MENU

Friday 10 April 2020

ईंट, मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता) : वर्ग-12 पाठ-1(भाग-1)

ईंट, मनके तथा अस्थियाँ (हड़प्पा सभ्यता)
परिचय :
* पुरातत्व क्या है ?
* सिन्धु नदी घाटी सभ्यता को  हड़प्पा सभ्यता क्यों कहा जाता है |
* हड़प्पा संस्कृति क्या है ?,
* हड़प्पा  सभ्यता की राजनैतिक ,आर्थिक,  समाजिक और धार्मिक व्यवस्था कैसी थी ?
हड़प्पा सभ्यता 
पुरातत्व : पुरातत्व वह विज्ञान है जिसके माध्यम से पृथ्वी के गर्भ में छिपी हुई सामग्रियों की खुदाई कर अतीत के लोगों के भौतिक जीवन का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है ।
संस्कृति:  पुरातत्व संस्कृति शब्द का प्रयोग पूरा- वस्तुओं के ऐसे समूह के लिए करते हैं जो एक विशिष्ट शैली के होते हैं और सामान्यतया एक साथ , एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र तथा कालखंड से संबद्ध पाए जाते हैं ।
          हड़प्पा संस्कृति के संदर्भ में इन पूरा- वस्तुओं के मुहरे, मनके,  बाट , पत्थर के फलक और पकी हुई ईट सम्मिलित है ।  यह वस्तुएं अफगानिस्तान , जम्मू , बलूचिस्तान तथा गुजरात जैसे क्षेत्रों से मिली है ।
हड़प्पा संस्कृति : इस सभ्यता का नामकरण हड़प्पा नामक का स्थान , जहां यह संस्कृति पहली बार खोजी गई थी , के नाम पर किया गया है ।  इसका काल निर्धारण 2600 और 1900  ईसा पूर्व  के बीच  किया गया है । इस सभ्यता के पहले और बाद में भी संस्कृतियां अस्तित्व में थी जिन्हें क्रमशः  आरंभिक तथा परवर्ती हड़प्पा कहा जाता है ।
समय निर्धारण से सम्बद्ध शब्द :
BC : Before Christ (ईसा के जन्म के पूर्व का काल)
AD : Anno Domini(ईसा के जन्म के बाद का काल)
BCE: Before Common Era
CE: Common Era
BP : Before Present ( वर्तमान से पहले )
आरंभिक तथा विकसित हड़प्पा संस्कृति :  सिंध और चोलिस्तान में बस्तियों की संख्या : -
                                   सिंध        चोलिस्तान
बस्तियों की कुल संख्या  106          239
आरम्भिक हड़प्पा स्थल   52             37
विकसित हड़प्पा स्थल    65            136
नए स्थलों पर विकसित - 43           132  
            (हड़प्पा स्थल )    
त्याग दिए गए आरम्भिक  29            33
               (हड़पा स्थल)   

*  सिंधु घाटी सभ्यता से पहले भी कई संस्कृतियां अस्तित्व में थी जिसका प्रभाव विशिष्ट मृदभांड , कृषिपशुपालन तथा कुछ शिल्पकारी के साक्ष्य  से पता चलता है ।
हड़प्पा सभ्यता में निवासी पेड़ पौधों से प्राप्त उत्पाद और जानवरों , जिसमें मछली शामिल है , से भोजन प्राप्त करते थे ।
*   उत्खनन में गेहूं , दालसफेद चना और तिल मिले हैं ।
*  जानवरों की हड्डियों में भेड़ , बकरी और सुअर की हड्डियां शामिल है । यह सभी पालतू जानवर थे।
*   मोहरों पर किए गए रेखांकन तथा मृण्यमूर्तियों से यह इंगित होता है कि खेत जोतने के लिए बैल का प्रयोग होता था  ।
चोलिस्तान के स्थलों और बनवाली( हरियाणा से मिट्टी से बने हल मिले हैं  ।
कालीबंगा (राजस्थान ) से जूते हुए खेत का साथ मिला है ।
*    फसलों में कटाई हेतु धातु के औजार का प्रयोग करते थे  ।

अफगानिस्तान में शोर्टघुई  से नहर के प्रमाण मिले हैं ।
धोलावीरा( गुजरात)  से जलाशयों का प्रयोग कृषि के लिए जल संचयन हेतु किया जाता था ।

No comments:

Post a Comment

M. PRASAD
Contact No. 7004813669
VISIT: https://www.historyonline.co.in
मैं इस ब्लॉग का संस्थापक और एक पेशेवर ब्लॉगर हूं। यहाँ पर मैं नियमित रूप से अपने पाठकों के लिए उपयोगी और मददगार जानकारी शेयर करती हूं। Please Subscribe & Share