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Monday, 30 December 2019

जीवामृत - जैविक खाद

जीवामृत - जैविक खाद

देश का 65% जनसँख्या खेती पर आश्रित है जिसमें  90% किसान किसी न किसी रूप में ऋण में दबा है । किसान अपनी आमदनी का एक बड़ा  हिस्सा रासायनिक उर्वरकों पर खर्च कर देता है ताकि अच्छी पैदावार हो सके । फसल अच्छी नही होने पर ऋण चुका पाने में असमर्थ  किसान या तो अपनी खेत बेच देता है या आत्महत्या कर लेता है । रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से जमीन बंजर होने के साथ ही साथ लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है ।
इस समस्या के समाधान के लिए सरकार जैविक खेती को प्रोत्साहन दे रही है । जैविक खेती से जमीन की उर्वरा शक्ति बनी रहती है साथ ही साथ किसान को आर्थिक वक्त एवं स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी सिद्व हो रही है ।
इस लेख में जैविक खाद " जीवामृत" बनाने एवं उपयोग करने की विधि की जानकारी दी जा रही है ।

जीवामृत है क्या ?
जीवामृत एक जैविक खाद है जो गोबर ,गौमूत्र, बेसन,गुड़ और पानी के मिलाने से तैयार होता है तथा जिसके प्रयोग से पौधों की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होतीं है एवं अधिक फसल उत्पादन में सहायक होता है ।

जीवामृत बनाने की विधि :
आवश्यक सामग्री
1. देशी गाय या बैल का 10 किलो गोबर
2. उसी देशी गाय या बैल का 10 लीटर गोमूत्र
3. 2 किलो बेसन (दाल का )
4. 1 किलो पीपल या बरगद के जड़ के पास की मिट्टी
5. 1 किलो पुरानी गुड़ या 4 लीटर गन्ना का रस
6. 200 लीटर पानी
7. एक बड़ा सा ड्रम





    उपर्युक्त सारी सामाग्रियों को एक बड़ा सा ड्रम में डाल कर डंडे की सहायता से मिलाए । सारी सामाग्रियों के घुल जानेपर पेड़ की छावं में रख दे । ध्यान देना है कि सूर्य की सीधे धूप ना पड़े । 7 दिनों तक ड्रम में रखे सामाग्री को सुबह शाम डुलाए ।
7 दिनों के बाद आपका जीवामृत ( जैविक खाद ) तैयार है ।
यह 200 लीटर जीवामृत 1 एकड़ जमीन पर उपयोग में ला सकते है ।

उपयोग में लाने की विधि :
 किसान अथवा  बागवानी करनेवाले अपनी फसलों और बगीचों में प्रत्येक 15 दिन पर स्प्रिंकलर के माध्यम से छिड़काव कर सकते है ।जीवामृत छिड़काव केते समय यह ध्यान रखे कि जमीन में नमी हो । जीवामृत का प्रयोग पेड़-पौधों , सब्जियों, दलहन, तेलहन फसलों, धान, गेहूँ , मक्का , फल-फूल आदि पर कर सकते है ।
जीवामृत के प्रयोग से उत्पादित फसल बचत के साथ साथ सेहत को भी सुरक्षित करती है ।
     एक बार अवश्य प्रयोग करे ।


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