MENU

Sunday 12 April 2020

इतिहास:वर्ग-12 पाठ-1(भाग-3)

हड़प्पा सभ्यता के राजनीतिक संगठन :
हड़प्पा सभ्यता नगरीय सभ्यता थी।
*  हड़प्पा सभ्यता की शासन व्यवस्था के बारे में साक्ष्यों के अभाव में कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती ।                  
*  उत्खनन के परिणाम स्वरूप जो साक्ष्य उपलब्ध हैं उनसे इस सभ्यता के राजनीतिक स्वरूप का अनुमान भर लगाया जा सकता है ।
मोहनजोदड़ो एवं हड़प्पा में प्राप्त दुर्गों से प्रतीत होता है कि यहां का शासन सुदृढ़ दुर्गों द्वारा होता था ।
*  ऐसा अनुमान है कि उनका एक राजा होता था जो सम्भवतः पुरोहित होता था ।
*  जनता से कर के रूप में अनाज लिया जाता था ।
*  हड़प्पा और मोहनजोदड़ो क्रमशः उत्तरी और दक्षिणी भारत का शासन केंद्र थे । इसीलिए स्टूअर्ट पिग्गट महोदय ने हड़प्पा और मोहनजोदड़ो को सिंधु घाटी नदी सभ्यता की जुड़वां राजधानी बतलाया है ।
*  कुछ विद्वानों के अनुसार हड़प्पा सभ्यता का शासन व्यापारी वर्ग के हाथ में था ।
हड़प्पा सभ्यता के सामाजिक जीवन :
* हड़प्पा सभ्यता में परिवार ही सामाजिक इकाई थी।
*  समाज मातृसत्तात्मक था ।
*  हड़प्पा सभ्यता के लोग शाकाहारी और मांसाहारी दोनों प्रकार के भोजन करते थे ।
*  खुदाई से प्राप्त सुइयों के अवशेष से पता चलता है कि वे लोग सिले वस्त्र पहनते थे ।
*  स्त्रियां जूड़ा बांधती थी, पुरूष लम्बे लम्बे बाल तथा दाढ़ी-मूंछ रखते थे ।
*  हड़प्पा वासी आभूषण के शौकीन थे ।- कण्ठहार, कर्णफूल, हंसुली, भुजबंध , अंगूठी, करधनी आदि
चन्हूदड़ों से लिपिस्टिक के अस्तित्व मिले है ।
*  आभूषण बहुमूल्य पत्थरों, हाथी दांत , हड्डी, एवं शंख के बने होते थे ।
मिट्टी एवं धातुओं से निर्मित बर्तनों का प्रयोग करते थे ।
* आमोद प्रमोद के साधन उपलब्ध थे । पासा , नृत्य, शिकार करना आदि ।
हड़प्पा सभ्यता की धार्मिक जीवन :
*  हड़प्पा सभ्यता के  उत्खनन स्वरूप प्राप्त अवशेषो के आधार पर धार्मिक स्वरूप का अनुमान लगा सकते है ।
*   हड़प्पा सभ्यता से कोई मन्दिर और ना ही ऐसा कोई भवन मिला है जिसे मन्दिर की संज्ञा दी जा सके ।
*  मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से प्राप्त मृण्मूतियों  को पुरातत्वविदों द्वारा मातृदेवी की मूर्तियां मानते है ।अर्थात मातृदेवी की पूजा होती होगी।
*  एक मूर्ति में स्त्री के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है जो सम्भवतः धरती देवी की मूर्ति है ।
मोहनजोदड़ो से एक मुद्रा प्राप्त हुई है जिसमें तीन मुख्य वाला एक पुरूष योग मुद्रा में बैठा है । इसके तीन सिंग है । इसके बाएं ओर एक गैंडा और भैंसा है , दायीं ओर एक हाथी और व्याघ्र , इसके सम्मुख हिरन है । इसकी तुलना पशुपति से की गई है ।
*  हड़प्पा सभ्यता में बहुसंख्या में लिंग-योनि की प्राप्ति हुई है जो लिंग पूजा के संकेत है ।
कूबड़ वाला बैल विशेष पूजनीय था ।
नाग पूजा के संकेत मिले है ।
*  बड़ी संख्या में ताबीज़ मिले है । लगता है  तन्त्र-मन्त्र में लोगों का विश्वास था ।
मोहनजोदड़ो में स्वास्तिक पर्याप्त संख्या में मिले है , जो सूर्य पूजा का संकेत है ।
कालीबंगा और लोथल से ईंटों की बनी वेदी मिली है जो अग्नि पूजा का साक्ष्य है ।
* कालीबंगा से हवन कुंड मिले है जो यज्ञ का साक्ष्य है ।
*  हड़प्पा सभ्यता के लोग तीन तरीकों से मृतकों का दाह संस्कार करए थे ।
1. पूर्ण समाधिकरण- शव को भूमि के नीचे गाढ़ दिया जाता था ।
2. आंशिक समाधिकरण:- इसमें पशु पक्षियों के खाने के बाद बचे शेष को गाढ़ दिया जाता ।
3. दाह कर्म- इसमें शव जला दिया जाता एवं उसकी भस्म को गाढ़ दिया जाता था ।

No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share