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Wednesday 2 September 2020

ईंट ,मनके तथा अस्थियाँ प्रश्न -उत्तर

ईंट ,मनके तथा अस्थियाँ प्रश्न -उत्तर


इन्हें भी पढ़ें -

1. ईंट,मनके और  अस्थियाँ - वैकल्पिक प्रश्न 

2.  ईंट , मनके और अस्थियाँ - नोट्स 

3. ईंट,मनके और अस्थियाँ - वस्तुनिष्ठ नोट्स

4. ईंट,मनके और अस्थियाँ - बहु-वैकल्पिक प्रश्न-उत्तर



उत्तर दीजिए (लगभग 100-150 शब्दों में )


 प्रश्न 1: हड़प्पा सभ्यता के शहरों में लोगों को उपलब्ध भोजन सामग्री की सूची बनाइए । इन वस्तुओं को उपलब्ध कराने वाले समूहों की पहचान कीजिए ।

उत्तर:    शहरों में रहने वाले हड़प्पा सभ्यता के लोगों में विभिन्न भोजन सामग्रियां सम्मिलित थी जो इस प्रकार है ।

1. वनस्पतियों के विभिन्न उत्पाद

2. मांस , मछली और अण्डे

3. अनाजों में : गेहूं , जौ, चावल , ज्वार, दाल, मटर आदि 

4. अन्य  उत्पाद : जानवरों का उत्पाद जैसे दूध, दही, घी, शहद 

हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त पुरावशेष से यह जानकारी  मिलती है कि जीवन निर्वाह के लिए लोग कई प्रकार के  पेड़ -पौधों के  उत्पाद और जानवरों जिनमें मछली प्रमुख थी , उपयोग में लाते थे |हडप्पा सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों थे |

हड़प्पा स्थलों  से मिले अनाज के दानों से यह पता चलता है कि लोग गेहूं ,जौ, दाल, सफेद चना तथा तिल का उत्पादन करते थे और मुख्य भोजन के रूप में सेवन करते थे |बाजरे  के दाने गुजरात के स्थलों से प्राप्त हुए थे | चावल के दाने अपेक्षाकृत कम पाए गए है |

हड़प्पा सभ्यता के स्थलों से मिली जानवरों की हड्डी से यह पता चलता है कि भेड़, बकरी, भैंस तथा सूअर का पालन किया जाता था तथा हो सकता है इनके मांस खाने के रूप में प्रयोग में लाते होगें |

जंगली प्रजातियों जैसे वराह (सूअर ), हिरण तथा  घड़ियाल की हड्डियां भी मिली हैं | हो सकता है कि इन जानवरों का शिकार मांस प्राप्त करने के लिए करते होंगे|

प्रश्न:2. पुरातत्वविद हड़प्पाई समाज में सामाजिक- आर्थिक भिन्नताओं का पता किस प्रकार लगाते है? वे कौन सी भिन्नताओं पर ध्यान देते है ?

उत्तर:  पुरातत्वविद  हडप्पा सभ्यता के लोगों के बीच सामाजिक-आर्थिक भिन्नताओं का पता लगाने के लिए दो कई विधियों का प्रयोग करते है | उनमें दो विधियां प्रमुख रूप से हड़प्पा सभ्यता के लोगों के लिए प्रयोग लाया गया |

1. शवाधानों का अध्यययन 

2. विलासिता वस्तुओं की खोज 

1. शवाधानों का अध्ययन : 

क.     हड़प्पा सभ्यता से मिले शवाधानों में आमतौर पर मृतकों को गर्तों में दफनाया गया था| कभी-कभी श्वाधान गर्त की बनावट एक-दूसरे से भिन्न होती थी -कुछ स्थानों पर गर्त की सतहों पर ईंटों की चिनाई की गई थी | परन्तु ये विविधताएं सामाजिक भिन्नताओं का द्योतक था , कहना मुश्किल है |

ख.  हड़प्पा सभ्यता में कुछ कब्रों में मृदभांड तथा आभूषण मिले है जो यह संकेत मिलता है कि पुरूष और महिलाए दोनों आभूषण का प्रयोग करते होंगे तथा उनके प्रिय पदार्थों को उनके शव के साथ दफन करते थे |

ग.    1980 के दशक में हड़प्पा के कब्रिस्तान में हुए उत्खननों से एक पुरूष की खोपड़ी के समीप शंख के तीन छल्लों, जैस्पर, के मनके तथा सैकड़ों की संख्या में सूक्ष्म मनकों से बना एक आभूषण मिला था |

घ. कहीं -कहीं पर मृतकों को तान्बों के दर्पणों के साथ दफनाया गया था |

    लगता है हड़प्पा सभ्यता के निवासियों का मृतकों के साथ बहुमूल्य वस्तुएं दफनाने में विश्वास नहीं था |

2. विलासिता वस्तुओं की खोज : 

क. पुरातत्वविद पुरावशेष वस्तुओं को दो भागों में वर्गीकृत करते है |-उपयोगी और  विलास की वस्तू | पहले वर्ग में रोजमर्रा के उपयोग की वस्तुएं सम्मिलित है जिन्हें पत्थर अथवा मिट्टी जैसे सामान्य पदार्थों से आसानी से बनाया जा सकता है | इनमें चक्कियां , मृदभांड, सूइयां , झाँवा आदि | इन वस्तुओं का प्रयोग सामान्यत: सभी लोग करते थे |

ख. पुरातत्वविदों को कुछ ऐसी वस्तुएं खुदाई में मिली है जो स्थानीय स्तर पर बहुत कम उपलब्ध है और जटिल तकनीकों से बनी है | फयांस के छोटे पात्र संभवत: कीमती माने जाते थे क्योंकि इन्हें बनाना कठिन था |

    पुरातत्वविद इन सामाग्रियों के अध्ययन से इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि मंहगी वस्तुएं  हड़प्पा और  मोहनजोदड़ों में ही केन्द्रित थी तथा अन्य जगहों पर सामान्य पात्र मिले है |

3. क्या आप इस तथ्य से सहमत है कि हड़प्पा सभ्यता के शहरों की जल निकास प्रणाली, नगर-योजना की ओर संकेत करती है ? अपने उत्तर के कारण बताइए |

उत्तर:  पुरातत्वविद ओं का मानना है कि सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों की स्थापना वैज्ञानिक एवं व्यवस्थित तरीके से की गई थी| नगर निर्माण योजना के तहत जल निकास प्रणाली एक  सुनियोजित एवं सुव्यवस्थित तरीके से अपनाई गई व्यवस्था थी | अपने उत्तर की संपुष्टि में निम्नलिखित तथ्यों के आधार पर प्रमाणित कर सकते हैं ।

1. हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना क़ी एक औऱ विषेशता जल निकास प्रणाली है।यहाँ के अधिकांश भवनों मे निजी कुँए एवं स्नानागार होते थे।भवनो के कमरे, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली मे आता था। 

2. गली की नाली को मुख्य सडक के दोनो ओर बनी नालियों से जोड़ा गया था। 

3. मुख्य सडक के दोनों ओर बनी पक्की नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढक दिया जाता था । नालियों की सफाई एवम कूड़ा करकट को निकालने के लिए बीच बीच में नर मोखे (main hole) भी बनाये जाते थे।

4. हड़प्पा सभ्यता में जल निकासी प्रणाली सिर्फ बड़े शहरों तक ही सीमित नहीं थी , अपितु छोटे बस्तियों में भी जल निकासी प्रणाली के अस्तित्व के प्रमाण मिले हैं | उदाहरण स्वरूप लोथल के उत्खनन में जो नालियां मिली है , वह पक्की ईंटों से बनाई गई थी |

4. प्रश्न - हड़प्पा सभ्यता में मनके बनाने के लिए प्रयुक्त पदार्थों की सूची बनाइए । कोई भी एक प्रकार का मनका बनाने की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए । 

उत्तर: सिंधु घाटी सभ्यता मैं नगर निर्माण योजना एक प्रमुख विशेषता थी साथ ही इस इस संस्कृति का एक और प्रमुख विशेषता थी वह थीम अंको का निर्माण मनके बनाने के लिए कई प्रकार के पदार्थ प्रयोग में लाए जाते थे जैसे जैस्पर स्फटिक क्वार्ट्ज सेलखड़ी जैसे पत्थर तथा धातु के रूप में तांबा कासा तथा सोने का प्रयोग होता था

मनके ज्यामितीय आकार में बनाए जाते थे तथा अलग-अलग रंग एवं रूप का  आकार दिया जाता था।  मनको पर अलग-अलग तरह की कृतियां और रंगों का इस्तेमाल होता था ।

साधारणत  मनके बनाने के लिए सेलखड़ी जैसे मुलायम पत्थर का उपयोग किया जाता था | पुरातत्वविदों के अनुसार मनके को विशेष प्रक्रिया से भी बनाने के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं  | मनको को सुंदर बनाने के लिए घिसाई फिर पॉलिश फिर उन में छेद किए जाते थे जिसे उपयोग करने लायक बनाया जा सके|

5.प्रश्न - दिए गए चित्र को ध्यान से देखिए और उसका वर्णन कीजिए । शव किस प्रकार रखा गया है ?  उसके समीप कौन सी वस्तुएं रखी गई है?  क्या शरीर पर कोई पुरावस्तुएं है ? क्या इनसे कंकाल के लिंग का पता चलता है ?

उत्तर- दिए गए चित्र में शव  को देखने से पता चलता है कि यह उत्तर दक्षिण दिशा में रखकर दफनाया गया है । शव के साथ उसके शीर्ष  भाग में कुछ दैनिक उपयोग की वस्तुएं रखी गई है जिनसे यह स्पष्ट होता है कि हड़प्पा वासी मरने के बाद के जीवन में विश्वास करते थे ।

व्यक्ति के शीर्ष भाग में रखी गई वस्तु एक पानी का जग है और दूसरे ढके हुए बर्तन में संभवत:  खाने की सामग्री रखी गई होगी । साथ ही शव के  पास ही एक छोटी सी तिपाई दिखाई देती है ।इसके ऊपर की प्लेट को देखकर लगता है कि इसे खाना परोसने के लिए रखा गया होगा।

यद्यपि चित्र से पूर्णतः स्पष्ट नही होता कि कौन-कौन सी पुरावस्तुएँ है।। चित्र से यह दिखाई देता है कि उसके शरीर पर कुछ आभूषण और मनके पहनाए गए होंगे , परंतु मृत शरीर की वर्तमान अवस्था से उसके लिंग का पता लगाया जा सकता है जैसे हार कंगन भुज बंद अंगूठी आदि स्त्री पुरुष दोनों धारण करते थे किंतु चूड़ियां करधनी वाली नथनी जैसे आभूषणों का प्रयोग केवल महिलाएं ही करती थी।


निम्नलिखित पर एक लघु निबंध लिखिए (लगभग 500 शब्दों में )

6. मोहनजोदड़ों की कुछ विशिष्टाओं का वर्णन कीजिए |

उत्तर :  हड़प्पा संस्कृति की सर्वप्रमुख विषेशता इसका नगर निर्माण योजना है । हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की खुदाई में पूर्व एवम पश्चिम में दो टीले मिलते है । पूर्वी टिले पर नगर तथा पश्चिमी टीले पर दुर्ग स्थित है । दुर्ग में सम्भवतः शासक वर्ग के लोग रहते थे। दुर्ग में परिखा ,प्रकार ,द्वार, राजमार्ग, प्रासाद ,सभा ,एवं जलाशय आदि वस्तु के सभी तत्व मिलते है। 

    प्रत्येक नगर में दुर्ग के बाहर निचले स्तर पर ईंटों के मकानों वाला नगर बसा था। जहां सामान्य लोग रहते थे। नगरो के दुर्ग ऊँची और चौड़ी प्राचीरों में बुर्ज तथा मुख्य दिशाओं में द्वार बनाये गए थे। इनका निर्माण एक सुनियोजित योजना के आधार पर किया गया था ।

1. सड़क व्यवस्था: मोहनजोदड़ो की एक प्रमुख विशेषता उसकी सड़कें थी।यहां की मुख्य सड़क 9.15 मीटर चौड़ी थी जिसे पुरातत्वविदों ने राजपथ कहा है ।अन्य सड़कों की लंबाई 2.75m से 3.66m तक थीं । जाल पद्वति के आधार पर नगर नियोजन होने के कारण सड़कें एक दुसरे के समकोण पर काटती थी जिनसे नगर कई खंडों में विभक्त हो गया था।इस पद्वति को आक्सफोर्ड सर्कस का नाम दिया गया हैं।सड़कें मिट्टी क़ी बनीं थी एवँ इनकी सफाई की समुचित व्यवस्था थी। कुड़ा-करकट इकट्ठा करने के लिए गड्डे बनाये जाते या कूड़ेदान रखे जाते थे।

2. जल निकास प्रणाली:: हड़प्पा सभ्यता की नगर योजना क़ी एक औऱ विषेशता जल निकास प्रणाली है।यहाँ के अधिकांश भवनों मे निजी कुँए एवं स्नानागार होते थे। भवनो के कमरे, रसोई, स्नानागार, शौचालय आदि सभी का पानी भवन की छोटी छोटी नालियों से निकल कर गली की नाली मे आता था। गली की नाली को मुख्य सडक के दोनो ओर बनी नालियों से जोड़ा गया था। मुख्य सडक के दोनों ओर बनी पक्की नालियों को पत्थरों अथवा शिलाओं द्वारा ढक दिया जाता था । नालियों की सफाई एवम कूड़ा करकट को निकालने के लिए बीच बीच में नर मोखे (main hole) भी बनाये जाते थे।

3. स्नानागार: मोहनजोदड़ो का प्रमुख सार्वजनिक स्थल हैं यहाँ के विशाल दुर्ग में स्थित विशाल स्नानागार। यह 39 फुट लम्बा*23फुट चौडा*8फुट गहरा है। इसमें उतरने के लिए उत्तर एवं दक्षिण की ओर सीढ़ीयां बनी है । स्नानागार का फर्श पक्की ईटो से बनी है। सम्भवतः इस विशाल स्नानागार का उपयोग अनुष्ठानिक स्नान हेतु होता होगा । मार्शल महोदय ने इसी कारण इसे तत्कालीन विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण कहा है ।

4. अन्नागार: मोहनजोदड़ो में ही 45 .72 लम्बाई मीटर *चौड़ाई 22.86 मीटर एक अन्नागार मिला है । हड़प्पा के दूर्ग में भी 12 धन्य कोठार खोजे गए है । ये दो कतारों में 6-6 की संख्या में है । प्रत्येक का आकार 15.23 मीटर × 6.09 मीटर है । अन्नागार का सुदृढ व्यवस्था एक उच्चकोटि की थी ।

5.ईंट : हड़प्पा संस्कृति के नगरो मे प्रयुक्त ईटे एक विशेषता थी। इस काल की ईंट चतुर्भजाकार थी। मोहनजोदड़ो से प्राप्त सबसे बड़ी ईंट का आकार 51.43cm*26.27cm*6.35 cm है। परन्तु सामान्य ईंटो का प्रयोग 27.94cm * 13.97cm * 6.35cm आकार वाली है ।

6. गृह स्थापत्य : मोहनजोदड़ो का निचला हिस्सा आवासीय भवनों के उदाहरण प्रस्तुत करता है । इनमे से कई एक आंगन पर केंद्रित थे , जिसके चारों ओर कमरे बने थे । संभवत: आंगन खाना पकाने और कताई करने जैसी गतिविधियों का केंद्र था । खास तौर से गर्म और शुष्क मौसम के लिए ।भूमि तल पर बनी दीवारों में खिड़कियां नही थी । हर घर ईंटो के फर्श से बना अपना एक स्नानाघर होता था जिसकी नालियाँ दीवारों के माध्यम से सडक़ की नालियों से जुड़ी हुई थी । कुछ घरों में दूसरे तल/छत पर जाने के लिए सीढ़ियों के अवशेष मिले है । कई आवासों में ऐसे कुँए होते थे जिससे बाहर का व्यक्ति भी प्रयोग कर सकता था। मोहनजोदड़ो में ऐसे कुओं की संख्या अनुमानतः 700 बताई गई है ।

7. हड़प्पा सभ्यता में शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल की सूची बनाइए तथा चर्चा कीजिये कि ये किस प्रकार प्राप्त किए जाते होंगे |

उत्तर : हड़प्पा सभ्यता के सभी बस्तियों में शिल्प उद्योग प्रचलित थी।  शिल्प कार्यों में मनके बनाना, शंख की कटाई ,धातु कर्म , मुहर निर्माण तथा बाट बनाना सम्मिलित थे। चन्हूदड़ों एक छोटी सी बस्ती , जो 7 हेक्टेयर क्षेत्र में फैली थी , लगभग पूरी तरह शिल्प उत्पादन में लगी हुई थी ।

शिल्प उत्पादन हेतु आवश्यक कच्चा माल 

शिल्प उत्पादन के लिए आवश्यक सामग्रियों में चिकनी मिट्टी, पक्की मिट्टी, तांबा, कांसा, सोना , चांदी, शंख , सीपियां, कौड़िया, स्फटिक,  क्वार्ट्ज, सेलखड़ी,फ़यांस, सुगंधित पदार्थ, कपास, और उससे जुड़ी औजार शामिल थी ।

शिल्प उत्पादन हेतु कच्चे माल के स्रोत -  हड़प्पा वासी शिल्प उत्पादन हेतु माल प्राप्त करने के लिए कई तरीकों का प्रयोग करते थे।

1. नागेश्वर और बालाकोट से शंख की प्राप्ती

2. अफगानिस्तान के शॉर्टघई से लाजवर्द मणि

3. लोथल से कार्नीलियन

4. दक्षिणी राजस्थान और उत्तरी गुजरात से सेलखड़ी

5. राजस्थान के खेतड़ी और ओमान  से तांबा

6. मिट्टी स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध थे 


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4. ईंट,मनके और अस्थियाँ - बहु-वैकल्पिक प्रश्न-उत्तर


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