो गयी | विद्रोह का नेतृत्व कुंवर सिंह के भाई अमर सिंह ने किया | जनरल वेग और टेलर ने दिसंबर 1858 तक विद्रोह का दमन कर दिया |



12. बहुत सारे स्थानों पर विद्रोही सिपाहियों के नेतृत्व सम्भालने के लिए पुराने शासकों से क्यों आग्रह किया गया ?

उत्तर:

1. विद्रोही भारत से ब्रिटिश शासन को हटाना तथा 18वीं सदी के पूर्व ब्रिटिश व्यवस्था को पुन: स्थापित करना चाहते थे |

2. उन राज्यों एवं रियासतों के शासकों में असंतोष था जिनके राज्य का विलय अंगरेजी साम्राज्य में धोखा एवं छल से मिला लिया गया था |

3. अंगरेजो का सामना करने के लिए एक योग्य एवं सर्वमान्य नेतृत्व की आवश्यकता थी जिसके नेतृत्व में सभी एकजूट हो सके |

4. इसलिए विद्रोहियों ने दिल्ली पर आक्रमण कर मुगल बादशाह बहादुर शाह जफ़र को विद्रोह का नेतृत्व संभालने का अनुरोध किया |

5. कानपुर में शहर के लोग एवं सिपाहियों ने नाना साहब को अपना नेता बनाया |



13. उन साक्ष्यों के बारे में चर्चा कीजिये जिनसे पता चलता है कि विद्रोही योजनाबद्व और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे ?

उत्तर: निम्नलिखित बिन्दुओं से यह पता चलता है कि विद्रोही योजनाबद्व और समन्वित ढंग से काम कर रहे थे |

1. भिन्न -भिन्न छावनियों के सिपाहियों के मध्य अच्छा संचार सम्बन्ध स्थापित किया गया था |

2. चार्ल्स वाल , जो विद्रोह के प्रारम्भिक इतिहासकारों में से एक थे , ने उल्लेख किया है कि प्रत्येक रेजीमेंट के देशी अफसरों की अपनी पंचायते होती थी जो रात को आयोजित की जाती थी |इन पंचायतों में विद्रोह संबंधी निर्णय सामूहिक होते थे |

3. छावनी एक दूसरे की सलाह से कार्य कर रही थी | जब 7 वीं अवध इर्रेग्युलर कैवेलरी ने चर्बी युक्त कारतूसों का प्रयोग करने से मना कर दिया तो उन्होंने 48 वीं नेटिव इन्फेंट्री को धर्म की रक्षा हेतु किये गए निर्णय से अवगत कराया और कहा कि हम आपके हुक्म का इंतजार कर रहे है |



14. 1857 के विद्रोह के दौरान हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच धार्मिक भेद के लक्ष्ण क्यों दिखाई नहीं दिए ? परख कीजिये |

उत्तर:

* विद्रोहियों में ज्यादातर कम पढ़े लिखे सैनिक थे जिन्होंने अपने विचारों का प्रसार करने और लोगों में संघर्ष में भाग लेने के लिए घोषणाएं जारी किये जिसमें जाति धर्म भेद का स्थान नहीं दिया गया |

* मुस्लिम के तरफ से जारी घोषणाओं में हिन्दुओं के भावनाओं का ख्याल रखा जाता था | वहीं हिन्दू वर्ग के लोग अपने पुराने गौरवगाथा का गुणगान करके लोगों को संघर्ष में भाग लेने की सन्देश देते थे



15. 1857 के विद्रोह के कारणों का वर्णन करें |

उत्तर: 1857 के विद्रोह के कारण :-

राजनीतिक कारण :

👉 ब्रिटिश गवर्नर जनरल लार्ड डलहौजी ने गोद लेने की प्रथा को निषेध कर सतारा, नागपुर, झांसी आदि अनेक राज्यों को और कुप्रबंध के आधार पर अवध के राज्य को समाप्त कर दिया |

👉 भूतपूर्व पेशवा बाजीराव द्वितीय के दत्तक पुत्र नाना साहब की पेंशन बंद करके डलहौजी ने उसे भी अंग्रेजों का शत्रु बना दिया था |

👉 अंग्रेजों का मुग़ल बादशाह बहादुर शाह जफ़र के साथ निंदनीय वयवहार था |

👉 भारतीयों के प्रति अंग्रेजों की असमानता की नीति एवं अपमानजनक व्यवहार था |

👉 अंग्रेज भारतीयों को तिरस्कार की दृष्टी से देखते थे और उन्हें उच्च सरकारी पदों पर नियुक्त नहीं करते थे |

👉 देशी नरेशों को हस्तगत कर उनके दरबार में रह रहे लोगों को उनके अधिकारों से वंचित कर दिया , जिससे उनलोगों में असंतोष था|

👉 देशी नरेशों की सेना भंग कर दिया गया | क्रांति के समय यह सेना विद्रोहियों का साथ दिया |

👉 अंग्रेजों की प्रशासन में व्यापक भ्रष्टाचार था | भारतीयों को उचित न्याय नही दिया जाता था|



सामाजिक कारण :-

👉 अंग्रेजों ने भारतीय समाजिक जीवन में हस्तक्षेप किया, सती प्रथा, बाल ह्त्या, नरबली आदि को बंद करने का प्रयास किया | डलहौजी ने विधवा पुनर्विवाह क़ानून की मान्यता दी गयी | हिन्दू समाज में अंग्रेजों के प्रति असंतोष बढ़ने लगा |

👉 अंग्रेज भारतीयों के रीति-रिवाजों की अवहेलना करते थे| उन्होंने अपनी सभ्यता भारतीयों पर लादने का प्रयास किया|

👉 भारतीयों को डर हो गया कि अंग्रेज उन्हें ईसाई बनाना चाहते है |

👉 1856 ई. में एक विधेयक पारित किया गया जिसके अनुसार ईसाई धर्म में दीक्षित होनेवाले भारतीय अपनी चल या अचल सम्पति से वंचित नहीं किये जा सकते थे |



धार्मिक कारण :

👉 ब्रिटिश सरकार ईसाई पादरियों को ईसाई धर्म के प्रचारकों को राजकीय सहायता प्रदान करती थी |

👉 हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्मों की आलोचना करते थे |

👉 अंगरेजी शिक्षण संस्थाओं , अस्पताल और जेलों में ईसाई धर्म की शिक्षा दी जाती थी|

👉 प्रत्यके हिन्दू को नि:संतान होने पर गोद लेने का अधिकार था , जिसे लार्ड डलहौजी ने समाप्त कर दिया |

👉 हिन्दु सैनिकों को तिलक लगाने और जनेऊ पहनने तथा मुसलमानों को दाढ़ी रखने पर रोक लगा दिया गया |



आर्थिक कारण :

👉 भारतीय व्यापार पर अंग्रेजों के एकाधिकार होने कुटीर एवं घरेलू उद्योग धंधे नष्ट हो गये |

👉 अंग्रेजों द्वारा लगान (राजस्व) की दर अधिक होने से काश्तकारों को जमीन बेचने पडी और मजदूरी करने लगे|

👉 देशी राज्यों के अंत होने से इनकी सेनाएं भंग कर दी गयी | बेकार सैनिक भी जीविका के आभाव में अंग्रेजों से लड़ने को उतावले हो रहे थे |

👉 अंग्रेजों द्वारा स्थापित महालवाडी , रैयतवाडी और स्थायी बंदोबस्त से किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पडा |

तात्कालिक कारण :

👉 1857 ई. की क्रान्ति का मुख्य तात्कालिक कारण चर्बी वाली कारतूस (एनफील्ड रायफल ) थी |

👉 इस कारतूस को प्रयोग करने से पहले इस पर लगे कागज को दांतों से काटकर खोलना पड़ता था

👉 1857 में बंगाल में यह अफवाह फ़ैल गयी कि इन कारतूसों के मूंह पर गाय व् सूअर की चर्बी लगाई गयी है |

👉 धर्म की रक्षा के लिए हिन्दू और मुसलमान विद्रोह के लिए तत्पर हो गए |

👉 हिन्दू और मुसलमान सिपाहियों ने एनफील्ड रायफल के प्रयोग से मना कर दिया |

👉 29 मार्च 1857 को 34वें इन्फैंट्री रेजीमेंट के मंगल पांडे ने सैनिकों को अग्रेजों को विरूद्व भड़काया |

👉 अंतत: विद्रोह की शुरुआत मेरठ से 10 मई 1857 को मानी जाती है |





16. 1857 के विद्रोह के आरम्भ और प्रसार को विस्तार से समझाएं |

उत्तर: विद्रोह का आरम्भ और प्रसार :

👉 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी के 85 सैनिकों ने कारतूस का प्रयोग करना अस्वीकार कर दिया | इन विद्रोही सैनिकों को दीर्घकालीन सजा कारावास की सजा दी गयी |

👉 मेरठ छावनी के सैनिकों ने अपने अधिकारियों के विरूद्व विद्रोह कर दिया| बंदी सैनिकों को कारागार से मुक्त किया |

👉 11 मई 1857 को विद्रोही सैनिकों ने दिल्ली पहुँच कर अंग्रेजों को मारना शुरू किया और 12 मई को दिल्ली पर अधिकार कर लिया |

👉 विद्रोहियों ने बहादुर शाह अफार को भारत का सम्राट घोषित कर दिया |

👉 लखनऊ , इलाहाबाद,कानपुर , बरेली,झांसी, बनारस और बिहार में भी विद्रोह की आग भड़क उठी |

👉 लखनऊ में बेगम हजरत महल , कानपुर में नाना साहब और तात्या टोपे, झांसी में लक्ष्मीबाई और बिहार में जगदीशपुर के बाबू कुंवर सिंह के नेतृत्व में विद्रोह हुआ |

17. 1857 की क्रान्ति भड़काने में अफवाहों और भविष्यवाणियों की महत्वपूर्ण भूमिका थी | क्या अफवाह महत्त्वपूर्ण हो सकती है ? तर्क दीजिये | SAMPLE PAPER 2022

उत्तर:

अफवाहें और भविष्यवाणियां

1. यह अफवाह थी कि ब्रिटिश सरकार ने हिंदुओं और मुस्लिमों के जाति और धर्म को नष्ट करने के लिए एक विशाल षड्यंत्र रचा था।

2. अफवाह ने कहा कि अंग्रेजों ने गायों और सूअरों की हड्डियों को बाजार में बिकने वाले आटे में मिलाया था।

3. सिपाहियों और आम लोगों ने एटा को छूने से इनकार कर दिया।

4. एक डर और संदेह था कि अंग्रेज भारतीयों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करना चाहते थे।

5. सिपाही को गायों और सूअरों की चर्बी से गोलियों का डर था, और उन गोलियों को काटने से उनकी जाति और धर्म भ्रष्ट हो जाएगा।



लोगों को अफवाहों पर विश्वास क्यों हुआ?

1. ब्रिटिश ने पश्चिमी शिक्षा, पश्चिमी विचारों और पश्चिमी संस्थानों को शुरू करके भारतीय समाज में सुधार लाने के उद्देश्य से नीतियों को अपनाया।

2. भारतीय समाज के वर्गों के सहयोग से, उन्होंने अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की स्थापना की, जो पश्चिमी विज्ञान और उदार कलाओं को पढ़ाते थे।

3. अंग्रेजों ने सती (1629) जैसे रीति-रिवाजों को समाप्त करने और हिंदू विधवाओं के पुनर्विवाह की अनुमति के लिए कानून स्थापित किए।

4. अंग्रेजों ने प्रशासन की अपनी प्रणाली, अपने स्वयं के कानून और भूमि बस्तियों और भूमि राजस्व संग्रह के अपने तरीकों को पेश किया।



18. 1857 की क्रांति भारतीय जनमानस में राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाने में प्रेरणा का कार्य करता है | कैसे ?

उत्तर:

1. राष्ट्रवादी आंदोलन ने 1857 की घटनाओं से अपनी प्रेरणा प्राप्त की।

2. विद्रोह के चारों ओर राष्ट्रवादी कल्पना की एक पूरी दुनिया बुनी गई थी।

3. यह स्वतंत्रता के पहले युद्ध के रूप में मनाया गया था जिसमें भारत के सभी वर्ग एक साथ शाही शासन के खिलाफ लड़ने के लिए आए थे।

4. कला और साहित्य ने 1857 की यादों को जीवित रखने में मदद की थी।





महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आन्दोलन



1. वर्णन कीजिए कि गांधी जी ने किस प्रकार 1922 तक भारतीय राष्ट्रवाद को बदल दिया था | 2020

उत्तर:

* गांधी जी ने लोगों को सत्य-अहिंसा की शक्ति से परिचय कराया तथा लोगों को यह भी बताया कि मौक़ा पड़ने पर सत्य-अहिंसा का इस्तेमाल शस्त्र के रूप में कैसे किया जा सकता है |

* जब गांधीजी भारत लौटे थे उस समय स्वतन्त्रता आन्दोलन शहरों तक तथा बुद्विजीवी वर्ग के लोग ही शामिल थे |

* गांधीजी ने स्वतंत्रता आन्दोलन में जनमानस को भागीदारी बनाया |

* उन्होंने महिलाओं को भी आन्दोलन में स्थान दिया |

* गांधीजी ने न केवल स्वतंत्रता आन्दोलन का नेतृत्व किया बल्कि उन्होंने भारतीय समाज की सामाजिक कुरीतियों ; जैसे साम्प्रदायिकता, अस्पृश्यता, रंगभेद, जातिवाद का भी विरोध किया और एकता पर बल दिया |

* गांधीजी ने किसानों, मजदूरों और साधारण जनता के अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे शोषण के खिलाफ आवाज उठायी |

* गांधीजी ने चरखा काटने, विदेशी सामानों का वहिष्कार की बात करके भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश की |

* गांधीजी जनमानस से जुड़ने के लिए खुद जनसामान्य कपड़े और रहन-सहन अपनाया |

* जनमानस में राष्ट्रवाद की भावना जागरूक करने के लिए चम्पारण, खेडा सत्याग्रह जैसे आंदोलनों का नेतृत्व किया था |



2. रालेट एक्ट के किसी एक प्रावधान का उल्लेख कीजिये | पंजाब के लोगों पर इस एक्ट का क्या प्रभाव पड़े ? 2020



उत्तर:

* रालेट एक्ट के तहत किसी भी भारतीय को संदेह के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता था और बिना मुकदमा चलाए दो वर्षों तक कैद में रखा जा सकता था |

* पंजाब के लोगों ने इस एक्ट का कड़ा विरोध किया, जहां के बहुत से लोगों ने युद्व में अंग्रजों के पक्ष में सेवा की थी और अव अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे |

* रालेट एक्ट ने प्रांत में स्थिति तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में जलियावाला बाग़ हत्याकांड हो गया जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गए |





3. “ भारत छोड़ों आन्दोलन” सही मायने में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों हिन्दुस्तानी शामिल थे |” कथन का विश्लेष्ण कीजिए | 2019



उत्तर:

1.क्रिप्स मिशन वार्ता की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया | 8 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक के मैदान में भारत छोड़ों आन्दोलन की शुरुआत होती है |

2.आन्दोलन आरम्भ होते ही महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया |

3.इस आन्दोलन की बागडोर नेतृत्व विहीन हो गयी | देश की युवा वर्ग इस आन्दोलन को हडतालों और तोड़फोड़ की कारवाइयो के जरिये आन्दोलन चलाते रहे |

4. जयप्रकाश नारायण भूमिगत होकर सक्रीय थे |

5.पशिचम में सतारा और मेदनीपुर जैसे कई जिलों में “स्वतंत्र ‘ सरकार की स्थापना कर दी गई थी |

6.भारत छोड़ों आन्दोलन सही मायने में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे |

7. जून 1944 में जब विश्व युद्व समाप्ति की और था तो गांधी जी को रिहा कर दिया गया | जेल से निकलने के बाद उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच कई दौर की वार्ता हुई |

8. 1945 में ब्रिटेन में लेबर पार्टी की सरकार बनी | यह सरकार भारत को स्वतन्त्रता देने के पक्ष में थी |

9. 1946 में कैबिनेट मिशन आया और कांग्रेस और मुस्लिम लीग के साथ संघीय व्यवस्था पर वार्ता की परन्तु वार्ता विफल हो गया|

10. 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाना और देश के कई इलाकों में दंगा फैलने लगा |

11. फरवरी 1947 में माउंट बेटन वायसराय बनकर भारत आया और 15 अगस्त 1947को भारत को स्वतंत्रता देने की घोषणा किया गया |

12. भारत छोड़ों आन्दोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया |





4. “ गांधीजी राजनीतिक जितने थे उतने ही वे समाज सुधारक थे | उनका विश्वास था कि स्वतन्त्रता के योग्य बन्ने के लिए भारतीयों को बाल-विवाह और छुआछूत जैसी सामाजिक बुराइयों से मुक्त होना पडेगा | एक मत के भारतीयों को दुसरे मत के भारतीयों के लिए सच्चा संयम लाना होगा और इस प्रकार उन्होंने हिन्दू- मुसलमानों के बीच सौर्हद्र पर बल दिया |” उपर्युक्त काठ के प्रसंग में , महात्मा गांधी द्वारा परिपुष्टि मूल्यों को उजागर कीजिये | 2017



Ans: महात्मा गांधी द्वारा दिए गए मूल्य

(i) विभिन्न धर्मों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व।

(ii) प्रत्येक आस्था या धर्म का सम्मान।

(iii) सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, अस्पृश्यता आदि को दूर करना।

(iv) हिंदू- मुस्लिम सद्भाव।

(v) अहिंसा (अहिंसा)।

(vi) सत्य-सत्य के लिए सतोप्रधान (सत्यग्रह)

(vii) स्वतंत्रता।

(viii) एक-दूसरे के विचारों और विश्वासों के लिए सहिष्णुता

(ix) एकता और अखंडता।



5. “ 1930 की नमक यात्रा वह पहली घटना थी जिसके चलते महात्मा गांधी दुनिया की नजर में आएं |” स्वराज के लिए इस आन्दोलन के महत्व को स्पस्ट कीजिये | 2015

उत्तर:

* गांधी जी ने नमक यात्रा की शुरुआत अपने 78 अनुयायियों के साथ साबरमती से दांडी के लिए 12 मार्च 1930 को किया था |

* दांडी यात्रा में 240 मील की दूरी करने में जिस रास्ते से गांधीजी का कारवां गुजरता , लोगों का अपार समर्थन प्राप्त होता था |

* नामक यात्रा की प्रगति और लोकप्रियता की जानकारी अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका और समाचार पत्रों के माध्यम से मिलती है |

* आरम्भ में अमेरिकी समाचार पत्रिका टाइम ने गांधी जी को ‘ तकुए जैसे शरीर ‘ और ‘ मकड़ी जैसे पेडू ‘ जैसे शब्दों से उपहास किया |

* परन्तु एक हफ्ते में ही पत्रिका की सोच बदल गई , टाइम ने लिखा कि इस यात्रा को जो भारी जनसमर्थन मिल रहा है उसने अंग्रेज शासकों को ‘ गहरे तौर पर बेचैन’ कर दिया है |

* अमेरीकी पत्रिका के साथ ही यूरोपीय प्रेस ने गांधी जी को कवरेज दिया |

* यह पहला राष्ट्रवादी गतिविधि थी जिसमें औरतों ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया |


6. महात्मा गांधी ने स्वयं को सामान्य लोगों जैसा दिखाने के लिए क्या किया ? प्रकाश डालें |


उत्तर:

1. महात्मा गांधी देश की जनता को जानने के लिए देश का भ्रमण किया तथा वस्तुस्थिति को समझा |



2.गांधी जी अपने सार्वजनिक भाषणों में किसानों और गरीबों की बात करते थे |



3. गांधी जी जनसामान्य की दिखने के लिए उनके जैसे वस्त्रों का प्रयोग करते थे तथा उनकी तरह ही भाषा का प्रयोग करते थे |



4. जनसामान्य से जुड़ने के लिए स्वयं चरखे का प्रयोग कर खादी वस्त्र बुनते थे तथा उसका प्रयोग करते थे |



5. गांधी जी छुआ-छूत की समाप्ति , बाल-विवाह खत्म करने , आर्थिक सत्र पर स्वावलंबन की प्रेरणा , खाड़ी पहनने पर जोर देना, समाज में उच्च-नीच का भेदभाव खत्म करना , सादा जीवन व्यतीत करना अदि उनके प्रयास जन-नेता के रूप में स्थापित करते है |




NCERT पाठ्यपुस्तक के प्रश्नोतर

7. महात्मा गांधी ने स्वयं को सामान्य लोगों जैसा दिखाने के लिए क्या किया ?

उत्तर:

1. महात्मा गांधी देश की जनता को जानने के लिए देश का भ्रमण किया तथा वस्तुस्थिति को समझा |

2.गांधी जी अपने सार्वजनिक भाषणों में किसानों और गरीबों की बात करते थे |

3. गांधी जी जनसामान्य की दिखने के लिए उनके जैसे वस्त्रों का प्रयोग करते थे तथा उनकी तरह ही भाषा का प्रयोग करते थे |

4. जनसामान्य से जुड़ने के लिए स्वयं चरखे का प्रयोग कर खादी वस्त्र बुनते थे तथा उसका प्रयोग करते थे |

5. गांधी जी छुआ-छूत की समाप्ति , बाल-विवाह खत्म करने , आर्थिक सत्र पर स्वावलंबन की प्रेरणा , खाड़ी पहनने पर जोर देना, समाज में उच्च-नीच का भेदभाव खत्म करना , सादा जीवन व्यतीत करना अदि उनके प्रयास जन-नेता के रूप में स्थापित करते है |


8. नमक क़ानून स्वतंत्रता संघर्ष का महत्वपूर्ण मुद्दा क्यों बन गया था ?

उत्तर: 1. नमक क़ानून ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानूनों में से एक था | इसके अनुसार नमक के उत्पादन और विक्रय का अधिकार राज्य को बनाया गया |

2.जनसामान्य में नामक कानून से असंतोष व्याप्त था |प्रत्येक घर में नमक का उपभोग एक अपरिहार्य सामाग्री थी |किन्तु भारतीयों को स्वयं नमक बनाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था |

3.नमक क़ानून के कारण भारतीयों को विवशतापूर्वक दुकानों से ऊँचे दामों पर खरीदना पड़ता था



9. राष्ट्रीय आन्दोलन के अध्ययन के लिए अखबार महत्त्वपूर्ण स्रोत क्यों है ?

उतर: 1. अंगरेजी एवं विभिन्न भारतीय भाषाओं में छपने वाली समाचारपत्रों में राष्ट्रीय आन्दोलन से सम्बन्धित सभी घटनाओं का विवरण मिलता है |

2.समाचार-पत्रों के माध्यम से राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने वाले नेताओं की जानकारी मिलती है |

3. समाचार-पत्रों के माध्यम से ब्रिटिश सरकार के नियत का पता चलता है |

4. समाचार-पत्रों में प्रकाशित राष्ट्रीय घटनाओं से ब्रिटिश भारत सरकार के कार्यविधि और राष्ट्रीय नेताओं के विचार जानने का अवसर मिलता है |


10. असहयोग आन्दोलन एक तरह का प्रतिरोध कैसे था ?

उत्तर: असहयोग आन्दोलन का मुख्य उद्वेश्य ब्रिटिश भारत सरकार के साथ असहयोग करना था |

1. इस आन्दोलन के द्वारा रालेट एक्ट और जलियावाला बाग़ हत्याकांड जैसे घटनाओं पर अपना विरोध दर्ज करना चाहते थे |

2. इस आन्दोलन से खिलाफत आन्दोलन का समर्थन करना था तथा हिन्दू-मुस्लिम एकता का प्रदर्शित करना था|

3. असहयोग आन्दोलन इसलिए भी प्रतिरोध था , क्योंकि इसके द्वारा सरकारी संस्थाओं का बहिष्कार करना , सरकारी द्वारा वसूली का विरोध करना , विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके प्रतिरोध प्रकट करना चाहते थे |



11. भारत छोड़ों आन्दोलन सही मायने में एक जन-आन्दोलन था ?

उत्तर: 1.क्रिप्स मिशन वार्ता की विफलता के बाद महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया | 8 अगस्त 1942 को बंबई के ग्वालिया टैंक के मैदान में भारत छोड़ों आन्दोलन की शुरुआत होती है |

2.आन्दोलन आरम्भ होते ही महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया |

3.इस आन्दोलन की बागडोर नेतृत्व विहीन हो गयी | देश की युवा वर्ग इस आन्दोलन को हडतालों और तोड़फोड़ की कारवाइयो के जरिये आन्दोलन चलाते रहे |

4. जयप्रकाश नारायण भूमिगत होकर सक्रीय थे |

5.पशिचम में सतारा और मेदनीपुर जैसे कई जिलों में “स्वतंत्र ‘ सरकार की स्थापना कर दी गई थी |

6.भारत छोड़ों आन्दोलन सही मायने में एक जन-आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे |

7. जून 1944 में जब विश्व युद्व समाप्ति की और था तो गांधी जी को रिहा कर दिया गया | जेल से निकलने के बाद उन्होंने कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच कई दौर की वार्ता हुई |

8. 1945 में ब्रिटन में लेबर पार्टी की सरकार बनी | यह सरकार भारत को स्वतन्त्रता देने के पक्ष में थी |

9. 1946 में कैबिनेट मिशन आया और कांग्रेस और मुस्लिम लीग के साथ संघीय व्यवस्था पर वार्ता की परन्तु वार्ता विफल हो गया|

10. 16 अगस्त 1946 को मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाना और देश के कई इलाकों में दंगा फैलने लगा |

11. फरवरी 1947 में माउंट बेटन वायसराय बनकर भारत आया और 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता देने की घोषणा किया गया |

12. भारत छोड़ों आन्दोलन ने अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबूर कर दिया |





प्रश्न 13.- असहयोग आंदोलन के किन्ही तीन प्रभावों का वर्णन कीजिए?

उत्तर-

1. खिलाफत तथा असहयोग आंदोलन एक साथ चलाया जाय।/ इसको अलग-अलग चरणों में चलाना।

2. विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार स्वदेशी वस्तु अपनाना/ अंग्रेजों द्वारा दी गयी उपाधि को वापस करना।

3. सरकारी कार्यालय स्कूल आदि को छोड़ना।



प्रश्न 14. असम में बागान मजदूरों के लिए स्वराज की अवधारणा क्या थी?

उत्तर-

1. अनुबंध के नियमों का उल्लंघन।/ चाय बगानों से बाहर निकलना।

2. असहयोग आंदोलन में सम्मिलित होना।

3. कृषि भूमि तथा सुख-साधनों को प्राप्त करना।



प्रश्न 15. भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया?

उत्तर-

1. समय से पहले गठन करना।

2. शासन में सुधार जैसी कोई बात नही।

3. एक भी भारतीय को इसमें सम्मिलित नही किया गया।



प्रश्न 16. भारत के लोग रॉलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?

उत्तर-

1. यह एक काला कानून था।

2. इस कानून के अंतर्गत किसी को बिना मुकदमा चलाए और कारणों को बताये लम्बे समय तक जेल में डाला जा सकता था।

3. यह प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ही भारतीय जनता को नियन्त्रण में करने के लिए लाया गया था।

विश्व युद्ध के बाद इसे खत्म करना था परन्तु सरकार ने इसे बनाये रखा। इसका विरोध भारत की आम जनता ने किया।



प्रश्न 17. गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?

उत्तर-

1. असहयोग आंदोलन अंहिसा पर आधारित था।

2. आंदोलनकारियों में निरसता आ गई थी।

3. चौरा-चौरी में आंदोलनकारियों द्वारा 22 पुलिस वालों को चौकी में जिंदा जलाया जाना।





प्रश्न 18. सविनय अवज्ञा आंदोलन पर टिप्पणी लिखो?

उत्तर-

1. गाँधी जी ने सन् 1930 को दांडी नामक स्थान पर नमक कानून तोड़कर शुरू किया।

2. 1934 तक आंदोलन का चलना।

3. गाँधी जी ने विद्यार्थियों को स्कूल एवं कॉलेजों, विद्यायकों विधान पालिका विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार आरंभ करना।

4. स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना।/ मुस्लिम एकता पर बल देना।



प्रश्न 19. 1916 ई॰ के लखनऊ समझौते का क्या महत्व था?

उत्तर-

1. कांग्रेस के नरम दल और गरम दल का एक मंच पर आना।

2. कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच समझौता

3. दोनो ने संयुक्त होकर अंग्रेजो से अपनी मांगों को लेकर सामना करना।

4. बाल गंगाधर तिलक का इसमें बड़ा योगदान था।



प्रश्न 20. असहयोग आंदोलन आरंभ किए जाने के क्या कारण थे ? इस आांदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों की हिस्सेदारी पर प्रकाश डालिए। इसके कार्यक्रम कार्य पद्धति, प्रगति एवं अंतत: समाप्ति को समझाइए।

उत्तर- आदोलन क कारण :-

1. प्रथम महायुद्र की समाप्ति पर अंग्रेजों द्वारा भारतीय जनता का शोषण।/ अंग्रेजों द्वारा स्वराज प्रदान करन से मुकर जाना।

2. रॉलेट एक्ट का पारित होना

3. जलियाँवाला बाग हत्याकांड

4. कलकत्ता अधिवेशन में 1920 में कांग्रेस द्वारा असहयोग आदोलन का प्रस्ताव बहुमत से पारित।

विभिन्न वगाँ की हिस्सेदारी :-

1. शहरों में आन्दोलन

2. ग्रामीण इलाकों में विद्रोह

3. आदिवासी क्षेत्रों में विद्रोह

4. बागानों में स्वराज

कार्यपद्धति, प्रगति -

चरणबद्ध योजना प्रक्रिया।

प्रथम चरण - सरकारी पदवियों, नौकरियों, सेना, पुलिस, स्कूलों, विद्यार्थी परिषदों व विदेशी वस्तुओं का त्याग।

दूसरा चरण – व्यापक स्तर पर सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ होना शामिल था।

समाप्ति - गाँधी जी द्वारा चौरी-चौरा में हुई हिंसक घटना के फलस्वरूप आंदोलन वापस ले लिया गया।



प्रश्न 21. सक्रिय राजनीति में भाग लेने से पूर्व गाँधीजी ने किन-किन स्थानों पर सत्याग्रह आंदोलन किए ? इनके प्रारंभ होने के क्या कारण थे ?

उत्तर-

1. 1917 में चांपारन सत्याग्रह - नील की खेती करने वाले किसानों के पक्ष में।

2. खेड़ा सत्याग्रह (1917) - किसानों को लगान में छूट दिलवाने के लिए।

3. अहमदाबाद में मिल मजदूर हड़ताल (1918)



प्रश्न 22. गाँधीजी की नमक यात्रा कई कारणों से उल्लेखनीय थी। समीक्षा कीजिए। सविनय अवज्ञा आंदोलन की सीमाएँ क्या थीं ? इसके महत्व का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

1. नमक कर ब्रिटिश सरकार का सबसे दमनात्मक पहलू बताया गया।/ गाँधीजी द्वारा विश्वस्त वालंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू।

2. राष्ट्रीय आंदोलन से आम आदमी के मुद्दे को जोड़ना।/ कानून का उल्लंघन। प्रदर्शन व विदेशी चीजों का बहिष्कार

3. शराब की दुकानों पर पिकेटिंग।/ सभी लोग स्वराज की अमूर्त अवधारणा से प्रभावित नहीं थे।

4. समाज के सभी वर्गों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा नहीं लिया।/ समाज के वर्ग एक दूसरे की तरफ संशकित थे।



22. प्रथम विश्व युद्व के दौरान भारत की आर्थिक और राजनीतिक स्थिति की चर्चा करें

उत्तर:

* रक्षा व्यय में भारी इजाफा

* इस युद्व के खर्च की भरपाई के लिए युद्व के नाम पर कर्जे लिए गए

* सीमा शुल्क में वृदि और आयकर शुरू किया गया

* मंहगाई में वृद्वि

* लगान में वृद्वि की गयी

* ग्रामीण युवकों को जबरन सिपाही में भर्ती किया जाने लगा

* 1918-19 और 1920-21के दौरान अकाल से खाद्य पदार्थों की कमी

* 1920-21 में फ़्लू की महामारी से 120-130 लाख लोग मारे गए



23. महात्मा गांधी के विचारों में सत्याग्रह तात्पर्य क्या है ? :

उत्तर: सत्याग्रह :

* सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर देना |

* सत्याग्रह शुद्व आत्मबल है | सत्य ही आत्मा का आधार होता है| आत्मा ज्ञान से हमेशा लैस होती है | सत्याग्रह अहिंसक प्रतिकार है | अहिंसा सर्वोच्य धर्म है |

* प्रतिशोध की भावना का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे अपने संघर्ष में सफल हो सकता है |

* गांधी जी का विचार था की अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बाँध सकता है |





24. चम्पारण सत्याग्रह की घटना क्या थी ?

उत्तर:

* 19वीं सदी जे प्रारम्भ में गोरे बगान मालिकों ने चंपारण जिले के किसानों से एक अनुबंध किया जिसके अनुसार किसानों को अपनी जमीन के 3/20वें भाग पर नील की खेती करना अनिवार्य था| इसे "तिनकठिया पद्वति " कहा जाता था| किसान इस अनुबंध से मुक्त होना चाहते थे |

* 1916 ई. में राजकुमार शुक्ल के आग्रह पर गांधीजी चम्पारण पहुंचे |

* चंपारण पहुंचकर गांधीजी ने समस्याओं को सूना व् सही पाया|

* गांधीजी के प्रयासों से सरकार ने चंपारण के किसानों की जांच हेतु एक आयोग नियुक्त हुआ |

* आयोग के सिफारिस पर तिनकठिया पद्वति समाप्त कर दिया और अंग्रेजों को अवैध वसूली का 25% वापस करना पडा |

गांधी जी का भारत में पहला सत्याग्रह आन्दोलन था जो सफल रहा |



25. खेड़ा सत्याग्रह के बारे में आप क्या जानते है ? प्रकाश डाले |

उत्तर:

* खेड़ा (गुजरात) में वर्षा न होने से किसानों की फसल बर्बाद हो गयी

* प्लेग और हैजा ने जनता को बेकार कर दिया

* खेड़ा की जनता अंगरेजी हुकूमत से लगान में ढील देने की मांग कर रही थी

* 1917 ई. में महात्मा गांधी , सरदार बल्लभ भाई पटेल के साथ गाँव का दौरा किया और खेड़ा के किसानों की मांग का समर्थन किया

* गांधी जी के सत्याग्रह से अंग्रेजों ने लगान माफ कर दिया





26. रालेट एक्ट (1919) क्या था ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?

उत्तर:

* 1917 की रूसी क्रांति और भारतीय क्रांतिकारियों की राजनीतिक गतिविधियों से आशंकित अंगरेजी सरकार ने न्यायाधीश सिडनी रालेट की अध्यक्षता में एक राजद्रोह समिति (सेडीशन समिति) का गठन किया |

* सेडीशन समिति के अनुशंसा पर 2 मार्च 1919 को रालेट कानून (क्रान्तिकारी एवं अराजकता अधिनियम ) बना |

* इसके अनुसार, संदेह के आधार पर किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार किया जा सकता था, और उसपर बिना मुकदमा चलाए दो वर्षों तक जेल में बंद किया जा सकता था |



रालेट एक्ट का विरोध :

* भारतीयों ने इस क़ानून को "काला क़ानून" कहा |

* इस क़ानून को "न वकील, न अपील और न दलील" का क़ानून कहा गया |

* गांधीजी ने इस क़ानून के विरोध में 6अप्रैल से सत्याग्रह करने का आह्वान किया |

* विभिन्न शहरों में रैली निकाली गयी, रेलवे वर्कशाप के मजदूरों ने हड़ताल की, दूकाने बंद रखी गयी, संचार सेवाएं बाधित की गयी |

* अंगरेजी सरकार ने भी आन्दोलन को दमन करने हेतु अमृतसर के स्थानीय नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, गांधी जी को दिल्ली प्रवेश पर पाबंदी लगा दी

* अमृतसर में 10 अप्रैल को पुलिस ने शातिपूर्ण जुलूस पर गोलियां चलायी और शहर में मार्शल लाँ लागू कर दिया |



27. जालियावाला बाग़ हत्याकांड (1919) के कारण, घटना और इसके प्रभाव का वर्णन करें |

उत्तर:

कारण :

* रालेट एक्ट के विरूद्व लोगों में असंतोष

* गांधीजी तथा कुछ अन्य नेताओं के पंजाब प्रवेश पर प्रतिबन्ध

* पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डा.सतपाल और डा.सैफुदीन किचलू को गिरफ्तार कर जिलाबदर कर दिया गया |

* अमृतसर में 10अप्रैल 1919 को शांतिपूर्ण जुलूस पर पुलिस द्वारा गोलियां बरसाई गयी , परिणामत: स्थिति बिगड़ गयी और मार्शल लाँ लगा दिया गया |

घटना :

*13अप्रैल 1919 को वैशाखी के दिन अमृतसर में लगभग शाम 4 बजे जलियावाला बागा में एक सभा का आयोजन किया गया और उस सभा में लगभग 20000 व्यक्ति एकत्रीत हुए |

* उस सभा में प्रवेश के लिए एकमात्र संकीर्ण रास्ता था, चारो तरफ, मकान बने हुए थे और बीच में एक कुआं व् कुछ पेड़ थे |

* जिस समय सभा चल रही थी, उसी वक्त संध्याकाल जनरल डायर सैनिकों और बख्तरबंद गाडी के साथ सभास्थल पर पहुंचा और बिना चेतावनी के उसने गोलियां चलवा दी |

* इस घटना में लगभग (सरकारी आंकड़ा) 379 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए |

घटना का प्रभाव :

* इस घटना की जाँच के लिए "हंटर कमीशन" का गठन किया गया जिसमें 5 अंग्रेज और 3 भारतीय सदस्य थे |

* रवीन्द्रनाथ टैगोर ने "सर" और गांधीजी ने "केशर-ए-हिन्द " की उपाधि लौटा दी |

* शंकरन नायर ने वायसराय की कार्यकारिणी परिषद् से इस्तीफा दे दिया |



28. खिलाफत आन्दोलन(1920 ) क्या था ? महात्मा गांधी ने इस आन्दोलन का समर्थन क्यों किये थे ?

उत्तर:

* प्रथम विश्व युद्व के बाद ब्रिटेन और तुर्की के बीच "सेवर्स की संधि" हुई जिसमें तुर्की का सुलतान (जो मुसलमानों का धर्मगुरु भी था ) खलीफा का

पद छीन लिया |

* भारतीय मुसलमानों में खलीफा का पद छिनने से नाराजगी थी |

* खलीफा का पद बरक़रार रखने के लिए अली बंधुओं (शौकत अली और महम्मद अली) के नेतृत्व में मार्च 1919 में बंबई में खिलाफत समिति का गठन किया गया |

* गांधीजी ने इसे हिन्दू-मुस्लिम एकता के रूप में देखा और खिलाफत आन्दोलन का समर्थन किया

* सितम्बर 1920 में क्रांग्रेस के कलकाता अधिवेशन में महात्मा गांधी ने भी दूसरे नेताओं को इस बात पर राजी कर लिया कि खिलाफत आन्दोलन के समर्थन और स्वराज के लिए एक असहयोग आन्दोलन शुरू किया जाना चाहिए |



29. असहयोग आन्दोलन (1920-21) के दौरान अपनाए गए कार्यक्रमों का चर्चा करें |

उत्तर:

असहयोग आन्दोलन के कार्यक्रम :

* सरकार द्वारा दी गई पदवियां लौटा देनी चाहिए |

* सरकारी नौकरियों से त्यागपत्र और बहिष्कार करना

* सेना,पुलिस और अदालतों का बहिष्कार

* स्कूलों और कालेजों का बहिष्कार

* विधायी परिषदों का बहिष्कार

* विदेशी वस्तुओं का त्याग

* शराब की पिकेटिंग

दिसम्बर 1920 में कांग्रेस के नागपुर अधिवेशन में एक समझौता हुआ और असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति की मोहर लग गयी| असहयोग-खिलाफत आन्दोलन जनवरी 1921में शुरू हुआ| इस आन्दोलन में विभिन्न सामाजिक समूहों ने हिस्सा लिया लेकिन हरेक की अपनी-अपनी आकांक्षाएं थी| सभी के लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे |



30. असहयोग आन्दोलन को शहरों में रहें वाले लोगों ने कैसे लिया ?

उत्तर:

* आन्दोलन की शुरुआत शहरी मध्यम वर्ग की हिस्सेदारी के साथ हुई |

* हजारों विद्यार्थियों ने स्कूल-कॉलेज छोड़ दिए |

* हेडमास्टरों और शिक्षकों ने इस्तीफे सौंप दिए |

* वकीलों ने मुकदमें लड़ना बंद कर दिया |

* मद्रास के अलावा ज्यादातर प्रान्तों में परिषद् चुनावों का बहिष्कार किया |

* विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया

* शराब की दुकानों की पिकेटिंग की गई |

* विदेशी कपड़ों की होली जलाई गयी |

* व्यापारियों ने विदेशी सामानों का व्यापार करने और निवेश करने से इनकार कर दिया |

* लोग भारतीय कपडे पहनने लगे , भारतीय कपड़ा और हथकरघों का उत्पादन भी बढ़ने लगा|



31. असहयोग आन्दोलन ग्रामीण इलाकों को कैस प्रभावित किया ?चर्चा करें

उत्तर:

असहयोग आन्दोलन देश के ग्रामीण इलाकों में भी फैल गए |

* अवध में सन्यासी बाबा रामचन्द्र किसानों का नेतृत्व कर रहे थे | उनका आन्दोलन तालुक्क्दारों और जमींदारों के खिलाफ था जो किसानों से भारी- भरकम लगान और तरह-तरह के कर वसूल रहे थे |

* किसानों को बेगार करनी पड़ती थी| पट्टेदार के तौर पर उनके पट्टे निश्चित नहीं थे | उन्हें बार-बार पट्टे की समीन से हटा दिया जाता था ताकि जमीन पर उनका अधिकार स्थापित न हो सके |

* किसानों की मांग थी कि लगान कम किया जाय, बेगार खत्म हो और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाय|

* 1920 में जवाहर लाल नेहरु , बाबा रामचंद्र और कुछ अन्य लोगों के नेतृत्व में "अवध किसान सभा" का गठन कर लिया गया | असहयोग आन्दोलन आरम्भ होने पर तालुक्क्दारों , जमींदारों के मकानों पर हमला होने लगे,बाजारों में लूटपाट होने लगी, आनाज के गोदामों पर कब्जा कर लिया गया , लगान देना बंद कर दिया गया |



32. असहयोग आन्दोलन मे आदिवासियों की भूमिका की चर्चा करें

उत्तर: :

*आदिवासी किसानों ने गांधीजी की संदेश का और ही मतलब निकाला |

* आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक की शुरुआत में उग्र गुरिल्ला आन्दोलन फैल गया |

* अंगरेजी सरकार का आदिवासियों के जीवन में हस्तक्षेप से उनमें असंतोष पहले से भरा था | गांधीजी के आह्वान पर लोगों ने बगावत कर दिया| उनका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया |

* अल्लूरी ने खुद में विशेष शक्तियों का दावा किया| लोगों को खादी पहनने और शराब छोड़ने के लिए प्रेरित किया|

* गूडेम विद्रोहियों ने पुलिस थानों पर हमले किये, ब्रिटिश अधिकारियों को मारने की कोशिश की |

* अल्लूरी को 1924 में फांसी दे दी गई |





33. असहयोग आन्दोलन का अंत क्यों हुआ ?

उत्तर:

5 फरवरी 1922 को गोरखपुर स्थित चौरी-चौरा में बाजार से गुजर रहा एक शांतिपूर्ण जुलूस पुलिस के साथ हिंसक टकराव में बदल गया| जुलूस ने आक्रोशित होकर थाने में आग लगा दी जिसमें 22 पुलिसकर्मी ज़िंदा जल गए | जब यह घटना गांधी जी को पता चला तो उन्होंने 12 फरवरी 1922 को असहयोग आन्दोलन बंद करने का ऐलान कर दिया |



34. असहयोग आन्दोलन का महत्व एवं प्रभाव की चर्चा करें |

उत्तर:

असहयोग आन्दोलन का महत्व और प्रभाव :

* गांधीजी ने देश में पहली बार एक जन-आन्दोलन खड़ा किया और राष्ट्रवाद का उत्साह का संचार किया |

* इस आन्दोलन का प्रभाव उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक रहा |

* स्वदेशी आन्दोलन ने जनता में आत्म-विश्वास की भावना का विकास किया

* ब्रिटिश सरकार का भय अब जनता के मन से निकल चुका था |

* पहली बार महिलाओं ने भी आन्दोलन में भाग लिया |

* राष्ट्रीय संस्थाओं की स्थापना हुई |




35. स्वराज दल की स्थापना का कारण और उसके उद्वेश्य पर प्रकाश डाले |

उत्तर:

महात्मा गांधी द्वारा अचानक असहयोग आन्दोलन स्थगित कर देने के कारण एक राजनीतिक शून्यता आ गयी | निराशा के ऐसे वातावरण में मोती लाल नेहरू और चितरंजन दास ने स्वराज दल की स्थापना की |

* संस्थापक - मोतीलाल नेहरू, चितरंजन दास

* स्थापना वर्ष - 1जनवरी 1923

* स्थान : इलाहाबाद

* पार्टी अध्यक्ष : चितरंजन दास

* उद्देश्य : स्वराज प्राप्त करना, प्रांतीय परिषदों के चुनाव में भाग लेकर ब्रिटिश नीतियों का विरोध करना, सुधारों की वकालत करना, अंगरेजी सरकार के कामों में अड़ंगा डालना |

स्वराज दल के कार्य :

* मान्तेग्यु-चेम्सफोर्ड अधिनियम(1919) के सुधारों की पुन: व्याख्या करना

* नवीन संविधान बनाने के लिए भारतीय प्रतिनिधियों का सम्मेलन बुलाना |

* राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग की गई

* सरकारी समारोह व उत्सवों का बहिष्कार करना





36. साइमन कमीशन का विरोध भारतीयों द्वारा क्यों किया गया था ?

उत्तर:

* 1919 ई. के भारत सरकार अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि 10 वर्ष के बाद एक आयोग का गठन किया जाएगा जो यह देखेगा कि इस अधिनियम में क्या सुधार किया जा सकता है |

* ब्रिटिश सरकार ने 2 वर्ष पूर्व 1927में ही सर जान साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया जिसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे | इसे "गोरे कमीशन " भी कहा जाता है |

* 3 फरवरी 1928 को कमीशन बंबई पहुँचा | साइमन कमीशन जहाँ भी गया उसका विरोध किया गया | "साइमन गो बैक " का नारा दिया गया |





37. नेहरू रिपोर्ट (1928) की प्रमुख सिफारिशें क्या थी ?

उत्तर:

साइमन कमीशन के विरोध करने से क्षुब्ध भारत मंत्री लार्ड बरकेन हेड ने भारतीयों को चुनौती दी कि उनमें आपसी मतभेद इतने है कि एक सर्वमान्य संविधान का निर्माण नहीं कर सकते | भारतीय राजनीतिज्ञों ने इस चुनौती को स्वीकार किया और मोतीलाल नेहरु के नेतृत्व में रिपोर्ट तैयार किया गया |



प्रमुख सिफारिशों :

* भारत को औपनिवेशिक स्वराज्य प्रदान किया जाय |

* प्रान्तों में पूर्ण उत्तरदायी शासन की स्थापना की जाए

* केन्द्रीय सरकार पूर्णरूप से उत्तरदायी हो, गर्वनर जनरल वैधानिक प्रमुख हो और संसदीय प्रणाली हो |

* संविधान की व्याख्या के लिए एक उच्चतम न्यायालय स्थापित हो |

ब्रिटिश सरकार ने इस रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया |




38. सविनय अवज्ञा आन्दोलन का कार्यक्रम और घटनाओं का वर्णन करें

उत्तर:

1. हर स्थान पर नमक क़ानून तोड़ना |

2. शराब की पिकेटिंग करना |

3. सरकारी संस्थाओं का त्याग करना

4. सरकार को कर नही देना

5. विदेशी वस्त्रों की होली जलाई जाये|



घटनाएं :

* लोगों को औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन करने का आह्वान किया जाने लगा|

* देश के विभिन्न भागों में लोगों ने नमक क़ानून तोड़ा

* सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किए|

* विदेशी कपड़ों का बहिष्कार किया जाने लगा|

* शराब की दुकानों की पिकेटिंग होने लगी|

* गावों में तैनात कर्मचारी इस्तीफे देने लगे|

* जंगलों में रहनेवाले वन कानूनों का उल्लंघन करने लगे , वे लकड़ी बीनने और मवेशियों को चराने के लिए आरक्षित वनों में घुसने लगे|



39. गांधी-इरविन समझौता क्या था ? इस समझौते में शामिल प्रमुख बिन्दुओं का वर्णन करें

उत्तर:

वायसराय ने देश में सार्थक माहौल बनाने के लिए कांग्रेस पर से प्रतिबंध हटा दिया, गांधीजी तथा अन्य नेताओं को छोड़ दिया| अंतत: 5मार्च 1931को गान्धीजी और इरविन में समझौता हो गया| प्रमुख बिंदु :- गांधीजी के निम्न मांगों को स्वीकार किया गया|


1. हिंसा के आरोपियों को छोड़कर राजनीतिक कैदियों को रिहा किया जाए


2. भारतीयों को समुद्र से नमक बनाने का अधिकार दिया गया |


3.आन्दोलन के दौरान त्यागपत्र देने वालों को बहाल किया जाए |


4. भारतीय अब शराब और विदेशी कपड़ों की दुकानों के सामने धरना देने के लिए स्वतंत्र थे|


गांधीजी द्वारा मानी गयी बातें : सविनय अवज्ञा आन्दोलन को स्थगित कर दिया गया और कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार किया कर लिया |



40. किसानों ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को कैसे लिया?

ऊतर:

किसान वर्ग :
* गाँव के संपन्न किसानों प्रमुख रूप से भाग लिया| व्यावसायिक फसलों की खेती करने के कारण व्यापार में मंदी और गिरती कीमतों से वे बहुत परेशान थे|

* जब उनकी नकद आय खत्म होने लगी तो उनके लिए सरकारी लगान चुकाना नामुमकिन हो गया| उनके लिए स्वराज की लड़ाई भारी लगान के खिलाफ लड़ाई था|


* जब 1931 लगानों के घटे बिना आन्दोलन वापस ले लिया गया तो निराशा हुई | जब 1932 आन्दोलन दुबारा शुरू हुआ तो बहुतों ने हिस्सा लेने से इनकार कर दिया |


* गरीब किसान जमींदारों से पट्टे पर जमीन लेकर खेती कर रहे थे| महामंदी लम्बी खींची और नकद आमदनी गिराने लगी तो छोटे पट्टेदारों के लिए जमीन का किराया चुकाना भी मुश्किल हो गया| उन्होंने रेडिकल आन्दोलनों में हिस्सा लिया जिनका नेतृत्व अकसर समाजवादियों और कम्युनिष्टों के हाथों में होता था|

* अमीर किसानों और जमींदारों की नाराजगी के भय से कांग्रेस "भाड़ा विरोधी" आंदोलनों को समर्थन देने में हिचकिचाती थी | इसी कारण गरीब किसानों और कांग्रेस के बीच सम्बन्ध अनिश्चित बने रहे |




41. सविनय अवज्ञा आन्दोलान में व्यावसायी वर्ग की भूमिका की चर्चा करें |
उत्तर:


व्यवसायी वर्ग की स्थिति :

* पहले विश्वयुद्व के दौरान भारतीय व्यापारियों और उद्योगपतियों ने भारी मुनाफ़ा कमाया| अपने कारोबार को फैलाने के लिए उन्होंने ऐसी औपनिवेशिक नीतियों का विरोध किया जिनके कारण उनकी व्यावसायिक गतिविधियों में रुकावट आती थी|

* वे विदेशी वस्तुओं के आयात से सुरक्षा चाहते थे और रुपया-स्टर्लिंग विदेशी विनिमय अनुपात में बदलाव चाहते थे| व्यावसायिक हितों को संगठित करने के लिए 1920 में भारतीय औद्योगिक एवं व्यावसायिक कांग्रेस (Indian Industrial and commercial congress) और 1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (Federation of Indian Chamber of Commerce and Industry-FICCI) का गठन किया|

* उद्योगपतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर औपनिवेशिक नियंत्रण का विरोध किया और सिविल नाफ़रमानी आन्दोलन का समर्थन किया|


* उन्होंने आन्दोलन को आर्थिक सहायता दी और आयतित वस्तुओं को खरीदने या बेचने से इंकार कर दिया| ज्यादातर व्यवसायिकों का लगता था कि औपनिवेशिक शासन समाप्त होने से कारोबार निर्बाध रूप से ढंग से फल-फूल सकेंगें|




42. सविनय अवज्ञा आन्दोलन में महिलाओं की भूमिका की चर्चा करें |

उत्तर:

* महिलाओं ने भी सविनय अवज्ञा आन्दोलन में बड़े पैमाने पर हिस्सा लिया|

* महिलाएं जुलूसों में हिस्सा लिया, नमक बनाया, विदेशी कपड़ों व शराब की दुकानों की पिकेटिंग की| बहुत सारी महिलाएं जेल भी गई|


* शहरी इलाकों में ज्यादातर ऊँची जातियों की महिलाएं सक्रीय थी जबकि ग्रामीण इलाकों में संपन्न किसान परिवारों की महिलाएं आन्दोलन में हिस्सा ले रही थी|


43. सविनय अवज्ञा आन्दोलन की सीमाएं क्या थी ?
उत्तर:



* कांग्रेस रूढ़िवादी सवर्ण हिन्दू सनातनापंथियों के डर से दलितों पर ध्यान नहीं दिया| लेकिन गांधीजी ने ऐलान किया कि अस्पृश्यता (छुआछूत) को खत्म किए बिना सौ साल तक भी स्वराज की स्थापना नहीं की जा सकती|

* अछूतों को हरिजन यानि ईश्वर की सन्तान बताया| उन्होंने मंदिरों, सार्वजनिक तालाबों, सड़कों, और कुओं पर समान अधिकार दिलाने के लिए सत्याग्रह किया|


* कई दलित नेता अपने समुदाय की समस्याओं का अलग राजनीतिक हल ढूंढना चाहते थे| उन्होंने शिक्षा संस्थानों में आरक्षण के लिए आवाज उठाई और अलग निर्वाचन क्षेत्रों की बात कही ताकि वहां से विधायी परिषदों के लिए केवल दलितों को ही चुनकर भेजा जा सके| क्योकि इनकी भागदारी काफी सीमित थी|


44. पूना पैक्ट (1932) समझौता क्या था ? प्रकाश डाले |

उत्तर:


मदन मोहन मालवीय , राजगोपालचारी और राजेन्द्र प्रसाद के प्रयासों से गांधीजी और आंबेडकर के बीच दलितों के निर्वाचन व्यवस्था पर 26सितम्बर 1932 पूना में समझौता हुआ|


इस समझौते के अनुसार :

1. दलित वर्गों के लिए पृथक निर्व्वाचं वयवस्था समाप्त कर दिया गया |
2. यह निश्चित हुआ कि दलितों के लिए स्थान तो सुरक्षित किये जाएंगे , किन्तु उनका निर्वाचन संयुक्त प्रणाली के आधार पर किया जाएगा |
3. दलों में दलितों के लिए 71 की जगह 147 सीटें आरक्षित की गई और केन्द्रीय विधानमंडल में दलित वर्ग के लिए 18% सीटें आरक्षित की गई |
4. हरिजनों के लिए शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता देने के लिए शर्ते रखी गई|



45. सविनय अवज्ञा आन्दोलन का महत्व की चर्चा करें |

उत्तर:

1. 14 जूलाई 1933 ई. को जन आन्दोलन रोक दिया परन्तु व्यक्तिगत आन्दोलन चलता रहा |

2. 7 अप्रैल 1934 ई. को गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन को बिलकुल बंद कर दिया |

3. यह आन्दोलन अपने वास्तविक उद्वेश्य को पाने में असफल हुआ तथापि जनमानस में राष्ट्रीय भावना की चेतना को उत्पन्न करने में सफल रहा |

4. भारतीयों में यह साहस पैदा कर दिया कि ब्रिटिश शासन को समाप्त किया जा सकता है |

5. ब्रिटिश सामाज्य को अहिंसक साधनों से उखाड़ फेंका जा सकता है |



46. असहयोग आंदोलन भारत के शहरों और कस्बों में कैसे फैला?

उत्तर:


(i) शहरों आंदोलन की शुरुआत में मध्यम वर्ग की भागीदारी से हुई

(ii) हजारों छात्रों ने सरकारी नियंत्रित स्कूल और कॉलेज छोड़ दिया।

(iii) कई शिक्षकों ने इस्तीफा दे दिया।

(iv) वकीलों ने अपनी कानूनी प्रथाओं को छोड़ दिया।

(v) मद्रास को छोड़कर अधिकांश प्रांतों में परिषद चुनावों का बहिष्कार किया गया।

(vi) विदेशी सामानों का बहिष्कार किया गया, शराब की दुकानों पर धरना दिया गया और विदेशी कपड़ों को विशाल अलावों में जलाया गया।



47. "आदिवासी किसानों ने महात्मा गांधी के संदेश और स्वराज के विचार की दूसरे तरीके से व्याख्या की और असहयोग आंदोलन में अलग तरह से भाग लिया।" कथन का औचित्य सिद्ध कीजिए।

उत्तर:

(i) आंध्र प्रदेश के गुडेम पहाड़ियों में उग्रवादी गुरिल्ला आंदोलन का प्रसार।

(ii) वे औपनिवेशिक नीतियों के खिलाफ थे।

(iii) उनकी आजीविका प्रभावित हुई और उनके पारंपरिक अधिकारों से वंचित कर दिया गया।

(iv) उनके नेता अल्लूरी सीताराम राजू असहयोग आंदोलन से प्रेरित थे और उन्होंने लोगों को खादी पहनने और शराब पीने के लिए राजी किया।

(v) वह बल प्रयोग से मुक्ति चाहता था।

(vi) विद्रोहियों ने पुलिस थानों पर हमला किया और स्वराज हासिल करने के लिए गुरिल्ला युद्ध किया।



48. 1935 ई. का भारत सरकार अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं का वर्णन करें |

उत्तर:

1. 1935 ई. के अधिनियम के अनुसार केन्द्रीय या प्रांतीय विधानसभा किसी तरह का परिवर्तन नहीं कर सकती थी | ये संशोधन का प्रस्ताव ला सकती थी लेकिन संशोधन का अधिकार पार्लियामेंट को ही था |

2. इस अधिनियम के अनुसार इंडिया काउन्सिल (भारतीय परिषद) का अंत कर दिया गया |

3. इस अधिनियम के अनुसार भारत में ब्रिटिश प्रान्तों तथा देशी राज्यों के लिए संघ शासन स्थापित करने की व्यवस्था की गई |

4. भारतीय संघ में संघ तथा प्रान्तों के विषय बाँट दिए गए | इस विभाजन में तीन सूचियाँ बनाई गई थी - संघ सूची (59 विषय ) , राज्य सूची(54 विषय ) तथा संवारती सूची (23विषय )|

5. केंद्र में दो सदन की व्यवस्था की गई - केन्द्रीय विधानसभा और राज्य परिषद

6. इस अधिनियम के अनुसार एक संघीय न्यायालय की स्थापना की व्यवस्था थी |

7. इस अधिनियम के अनुसार चार प्रकार के प्रान्त थे - 1. ब्रिटिश प्रांत 2. देशी राज्य 3. केन्द्रीय सरकार द्वारा शासित प्रदेश 4. अंडमान और निकोबार द्वीप

8. प्रत्येक राज्य में विधानसभा होती थी | कुछ राज्यों में दो सदन होते थे - विधानसभा और विधान परिषद् |

49. क्रिप्स मिशन आगमन क्यों हुआ था ? इसके प्रमुख प्रस्तावों पर प्रकाश डाले |

उत्तर:

* दूसरे विश्व युद्व की स्थिति भयावह होती जा रही थी | ब्रिटेन के अमरीका और चीन जैसे मित्र राष्ट्र उस पर भारतीयों की स्वाधीनता की मांग स्वीकार कर लेने का दबाब डाल रहे थे |

* तत्कालीन ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विस्टन चर्चील भारत को आजाद करना नही चाहता था | विस्टन चर्चिल कहा करता था " मैं ब्रिटेन का प्रधानमंत्री इसलिए नहीं बना हूँ की ब्रिटिश साम्राज्य के टुकड़े-टुकड़े कर दें "|

* फिर भी मित्र राष्ट्रों के दबाब में भारतीयों का सहयोग प्राप्त करने के लिए मार्च ,1942 में हाउस आफ कामन्स के नेता सर स्टेफोर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में एक मिशन भारत भेजा |

प्रमुख बिंदु :

* भारत को डोमिनियन सटेट्स का दर्जा दिया जाएगा तथा भारतीय संघ की स्थापना की स्थापना की जाएगी जो की राष्ट्रमंडल के साथ सम्बन्धों को तय करने के लिए स्वतंत्र होगा |

* युद्व समाप्ति के बाद संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा की बैठक बुलाई जाएगी |

* जो भी प्रान्त संघ में शामिल नहीं होना चाहता वह अपना अलग संघ और अलग संविधान बना सकता है|

* गर्वनर जनरल का पद यथावत रहेगा तथा भारत की रक्षा का दायित्व ब्रिटिश हाथों में बना रहेगा |

* कांग्रेस ने क्रिप्स के साथ वार्ता में इस बात पर बल दिया कि यदि ब्रिटिश शासन धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए कांग्रेस का समर्थन चाहता है, तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद में रक्षा सदस्य के रोप में किसी भारतीय को नियुक्त करना चाहिए |

कांग्रेस के इस मांग पर वार्ता विफल हो गई | गांधी जी ने क्रिप्स प्रस्तावों को " असफल हो रहे बैंक का एक उत्तर तिथि चेक " कहा |

50. प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस - 27 जूलाई 1946 की घटना क्या थी ?

उत्तर:

* 27 जूलाई , 1946 को मुस्लिम लीग की काउन्सिल ने बंबई बैठक में पाकिस्तान की प्राप्ति के लिए प्रत्यक्ष संघर्ष का रास्ता अपनाने का निश्चय किया|

* 16, अगस्त 1946 को लीग ने "प्रत्यक्ष कार्यवाही " दिवस मनाया जिसके परिणामस्वरूप बंगाल , बिहार , पंजाब , उत्तर प्रदेश , सिंध व् उत्तर-पश्चिम सीमा प्रान्त में भयंकर हिन्दू-मुस्लिम दंगे हो गए|

51. भारत स्वतंत्रता अधिनियम -1947 के प्रमुख विशेषताओं की चर्चा करें |

उत्तर:

* ब्रिटिश संसद ने 18 जूलाई 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम -1947 पारित किया |

* 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत अस्तित्व में आया |

* पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल मुहम्मद अली जिन्ना बने तथा लियाकत अली पहले प्रधानमंत्री |

* माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के पहले गवर्नर जनरल बना और जवाहरलाल नेहरू प्रथम प्रधानमंत्री बने

* स्वतंत्र भारत के पहले भारतीय और अंतिम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालचारी बने |





संविधान का निर्माण


१. एन. जी. रंगा ने सविधान सभा में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर पर  किये जाने का आह्वान क्यों किया ? स्पष्ट कीजिये | 2019

उत्तर:
* एन. जी. रंगा ने कहा कि असली अल्पसंख्यक धार्मिक रूप से कम संख्या वाले नहीं है बलिक इस देश की जनता है |

* यह जनता इतनी दबी-कुचली और इतनी उत्पीडित है कि अभी तक साधारण नागरिक अधिकारों का लाभ भी नहीं उठा सकी है |

* उन्होंने कहा कि आदिवासियों को अपने क़ानून , उनकी जमीन उनसे छीना नहीं जा सकता परन्तु हमारे व्यापारी मुक्त व्यापार के नाम पर उनकी जमीन छीन लेते है , उत्पीडन करते है , तरह-तरह के बन्धनों में बांधकर गुलाम बना लेते है |

* इन आदिवासियों में मूलभूत शिक्षा नहीं है | यही लोग है जिन्हें सुरक्षा और सुरक्षा का आश्वासन मिलना चाहिए |

* दलित , पिछड़े वर्ग जो सदियों से उत्पीडित है , मूलभूत सुविधा नहीं है | असली अल्पसंख्यक वहीं है |

* इसलिये धर्म के आधार पर अल्पसंख्यक मान्य नहीं होना चाहिए बल्कि आर्थिक स्तर पर अल्पसंख्यक घोषित की जानी चाहिए |

 


२. संविधान सभा के दलित वर्गों के संरक्ष्ण के पक्ष में दिए गए विभिन्न तर्कों का वर्णन किजीये | 2017

Ans: संविधान सभा में दबे हुए वर्गों की सुरक्षा के पक्ष में किए गए विभिन्न तर्क -

(i) श्री एन. जी। रंगा, समाजवादी नेता ने तर्क दिया कि वास्तविक अल्पसंख्यक गरीब और दलित थे। उन्हें संवैधानिक अधिकारों के माध्यम से संरक्षण, सहारा और सीढ़ी की जरूरत थी।

(ii) दलित जातियों के कुछ सदस्य ने इस बात पर जोर दिया कि “अछूतों” की समस्याओं का समाधान अकेले संरक्षण और सुरक्षा के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। उनकी अक्षमता जातिगत समाज के सामाजिक मानदंडों और नैतिक मूल्यों के कारण हुई।

(iii) समाज ने उनकी सेवाओं और श्रम का उपयोग किया था, लेकिन उन्हें सामाजिक दूरी पर रखा था जैसे कि उन्हें मंदिरों में प्रवेश करने से मना करना और उनके साथ भोजन करना या भोजन करना।

(iv) जे। नागप्पा ने कहा कि संख्यात्मक रूप से दबे हुए जातियाँ कुल जनसंख्या का 20 से 25 प्रतिशत के बीच हैं और अल्पसंख्यक नहीं हैं। उनके कष्ट उनके व्यवस्थित हाशिए पर होने के कारण थे, न कि उनके संख्यात्मक महत्व के। शिक्षा में उनकी कोई पहुंच नहीं थी, प्रशासन में कोई हिस्सेदारी नहीं थी।

(v) जयपाल सिंह ने जनजातियों की रक्षा करने और उन शर्तों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर स्पष्ट रूप से बात की, जो उन्हें सामान्य आबादी के स्तर तक मदद कर सकें।

(vi) अम्बेडकर ने अस्पृश्यता के उन्मूलन की वकालत / सिफारिश की।

(vii) हिंदू मंदिर सभी जातियों के लिए खुले में फेंक दिए जाएं, और सरकारी कार्यालयों में विधानसभाओं और नौकरियों में सीटें सबसे कम जातियों के लिए आरक्षित कर दी जाएं।

(viii) समाज के भीतर दृष्टिकोण में परिवर्तन होना था।



३. भारत की संविधान सभा में भाषा के मुद्दे पर काफी बहस हुई | सभा के सदस्यों द्वारा इस विषय पर दी गई दलीलों की परख कीजिये | 2016

उत्तर: भारत की संविधान सभा में भाषा के मुद्दे पर काफी बहस हुई | सभा के सदस्यों ने इस विषय पर अपनी दलीले पेश की जो निम्न है |


1. संविधान सभा से परे महात्मा गांधी अपनी मृत्यु के कुछ माह पूर्व अपनी राय रखी कि हिन्दुस्तानी भाषा ही हमारी राष्ट्रभाषा हो जो पूरे भारत को एक जुट रख सकता है | उनको लगता था कि बहुसांस्कृतिक भाषा विविध समुदायों के बीच संचार की आदर्श भाषा हो सकती है |


2. संयुक्त प्रांत के आर.वी. धुलेकर ने संविधान सभा में हिन्दी हो राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के लिए आवाज उठाई 


3. मद्रास की जी. दुर्गाबाई ने कहा कि दक्षिण भारत में हिन्दी का काफी विरोध है | फिर भी दक्षिण भारत में हिन्दी का प्रचार - प्रसार हो रहा है परन्तु हिन्दी गैर -हिन्दी भाषी लोगों पर थोपा नहीं जाना चाहिए |

4. मद्रास के टी.ए.रामलिंगम चेतियार ने कहा कि जो भी किया जाय एहतियात के साथ की जाय | यदि आक्रामक हो कर काम किया गया तो हिन्दी का कोई भला नही होगा |


5. संविधान सभा की भाषा समिति ने एक निष्कर्ष पर पहुँची की हिन्दी को राजभाषा घोषित की जाए |

6. प्रत्येक प्रांत को अपने कामों के लिए एक क्षेत्रीय भाषा चुनने का अधिकार दी जाय | पहले 15 वर्षों तक सरकारी कामों में अंगरेजी का इस्तेमाल जारी रहेगा |



4. भारत की संविधान सभा ने केंद्र सरकार की शक्तियों का संरक्षण किस प्रकार किया ? स्पष्ट करें 2016.

उत्तर:

संविधान सभा में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच शक्ति वितरण को लेकर काफी बहस हुई थी | कुछ सदस्यों का मानना था कि केंद्र को अधिक शक्तियाँ दी जाय और कुछ का मानना था कि राज्य सरकार को अधिक शक्तियाँ दी जाय | शक्तिशाली केन्द्रीय सरकार के लिए निम्न तर्क दिए गए |

1. सारे प्रान्तों को एक सूत्र में बांधे रखने के लिए केंद्र को शक्तिशाली होना आवश्यक है |


2. बहुत सारे सदस्यों ने महसूस किया कमजोर केन्द्रीय सरकार के कारण ही भारत गुलाम बना था इसलिए केंद्र को मजबूत रखा जाय |


3. आर्थिक रूप से सशक्त और देश को बाहरी आक्रमण से बचने के लिए केंद्र को मजबूत होना जरूरी है 


4. प्रान्तों में उठने वाले विद्रोह को दबाने के लिए केंद्र को मजबूत होना आवश्यक है |


5. देश की स्वतन्त्रता के साथ रजवाड़ों को भी स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई थी इसलिए उन राजवाडों का एकीकरण देश के साथ करने के लिए केंद्र का मजबूत होना आवश्यक है |



5. भारत की संविधान निर्माण में डा. भीम राव आंबेडकर की भूमिका की चर्चा करे |

उत्तर: भारत की संविधान सभा में डॉ बीआर अम्बेडकर की भूमिका

(i) उन्होंने संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।


(ii) उन्होंने अस्पृश्यता के उन्मूलन की मांग की


(iii) वह "एक मजबूत और एकजुट केंद्र" चाहते थे


(iv) उन्होंने समान अधिकार मांगे।


(v) वे संसदीय लोकतंत्र के पक्ष में थे



6. उद्वेश्य प्रस्ताव में किन आदर्शो पर जोर दिया गया है ?

उत्तर:

उद्वेश्य प्रस्ताव भारतीय संविधान की प्रस्तावना का प्रमुख आधार है | पंडित जवाहर लाल नेहरु द्वारा 13 दिसंबर 1946 को संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत किया | इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को सनिव्धान सभा द्वारा स्वीकार कर लिया गया |

प्रमुख आदर्श बिंदु

* भारत में एक स्वतंत्र और सर्वप्रभुत्व सम्पन्न गणराज्य स्थापित किया जाएगा |

* भारत के सभी लोगों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय की समानता प्राप्त होगी |

* सभी नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, विशवास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त होगी

* स्वतंत्र भारत और संविधान की समस्त शक्तियाँ देश की जनता में निहित होगी |

* भारत में अल्पसंख्यकों, पिछड़ों , दलितों व जनजातियों को समुचित सुरक्षा दी जाएगी |



7. विभिन्न समूह ‘अल्पसंख्यक ‘ शब्द का किस तरह परिभाषित किया गया है ?

उत्तर:

* मुसलमान समूह संख्या के आधार पर अल्पसंख्यक वर्ग को परिभाषित करता है | उसका मानना है की मुसलमान संख्या में कम है इसलिए वे अल्प्स्संख्यक है |

* एन.जी.रंगा का मानना था कि अल्पसंख्यक शब्द को आर्थिक स्तर के आधार पर परिभाषित करना चाहिए तथा गरीब व दलित को अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल किया जाना चाहिए |

* आदिवासी नेताओं का मानना था कि अल्पसंख्यक वर्ग में आदिवासी समूह को शामिल करना चाहिए क्योंकि उनका शोषण सदियों से हो रहा है |

* डा. बी. आर. अम्बेडकर अस्पृश्यों को अल्पसंख्यक समूह में शामिल करते है जो हजारों वर्षो से शोषित व अपमानित होते आ रहे है |



8. प्रान्तों के लिए ज्यादा शक्तियों के पक्ष में क्या तर्क दिए गए है ?

उत्तर:

* यदि केंद्र के पास बहुत जिम्मेदारियां होंगी तो वह कुशलतापूर्वक अपना कार्य नहीं कर पाएगी | इसलिए श्कितियों को राज्यों के बीच बाँट देना चाहिए |

* राजकोषीय प्रावधान प्रान्तों को कमजोर बना देगा जिससे राज्य के विकास में बाधा होगी |







9. महात्मा गांधी को ऐसा क्यों लगता था कि हिन्दुस्तानी राष्ट्रीय भाषा होनी चाहिए ?

उत्तर:

* गांधी जी का कहना था कि प्रत्येक व्यक्ति को एक ऐसी भाषा बोलनी चाहिए जिसे लोग आसानी से समझ सके |

* उर्दू और हिन्दी के मिश्रण से उत्पन्न हुई हिन्दुस्तानी भाषा भारत की जनता के लिए एक बहुत बड़े भाग की भाषा थी |

* यह विविध संस्कृतियों के आदान-प्रदान से समृद्व हुई एक साझी भाषा थी |

* समय के साथा-साथ बहुत प्रकार के स्रोतों से नए –नए शब्द और अर्थ इसमें जुड़ते गए और उसे भिन्न-भिन्न क्षेत्रों के बहुत से लोग समझने लगे |

* गांधी का मानना था की यह बहुसांस्कृतिक भाषा विविध समुदायों के बीच संचार की आदर्श भाषा के रूप में काम दे सकती है |





10. संविधान सभा के कुछ सदस्यों ने उस समय की राजनीतिक परिस्थिति और एक मजबूत केंद्र सारकार की जरूरत के बीच क्या सम्बन्ध देखा ?

उत्तर:

संविधान सभा में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच शक्ति वितरण को लेकर काफी बहस हुई थी | केंद्र सरकार को अधिक शक्ति देने के पक्ष में निम्न तर्क दिए गए |

* इतने सारे प्रान्तों को एकता के सूत्र में बांधे रखने के लिए केंद्र को सुदृढ़ होना आवश्यक है |

* विभाजन के दौरान हुई हिसा को द्केह्कर बहुत से सदस्यों ने यह महसूस किया कि केंद्र के पास अधिक शक्तियाँ होनी चाहिए जिससे देश में हो रही साम्प्रदायिक हिंसा को सख्ती के साथ रोका जा सके |

* केंद्र सरकार शक्तिशाली इसलिए हो कि देश के हित की योजना बना सके , आर्थिक संसाधन जुटा सके और बाह्य आक्रमणों के समूह से देश की रक्षा कर सके |

* प्रान्तों में उठने वाले विद्रोहों को दबाने के लिए केंद्र का शक्तिशाली होना आवश्यक है |

* देश की स्वतंत्रता के साथ देशी- राज राजवाड़े भी आजाद हो गये थे इसलिए इन राजवाडों का एकीकरण देश के सात करने के लिए केंद्र का मजबूत होना आवश्यक है |


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