वैदिक धर्मग्रन्थ :
आज की पीढी अपने प्राचीन वेदग्रन्थों और संस्कृतियों को भूलता जा रहा है | इसी परिप्रेक्ष्य में हिन्दू धर्मग्रन्थों की संक्षिप्त जानकारी दे रहे है | यदि पसंद आये तो अन्य को भी forward करें |
हिन्दू धर्मग्रंथ मुख्यतः दो भागों में बटें हैं - श्रुति एवं स्मृति। इस उत्तर में इन दोनों के विस्तार में नही जाऊंगा, इसके लिए एक अलग उत्तर लिखा है वो आप यहाँ पढ़ सकते हैं। संक्षेप में श्रुति में केवल वेद आते हैं और जो श्रुति में नही है, अर्थात वेदों के अतिरिक्त सब कुछ, वो स्मृति में आते हैं।
श्रुतियाँ:
ऋग्वेद - 10 मंडल, 10552 श्लोक
सामवेद - 6 अध्याय, 1875 श्लोक
यजुर्वेद - 40 अध्याय, 1975 श्लोक
अथर्ववेद - 20 कांड, 5977 श्लोक
स्मृतियाँ:
मूल स्मृतियाँ - कुल 18 हैं पर और भी स्मृतियाँ बाद में जोड़ी गयी जिनमें मनुस्मृति सबसे प्रसिद्ध है। मूल स्मृतियाँ हैं:
वशिष्ठ स्मृति
अत्रि स्मृति
औषनस स्मृति
हरिता स्मृति
विष्णु स्मृति
अंगिरा स्मृति
यम स्मृति
आपस्तम्ब स्मृति
सम्वर्त स्मृति
कात्यायन स्मृति
बृहस्पति स्मृति
व्यास स्मृति
पराशर स्मृति
शंख स्मृति
लिखित स्मृति
दक्ष स्मृति
गौतम स्मृति
शातातप स्मृति
रामायण -
6 कांड, 24000 श्लोक, इसके अतिरिक्त अलग से उत्तर रामायण (उत्तर कांड नही) जो वास्तव में काकभुशुण्डि और गरुड़ संवाद है। महर्षि वशिष्ठ ने भी रामायण लिखा था, कुछ लोग उसे योगवासिष्ठ कहते हैं। महाबली हनुमान ने भी हनुमद रामायण लिखी थी जिसे उन्होंने स्वयं समुद्र में डुबा दिया। इसके अतिरिक्त वाल्मीकि रामायण के कई अनुवाद हैं, कुछ प्रमुख हैं:
रामचरितमानस (अवधी) - 7 कांड, 10902 दोहे
अध्यात्म रामायण (संस्कृत) - 7 खंड, 4500 श्लोक
आनंद रामायण (संस्कृत) - 7 कांड
अद्भुत रामायण (संस्कृत) - 27 सर्ग
कम्ब रामायण (तमिल) - 6 कांड, 123 अध्याय, 12000 श्लोक
रंगनाथ रामायण (तेलुगु) - 17290 द्विपद
भावार्थ रामायण (मराठी)
जगमोहन रामायण (उड़िया)
रामचंद्र चरित्र पुराण (कन्नड़)
कृतिवास रामायण (बंगाली)
श्रीमद्भगवद्गीता - महाभारत का ही एक भाग, 18 अध्याय, 700 श्लोक
ऋषि अष्टावक्र द्वारा लिखा गया अष्टावक्र गीता भी बहुत प्रसिद्ध है।
महापुराण - महर्षि वेदव्यास द्वारा रचित। ये कुल 18 हैं जिनमें कुल 409500 श्लोक हैं, ये भी अधूरे हैं क्योंकि अधिकतर लुप्त हो चुके हैं:
ब्रह्म पुराण - 10000 श्लोक
पद्म पुराण - 55000 श्लोक
विष्णु पुराण - 23000 श्लोक
शिव पुराण - 24000 श्लोक
भागवत पुराण - 18000 श्लोक
नारद पुराण - 25000 श्लोक
मार्कण्डेय पुराण - 9000 श्लोक
अग्नि पुराण - 15400 श्लोक
भविष्य पुराण - 14500 श्लोक
ब्रह्मवैवर्त पुराण - 18000 श्लोक
लिंग पुराण - 11000 श्लोक
वाराह पुराण - 24000 श्लोक
स्कन्द पुराण - 81100 श्लोक
वामन पुराण - 10000 श्लोक
कूर्म पुराण - 17000 श्लोक
मत्स्य पुराण - 14000 श्लोक
गरुड़ पुराण - 19000 श्लोक
ब्रह्मांड पुराण - 12000 श्लोक
उप पुराण - वेदव्यास एवं अन्य ऋषियों द्वारा लिखा गया। ये भी मूल रूप से 18 हैं किंतु बाद में कुछ और भी जोड़े गए। मुख्य 18 उप पुराण हैं:
आदि पुराण - लेखक सनत्कुमार
नृसिंह पुराण - लेखक वेदव्यास
नंदी पुराण - लेखक कार्तिकेय
शिवधर्म पुराण - लेखक वेदव्यास
आश्चर्य पुराण - लेखक महर्षि दुर्वासा
नारदीय पुराण - लेखक देवर्षि नारद
कपिल पुराण - लेखक कपिल मुनि
मानव पुराण - लेखक देवर्षि नारद
उष्णासा पुराण - लेखक ऋषि उष्णस
ब्रह्मांड पुराण - लेखक वेदव्यास
वरुण पुराण - लेखक वरुण देव
कालिका पुराण - लेखक वेदव्यास
माहेश्वर पुराण - लेखक कार्तिकेय
साम्ब पुराण - लेखक सूर्यदेव
सौर पुराण - लेखक सूर्यदेव
पराशर पुराण - लेखक महर्षि पराशर
मरीचि पुराण - लेखक महर्षि मरीचि
भार्गव पुराण - लेखक महर्षि भृगु
उप वेद
आयुर्वेद
धनुर्वेद
गन्धर्ववेद
शास्त्रार्थ
संहिता - मूल 18 संहितायें हैं, किन्तु कुछ अन्य संहिताओं का भी वर्णन आता है। मुख्य संहिता है - भृगु, चक्र, देव, गर्ग, घेरन्द्र, कश्यप, शिव, वृहद, सुश्रुत, याज्ञवल्क इत्यादि।
आरण्यक -ऋषियों द्वारा वनों में कही जाने वाली रचनाओं को आरण्यक कहते है । ये मूल रूप से 7 हैं किंतु अन्य भी माने जाते हैं।
ब्राह्मण - हर वेद से जुड़े कई ब्राह्मण (ग्रंथ) हैं। इसके अतिरिक्त 40 से अधिक ब्राह्मण ऐसे हैं जो अब लुप्त हो चुके हैं। कुछ मुख्य उपलब्ध ब्राह्मण हैं:
ऋग्वेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - ऐत्रेय, कौशिक, सांख्य
सामवेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - पंचविश, ताण्ड्य, सद्विष, संविधान, द्वैत, संहितोपनिषद, आर्षेय, वंश, जैमनिय, चंडयोग, मंत्र
यजुर्वेद में प्रमुख ब्राह्मण हैं - शतपथ (शुक्ल), तैत्रेय (कृष्ण)
अथर्ववेद में वैसे तो कई बरखमं हैं किंतु गोपथ सबसे प्रसिद्ध है।
उपनिषद - उपनिषद वेदों के अंतिम भाग है , इसे वेदांत भी कहा जाता है । उपनिषद भारतीय दर्शन के प्रमुख स्रोत है ।ऐसी मान्यता है कि इनकी संख्या 300 से भी अधिक थी किन्तु अब केवल 108 ही उपलब्ध हैं, शेष लुप्त हो चुके हैं। इन्हें भी वेदों के ही अंतर्गत बांटा गया है।
सांख्य - कई हैं किंतु कुल 7 माने जाते हैं।
अगम - कई हैं किन्तु मुख्यतः 3 भागों में बातें हैं:
शिव अगम - कुल 28
शाक्त अगम - कुल 77
वैष्णव अगम - कुल 108
दर्शन - कई हैं किंतु मुख्य 6 माने जाते हैं:
न्याय दर्शन
वैशेषिका दर्शन
सांख्य दर्शन
योग दर्शन
मीमांसा दर्शन
वेदांत दर्शन
योग - अत्यंत वृहद, महर्षि वशिष्ठ एवं पतंजलि योग प्रसिद्ध हकन। इसके अतिरिक्त भी कई हैं।
धर्म शास्त्र - कई हैं
धर्म सूत्र - कई हैं
रहस्य शास्त्र - कई हैं
वास्तु शास्त्र - बहुत वृहद
शिल्प शास्त्र - कई हैं
कर्म कांड - अनेकानेक हैं
तंत्र - मुख्य 77 माने जाते हैं
मंत्र - असंख्य
इसके अतिरिक्त भी अनेकानेक ग्रंथ हैं जिसके तो नाम भी लोगों को पता नही है। इन सभी ग्रंथों का एक साथ मिलना तो लगभग असंभव है किंतु फिर भी "गीताप्रेस" में पता करें। अधिकतर तो शुद्ध रूप में वहाँ मिल ही जाएंगे।
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M. PRASAD
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