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Sunday 25 July 2021

Power Sharing: Ncert Notes and Solutions

Power Sharing: Ncert Notes and Solutions


परिचय :
 इस विषय के अंतर्गत विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का विकेंद्रीकरण लोकतंत्र के कामकाज के लिए कितना जरुरी है ?  बेल्जियम और श्रीलंका की दो कहानियों के माध्यम से सत्ता की साझेदारी की आवश्यकता का अध्ययन करेंगें |

बेल्जियम 
*  बेल्जियम यूरोप का महत्वपूर्ण  देश जो हरियाणा राज्य से भी छोटा है  जिसके सीमाएं फ्रांस , नीदरलैंड , जर्मनी और लक्सम्बर्ग  से लगती है | इस देश की राजधानी ब्रूसेल्स है |
*  बेल्जियम की जातीय बनावट
- देश की कुल आबादी का 59% हिस्सा फ्लेमिश इआके में रहता है और डच बोलता है |
- 40% आबादी वेलोनिया क्षेत्र में रहता है और फ्रेंच बोलता है |
- 1% आबादी जर्मन बोलते है |
* राजधानी ब्रूसेल्स के 80% लोग फ्रेंच बोलते है और 20% लोग डच भाषा  |

समस्या :
* अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग डचों की तुलना में ज्यादा समृद्व, शिक्षित  और ताकतवर रहे है |
* देश में डचों की आबादी अधिक है  और फ्रेंच लोगों से ज्यादा समृद्व नही है | परिणामत:  1950 और 1960 के दशक में दोनों के बीच तनाव टकराव का कारण बन गया |

बेल्जियम की समझदारी :
                    बेल्जियम ने डचों एवं फ्रेंच के बीच टकराव को दूर करने के लिए 1970 से 1993 के बीच चार संवैधानिक संशोधन किए |  इसके द्वारा अपनाए गए माडल की मुख्य बातें ---------
* केन्द्रीय सरकार में फ्रेंच और डच भाषी मंत्रीयों की संख्या समान रहेगी | कुछ विशेष क़ानून तभी बन सकते है जब दोनों भाषाई समूह के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो | इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नही कर सकते |
*  केंद्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों के अधीन कर दी गयी | यानी राज्य सरकारें केन्द्रीय सरकार के अधीन नही है |
* ब्रूसेल्स में अलग सरकार है और इसमें डच और फ्रेंच दोनों समुदाय का समान प्रतिनिधित्व है  |
*  दोनों सरकारों के अलावा एक तीसरी सरकार है अर्थात सामुदायिक सरकार | इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते है चाहे वे जहां रहते हों | इस सरकार को संस्कृति , शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर ध्यान देती है |

                           बेल्जियम में सत्ता की साझेदारी ने गृह युद्व के टकराव को टाल दिया | इसी वजह से यूरोपीय संघ का मुख्यालय  ब्रूसेल्स में बनाया गया है |


श्रीलंका की कहानी :
श्रीलंका हिंदमहासागर में स्थित एक द्वीपीय देश है जो भारत के दक्षिण में पड़ता है |
जातीय बनाबट:
- सिंहली - 74%
- तमिल - 18% ( श्रीलंकाई तमिल -13%, भारतीय तमिल -5%)
-  ईसाई - 7%
-  अन्य -1%

बहुसंख्यकवाद  की नीति और टकराव 
*  श्रीलंका 1948 में स्वतंत्र हुआ |
* सिंहली समुदाय के बहुसंख्यक नेताओं ने शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा | 1956 में एक क़ानून बनाकर सिंहली भाषा को राजभाषा बना दिया |
*  विश्वविद्यालयों  एवं सरकारी नौकरियों में तमिलों की  उपेक्षा कर  सिंहलियों की प्राथमिकता देने की नीति चलाई |
* सरकार ने बौद्व मत का संरक्षण एवं बढावा देने लगी |

सिंहलियों  एवं तमिलों का टकराव :
-  उपर्युक्त  नीतियों के कारण तमिलों ने अपने अधिकारों के लिए राजनीतिक दल बनाई और तमिल को राजभाषा बनाने , क्षेत्रीय स्वायतता हासिल करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की मांग को लेकर संघर्ष किया |
-  1980 के दशक उत्तर -पूर्वी श्रीलंका में तमिल ईलम सरकार बनाने को लेकर अनेक संगठन बने |
-  पारस्परिक अविश्वास ने  श्रीलंका में  गृहयुद्व  आरम्भ करा दिया | यह संघर्ष 2009 में खत्म हुआ |

सत्ता की साझेदारी क्यों जरुरी है ?
*  सामाजिक समूहों के बीच टकराव को कम करता है |
*  राजनीतिक हिंसा और अस्थिरता को समाप्त करता है |
* सत्ता की भागीदारी से सभी सामाजिक समूह शासन व्यवस्था से जुड़ते है |
*  देश की एकता और अखंडता बनी रहती है |

सत्ता की साझेदारी के रूप :
* शासन के विभिन्न अंग: विधायिका , कार्यपालिका और न्यायपालिका  के शक्तियों का बंटबारा रहता है |विधायिका कार्यपालिका की शक्तियों पर अंकुश लगती है | कार्यपालिका न्यायपालिका की नियुक्ति करती है परन्तु न्यायपालिका विधायिका और कार्यपालिका के बनाए गए कानूनों पर अंकुश लगती है|  इस व्यवस्था को " नियन्त्रण एवं संतुलन की व्यवस्था " भी कहते है |
*  सरकार के बीच कई स्तरों पर सता का विभाजन हो सकता है | मसलन - केन्द्रीय सरकार , राज्य सरकार , सामुदायिक सरकार , क्षेत्रीय सरकार अन्य |
* शासन में सभी सामाजिक समूहों की उचित  भागीदारी  दी जा सकती है |
*  दबाब समूह , नियमित चुनाव , चुनाव में दलों की सहभागिता  सत्ता की साझेदारी के रूप है |

                          समाप्त 

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M. PRASAD
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