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Thursday, 11 February 2021

शिशुनाग वंश और नन्द वंश

 शिशुनाग वंश और नन्द वंश 


हर्यक वंश के अंतिम शासक नागदशक को शिशुनाग नामक अमात्य ने पदच्यूत कर मगध पर अधिकार कर लिया और शिशुनाग वंश की स्थापना 412 ई0 पू0 किया ।

*  शिशुनाग के समय में मगध साम्राज्य के अंतर्गत बंगाल से मालवा तक का क्षेत्र शामिल था ।

*  शिशुनाग ने पाटलीपुत्रा के स्थान पर  वैशाली को राजधानी बनाया ।

* शिशुनाग का उत्तराधिकारी कालशोक हुआ । यह मगध साम्राज्य का सम्राट 394 ई0 पू0 से 366 ई0 पू0 तक रहा ।

*  पुराण में कालशोक और दिव्यादान में काकवर्ण नाम मिलता है ।

*  कालशोक ने वैशाली के स्थान पर अपनी राजधानी  पाटलीपुत्रा बनाया ।

कालशोक के शासनकाल में ही बौद्व धर्म का द्वीतीय बौद्व संगीति 383 ई0 पू0 वैशाली में सवाकामी की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी ।

*  शिशुनाग वंश का अंतिम शासक नन्दिवर्धन था जिसने 344 ई0 पू0 तक मगध पर शासन किया ।

*  महापद्मनन्द ने शिशुनाग वंश का अंत कर नन्द वंश की स्थापना 344 ई0पू0 किया तथा 28 वर्षों तक मगध पर शासन किया ।

*  पुराणों में महापद्मनन्द को सर्वक्षत्रान्तक (क्षत्रियों का नाश करनेवाला ) तथा भार्गव ( द्वीतीय परशुराम) कहा गया  है । उसने  एकरात और एकछत्र की उपाधि धारण की थी ।

*  महापद्मनन्द का पुत्र घनानन्द सिकन्दर ( एलेक्जेंडर) का समकालीन था ।

*  यूनानी इतिहासकारों ने घनानन्द को अग्रमीज़ लिखा है ।

घनानन्द के शासनकाल में सिकन्दर ने 325-326 ई0 पू0   भारत पश्चिमी -उत्तर भाग पर आक्रमण किया था।

322 ई0पू0 चन्द्रगुप्त मौर्य ने  घनानन्द को पराजित कर मगध पर अधिकार कर लिया और मौर्य वंश की स्थापना की।




स्रोत  : विकिपीडिया (मानचित्र)

 शिशुनाग वंश और नन्द वंश 

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