Covid-19 महामारी के कारण विद्यालय मार्च 2020 के अंतिम सप्ताह से बंद है । दिन प्रतिदिन कोरोना रोगियों की संख्या बढ़ रही है । हालाकी अब कोरोना वायरस कमजोर पड़ रही है । कोरोना से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ रही है । आज भारत में मात्र 16 % के आसपास सक्रिय मरीजो की संख्या है। फिर भी एहतियात बरतने की जरूरत है । कोशिश करें कि घर पर रहें । जरूरत पड़ने पर ही घर से बाहर निकले , वह भी मास्क का प्रयोग करें, सामाजिक दूरी का पालन करें।सरकार के द्वारा दिये गए निर्देशों का पालन करें।
Covid 19 के कारण देश के तमाम विद्यालय बन्द है। लगभग सभी विद्यालय अपनी क्षमता अनुरूप online class संचालित कर रही है। ऐसे में सभी विद्यार्थियों को smart phone या laptop का प्रयोग करना पड़ रहा है। एक तरफ digital उपकरणों के प्रयोग से छात्रों को पढ़ाया जा रहा है परंतु छात्र एवं युवा वर्ग अत्यधिक smart phone के प्रयोग से शारीरिक और मानसिक दुष्विकारों से ग्रसित हो रहे है।
आज smart phone के दुष्यविकारों पर प्रकाश डालेंगे।
आज स्मार्टफोन से एक पल की भी दूरी बर्दाश्त नहीं होती । सोने से पहले फोन पर फेसबुक, इंस्टाग्राम खंगाले बिना चैन नहीं मिलता। अगर ऐसा है तो संभल जाइए। ब्रिटेन की एक-एक एक्जिटर सहित कई यूनिवर्सिटी के अध्ययन में मोबाइल से निकलने वाली भी विकिरणों को कैंसर से लेकर नपुंसकता तक खतरे से जोड़ा गया है।
2014 में प्रकाशित एग्जिटर यूनिवर्सिटी के अध्ययन में मोबाइल फोन से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक भी विकिरणों का नपुंसकता से सीधा संबंध पाया गया था। शोधकर्ताओं ने आगाह किया था कि पेंट की जेब में स्मार्टफोन रखने से पुरुषों में न सिर्फ शुक्राणुओं का उत्पादन घटता है बल्कि अंडाणु को निषेचित करने की उसकी क्षमता भी कमजोर पड़ जाती है।
2017 में हाइफा यूनिवर्सिटी की ओर से किए गए एक अध्ययन में सोने से आधे घंटे पहले से ही स्मार्ट phone, TV, Laptop का इस्तेमाल बंद कर देने की सलाह दी गई थी ।शोधकर्ताओं का कहना था कि स्मार्टफोन , कंप्यूटर और टीवी स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी "स्लिप हार्मोन मेलाटोनिन " का उत्पादन बाधित करती है। इससे व्यक्ति को न सिर्फ सोने में दिक्कत पेश आती है बल्कि , सुबह उठने पर थकान, कमजोरी और भारीपन की शिकायत भी होती है ।
एक हेल्थ इंस्टिट्यूट के शोध से यह पता चला है कि स्मार्टफोन से निकलने वाली हानिकारक किरणें व्यक्ति के त्वचा के लिए हानिकारक होती है । शोधकर्ताओं के मुताबिक स्मार्टफोन से निकलने वाली हानिकारक किरणें त्वचा की निचली परत में जलन और सूजन की शिकायतें पनपती है। यही नहीं उसमें कोलेजन का उत्पादन भी घट जाता है ।कोलाजन त्वचा कोशिकाओं को लचीला बनाए रखने के लिए अहम होती हैं।
स्मार्टफोन, टीवी और लैपटॉप के अत्यधिक प्रयोग से उससे निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक विकरणों ने मस्तिष्क में खून का प्रवाह करने वाली धमनियों की दीवारों को कमजोर बनाती है । इससे खून में मौजूद हानिकारक तत्वों के तंत्रिका तंत्र में रिसने का जोखिम बढ़ जाता है।
मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयोग से होने वाली इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए जरूरी है की जरूरत के अनुसार ही स्मार्टफोन का प्रयोग किया जाना चाहिए । रात में स्मार्टफोन का प्रयोग सोने से आधे घंटे पहले बंद कर देना चाहिए और उसे 2 मीटर की दूरी पर उसे रखना चाहिए ताकि फोन के निकलने वाली विकिरणें और नेटवर्क सिग्नल के जद से प्रभावित ना हों ।
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