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Monday, 8 March 2021

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस क्यों मनाते है :8 मार्च

 अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (8मार्च) क्यों मनाते है ?




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1.क्या आप भारतीय इतिहास की सबसे साहसी महिला के बार में जानते है ?

भारत में महिलाओं की स्थिति :

मनुष्य जाति की आबादी में महिलाओं का हिसा आधा है पर सार्वजनिक जीवन में महिलाओं की भागीदारी आधिई नहीं है| महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिकाँश क्षेत्रों में काफी पिछड़ गई | कुछ समय पहले महिलाओं की स्थिति और भी खराब थी | पहले सिर्फ पुरूषों को ही सार्वजनिक मामलों में भागीदारी करने,वोट देने या सार्वजनिक पदों  के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति थी | लेकिन बाद में महिलाएं जागरुक हुई और इसके खिलाफ संगठन बनाए तथा बराबरी का अधिकार हासिल करने के लिए आन्दोलन किये | महिलाएं व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन  के साथ राजनीतिक जीवन में बराबरी की मांग की | बराबरी की मांग करने करनेवाली महिलाओं की इस प्रकार की आन्दोलन महिला आन्दोलन को जन्म दिया |

क्या आजादी के सात दशक  बाद भी महिलाओं को समुचित अधिकार मिलें?

* महिलाओं को आज भी शिक्षा के संदर्भ में उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है |भारत में महला साक्षरता लगभग 65%  है , जबकि पुरुष की साक्षरता  लगभग 82% के आसपास है |

* महिलाओं की नौकरियों में भी भागीदारी बहुत ही कम है |

* महिलाओं को घरों में उत्पीडन , दहेज के नाम पर शोषण और कई तरह की ब्दिशों का सामना करना पड़ता है |

* आज भी लडकियों की अपेक्षा लडकों की चाहत समाज में काफी अधिक देखने को मिलती है , जिसके कारण लिंगानुपात में अंतर मिलता है |

* लडकियों के लड़कों के बराबर स्वतन्त्रता नही दी जाती है |

*  राजनीतिक क्षेत्र में भी महिलाओं की भूमिका बहुत ही कम है | लोकसभा में महिलाओं की संख्या लगभग 10-12 % है  वही विधानमंडलों में 5 %  के आसपास है | जबकि महिलाओं की आबादी के मुकाबले बहुत ही कम है |

भारत में जहां महिलाओं को देवी के रूप में पूज्य मानी जाती है वहीं समाज में  इनकी कम भागीदारी  बहुत कम रहने से यह पता चलता है कि भारतीय समाज में पुरुषों का वर्चस्व बना बरकरार  है और महिलाओं के प्रति उनका रवैया उदासीन है |

आशा की बात यह है कि अब देश में महिलाओं में जागरूकता आई है और अपने अधिकारों की मांग आरम्भ क्र दिया है | आज प्रत्येक क्षेत्रों में इनकी उपस्थिति देखी जा सकती है भले इनकी संख्या कम ही | कई उच्च पदों पर महिलाएं नेतृत्व कर रही है |   


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के बारे में आपने सुना होगा, मीडिया में इससे जुड़ी ख़बरें भी देखी होंगी.


लेकिन यह क्यों मनाया जाता है? और कब से इसे मनाने की शुरुआत हुई?


क्या यह विरोध प्रदर्शन है या जश्न का आयोजन? क्या इसी तर्ज़ पर अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस का आयोजन भी होता है?


कोविड संक्रमण के दौर में इस साल क्या इसका आयोजन होगा?


ये सब वो सवाल हैं जो आपके मन में भी आते होंगे, लिहाज़ा जानिए इन सभी सवालों के जबाब


क्लारा जेटकिन ने 1910 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत की थी

1 - इसका आयोजन कैसे शुरू हुआ?


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन एक श्रम आंदोलन था, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन के तौर पर स्वीकृति दी. इस आयोजन की शुरुआत का बीज 1908 में तब पड़ा, जब न्यूयॉर्क शहर में 15 हज़ार महिलाओं ने काम के घंटे कम करने, बेहतर वेतन और वोट देने की माँग के साथ विरोध प्रदर्शन निकाला था.


इसके एक साल बाद अमेरिकी सोशलिस्ट पार्टी ने पहली बार राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की शुरुआत की. लेकिन इस दिन को अंतरराष्ट्रीय बनाने का विचार क्लारा जेटकिन नाम की महिला के दिमाग़ में आया था. उन्होंने अपना ये आइडिया 1910 में कॉपेनहेगन में आयोजित इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ़ वर्किंग वीमेन में दिया था.


इस कांफ्रेंस में 17 देशों की 100 महिला प्रतिनिधि हिस्सा ले रही थीं, इन सबने क्लारा के सुझाव का स्वागत किया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पहली बार 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी, स्विट्जरलैंड में बनाया गया. इसका शताब्दी आयोजन 2011 में मनाया गया था, इस लिहाज़ से 2021 में दुनिया 110वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाएगी.


हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसे मनाने की शुरुआत 1975 में तब हुई जब संयुक्त राष्ट्र ने इस आयोजन को मनाना शुरू किया. संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में पहली बार इसके आयोजन में एक थीम को अपनाया, वह थीम थी - 'अतीत का जश्न मनाओ, भविष्य की योजना बनाओ.'


महिलाएं समाज में, राजनीति में और अर्थशास्त्र में कहाँ तक पहुँची हैं, इसके जश्न के तौर पर इंटरनेशनल वीमेंस डे का आयोजन होता है, लेकिन इस आयोजन के केंद्र में प्रदर्शन की अहमियत रही है, लिहाज़ा महिलाओं के साथ होने वाली असमानताओं को लेकर ज़ागरूकता बढ़ाने के लिए विरोध प्रदर्शन का आयोजन भी होता है।


2 - इंटरनेशनल वीमेंस डे कब मनाया जाता है?


इसका आयोजन 8 मार्च को होता है. क्लारा ने जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आइडिया दिया था, तब उन्होंने किसी ख़ास दिन का जिक्र नहीं किया था. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किस दिन हो, 1917 तक इसकी कोई स्पष्टता नहीं थी.


साल 1917 में रूस की महिलाओं ने रोटी और शांति की माँग के साथ चार दिनों का विरोध प्रदर्शन किया था. तत्कालीन रूसी ज़ार को सत्ता त्यागनी पड़ी और अंतरिम सरकार ने महिलाओं को वोट देने का अधिकार भी दिया.


जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था.


यही दिन ग्रेगॉरियन कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।


बैंगनी रंग अक्सर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से जोड़कर देखा जाता है

3 - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को प्रदर्शित करने वाले कौन-कौन से रंग हैं?


बैंगनी, हरा और सफेद - ये तीनों इंटरनेशनल वीमेंस डे के रंग हैं.


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस कैंपेन के मुताबिक़, "बैंगनी रंग न्याय और गरिमा का सूचक है. हरा रंग उम्मीद का रंग है. सफ़ेद रंग को शुद्धता का सूचक माना गया है. ये तीनों रंग 1908 में ब्रिटेन की वीमेंस सोशल एंड पॉलिटिकल यूनियन (डब्ल्यूएसपीयू) ने तय किए थे."


4 - क्या इंटरनेशनल मेंस डे का आयोजन भी होता है?


जी हाँ, इंटरनेशनल मेंस डे का आयोजन 19 नवंबर को होता है. लेकिन इसकी शुरुआत 1990 के दशक के बाद हुई है और इसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से मान्यता नहीं मिली है. हालांकि, दुनियाभर के 80 देशों में इसे मनाया जाता है.


इस डे का आयोजन 'पुरुषों द्वारा दुनिया, अपने परिवार और समुदाय में लाये गए पॉज़िटिव मूल्यों' के लिए किया जाता है, जिसमें पॉज़िटिव रोल मॉडलों की भूमिका को रेखांकित किया जाता है और पुरुषों के बेहतर जीवन को लेकर ज़ागरूकता फैलाई जाती है.


2020 के इंटरनेशनल मेंस डे के आयोजन की थीम थी - 'पुरुषों और लड़कों के लिए बेहतर स्वास्थ्य.'


5 - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आयोजन किस तरह होता है, क्या इस साल यह आयोजन वर्चुअल होगा?


रूस सहित दुनिया के कई देशों में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के दिन राष्ट्रीय अवकाश रहता है. रूस में आठ मार्च के आसपास तीन चार दिनों में फूलों की बिक्री दोगुनी हो जाती है. चीन में स्टेट काउंसिल की सलाह के मुताबिक़, आठ मार्च को महिलाओं को आधे दिन की छुट्टी मिलती है, हालांकि सभी नियोक्ता इसका ठीक से पालन नहीं करते हैं.


इटली में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौक़े पर लोग एक दूसरे को छुई-मुई का फूल देते हैं. इस परंपरा के शुरु होने की वजह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह माना जाता है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद रोम में इस चलन की शुरुआत हुई.


अमेरिका में 'मार्च' महिला इतिहास का महीना होता है. हर साल जारी होने वाली घोषणा के ज़रिए राष्ट्रपति अमेरिकी महिलाओं की उपलब्धियों का सम्मान करते हैं. हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए दुनिया भर में ज़्यादा से ज़्यादा वर्चुअल आयोजन होने की उम्मीद है.


6 - अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2021 का थीम क्या है?


इस साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है - #ChooseToChallenge.


यह थीम इस विचार से चुना गया है कि बदलती हुई दुनिया एक चुनौतीपूर्ण दुनिया है और व्यक्तिगत तौर पर हम सब अपने विचार और कार्य के लिए ज़िम्मेदार हैं.


अभियान में कहा गया है कि "हम सब लैंगिक भेदभाव और असमानता को चुनौती दे सकते हैं. हम सब महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मना सकते हैं. सामूहिक रूप से, हम सब एक समावेशी दुनिया बनाने में योगदान दे सकते हैं."


लोगों से पूछा जा रहा है कि क्या वे असमानता दूर करके बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं.


7 - हमें इस आयोजन की ज़रूरत क्यों है?


अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस ने अपने अभियान में कहा कि "एक शताब्दी के बाद भी हम लोग लैंगिक समानता हासिल नहीं कर सके हैं. हम लोग अपने जीवन में लैंगिक समानता नहीं देख पाएंगे और ना ही हमारे बच्चों में कई इसे देख पाएंगे."


इतना ही नहीं, यूएन वीमेन के हाल के आंकड़ों के मुताबिक़, कोरोना संक्रमण के चलते वह सब ख़त्म हो सकता है जो लैंगिक समानता की लड़ाई में पिछले 25 सालों में हासिल किया गया था. कोरोना महामारी के चलते महिलाएं ज़्यादातर घरेलू काम कर रही हैं और इसका असर नौकरियों और शिक्षा के अवसरों पर भी दिखेगा.


हालांकि, कोरोना संक्रमण के बाद भी इंटरनेशनल वीमेंस डे-2020 के दौरान कई प्रदर्शन देखने को मिले थे. इनमें से ज़्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे. लेकिन किरगिज़ की राजधानी बिशकेक में पुलिस ने दर्जनों महिला कार्यकर्ताओं को तब गिरफ़्तार कर लिया था, जब प्रदर्शन कर रही महिलाओं पर नकाबपोश पुरुषों ने हमला किया था.


देश की महिला कार्यकर्ताओं का मानना है कि महिला अधिकारों की स्थिति पहले से ख़राब हो रही है. हिंसक धमकी और क़ानूनी मामलों के बाद भी पाकिस्तान के कई शहरों में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले थे.


मेक्सिको में महिलाओं के प्रति होने वाली हिंसा के बढ़ते मामलों को देखते हुए 80 हज़ार से ज़्यादा लोग प्रदर्शन में शामिल हुए थे लेकिन इनमें 60 से ज़्यादा लोग घायल हो गए थे. रैली शांतिपूर्ण ढंग से निकली थी, लेकिन पुलिसकर्मियों के मुताबिक़ पेट्रोल बम फेंके जाने के बाद उन्हें टियर गैस चलाने पड़े.


पिछले कुछ सालों में महिला आंदोलन की स्थिति लगातार बेहतर हुई है. इस साल अमेरिका में कमला हैरिस के तौर पर पहली काली और एशियाई मूल की महिला उप-राष्ट्रपति के पद तक पहुँची हैं. साल 2019 में फ़िनलैंड में नई गठबंधन सरकार चुनी गई, जिनका नेतृत्व पाँच महिलाओं के हाथों में है.


वहीं उत्तरी आयरलैंड में गर्भपात को ग़ैर-क़ानूनी क़रार दिया गया. इसके अलावा सूडान में सार्वजनिक जगहों पर महिलाएं कैसे कपड़ें पहनें, इसको लेकर बनाये गए क़ानून को वापस लेना पड़ा.


इसके अलावा इस दौरान #MeToo अभियान का असर भी देखने को मिला. इसकी शुरुआत 2017 में हुई जिसके तहत महिलाओं ने इस हैशटैग के साथ सोशल मीडिया में उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाना शुरू किया था.


अब इसका चलन दुनिया भर में बढ़ा है, जो यह बता रहा है कि अस्वीकार्य और अनुचित व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और इन मामलों में कई हाई प्रोफ़ाइल लोगों को सजा मिली है.



Source:bbc


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M. PRASAD
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